इस साल की शुरुआत से श्रीलंका जिस आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, वह बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ लोगों के विरोध में बदल गया है। भोजन, दवा और ईंधन जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की कमी से राहत दिलाने में नाकाम गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) सरकार के खिलाफ 9 जुलाई 2022 को हजारों प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (पीएम) के आवास और कार्यालयों पर कब्जा कर लिया। इसके चलते राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा और 13 जुलाई को देश छोड़ कर पहले मालदीव और फिर सिंगापुर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। 14 जुलाई 2022 को सिंगापुर पहुंचने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने भी अंतरिम सरकार (सर्वदलीय सरकार) के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस्तीफा देने की पेशकश की। रानिल विक्रमसिंघे तब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते रहेंगे, जब तक कि श्रीलंका की संसद इस सप्ताह एक नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं कर लेती। कार्यवाहक राष्ट्रपति ने जनता के विरोध को दबाने के लिए 18 जुलाई को देश में आपातकाल लागू कर दिया।
जन विरोध के कारण
श्रीलंका खाद्य और ईंधन के गंभीर संकट से जूझ रहा है। महीनों से आवश्यक वस्तुओं की अनुपलब्धता के कारण घरेलू मोर्चे पर श्रीलंका में हालात बेकाबू हो गए हैं। सरकार ने स्कूलों और अन्य सभी गैर-जरूरी गतिविधियों को भी बंद कर दिया है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के अनुसार, पिछले एक साल में आर्थिक संकट के कारण तक़रीबन 6.3 मिलियन श्रीलंकाई नागरिकों के सामने भोजन का संकट पैदा हो गया है।[i] इसने श्रीलंकाई नागरिकों के सभी वर्गों को 9 जुलाई को लगाए गए कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया है। कर्फ्यू की घोषणा के बाद, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने सरकार से जनता की इच्छा के खिलाफ नहीं जाने का आग्रह किया।
सरकार में जनता के विश्वास को जिसने कमजोर किया वह न केवल दिन-प्रतिदिन की वो कठिनाइयां थीं जिनका लोग सामना कर रहे थे, बल्कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की भारी मांग के बाद भी उनका अपने पद पर बने रहना था। इस साल मई में पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे और राजपक्षे परिवार के अन्य सभी मंत्री भी राजनीतिक स्थिति को स्थिर नहीं कर सके। विपक्षी दलों के समर्थन के बिना, रानिल विक्रमसिंघे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति ने भी सामान्य राजनीतिक स्थिति को बहाल करने में मदद नहीं की। पिछले कुछ महीनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार यह अपील किए जाने के बाद भी विरोध जारी रहा, कि अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से सहायता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक स्थिरता आवश्यक है।
9 जुलाई की घटनाएं यह भी संकेत देती हैं कि देश को संकट से बाहर निकालने में अक्षम साबित होने के कारण जनता ने राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों पर विश्वास खो दिया है। आम श्रीलंकाई लोगों के नेतृत्व में चलाए जा रहे अरगालया (संघर्ष) आंदोलन ने सरकार के खिलाफ जनता के गुस्से को भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
श्रीलंका के लिए आगे क्या?
जनता का गुस्सा भड़कने के बाद, 10 जुलाई 2022 को एक सर्वदलीय प्रतिनिधि बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने की। सर्वदलीय बैठक में आम सहमति के कुछ प्रस्ताव रखे गए जिन्हें राष्ट्रपति गोटबाया को प्रस्तुत किया गया था। इन प्रस्तावों में शामिल हैं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का तत्काल प्रभाव से इस्तीफा; सात दिनों के भीतर संसद का आह्वान और संविधान के अनुसार एक कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति; एक नए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक अंतरिम सरकार की स्थापना और लोगों को एक नई संसद चुनने का अवसर देने के लिए एक निश्चित अवधि के भीतर चुनाव का आह्वान करना।[ii] उसी बैठक में, श्रीलंका के राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे द्वारा उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे समागी जन बालवेगया (एसजेबी) और जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) जैसे विपक्षी दलों ने खारिज कर दिया।
चूंकि राष्ट्रपति ने संसद के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया है, इसलिए श्रीलंका के सांसद 20 जुलाई तक एक नए राष्ट्रपति का चुनाव होने की उम्मीद कर रहे हैं। श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बनने की दौड़ में तीन उम्मीदवार हैं, श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के दुल्लास अल्हाप्परुमा, नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) की अनुरा कुमारा दिसानायके और यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के रानिल विक्रमसिंघे।[iii]
