इटली के प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी की हाल की यात्रा के दौरान, भारत और इटली ने प्रवासन और गतिशीलता के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए और नियमित प्रवासन, यथोचित कार्य स्थितियों हेतु मार्ग प्रशस्त करने के लिए और दो हस्ताक्षरकर्ताओं के घरेलू कानूनों के अनुसार अनियमित प्रवासन का मुकाबला करने के लिए प्रवासन और गतिशीलता के एक डिक्लेरेशन ऑफ़ इन्डेन्ट (डीओआई) पर हस्ताक्षर किए।[i] इसी तरह के प्रवासन और गतिशीलता के डिक्लेरेशन ऑफ़ इन्डेन्ट पर हस्ताक्षर साइप्रस और ऑस्ट्रिया के साथ किए गए जब भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दिसंबर 2022-जनवरी 2023 में इन देशों की यात्रा की थी।[ii] पिछले कुछ वर्षों में गंतव्य देशों के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित एमएमपीए’ज़/डीओआई’ज़ की संख्या में वृद्धि हुई है। जनवरी 2015 से मार्च 2023 के बीच भारत द्वारा 17 एलएमए’ज़/एमएमपीए’ज़/डीओआई’ज़ पर हस्ताक्षर किए गए हैं[iii] जबकि 1985 से 2014 के बीच 5 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे।[iv] घटनाक्रम के लिए समझौतों की प्रकृति में गहराई से अंदर जाने और उस गतिशीलता की प्रकृति को समझने के लिए यह विवश करते हैं जिसकी वे सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन बहस के व्यापक रुझानों के संयोजन में प्रवासन और गतिशीलता समझौतों को पूरा करने पर इस फोकस को पढ़ना भी महत्वपूर्ण है
लैंडस्केप-एलएमए’ज़/एमएमपीए’ज़ और एलओआई’ज़/डीओआई’ज़ की मैपिंग
भारत द्वारा प्रवासन और गतिशीलता पर विभिन्न श्रेणियों के समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। पहली श्रेणी लेबर मैनपावर एग्रीमेंट्स (LMA) की है। इन समझौतों पर मुख्य रूप से गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों[v] और जॉर्डन के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि इन अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय जनशक्ति के प्रवेश और उपस्थिति को सुविधाजनक बनाया जा सके। इस तरह के पहले समझौते पर 1985 में कतर देश के साथ हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद कुवैत (2007), ओमान (2008), बहरीन (2009), सऊदी अरब (2016), जॉर्डन (2018) और यूएई (2018) के साथ इसी तरह के समझौते किए गए। 6 जीसीसी देशों में कुल मिलाकर 9 मिलियन से अधिक भारतीयों की उपस्थिति है। इन अर्थव्यवस्थाओं में तेल और निर्माण की उछाल ने अवसरों को खोल दिया इसके कारण इन देशों में भारतीय श्रमिकों का एक नियमित प्रवाह हुआ और जिसकी पराकाष्ठा जीसीसी में भारतीय समुदाय की बड़ी उपस्थिति में हुई। अत: यह स्वाभाविक परिणाम था कि भारतीय कामगारों के कार्य और भर्ती की शर्तों को निर्धारित करने वाले पहले जनशक्ति समझौते पर 1985 में जीसीसी देश, यानी कतर के साथ हस्ताक्षर किए गए।
हालांकि, समय के साथ परिवर्तन न केवल जीसीसी में श्रमिकों की मांग की प्रकृति में बल्कि भारत के पास उपलब्ध प्रतिभा- पूल और गतिशीलता की विविधतापूर्ण प्रकृति में भी आया है जिसे अब संबोधित किए जाने की आवश्यकता है। 65% भारतीय 35 वर्ष से कम आयु के हैं और कामकाजी आयु वर्ग में हैं।[vi] श्रमिकों, छात्रों, पेशेवरों, शोधकर्ताओं, व्यावसायिक यात्राओं के संचलन को शामिल करने वाले, संचलन के व्यापक स्पेक्ट्रम को लेबर मैनपावर एग्रीमेंट्स द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है। एक व्यापक दायरे की जरूरत है, और यह हमें भारत द्वारा हस्ताक्षरित समझौतों की अगली श्रेणी, यानी माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट (एमएमपीए’ज़) की ओर ले जाता है।
