परिचय
भारत ने 8 नवंबर 2022 को "वसुधैव कुटुम्बकम् - एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य" के विज़न के साथ अपनी जी20 अध्यक्षता के लिए ‘लोगो’ का अनावरण किया। 2008 में समूह की स्थापना के बाद भारत पहली बार दिसंबर 2022 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और एक विकासशील देश अर्थात् इंडोनेशिया से बैटन ग्रहण करेगा और इसे 2023 के अंत में दूसरे देश अर्थात् ब्राज़ील को सौंप देगा। ये तीनों देश मिलकर ट्रॉइका भी बनाएंगे जो पिछले और पदग्राही अध्यक्षों के बीच निरंतरता सुनिश्चित करते हुए जी20 के कार्य को आगे बढ़ाएंगे। ख़ास बात यह होगी कि यह विकासशील देशों का पहली बार ऐसा समूह होगा जो जी20 के विचार-विमर्श के लिए एजेंडा तय करेगा। विकासशील देशों में लोगों की आकांक्षाओं को आवाज़ देने और उनके मुद्दों को विशेष रूप से अहम् स्थान पर लाने हेतु, क्योंकि उनमें से कई का जी20 के भीतर प्रतिनिधित्व नहीं है, भारत के लिए इन देशों के साथ मिलकर काम करने का यह अवसर है। ऐसा ही एक मुद्दा प्रवासन और गतिशीलता है जहां भारत प्रवासन मामलों से निपटने में अपना अनुभव साझा कर सकता है, अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन कर सकता है, उन क्षेत्रों में नेतृत्व कर सकता है जो एक चुनौती प्रतीत होते हैं और अन्य देशों के अनुभवों से सीख सकता है।
जी20 और प्रवासन
जी20 के भीतर एक मुद्दे वाले क्षेत्र के रूप में, प्रवासन एक अपेक्षाकृत परिधीय मामला है, हालांकि जी20 घोषणाओं में इसका उल्लेख किया गया है। 2015 के शरणार्थी संकट के बाद, जब दुनिया का ध्यान यूरोप पर केंद्रित था, एंटाल्या विज्ञप्ति में इसका उल्लेख किया गया जिसने यूरोप की स्थिति को एक संकट के रूप में वर्णित किया है और विस्थापन के मूल कारणों को संबोधित करते हुए बोझ साझा करने और इस तरह के संकट से निपटने के लिए क्षमताओं का निर्माण करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को सहायता देने पर बल दिया गया है।[i]
यूके ने 2016 में ब्रेक्सिट के लिए मतदान किया था और ब्रेक्सिट को आकार देने वाले कई मुद्दों में से एक था प्रवासन और ब्रिटेन के श्रम बाज़ार पर कब्ज़ा करने वाले गैर-ब्रिटिश नागरिकों की चिंता। 2016 में हांग्ज़ो शिखर सम्मेलन में, अच्छी तरह से प्रबंधन किए गए प्रवासन के कारण जी20 नेताओं की विज्ञप्ति में ध्यान, श्रम प्रवासन और अर्थव्यवस्थाओं व समाजों को संभावित लाभ पर स्थानांतरित हो गया। हांग्ज़ो विज्ञप्ति ने मानवीय प्रयासों और 2017 में प्रवासन के मुद्दों की जांच के लिए जी20 की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।[ii]
2017 में हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन अमेरिका द्वारा बहुपक्षीय प्रतिबद्धताओं जैसे पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का जर्मनी की अपेक्षाकृत खुली शरणार्थी नीति का आलोचक होना, व्यापार के मुद्दे और ब्रेक्सिट वार्ता, से पीछे हटने से उत्पन्न राजनीतिक तनाव के बीच हुआ। 2017 में हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन में, जी20 के नेताओं ने प्रभावी श्रम बाज़ार एकीकरण नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया जो समावेशी विकास और सामाजिक सामंजस्य में योगदान कर सकती हैं। जी20 नेताओं ने शरणार्थियों पर ग्लोबल कॉम्पेक्ट्स और सुरक्षित, व्यवस्थित तथा नियमित प्रवासन के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रक्रिया के परिणाम से उनकी सकारात्मक अपेक्षाओं पर भी जोर दिया, दोनों को 2018 में अपनाने की परिकल्पना की गई थी। इसके अलावा, OECD को ILO, IOM और UNHCR के साथ-साथ माइग्रेशन पर रुझानों और नीतिगत चुनौतियों पर, वार्षिक आधार पर, जी20 को अपडेट करने का काम सौंपा गया था।[iii]
जब 2018 में जी20 की अध्यक्षता अर्जेंटीना में स्थानांतरित हुई, यह पहली बार था कि न्यायोचित और सतत विकास के संदर्भ में जी20 शिखर सम्मेलन लैटिन अमेरिका में आयोजित किया जा रहा था। कार्य के भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना अर्जेंटीना की अध्यक्षता के केंद्रीय स्तंभों में से एक था। नेताओं के घोषणा पत्र में अच्छे काम, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास सहित पुनर्कौशल प्राप्त कार्यकर्ताओं का भी उल्लेख किया गया।[iv] 2019 में, ओसाका शिखर सम्मेलन में, जी20 नेताओं ने विस्थापन के मूल कारणों को दूर करने और मानवीय जरूरतों के प्रत्युत्तर में सहयोग करने की आवश्यकता की पुष्टि की। उन्होंने बाद के वर्षों में इस मुद्दे पर चर्चा जारी रखने का भी वादा किया।