हालाँकि, राष्ट्रपति का चुनाव संसद द्वारा किया जाना है, इसलिए हो सकता है कि वर्तमान संसद की संरचना लोगों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व न करे।[iv] वर्तमान में 15 राजनीतिक दल श्रीलंका की संसद के 225 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2019 के संसदीय चुनावों में सत्तारूढ़ एसएलपीपी के 145 सदस्य जीते थे, मुख्य विपक्षी एसजेबी के पास 54 और तमिल राजनीतिक दल आईटीएके के पास 10 सदस्य थे।[v] सत्तारूढ़ एसएलपीपी को संसद में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। नई सरकार चुनने के लिए संसदीय चुनाव इस साल सितंबर के बाद ही हो सकते हैं, जब संविधान के अनुसार वर्तमान संसद ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर लेगी।
भले ही विभिन्न राजनीतिक दलों या नागरिक समाज के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों की मदद से एक नई सरकार का गठन कर लिया जाता है, फिर भी श्रीलंका की समस्याएं खत्म नहीं होने वाली हैं। सत्ता का केंद्रीकरण, न्यायपालिका में पारदर्शिता की कमी, संस्थागत भ्रष्टाचार और राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान युद्ध के बाद के समाज में सुलह और जवाबदेही के वास्तविक मुद्दों को संबोधित नहीं करने की परिणति श्रीलंका में वर्तमान संकट के रूप में हुई है। राजपक्षे के ढाई साल के शासन ने विभिन्न राजनीतिक और आर्थिक नीतिगत फैसलों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। उनमें से एक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) का 2015 का श्रीलंका में सुलह पर प्रस्ताव से पीछे हटना है जिसमें मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेही का आह्वान किया गया था। प्रभावी ढंग से इसका अर्थ यह हुआ कि श्रीलंकाई सरकार को अब श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए अत्यंत आवश्यक सुलह और जवाबदेही उपायों को करने की आवश्यकता नहीं है। सार्वजनिक प्रशासन के पदों पर सैन्य अधिकारियों की उल्लेखनीय संख्या में नियुक्ति की भी बड़ी आलोचना की गई क्योंकि इन पदों पर आम तौर पर नागरिकों की नियुक्ति होती थी। इस कदम को सार्वजनिक क्षेत्र के सैन्यीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में माना गया।[vi] इनमें से कुछ क़दमों ने विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक समुदाय को सरकार से और दूर कर दिया।
तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) ने मौजूदा संकट के मद्देनजर तमिल प्रवासियों को प्रोत्साहित करने, श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा लाने के लिए अमेरिकी डॉलर और यूरो में पैसा भेजने का भी प्रयास किया है।[vii] हालाँकि, तमिल प्रवासी श्रीलंका की मदद तभी करना चाहेंगे जब भविष्य में जातीय मुद्दों के संबंध में कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि उनका मानना है कि श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट का मुख्य कारण अनसुलझे जातीय प्रश्न और सरकार द्वारा लंबा युद्ध छेड़ने में संसाधनों को खर्च किया जाना है।[viii]
प्रचलित मत के अनुसार, राजपक्षे सरकार के दौरान पारिवारिक शासन ने भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दिया है। 15 जुलाई को, श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे, और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे, दोनों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि श्रीलंका में आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक मौलिक अधिकार याचिका दायर की गई थी।[ix]
इतिहास में पहली बार, श्रीलंका अपने कर्ज को अदा करने में चूका है, जो लगभग 51 अरब डॉलर का है।[x] श्रीलंका आईएमएफ की खैरात पर बैंकिंग कर रहा है। आईएमएफ के प्रवक्ता ने कहा है कि वे आईएमएफ समर्थित कार्यक्रम पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए राजनीतिक हालात के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं।[xi] लेकिन, अगली सरकार के लिए, घरेलू स्तर पर कार्यक्रम को मंजूरी देना आसान नहीं हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर संभावित शर्तों को आईएमएफ के संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रमों पर लागू किया जाता है। श्रीलंका के डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सटर्नल रिसोर्सेज के अनुसार, इसका लगभग 67 प्रतिशत उधार बाजार और विश्व बैंक एवं एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से है।[xii] श्रीलंकाई सरकार ने भारत, चीन और जापान जैसे द्विपक्षीय दानदाताओं को शामिल करते हुए एक दाता सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना बनाई है और दानदाता देशों एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से ऋण सहायता प्राप्त करने के लिए सहायता संघ बनाना चाहती है।[xiii] यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह विचार अमल में आता है। इस परिदृश्य में, श्रीलंका के लोगों की जरूरतों को तत्काल पूरा करने के साथ-साथ कर्ज और भ्रष्टाचार के मुद्दों को हल करना नई सर्वदलीय सरकार के लिए एक चुनौती साबित होने जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