एमएमपीए’ज़ प्रकृति में व्यापक होते हैं और अल्पकालीन वीजा, आर्थिक कारणों से छात्रों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों का संचलन, और अनियमित प्रवासन और मानव तस्करी को रोकने और उसका मुकाबला करने से लेकर गतिशीलता के व्यापक स्पेक्ट्रम को समाविष्ट करते हैं। भारत ने फ्रांस (2018), यूके (2021) और जर्मनी (2022) के साथ इन व्यापक एमएमपीए’ज़ पर हस्ताक्षर किए हैं। एक प्रमुख विशेषता जो एमएमपीए को एलएमए से अलग करती है, वह है कि एमएमपीए’ज़ प्रकृति में पारस्परिक होते हैं और दोनों पक्षों के नागरिकों के द्विपक्षीय संचलन को समाविष्ट करते हैं, जबकि एलएमए’ज़ एकतरफा संचलन का माध्यम होते हैं। इसके अलावा, एमएमपीए’ज़ में वापसी और पुनर्प्रवेश सहयोग पर एक अलग अध्याय भी जोड़ा गया है, जबकि एलएमए’ज़ में यह नहीं होता है।
प्रवासन समझौते का एक अन्य प्रकार एलएमए और एमएमपीए का मिश्रण है और विदेशों में रोज़गार के लिए कौशल श्रेणियों में भारतीय प्रवासी श्रमिकों के संचलन को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से हैं। विनिर्दिष्ट कुशल कामगारों पर जापान के साथ समझौते और भारतीय कामगारों की भर्ती पर पुर्तगाल के साथ समझौते, हाइब्रिड समझौतों की इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। ये अपेक्षाकृत विशिष्ट समझौते होते हैं। उनमें भारत आने वाले विदेशी नागरिकों का घटक नहीं होता है जैसे एमएमपीए’ज़ में होता है लेकिन इसके साथ ही, दायरे में अधिक व्यापक होते हैं और प्रशिक्षण और परीक्षण, परिवार के पुनर्मिलन, सामाजिक सुरक्षा और मेज़बान देश के नागरिकों के साथ समानता के प्रावधानों को शामिल करते हुए एलएमए’ज़ का निर्माण करते हैं। उदाहरण के लिए, जापान के साथ मेमोरेंडम ऑफ़ कोऑपरेशन (एमओसी) केवल विदेशी श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए जापान सरकार की एक विशिष्ट योजना के अंतर्गत भारत से श्रमिकों को भेजने के तौर-तरीकों को पूरा करता है, जिसे स्पेसिफ़ाइड स्किल्ड वर्कर्स प्रोग्राम के रूप में जाना जाता है। यह समझौता सूचना साझा करने, योजना के अंतर्गत जापान में प्रवेश करने के लिए किसी व्यक्ति को योग्य बनाने वाली परीक्षाओं और परीक्षणों में सहयोग, समीक्षा के तौर-तरीकों और विवाद समाधान के तौर-तरीकों को निर्धारित करता है। इसलिए यह बहुत विशिष्ट उद्देश्यों को शामिल करने वाला एक समझौता है। इसी तरह, पुर्तगाल के साथ समझौते में, समझौते के ढांचे के अंतर्गत पुर्तगाल में भारतीय श्रमिकों की भर्ती का विवरण दिया जाता है और यह इसके कार्यान्वयन तंत्र को निर्धारित करता है।[vii]
इन विभिन्न प्रकार के समझौतों के अलावा, भारत प्रमुख गंतव्य देशों के साथ लैटर ऑफ़ इन्डेन्ट (एलओआई)/डिक्लेरेशन ऑफ़ इन्डेन्ट (डीओआई) पर भी हस्ताक्षर कर रहा है जो प्रवासन और गतिशीलता पर बातचीत शुरू करने या तेजी से बातचीत करने के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अभी तक यूरोप के देशों जैसे डेनमार्क, फ़िनलैंड, इटली, पुर्तगाल, साइप्रस, ग्रीस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ 9 एलओआई/डीओआई पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। ये वे देश हैं जिनके साथ एमएमपीए के लिए बातचीत चल रही है या डीओआई’ज़ के हस्ताक्षर के बाद शुरू होगी। पुर्तगाल और जर्मनी के मामले में, डीओआई ‘ज़ के बाद समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्राथमिक संचालक सुरक्षित, व्यवस्थित और कानूनी प्रवासन के लाभों की पारस्परिक मान्यता और अनियमित प्रवासन से उत्पन्न खतरे को समाप्त करना है। इन डीओआई’ज़ को प्रवासन और गतिशीलता समझौते के समापन की दिशा में पहले कदम के रूप में समझा जा सकता है हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि सभी मामलों में समझौते को डीओआई द्वारा अवरोधित किया जाए।
