गठबंधन के 73 वर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय पर 28-30 जून 2022 तक मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। शिखर सम्मेलन की घोषणा की प्रारंभिक पंक्ति – युद्ध यूरोप[i] में वापस आ गया है - शिखर सम्मेलन के एजेंडे के सारांश को प्रस्तुत करती है। 'इतिहास रचने वाला शिखर सम्मेलन[ii]' दो प्रमुख उद्देश्यों पर केंद्रित था - पहला, यूक्रेन में रूस की 'सैन्य कार्रवाई' के प्रत्युत्तर में उपायों पर सहमत होना; और दूसरा, नई रणनीतिक अवधारणा पर सहमत होना, जो अगले दशक में गठबंधन का नेतृत्व करेगी। पेपर, शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों का विश्लेषण करता है और नई रणनीतिक अवधारणा का आकलन प्रदान करता है।
प्रमुख परिणाम
मैड्रिड शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित अनुसार हैं -
1. नवीनीकृत निवारण और रक्षा संस्थिति
इस नई संस्थिति में चार प्रमुख तत्व हैं – पहला, नाटो रिस्पांस फ़ोर्स को बदलने के लिए एक नया नाटो फ़ोर्स मॉडल की अपेक्षा है। नाटो रिस्पांस फ़ोर्स में, मित्र राष्ट्रों के पास 15 दिनों से कम समय में 40,000 सैनिक उपलब्ध हैं। पूरी तरह से लागू होने पर, फ़ोर्स मॉडल में हाई-रेडिनेस फोर्सेस के टियर्स होंगे - इसका लक्ष्य 30,000 से अधिक सैनिकों को 30 दिनों तक हाई-रेडिनेस[iii] प्रदान करना है। इसके अलावा, इसका लक्ष्य 180 दिनों तक कम से कम 500,000 सैनिकों का लक्ष्य भी है।
दूसरा, मित्र राष्ट्रों ने, साइज़ यूनिट्स इकाइयों को, जहां और जब आवश्यक हो, ब्रिगेड करने के लिए एन्हांस्ड फॉरवर्ड प्रेजेंस (ईएफ़पी) बलों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। 2017 में, नाटो ने बाल्टिक देशों और पोलैंड में तैनात की जाने वाली चार ईएफ़पी’ज़ को मंजूरी दी थी। मार्च 2022 में नेताओं के असाधारण शिखर सम्मेलन के दौरान, नाटो ने घोषणा की कि वह इस क्षेत्र में मित्र देशों की निवारण और रक्षा[iv] को सुदृढ़ करने के लिए स्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया के लिए नए युद्ध समूहों के साथ, ईएफ़पी मिशनों की संख्या को चार से आठ तक बढ़ा कर दोगुना कर देगा।
तीसरा, नाटो के निवारण की विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा पूर्व-तैनात उपकरणों की संख्या बढ़ाने पर भी सहयोगी सहमत हुए।
चौथा, नाटो का उद्देश्य नाटो निवारण और आगे की रक्षा को मजबूत करने के लिए उच्च तीव्रता और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन हेतु तैयार किए जाने वाले सामूहिक रक्षा अभ्यासों को बढ़ाना है।
2. फिनलैंड और स्वीडन के लिए सदस्यता
स्वीडन और फ़िनलैंड के सदस्यता आवेदन पर तुर्की द्वारा प्रारंभिक विरोध के बाद - तीनों देशों ने 28 जून 2022 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू में, स्टॉकहोम और हेलसिंकी ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति खतरों के विरुद्ध तुर्की को अपना पूर्ण समर्थन देने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी। उस उद्देश्य के लिए, फ़िनलैंड और स्वीडन, वाईपीजी (पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स)/पीवाईडी (डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी), और तुर्की में एफ़ईटीओ (फ़ेतुल्लाह टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन) के रूप में वर्णित संगठन को सहायता प्रदान नहीं करेंगे। दोनों देशों ने यह भी पुष्टि की कि पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है और वे पीकेके तथा अन्य सभी आतंकवादी संगठनों को व उनके विस्तार की गतिविधियों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समझौते में आगे कहा गया है कि दोनों नॉर्डिक राज्यों में तुर्क़ी के लिए कोई राष्ट्रीय हथियार प्रतिबंध नहीं होगा। इसके अतिरिक्त, वे अंकारा के लंबित निर्वासन या आतंकी संदिग्धों के प्रत्यर्पण अनुरोधों पर कार्य करेंगे, जो कि यूरोपीय संधियों[v] के अनुरूप किए जाने हैं। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ, तुर्क़ी ने नॉर्डिक देशों के सदस्यता आवेदन पर अपना विरोध वापस ले लिया, इस प्रकार औपचारिक रूप से उन्हें गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का मार्ग नाटो के लिए प्रशस्त किया। उन्होंने सोमवार 4 जुलाई 2022 को अपनी परिग्रहण वार्ता (‘एक्सीशन टॉक्स’) पूरी की और परिग्रहण प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने वाले हैं जो अनुसमर्थन प्रक्रियाओं के लिए सभी नाटो देशों में जाएंगे।