वर्तमान में श्रीलंका जिस आर्थिक और राजनीतिक संकट जैसी दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है, वह श्रीलंका के इतिहास में अभूतपूर्व है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता श्रीलंका में शांति बनाए रखना और सत्ता के शांतिपूर्वक हस्तांतरण में निहित है।
संकट के बीच, भारत श्रीलंका के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में खड़ा रहा। श्रीलंका में संकट को लेकर भारत का समग्र दृष्टिकोण दो मुख्य चिंताओं पर आधारित रहा है; लोगों के सामने आने वाली आर्थिक कठिनाइयों को दूर करना और दूसरा सत्ता के लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थन करना।
भारत ने पिछले एक वर्ष में देश के रूप में उभर रहे श्रीलंका को महत्वपूर्ण मानवीय और वित्तीय सहायता प्रदान की है, ताकि श्रीलंका को अधिकतम समर्थन दिया जा सके। इस वर्ष अकेले भारत ने मुद्रा विनिमय, भोजन, ईंधन, दवा के वित्तपोषण और उर्वरकों की आपूर्ति के माध्यम से 3.8 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की।[xiv] 9 जुलाई 2022 के घटनाक्रम के बाद भारत द्वारा जारी बयान, जिसमें कहा गया है कि “भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे[xv] के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं" ने इस द्वीप राष्ट्र को लेकर भारत की नीति और वर्तमान संकट पर इसके रुख को संक्षेप में प्रस्तुत किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसने जून 2022 में आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका का समर्थन करने के लिए 11.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर की घोषणा की है[xvi], ने सभी राजनीतिक दलों से सत्ता के शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक हस्तान्तरण का आह्वान किया।[xvii] चीन, जिस पर श्रीलंका का 10 प्रतिशत कर्ज है, ने लगभग 74 मिलियन डॉलर की आपातकालीन मानवीय सहायता प्रदान की है।[xviii] श्रीलंका चीन के साथ 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के लिए बातचीत करने की कोशिश कर रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की ने श्रीलंका में चल रहे संकट के लिए रूस को दोषी ठहराया है क्योंकि इससे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हुआ है।[xix] अमेरिका ने भी यूक्रेन युद्ध और श्रीलंकाई संकट से उत्पन्न खाद्य संकट के बीच संबंध की बात की है। गोटबाया राजपक्षे ने 6 जुलाई को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया था और ईंधन आयात करने के लिए कर्ज का अनुरोध किया था।[xx]
निष्कर्ष
वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक स्थिति एवं जनप्रतिनिधियों में जनता के विश्वास की कमी को देखते हुए श्रीलंका में जल्द ही हालात सामान्य होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सामान्य स्थिति और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, ट्राई फोर्स कमांडरों और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) की एक समिति की नियुक्ति की गई थी। लेकिन यह लोगों के विरोध को शांत करने में मदद नहीं कर सकता है। इस बीच, धर्मगुरुओं ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है और हिंसा होने पर विदेशी हस्तक्षेप की चेतावनी दी है।[xxi]
श्रीलंका के गहरे आर्थिक संकट को अल्पावधि में हल नहीं किया जा सकता है। श्रीलंका में आने वाली सरकार को श्रीलंका के लोगों की तत्काल जरूरतों और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए दीर्घकालिक समाधान, दोनों को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। अभी के लिए, श्रीलंका में संकट ने राजनीतिक और सांस्कृतिक रेखाओं को धुंधला कर दिया है, जिसे एक ऐसे देश में कुछ हद तक सकारात्मक विकास कहा जा सकता है जो स्पष्ट रूप से एक ही तर्ज पर लंबे समय से विभाजित है।
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*डॉ. समथा मल्लेम्पति, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफ़ेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] United Nations (UN) News, “Record inflation and skyrocketing prices leave over 6 million Sri Lankans food insecure”, 6 July 2022, https://news.un.org/en/story/2022/07/1122042. Accessed on July 10, 2022.
[ii] The Island, Consensus on Speaker as Acting Prez, Ranil’s move to succeed GR rejected, 11 July 2022, https://island.lk/consensus-on-speaker-as-acting-prez-ranils-move-to-succeed-gr-rejected/. Accessed on July 10 2022.
[iii] Daily Mirror, “Ready to withdraw nomination if two MPs without future political agendas appointed as Prez, PM: AKD”, 17 July 2022, https://www.dailymirror.lk/latest_news/Ready-to-withdraw-nomination-if-two-MPs-without-future-political-agendas-appointed-as-Prez-PM-AKD/342-241238. Accessed on July 17, 2022.
[iv] Daily Mirror, “Election the only solution to fulfil people’s true aspirations: JVP reiterates”, 14 July 2022, https://www.dailymirror.lk/latest_news/Election-the-only-solution-to-fulfil-peoples-true-aspirations-JVP-reiterates/342-241100. Accessed on July 14, 2022.