आगे का रास्ता
पूर्वगामी खंड इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत प्रवासन समझौतों के विभिन्न रूपों पर हस्ताक्षर कर रहा है जो गंतव्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ भारतीय प्रवासी श्रमिकों की जरूरतों को पूरा करते हैं। इस घटनाक्रम में दो पहलू ध्यान देने योग्य हैं। सबसे पहले, नीति निर्माताओं को यह अहसास है कि भारत के लिए अपने जनसांख्यिकीय लाभांश, तकनीकी ज्ञान, कुशल युवा, और सुरक्षित और नियमित चैनलों के माध्यम से भारतीय श्रमिकों के लिए विदेशों में अवसरों का पता लगाने की तीव्र इच्छा को देखते हुए, यह एक उपयुक्त क्षण है। भारतीय पक्ष की इस इच्छा को पूरा करने हेतु श्रमिक-शक्ति में कमी के कारण इनमें से कई गंतव्य अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों की आवश्यकता है। जापान, ब्रिटेन, पुर्तगाल आदि सभी श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे हैं। जापान और पुर्तगाल जैसे देशों में उनकी आबादी की आयु-वृद्धि हो जाने और प्रजनन दर में गिरावट के कारण आवश्यकता बढ़ गई है जबकि यूके के मामले में यह बताया गया है कि 2019 की अंतिम तिमाही के बाद से, यूके ने कामकाजी आयु वर्ग के 408,000 व्यक्तियों को खो दिया है जो काम पर वापस नहीं जाना चाहते हैं।[viii]
दूसरा, जहां तक वैश्विक प्रवासन डायनामिक्स का संबंध है, ये समझौते नई वास्तविकताओं और परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करते हैं। वैश्वीकरण, तकनीकी परिवर्तन, संचार के विकसित साधनों ने यह सुनिश्चित किया है कि हम एक परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में रहते हैं जिसकी विशेषता श्रमिकों/पेशेवरों की अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता है। ऐसे श्रमिकों की वैश्वव्यापी आवश्यकता है जिनके पास अपने क्षेत्र का डोमेन विशिष्ट ज्ञान है चाहे वह प्लंबिंग, नर्सिंग, ड्राइविंग, अनुसंधान और नवाचार, आईटी या देखभाल कार्य हो। विशिष्ट कर्मचारियों की यह आवश्यकता अभी और बढ़ने वाली है, और यह उस गति से भी परिलक्षित होता है जिस गति से भारत द्वारा 2015 से प्रवासन और गतिशीलता पर कई देशों के साथ बातचीत हुई है।
इन समझौतों के परिणामस्वरूप भारतीय प्रवासी कामगारों के लिए ढेर सारे अवसर खुल रहे हैं। दोनों देशों के बीच एमएमपीए के परिणामस्वरूप भारत और यूके के बीच यंग प्रोफेशनल स्कीम (वाईपीएस) इसका एक उदाहरण है। वाईपीएस 18-30 वर्ष की आयु के दोनों देशों के युवा पेशेवरों को मेज़बान देश में रोजगार की स्थिति के बावजूद 24 महीने की अवधि के लिए संबंधित मेज़बान देश (भारत/यूके) में काम करने की अनुमति देता है। योजना के अंतर्गत किसी भी देश द्वारा 3000 भारतीय और यूके पेशेवरों को भर्ती किया जा सकता है। इस योजना को चालू करने के लिए वाईपीएस के अंतर्गत आवेदनों का पहला सेट यूके द्वारा 28 फरवरी से 2 मार्च 2023 तक स्वीकार किया जाएगा। जर्मनी के साथ एमएमपीए भारतीय छात्रों को उनके अध्ययन के पूरा होने के 18 महीने बाद रोजगार के अवसरों की तलाश करने की अनुमति देता है। जो युवा पेशेवर सक्षम जर्मन प्राधिकरण द्वारा मान्यता प्राप्त डिप्लोमा/डिग्री धारक हैं उन्हें यह जर्मनी में रहने और रोजगार की तलाश करने के लिए युवा पेशेवरों के आदान-प्रदान की भी अनुमति देता है। इसी तरह, पुर्तगाल के साथ समझौते ने ब्लू कॉलर श्रमिकों के लिए पुर्तगाल में रोज़गार खोजने की संभावना खोली है।