2020 में, कोविड 19 महामारी ने माइग्रेशन गवर्नेंस और डेटा की कमी और एक्सेस में विभिन्न अंतरालों को उजागर किया। महामारी ने प्रवासियों, शरणार्थियों और विस्थापितों के जीवन को भी प्रभावित किया। 2020 में रियाद में जी20 के नेताओं ने विस्थापन के मूल कारण को दूर करने और वार्ता जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।[v] इस प्रक्षेप पथ को जारी रखते हुए, 2021 में रोम शिखर सम्मेलन ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को अभिनिर्धारित किया और प्रवासी श्रमिकों और शरणार्थियों को शामिल करने के लिए लक्षित नीतियों के महत्व पर प्रकाश डाला। जी20 नेताओं ने सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के महत्व की भी पुष्टि की।[vi]
रोम शिखर सम्मेलन में बहाली पर इस फोकस को हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन में आगे बढ़ाया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि प्रवासियों, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों और उन्हें बहाली के प्रयासों में शामिल करने की आवश्यकता का, बाली घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। विकासशील देश के परिप्रेक्ष्य को मूल, पारगमन और गंतव्य के देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें भविष्य की अध्यक्षताओं में प्रवासन और जबरन विस्थापन पर बातचीत जारी रखने की प्रतिबद्धता है। राष्ट्रीय नीतियों, क़ानून और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रवासन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी अतिरिक्त बल दिया गया है।
इन दस्तावेजों के अवलोकन से संकेत मिलता है कि मानव तस्करी का अंत, शरणार्थियों के मुद्दे को संबोधित करना तथा सुरक्षित और व्यवस्थित प्रवासन की आवश्यकता जी20 घोषणाओं में एक आवर्ती विषय रहा है। ऐसे मुद्दे जिनका सामना विकासशील देशों द्वारा नियमित रूप से किया जाता रहा हैं जैसे कि गतिशीलता के लिए सुरक्षित और कानूनी तरीकों पर ध्यान देना, सुव्यवस्थित प्रलेखन प्रक्रिया, कौशल विकास और प्रत्यायन, निष्पक्ष और नैतिक भर्ती पर उच्चतम स्तर पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इंडोनेशिया ने अपनी अध्यक्षता के दौरान प्रवासी श्रमिकों पर ज़ोर दिया है और यह देखते हुए कि तीन विकासशील देश जी20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान ट्रॉइका का गठन करेंगे, जहां तक प्रवासन और गतिशीलता के मुद्दों का संबंध है, यह जी20 देशों के लिए पारस्परिक हित के मुद्दों पर एक साथ काम करने का एक अवसर है। यह समग्र "समावेशी, महत्वाकांक्षी और कार्रवाई उन्मुख" एजेंडे में योगदान कर सकता है जिसे भारत अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर बना सकता है, जैसा कि प्रधानमंत्री ने बाली शिखर सम्मेलन में अपने समापन भाषण में रेखांकित किया था।[vii]
भारत और एक प्रवासन और गतिशीलता ट्रैक की आवश्यकता
वर्षों से जी20 ने 2008 में सबसे पहले नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद से प्रमुख मुद्दों के क्षितिज का विस्तार किया है। इसके बाद, प्रत्येक देश जो अध्यक्षता करता है, प्राथमिकता वाले उन क्षेत्रों को अपने विज़न में लाता है जिन्हें वैश्विक स्तर पर संबोधित करने की आवश्यकता होती है। शेरपा ट्रैक [viii] के अंतर्गत कई मुद्दों को संबोधित किया जाता है जो शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, विकास से लेकर महिला सशक्तिकरण तक लग-अलग होते हैं। वर्किंग ग्रुप्स का गठन किया जाता है जो चर्चा में योगदान करते हैं और जी20 एजेंडा और प्राथमिकताओं के लिए अनुशंसाएं करते हैं। जी20 के उपयोग के लिए उपलब्ध वित्तीय हैफ़्ट के साथ, यह प्रवासन और गतिशीलता पर एक कार्य समूह स्थापित करने के लिए एक आदर्श मंच है।
