29-30 मई, 2023 को दक्षिण कोरिया ने सियोल में उद्घाटन कोरिया-प्रशांत द्वीप समूह शिखर सम्मेलन 2023 की मेजबानी की, जो यून प्रशासन के अंतर्गत कोरिया गणराज्य में आयोजित होने वाले पहले बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के रूप में चिह्नित है। इसमें प्रशांत द्वीप समूह फोरम (पीआईएफ) के राष्ट्र प्रमुखों और पीआईएफ के महासचिव ने भाग लिया। शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी राष्ट्रपति यून सुक-योल और कुक द्वीप समूह के प्रधानमंत्री मार्क ब्राउन द्वारा की गई थी, क्योंकि कुक द्वीप समूह पीआईएफ की अध्यक्षता ग्रहण करता है। शिखर सम्मेलन का विषय "सह-समृद्धि की ओर नेविगेट करना: ब्लू पैसिफिक के साथ सहयोग को सुदृढ़ करना" था, जिसका उद्देश्य पीआईएफ की ब्लू पैसिफिक कॉन्टिनेंट के लिए 2050 रणनीति और पारस्परिक विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति के बीच तालमेल बनाना था1
वर्ष 2022 में 5वीं कोरिया-प्रशांत द्वीप समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान, मंत्रियों ने 2023 में शिखर स्तर तक अपने संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की2। दक्षिण कोरियाई सरकार इस शिखर सम्मेलन को दिसंबर 2022 में जारी अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति के हिस्से के रूप में पीआईसी के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने के अवसर के रूप में देखती है।
कोरिया-पीआईसी संबंध
ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र के साथ दक्षिण कोरिया का जुड़ाव 1970 के दशक से है जब कोरिया ने टोंगा, फिजी और समोआ के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। अंततः 1995 में, कोरिया प्रशांत द्वीप समूह फोरम (पीआईएफ) का एक संवाद भागीदार बन गया और पीआईएफ सदस्यों के साथ घनिष्ठ साझेदारी और जुड़ाव बनाए रखा। वर्ष 2008 के बाद से, कोरिया-पीआईएफ सहयोग कोष की स्थापना के साथ सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में इस क्षेत्र में कोरिया के वित्त-पोषण में वृद्धि हुई3। कोरिया-प्रशांत द्वीप समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक 2011 से नियमित अंतराल पर आयोजित की गई है, जो कोरिया और प्रशांत द्वीपों के बीच साझा हित के क्षेत्रों-जलवायु परिवर्तन, मत्स्य पालन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विकास सहयोग पर रणनीतिक प्रवचन का विस्तार करने के लिए एक प्रमुख उच्च स्तरीय सलाहकार निकाय है। हाल ही में सियोल दक्षिण प्रशांत में एक बड़ी भूमिका हासिल करने के लिए इन छोटे द्वीप देशों तक पहुंच रहा है। पिछले वर्ष दिसंबर में हिंद-प्रशांत रणनीति जारी होने के साथ ही कोरिया अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में अपनी 'रणनीतिक अस्पष्टता4' को दूर करने की राह पर है। कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति ने "प्रशांत द्वीप देशों के साथ जुड़ाव बढ़ाने" में अपनी महत्वाकांक्षा की घोषणा की, जिनके साथ कोरिया प्रशांत महासागर साझा करता है5। इस रणनीति का उद्देश्य कोरियाई प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर एशिया से परे हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक अपनी राजनयिक पहुंच का विस्तार करके कोरिया को 'एक वैश्विक निर्णायक राष्ट्र' के रूप में साकार करना है।
शिखर सम्मेलन को एक बड़े कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा सकता है, और यह ऐसे समय में है जब राष्ट्रपति यून ने जलवायु परिवर्तन से उदीयमान चुनौतियों से लेकर क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य लाभ के मद्देनजर "एक स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत" को बढ़ावा देने का वचन दिया है। इसके अलावा, शिखर सम्मेलन के मौके पर, कोरिया और नियू ने राजनयिक संबंधों को औपचारिक रूप दिया और इस प्रकार सभी 14 पीआईसी के साथ राजनयिक संबंध बनाए।
पीआईसी के लिए दक्षिण कोरिया रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। कोरिया का आर्थिक विकास और तकनीकी विशेषज्ञता पीआईसी के लिए मूल्यवान सहायता प्रदान कर सकती है क्योंकि वे अपनी आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ाना चाहते हैं। मत्स्य पालन, तकनीकी अनुसंधान और संपोषणीय पर्यटन में विशेषज्ञता के साथ कोरिया का लोकतंत्र और गतिशील अर्थव्यवस्था पीआईसी की समग्र विकास आवश्यकताओं के लिए लाभप्रद हो सकती है। दक्षिण कोरिया नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन और संरक्षण में भी एक अग्रणी शक्ति है, जो पीआईसी के स्थिरता-केंद्रित लक्ष्यों के साथ संरेखित है। इस संबंध में, सियोल ने इस क्षेत्र में ऐसी कई परियोजनाएं शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में, कोरिया के सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी ने द्वीप राष्ट्र की पेयजल समस्या को दूर करने के लिए वानुअतु सरकार के सहयोग से एक वर्षा जल संचयन सुविधा का निर्माण किया6। कोरिया के साथ बढ़ती भागीदारी रणनीतिक प्रभाव के लिए क्षेत्रीय शक्ति प्रतिस्पर्धा के बीच स्वंय को स्थापित करने के लिए अपने पारंपरिक भागीदारों के अलावा पीआईसी के लिए एक वैकल्पिक साझेदारी भी प्रदान करती है7।
