28 मार्च, 2023 को, तुर्की के विदेश मंत्रालय ने 27 मार्च, 2023 को सीरियाई कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स/येकिनेयेन पारास्टिना जेल (वाईपीजी) के सदस्यों को अपने यहां बुलाने पर फ्रांसीसी सीनेट की निंदा करने के लिए तुर्की के राजदूत को तलब किया। तुर्की ने आरोप लगाया कि वाईपीजी[i] गैरकानूनी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके)[ii] की सीरियाई शाखा है, जिसने तुर्की के खिलाफ चार दशक लंबा सशस्त्र अभियान छेड़ा था, जो दक्षिण-पूर्वी तुर्की के कुर्द बहुल क्षेत्र की स्वायत्तता की मांग कर रहा था।
तुर्की नागरिक पूर्वोत्तर सीरिया में वाईपीजी समूह की मौजूदगी का कड़ा विरोध करते हैं, जो इसके दक्षिण पूर्वी क्षेत्र की सीमा में है। तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने पीकेके को "आतंकवादी" संगठन घोषित किया हुआ है। विगत कई वर्षों से कुर्दिश का मुद्दा तुर्की और फ़्रांस के बीच विवाद का मुख्य कारण रहा है। अरब दुनिया में कुर्द लोगों के अधिकारों, स्थिति और महत्वाकांक्षाओं को लेकर दोनों देशों में असहमति है। एक तरफ तुर्की नागरिक कुर्दों को अपनी राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा मानते हैं, तो वहीं फ्रांस अपनी कूटनीति में 'मानवतावादी' छवि बनाए रखने के लिए कुर्द लोगों के साथ जुड़ाव बनाए रखता है।
जातीय समुदाय माने जाने वाले कुर्द इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान में बहुत कम हैं। उन्होंने उत्तरी इराक, दक्षिण पूर्वी तुर्की, उत्तरी सीरिया और उत्तर पश्चिमी ईरान को मिलाकर एक स्वतंत्र कुर्दिस्तान राष्ट्र बनाने के लिए कई दशकों तक संघर्ष किया है।
स्रोत: https://bit.ly/41dhBqZ
फ्रांस सहित कई पश्चिमी देशों ने कुर्द लोगों को आर्थिक, सैन्य तथा कूटनीतिक मदद की है, और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) समेत कई मंचों पर कुर्दों के मानवाधिकारों के उल्लंघन और उनके सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने का मुद्दा भी उठाया है। विशेषतः, अरब दुनिया में कुर्दों के मानवाधिकारों के मुद्दे को उठाने में फ्रांस ने अहम भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में फ्रांस और कुर्द सरकारों के बीच राजनयिक संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है।[iii] फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा मिटर्रैंड ने 1982 में इराक के कुर्द-प्रशासित एरबिल प्रांत में एक महावाणिज्य दूतावास की स्थापना की थी। राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की सरकार ने 2008 में एरबिल में फ्रांस के दूतावास की स्थापना की थी। इसकी वजह से, फ्रांसीसी सरकार और कुर्द लोगों के बीच संबंध राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक स्तरों पर मजबूत हुआ है। पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद 2014 में एरबिल गए थे और कुर्दिस्तान क्षेत्र के अधिकारियों को सैन्य तथा आर्थिक सहायता देने की प्रतिबद्धता दर्शाई थी। फ्रांसीसी सरकार ने कुर्द सैनिकों (पेशमर्गा) को प्रशिक्षित करने हेतु अपने सैनिकों को भी भेजा। 2016 में, कुर्दिस्तान में दो शिपमेंट में फ्रांस से सैन्य सहायता मिली।[iv]
कुर्दिश नागरिकों को फ्रांसीसी सरकार के लगातार समर्थन से तुर्की के साथ इसके द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण बन दिए हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 2019 में पूर्वोत्तर सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद, तुर्किये ने कुर्द मिलिशिया के खिलाफ हवाई तथा जमीनी हमले सहित कई हमले शुरू किए।[v] साथ ही, फरवरी 2022 में जब यूक्रेन संघर्ष वैश्विक मीडिया तथा विश्व नेताओं के ध्यान का केंद्र बन गया, तो तुर्किए ने पूर्वोत्तर सीरिया में कुर्दों पर हमलों को और तेज कर दिया। फ्रांसीसी सांसदों ने कुर्दों के खिलाफ एर्दोगन की "युद्ध की नीति" की निंदा की, और फ्रांस की सरकार से आह्वान किया कि वह संयुक्त राष्ट्र से उत्तरी सीरिया में नो-फ्लाई ज़ोन घोषित करने और कुर्दों को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में रखने का आग्रह करे।[vi]
दिसंबर 2022 में पेरिस में कुर्दिश की तीन जगहों पर गोलीबारी के बाद तुर्की और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय संबंध और बिगड़ गए, जिसमें तीन कुर्द नागरिकों की मौत हो गई थी। कुर्द समुदाय ने इस गोलीबारी के लिए तुर्की की सुरक्षा एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया। इस सामूहिक गोलीबारी के खिलाफ कुर्दों ने विरोध मार्च निकाला। मार्च के दौरान कुर्द कार्यकर्ताओं ने पीकेके का झंडा और उसके नेता अब्दुल्ला ओकलां के पोस्टर लहराए। चरण-वामपंथी ला फ़्रांस इनसूमिस पार्टी के नेताओं (जीन-ल्यूक मेलेनचॉन और एरिक कोक्वेरेल) और फ्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता (फेबिएन लेफेब्रे) ने इस मार्च में भाग लिया, जिससे तुर्कि चिढ़ गया। एर्दोगन की सरकार ने पेरिस में कुर्द कार्यकर्ताओं द्वारा तुर्की विरोधी प्रचार का विरोध करने पर फ्रांसीसी राजदूत को तलब किया। साथ ही इसने विरोध मार्च में फ्रांसीसी राजनेताओं के हिस्सा लेने पर भी चिंता व्यक्त की। तुर्की के विदेश मंत्री, मेवलुत कावुसोग्लु ने फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना को एक कॉल किया और इस बात पर जोर देकर कहा कि यह "अस्वीकार्य है कि फ्रांसीसी राजनेताओं ने उन घटनाओं (विरोध) में भाग लिया जिसमें आतंकवादी संगठन पीकेके के झंडे और उसके नेताओं के पोस्टर लहराए गए थे। फ्रांस को ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं देनी चाहिए।[vii]