यह सर्वविदित है कि भारत जनसांख्यिकीय लाभांश के एक चरण से गुज़र रहा है जिससे इसकी अधिकांश आबादी कामकाजी आयु वर्ग में है। भारत ने 2006 के आसपास जनसांख्यिकीय लाभांश खिड़की में प्रवेश किया और अवसर की यह खिड़की धीरे-धीरे 2041 तक कम होती जाएगी और उसके बाद 2061 में बंद हो जाएगी।[ix] इसी तरह की वास्तविकता कई विकसित देशों में बढ़ती आयु वाली आबादी भी है और काम की दुनिया में परिवर्तन के दौर से गुज़र रहे कौशल स्तरों पर प्रवासी श्रमिकों की आवश्यकता है। विकासशील देश विशेष रूप से कौशल और विदेशों में उपलब्ध नौकरियों के बीच बेमेलपन से त्रस्त हैं। एक मानकीकृत कौशल विकास ढांचा, मूल देश में कौशल पहचान और कौशल परीक्षण का मुद्दा, निष्पक्ष और नैतिक भर्ती प्रथाएं, युवा पेशेवरों की गतिशीलता, प्रेषण अतंरण की लागत को कम करना, वापस लौटे प्रवासियों का पुनःएकीकरण ऐसे मुद्दे हैं जिन पर जी20 के भीतर विचार-विमर्श की आवश्यकता है। जी20 का महत्व इस तथ्य में निहित है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही इस समूह का हिस्सा हैं, और इसमें मूल और गंतव्य देश दोनों शामिल हैं।
शेरपा ट्रैक के अंतर्गत प्रवासन और गतिशीलता पर वर्किंग ग्रुप का गठन भारत के लिए देश की कई अच्छी प्रथाओं को साझा करने के साथ-साथ अन्य देशों के अनुभव से सीखने का एक मंच हो सकता है। भारतीय उत्प्रवासी श्रमिकों के कल्याण और लाभ के लिए एक मजबूत संस्थागत संरचना भी मौजूद है, यहां तक कि हम कई गंतव्य देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा कवरेज पर बातचीत करते हैं। पूर्व-प्रस्थान उन्मुखीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों को गंतव्य देशों में क्या करें और क्या न करें के बारे में जानकारी देना और उन्हें वहाँ के नियमों और विनियमों, संस्कृति, खाने की आदतों, ड्रेस कोड आदि से परिचित कराना है। उत्प्रवास मंच (सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म जो उत्प्रवास प्रक्रिया में सभी हितधारकों को जोड़ता है) और प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र द्वारा चलाए जा रहे हेल्पलाइन भी प्रवासियों को सहायता प्रदान करते हैं। सरकार ने प्रवासी भारतीय बीमा योजना जैसी कम लागत वाली बीमा योजना भी शुरू की है जो मामूली दर पर 10 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करती है। ऐसे पोर्टल जो जॉब मार्केट से जुड़े हैं जैसे SWADES (स्किल्ड वर्कर्स अराइवल डेटाबेस फॉर एम्प्लॉयमेंट सपोर्ट), eSHRAM, ASEEM (आत्मनिर्भर स्किल्ड एम्प्लॉई एम्प्लॉयर मैपिंग), सूचना के डिजिटलीकरण और नियोक्ताओं को संभावित कर्मचारियों के साथ पारदर्शी तरीके से जोड़ने का एक प्रयास है। SWADES की शुरुआत 2020 में कोविड 19 महामारी के परिणामस्वरूप वापस लौटे भारतीय श्रमिकों के कौशल का मानचित्रण करने के लिए की गई थी। eSHRAM को असंगठित श्रमिकों (NDUW) का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 2021 में लॉन्च किया गया था। ASEEM पोर्टल कुशल कार्यबल की एक निर्देशिका के समान है जो श्रमिकों की मांग के साथ आपूर्ति का मिलान करता है। इन पोर्टल्स का उद्देश्य कुशल श्रमिकों की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाटना है।
भारत सरकार ने प्रवासन पहलों के संरूपण में गैर-सरकारी हितधारकों जैसे इंडस्ट्री चैम्बर्स, निजी संस्थाओं, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और शिक्षाविदों को शामिल करके एक संपूर्ण सरकारी और पूरे समाज के दृष्टिकोण को भी अपनाया है। प्रवासन और गतिशीलता समझौते और श्रम जनशक्ति समझौते पर 12 प्रमुख गंतव्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं और ऐसी और संस्थागत समझोते पाइपलाइन में हैं। भारत ने यूरोपीय संघ के साथ प्रवासन और गतिशीलता पर साझा एजेंडा पर एक संयुक्त घोषणा पत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं। भारत प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौतों के लिए संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, कुवैत आदि जैसे साझेदार देशों के साथ मौजूदा श्रम जनशक्ति समझौतों के उन्न्यन के लिए भी काम कर रहा है।
उपसंहारात्मक टिप्पणी