कोरिया के लिए, बड़े ईईजेड और समृद्ध समुद्री संसाधनों के साथ इन द्वीप देशों की रणनीतिक स्थिति में भारी आर्थिक क्षमता है। प्रशांत महासागर के द्वीपों में दुनिया का सबसे बड़ा टूना मत्स्य पालन है8। कई कोरियाई लाइसेंस प्राप्त मत्स्य पालन के जहाजों को इस क्षेत्र के ईईजेड में तैनात किया गया है क्योंकि टूना मूल्य और मात्रा से कोरिया का प्रमुख समुद्री भोजन निर्यात है9। इसके अलावा, उनके छोटे आकार और आबादी के बावजूद, प्रशांत द्वीपों की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक महत्वपूर्ण आवाज है, उनका समर्थन और वोट वैश्विक राजनीति के प्रक्षेपवक्र को प्रभावित कर सकते हैं।
शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय
सियोल शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, निवेश और संपोषणीय मत्स्य पालन के मुद्दे शीर्ष एजेंडे में थे। कोरिया-प्रशांत द्वीप समूह शिखर सम्मेलन के अंत में, 29 मई, 2023 को 'एक लचीला प्रशांत के लिए स्वतंत्रता, शांति और समृद्धि की खोज में साझेदारी' पर एक संयुक्त घोषणा जारी की गई थी। दीर्घकालिक सहयोग के लिए, कोरिया और पीआईएफ नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार ईईजेड में समुद्री सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और मत्स्य पालन के सतत प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए अपने राजनयिक संबंधों और सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की। पीआईएफ नेताओं ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों को कोरियाई प्रायद्वीप के साथ-साथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़े खतरे के रूप में स्वीकार करते हुए कोरिया के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। कोरिया 2027 तक क्षेत्र में अपनी विकास सहायता को दोगुना करने और पीआईसी की आवश्यकताओं के अनुसार "अनुरूप सहयोग परियोजनाओं" के माध्यम से सुरक्षा सहयोग विकसित करने के लिए अतिरिक्त वित्त-पोषण के साथ-साथ आरओके-पीआईएफ सहयोग कोष (आरपीसीएफ) का विस्तार करने पर सहमत हुआ। पीआईएफ नेताओं ने बुसान में वर्ल्ड एक्सपो 2030 की मेजबानी के लिए आरओके की बोली और 2024-25 अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की गैर-स्थायी सदस्यता के लिए इसकी उम्मीदवारी का समर्थन किया10।
सियोल शिखर सम्मेलन के बाद, सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मनसेह सोगावरे ने परिणाम घोषणा के एक तत्व पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए एक वक्तव्य जारी किया, जो "वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और सह-समृद्धि के लिए प्रमुख भागीदारों के रूप में ब्लू पैसिफिक कॉन्टिनेंट के लिए 2050 रणनीति और प्रशांत द्वीप समूह और कोरिया के बीच कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति के बीच सांठगांठ" का विस्तार करने से संबंधित है11। उन्होंने कहा कि सोलोमन द्वीप ब्लू पैसिफिक कॉन्टिनेंट की 2050 रणनीति को "एक और बाहरी संरचना" से व्याख्या करने का समर्थन नहीं करता है क्योंकि यह सामूहिक कार्रवाई और क्षेत्रवाद के सिद्धांत के विरूद्ध जाता है12। हालांकि, पीआईएफ के अन्य सदस्यों का शिखर सम्मेलन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण था।
भावी राह
यून प्रशासन के अंतर्गत, कोरिया वर्तमान क्षेत्रीय भू-राजनीति के साथ स्वयं को संरेखित करके इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को बढ़ाने में सक्रिय रूप से संलग्न है। कोरिया इस क्षेत्र में अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा को तेज करने को सियोल के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में देखता है, जैसा कि जून 2023 में हाल ही में जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में कहा गया है। इस संबंध में, कोरिया ने प्रशांत द्वीपों की प्रमुख चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से अपनी कार्रवाई-उन्मुख योजनाओं के माध्यम से पीआईसी के साथ सुदृढ़ संबंध स्थापित करके इस क्षेत्र में अधिक व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।
शिखर सम्मेलन कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति के अनुरूप है और एक व्यापक एजेंडे को बढ़ावा देता है जो लोकतंत्र और सतत विकास पर जोर देता है। यह कोरिया के क्षेत्रीय दृष्टिकोण में संभावित बदलाव को इंगित करता है, ताकि क्षेत्र के "प्रशांत" आयाम पर अपना ध्यान केंद्रित किया जा सके और क्षेत्र में अपनी राजनयिक उपस्थिति को बढ़ाया जा सके। क्वाड जैसे क्षेत्रीय मिनीलेटरल से अपनी अनुपस्थिति की भरपाई करने के लिए, दक्षिण कोरिया का प्रशांत द्वीप शिखर सम्मेलन क्षेत्र में एक विश्वसनीय विकास भागीदार के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करने और एक मध्य शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है। दक्षिण कोरिया की प्रशांत कूटनीति का भविष्य का ध्यान इस वार्ता पर निर्भर करता है कि यह इस बहुपक्षीय कूटनीति की प्रभावशीलता को कितना प्रभावी ढंग से अधिकतम करता है।
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*तरवीन कौर, शोध प्रशिक्षु, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
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