अब आगे का रास्ता होगा इन प्रवासन और गतिशीलता समझौतों द्वारा स्थापित संस्थागत ढांचे पर निर्माण करना, अनुसमर्थन के बाद समझौते के संचालन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करना, सभी हितधारकों को शामिल करना, समझौते से उत्पन्न होने वाले अवसरों के बारे में जनता में जागरूकता फैलाना, और आवधिक मूल्यांकन के लिए एक मजबूत तंत्र भी विकसित करना। यह न केवल भारतीय प्रतिभा को विदेशों में लाभकारी रोजगार के अवसर हासिल करने में योगदान देगा, बल्कि सुरक्षित, व्यवस्थित और कानूनी प्रवासन को बढ़ावा देने के सरकार के उद्देश्य को भी आगे बढ़ाएगा।
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*डॉ. सुरभि सिंह, सीनियर रिसर्च फ़ेलो, भारतीय वैश्विक परिषद्, नई दिल्ली। वह सेंटर फ़ॉर माइग्रेशन, मोबिलिटी एंड डायस्पोरा स्टडीज़ की प्रमुख हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
एंडनोट्स
[i] Ministry of External Affairs (2023), “India-Italy Joint Statement during the State Visit of the President of the Council of Ministers (Prime Minister) of the Italian Republic to India (March 02-03, 2023),” Accessed on ^ March 2023, URL: https://mea.gov.in/incoming-visit-detail.htm?36318/IndiaItaly+Joint+Statement+during+the+State+Visit+of+the+President+of+the+Council+of+Ministers+Prime+Minister+of+the+Italian+Republic+to+India+March+0203+2023
[ii] Ministry of External Affairs (2023), “Visit of External Affairs Minister to Cyprus and Austria (December 29,2022 – January 03, 2023)”, Press Release, 3 January 2023.
[iii] 17 LMAs/MMPAs/LOI are LMA with Saudi Arabia (2016),LMA with Jordan (2018) , LMA with UAE (2018), MMPA with France (2018) , DoI with Portugal (2020), MoC with Japan (January 2021),MMPA with United Kingdom (May 2021), Agreement with Portugal (September 2021), LoI with Australia and DoI with Greece (March 2022), DoI with Germany (May 2022), DoI with Denmark (May 2022), MMPA with Germany (December 2022) , LoI with Cyprus and Austria (December 2022/January 2023), DoI with Finland (December(2022) and DoI with Italy (March 2023).
[iv] These 5 Agreements Qatar in 1985, Kuwait (2007), Oman (2008), Denmark (2009), and Bahrain (2009).
[v] Bahrain, Kuwait, Qatar, Oman, UAE and Saudi Arabia constitute the Gulf Cooperation and Council.
[vi] Deo Priyanka (2023), “Is India’s rapidly growing youth population a dividend or disaster”, Times of India, Accessed on 8 March, URL: https://timesofindia.indiatimes.com/india/is-indias-rapidly-growing-youth-population-a-dividend-or-disaster/articleshow/97545222.cms
[vii] Ministry of External Affairs (2021), “Memorandum of Cooperation Between The Government Of Republic Of India And The Government Of Japan On A Basic Framework For Partnership For Proper Operation Of The System Pertaining To "Specified Skilled Worker", 18 January 2021.
[viii] Reuters (2023), „ Early Retired resist calls for work despite higher living costs”, Accessed on 9 January 2023, URL: https://www.reuters.com/world/uk/britains-early-retired-resist-calls-work-despite-higher-living-costs-2023-03-09/