जहां तक अंतरराष्ट्रीय प्रवासन का संबंध है, भारत सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक है। सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में 2023 में इसके चीन से आगे निकल जाने का अनुमान है। इस आबादी का एक बड़ा भाग युवाओं का होगा। भारत मानव पूंजी में एक वैश्विक नेता है और पिछले कई वर्षों से वैश्विक प्रेषण का सर्वोच्च प्राप्तकर्ता है। भारत ने 2021 में प्रेषण में उस समय भी USD 87 बिलियन प्राप्त किए, जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं कोविड 19 महामारी के प्रभाव से व्यथित थीं।[x] भारत में एक बड़ी प्रवासी आबादी है जो विदेशों में काम करती है और उनमें से लगभग 9 मिलियन अकेले खाड़ी सहयोग वाले देशों में हैं।
साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि सभी अति महत्वपूर्ण लक्ष्य - सतत विकास, जलवायु परिवर्तन को संबोधित करना, महिला सशक्तीकरण, डिजिटल परिवर्तन सुनिश्चित करने से लेकर उपयुक्त कार्य तक - जिन्हें आज जी20 के भीतर हासिल करने की कोशिश की जा रही है, ये सभी प्रवासन और गतिशीलता के मुद्दों से जुड़े हुए हैं। इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए यह आवश्यक है कि उच्चतम स्तर पर प्रवासन को भी महत्व दिया जाए। जी20 को अपने क्षितिज का विस्तार करने और प्रवासन और गतिशीलता पर एक वर्किंग ग्रुप बनाने की आवश्यकता है। यह तथ्य है कि भारत विकसित देशों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है लेकिन विकासशील देशों के दृष्टिकोण को भी समझता है और स्पष्टतः कहता है, इससे भारत चर्चा करने में सक्षम होगा। इस प्रकार, भारत की अध्यक्षता विकासशील देशों के लिए एक साथ काम करने और प्रवासन और गतिशीलता से संबंधित अपने मुद्दों और चिंताओं को अहम् स्थान पर लाने का एक अवसर है।
*****
*डॉ. सुरभि सिंह, सीनियर रिसर्च फेलो, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] Antalya Communique (2015), Accessed on 9 November 2022, URL: https://www.consilium.europa.eu/media/23729/g20-antalya-leaders-summit-communique.pdf
[ii] G20 Leaders’ Communique, Hangzhou Summit (2016), Accessed on 7 November 2022, URL: https://www.consilium.europa.eu/media/23621/leaders_communiquehangzhousummit-final.pdf
[iii] G20 Leaders´ Declaration: Shaping an interconnected world (2017), Accessed on 7 November 2022, URL: https://www.g20germany.de/Content/EN/_Anlagen/G20/G20-leaders declaration___blob=publicationFile&v=11.pdf
[iv] Buenos Aires leaders’ declaration (2018), Accessed on 4 November 2022, URL:https://www.consilium.europa.eu/media/37247/buenos_aires_leaders_declaration.pdf
[v] Riyadh Declaration (2020), Accessed on 10 November 2022, URL: https://www.ilo.org/wcmsp5/groups/public/---dgreports/---dcomm/documents/meetingdocument/wcms_761761.pdf
[vi] Rome Declaration (2021), Accessed on 10 November 2022, URL: https://www.ilo.org/wcmsp5/groups/public/---dgreports/---dcomm/documents/meetingdocument/wcms_826035.pdf
[vii] English Translation of Prime Minister Shri Narendra Modi’s remarks at the Closing Session of G-20 Summit in Bali, Accessed on 16 November 2022, URL: https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/35890/English+Translation+of+Prime+Minister+Shri+Narendra+Modis+remarks+at+the+Closing+Session+of+G20+Summit+in+Bali
[viii] Sherpa Track and Finance Tracks are the two tracks under which negotiations happen in the G20.
[ix] “North India’s latent ‘demographic dividend”, December 6, 2021, URL: https://www.thehindubusinessline.com/opinion/north-indias-latent-demographic-dividend/article26561021.ece
[x] “India received $87 billion in remittances in 2021: World Bank”, Business Standard, November 18, 2021, URL:
https://www.business-standard.com/article/economy-policy/india-received-87-billion-in-remittances-in-2021-world-bank-121111800329_1.html