[v] Other parties represented in Parliament are the JJB (03), AITC (02), EPDP (02), UNP, SLFP, OPPP (Our Power of People Party), TMVP (Tamil Makkal Viduthalai Pulikal), MNA (Muslim National Alliance), TMTK (Tamil Makkal Theshiya Kutani), ACMC (All Ceylon Makkal Congress), NC (National Congress) and SLMC (Sri Lanka Muslim Congress) represented by one MP each (source The Island, Sri Lanka newspaper).
[vi] M. Raymond Izarali and Dalbir Ahlawat (eds.), ‘Terrorism, Security and Development in South Asia, first published 2021, Routledge, London and New York, p.56.
[vii] The Morning Lk, “TNA making efforts to uplift SL from economic crisis, Govt. remains unresponsive: Shanakiyan”, 20 June 2022, https://www.themorning.lk/tna-making-efforts-to-uplift-sl-from-economic-crisis-govt-remains-unresponsive-shanakiyan/. Accessed on July 10, 2022.
[viii] The Tamil Guardian, “TNA leader says diaspora will only assist in Sri Lanka if Tamil question is solved”, 28 June 2022, https://www.tamilguardian.com/content/tna-leader-says-diaspora-will-only-assist-sri-lanka-if-tamil-question-solved. Accessed on July 14, 2022. Accessed on 14 July 2022.
[ix] Colombo Gazette, “Travel ban issued on Mahinda and Basil”, 15 July 2022, https://colombogazette.com/2022/07/15/travel-ban-issued-on-mahinda-and-basil/.
[x] Economic Times, “Sri Lanka defaults on entire $51 billion external debt”, 12 April 2022, https://bfsi.economictimes.indiatimes.com/news/industry/sri-lanka-defaults-on-entire-51-billion-external-debt/90803189
[xi] Colombo Gazette, “IMF seeks stability to resume talks with Sri Lanka”, 15 July 2022, https://colombogazette.com/2022/07/15/imf-seeks-stability-to-resume-talks-with-sri-lanka/. Accessed on 15 July 2022.
[xii] Department of External Resources, Government of Sri Lanka, “Foreign Debt Summary”, http://www.erd.gov.lk/index.php?option=com_content&view=article&id=102&Itemid=308&lang=en.
[xiii] Ranil Wickramasinghe, 27 May 2022, https://twitter.com/RW_UNP/status/1530202616671932416.
[xiv] Ministry of External Affairs, Government of India, “Official Spokesperson’s response to media queries on the situation in Sri Lanka”, 10 July 2022, https://www.mea.gov.in/response-to-queries.htm?dtl/35487/Official_Spokespersons_response_to_media_queries_on_the_situation_in_Sri_Lanka.
[xv] Ministry of External Affairs, Government of India, “Official Spokesperson’s response to media queries on the situation in Sri Lanka”, 9 July 2022, https://www.mea.gov.in/response-to-queries.htm?dtl/35487/Official_Spokespersons_response_to_media_queries_on_the_situation_in_Sri_Lanka. Accessed on 11 July 2022.
[xvi] USAID, “THE UNITED STATES ANNOUNCES NEARLY $12 MILLION IN ASSISTANCE TO RESPOND TO SRI LANKA’S DETERIORATING FOOD SECURITY AND ECONOMIC CRISES”, 21 June 2022, https://www.usaid.gov/news-information/press-releases/jun-21-2022-united-states-announces-nearly-12-million-assistance-respond-sri-lanka-crises.
[xvii] ANI, US extends support to Sri Lanka, urges cooperation from all political parties to resolve debt crisis”, 10 July 2022, https://www.aninews.in/news/world/asia/us-extends-support-to-sri-lanka-urges-cooperation-from-all-political-parties-to-resolve-debt-crisis20220710214130/ Accessed on 11 July 2022.
[xviii] Ministry of Foreign Affairs of the People’s Republic of China, “Foreign Ministry Spokesperson Wang Wenbin’s Regular Press Conference on July 15, 2022”, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/xwfw_665399/s2510_665401/2511_665403/202207/t20220715_10722211.html. Accessed on July 19, 2022
[xix] ANI, “Zelenskyy hold Russia 'accountable' for ongoing catastrophe in Sri Lanka”, 14 July 2022, https://www.aninews.in/news/world/asia/zelenskyy-hold-russia-accountable-for-ongoing-catastrophe-in-sri-lanka20220714055627/. Accessed on July 14, 2022.
[xx] Meera Srinivasan, “Gotabaya turns to Putin for urgent fuel supplies for Sri Lanka”,6 July 2022, https://www.thehindu.com/news/international/gotabaya-turns-to-putin-for-urgent-fuel-supplies-for-sri-lanka/article65608364.ece.
[xxi] Daily Mirror,” Avoid violence and act with restraint: Religious leaders”, 13 July 2022, https://www.dailymirror.lk/latest_news/Avoid-violence-and-act-with-restraint-Religious-leaders/342-240992. Accessed on July 14, 2022. Accessed on July 14, 2022.