फ़्रांसीसी और तुर्की सरकारों के बीच बढ़ते तनाव के बीच, 27 मार्च, 2023 को फ़्रांसीसी सीनेट ने पीकेके की सीरियाई शाखा, वाईपीजी के सदस्यों (अब्दुल करीम उमर, नूरी महमूद, रौक्सैन मुहम्मद, और खालिद इस्सा) को अपने यहां बुलाया और अपने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगी तुर्किये की आपत्तियों के बावजूद "मेडल ऑफ ऑनर" से सम्मानित किया। तुर्कीये ने आरोप लगाया कि वाईपीजी-पीकेके तुर्की में आतंकवादी हमले करने के लिए सीरिया के उत्तर पूर्वी क्षेत्र का उपयोग लॉन्च पैड के तौरपर कर रहा है। फ्रांसीसी सीनेट के उपाध्यक्ष पियरे लॉरेंट ने ट्विटर पर घोषणा की कि "सीनेट ने वाईपीजी सदस्यों को सीरिया में चरमपंथी इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ उनकी लड़ाई के सम्मान में पदक से पुरस्कृत किया।"[viii] अनादोलू एजेंसी ने बताया कि तुर्की के अधिकारियों ने फ्रांसीसी राजदूत हर्वे मैग्रो का विरोध किया और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नाटो सहयोगियों से अंकारा की एकजुटता की उम्मीदों को दोहराया। उन्होंने फ्रांस से कुर्द उग्रवादियों द्वारा "अंतरराष्ट्रीय साख हासिल करने" के कथित प्रयासों का समर्थन नहीं करने को भी कहा।[ix]
राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी कारक येकिनेयेन पारास्टिना जेल (वाईपीजी) को फ़्रांस द्वारा समर्थन करने को प्रेरित करते हैं। राजनीतिक स्तर पर लीबिया तथा पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में तुर्की के बढ़ते पदचिह्न के संदर्भ में, पेरिस तुर्की की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को रोकने हेतु कुर्दों का इस्तेमाल करना चाहता है। सुरक्षा स्तर पर येकिनेयेन पारास्टिना जेल (वाईपीजी) के साथ फ्रांस का संबंध इसकी आतंकवाद-रोधी रणनीति का एक मुख्य घटक है। इसके अलावा, अंकारा और पेरिस के हित सीरिया में टकराते हैं, ऐसा देश जो उनकी भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का एक नया मैदान बन गया है।
अंततः, पेरिस इस्लामिक स्टेट से लड़ने में कुर्दों को महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। लीबिया में, फ्रांस ने तुर्की पर आरोप लगाया कि उसने स्थानीय मिलिशिया नागरिकों को समर्थन के ज़रिए गैर-हस्तक्षेप की अपनी प्रतिबद्धता को तोड़ दिया है। इसलिए, तुर्की और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में 'विश्वास की कमी' देखी जा रही है। पेरिस और अंकारा में कुर्द मुद्दे पर द्विआधारी दृष्टि हावी हो रही है। फ्रांसीसी सरकार पूर्वोत्तर सीरिया में होने वाली घटनाओं को तुर्किये और कुर्दों के बीच संघर्ष के रूप में देखती है, जिसमें तुर्किये क्षेत्रीय आधिपत्य चाहता है, और दूसरा उत्पीड़ित अल्पसंख्यक (कुर्द) हैं, जो अपने अधिकारों तथा अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। अंकारा का मानना है कि आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर फ्रांस की स्थिति 'चयनात्मक' है। इसकी वजह से, कुर्द का मुद्दा अंकारा और पेरिस के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव का कारण बना रहेगा।
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*डॉ. अरशद, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] The YPG formed the Administrative Authority of Northeast Syria (AANES) in 2012, also known as Rojava.
[ii] The YPG formed the Administrative Authority of Northeast Syria (AANES) in 2012, also known as Rojava.
[iii] France sends new military aid shipments to Kurdistan. Kurdistan 24, June 15, 2016. https://bit.ly/3lMVfxP. Accessed March 27, 2023.
[iv] France sends new military aid shipments to Kurdistan. Kurdistan 24, June 15, 2016. https://bit.ly/3lMVfxP. Accessed March 27, 2023.
[v] French MPs slam ‘policy of war’ against Syrian Kurds. Arab News, July 31, 2022. https://bit.ly/3Koc0IU. Accessed March 29, 2023.
[vi] French MPs slam ‘policy of war’ against Syrian Kurds. Arab News, July 31, 2022. https://bit.ly/3Koc0IU. Accessed March 29, 2023.
[vii] Turkey denounces French politicians for attending protest at killings of Kurds. Reuters, December 29, 2022. https://reut.rs/3M07gdY. Accessed March 29, 2023.
[viii] Twitter: Pierre Laurent. https://bit.ly/3zlLcTq. Accessed March 27, 2023.
[ix] Twitter: Pierre Laurent. https://bit.ly/3zlLcTq. Accessed March 27, 2023.