ये दोनों देश रणनीतिक रूप से अवस्थित हैं, फिनलैंड उत्तर में रूस के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है और स्वीडन बाल्टिक सागर में स्थित है। उनका परिग्रहण रूस के साथ नाटो की सीमा का तेजी से विस्तार करेगा और गठबंधन के पूर्वी हिस्से तथा उत्तरी यूरोप में अपनी सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करेगा। सदस्यता का निमंत्रण यूरोप में महत्वपूर्ण सुरक्षा पुनर्संस्थिति का भी प्रतिरूपण करता है - क्योंकि यह तटस्थता और सैन्य गुटनिरपेक्षता के अंत का प्रतीक है जिसका स्वीडन ने 200 से अधिक वर्षों तक और फिनलैंड ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ से हार के बाद पालन किया।
3. यूक्रेनी संकट
संकट, गठबंधन के सदस्यों के लिए चर्चा का मुख्य एजेंडा बना रहा। मित्रराष्ट्र यूक्रेन के लिए एक व्यापक सहायता पैकेज पर सहमत हुए जो गैर-घातक रक्षा उपकरणों के वितरण में तेजी लाएगा, कीव की साइबर सुरक्षा और लचीलापन में सुधार करेगा, और इसके रक्षा क्षेत्र[vi] के आधुनिकीकरण का समर्थन करेगा। यह युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण और सुधारों में भी यूक्रेन की सहायता करेगा। संकट की प्रतिक्रिया के रूप में, नाटो ने पहली बार रक्षात्मक उपाय[vii] की तरह अपनी रिस्पांस फ़ोर्स के कुछ हिस्सों को सक्रिय किया। यह एक बहुराष्ट्रीय बल है जिसमें मित्रराष्ट्रों की ओर से भूमि, वायु, समुद्र और विशेष अभियान बल शामिल हैं जो नाटो गठबंधन के समर्थन में शीघ्रता से तैनात हो सकते हैं। यह सहायता के लिए यूक्रेन के अनुरोधों का समन्वय करने में भी मदद कर रहा है और मानवीय और गैर-घातक सहायता[viii] के वितरण में सहयोगियों का सहयोग कर रहा है।
4. रणनीतिक अवधारणा 2022
गठबंधन ने 29 जून 2022 को अगले दशक के लिए नाटो के संचालन के लिए अपनी नई रणनीतिक अवधारणा को अंगीकार किया। रणनीतिक अवधारणा नाटो का प्रमुख दस्तावेज़ है जिसमें पिछले दशक के प्रमुख प्रावधान और सुरक्षा आकलन शामिल हैं और जो अगले दशक के लिए गठबंधन की प्राथमिकताएं निर्धारित करता है। अंतिम रणनीतिक अवधारणा 2010[ix] में जारी की गई थी और इसका आकलन था कि "यूरो-अटलांटिक क्षेत्र शांत है और नाटो क्षेत्र के विरुद्ध एक पारंपरिक हमले का ख़तरा कम है"। यह 2022[x] के आकलन के बिल्कुल विपरीत है कि "यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति नहीं है... हम मित्र राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध हमले की संभावना से इनकार नहीं कर सकते।" दूसरा दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर रूस पर है। जबकि 2010 की अवधारणा ने रूस के साथ एक सच्ची रणनीतिक साझेदारी का आह्वान किया; वहीं 2022 की रणनीतिक अवधारणा ने मास्को को मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा और यूरो-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रत्यक्ष ख़तरा बताया। यह अवपीड़न, विध्वंस, आक्रामकता और विलय के माध्यम से प्रभाव क्षेत्रों और प्रत्यक्ष नियंत्रण को स्थापित करना चाहता है। तीसरा, जबकि 2010 के दस्तावेज़ में चीन का उल्लेख नहीं किया गया था, 2022 के दस्तावेज़ में यह प्रमुखता से शामिल है।
अक्टूबर 2021 में, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि, ख़तरे की आशंका के लिहाज़ से चीन गठबंधन[xi] के नजदीक आ रहा था। 2022 की रणनीतिक अवधारणा बीजिंग को एक "प्रणालीगत चुनौती" के रूप में वर्णित करती है और कहती है कि इसकी महत्वाकांक्षाएं और अवपीड़क नीतियां, नाटो के हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती देती हैं। रूस और चीन के बीच गहरी साझेदारी पर भी जोर दिया गया है जो नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमज़ोर करने तथा नाटो के मूल्यों और हितों के विरुद्ध चलने का प्रयास करती है। नाटो ने दस्तावेज़ में इस बात पर जोर दिया है कि गठबंधन बीजिंग के साथ रचनात्मक जुड़ाव के लिए खुला है और रूस के साथ जोखिम प्रबंधन को और कम करने, बढ़त को रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मास्को के साथ संचार के खुले चैनल रखना चाहता है। फिर भी, इसने इन देशों से आने वाले कई खतरों जैसे हाइब्रिड और साइबर ऑपरेशन, बयानबाजी और दुष्प्रचार को मान्यता दी है।
चौथा, इंडो-पैसिफ़िक का भी नए दस्तावेज़ में उल्लेख मिलता है। शांति और समृद्धि की कुंजी के रूप में समुद्री सुरक्षा के प्रारंभिक संदर्भ के साथ, इस तथ्य पर जोर दिया गया है कि "उस [इंडो-पैसिफिक] क्षेत्र में विकास सीधे यूरो-अटलांटिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है", इसलिए नाटो इस क्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ अपने सहयोग और संवाद को मजबूत करेगा। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह यूरो-अटलांटिक क्षेत्र से परे नाटो के फोकस में बदलाव को उजागर करता है। इस तत्व का शिखर सम्मेलन के वक्तव्य में भी खुलासा किया गया था जहां उन वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के लिए सामान्य दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया गया था जिनमें नाटो के हित प्रभावित होते हैं। वक्तव्य में यूरो-अटलांटिक क्षेत्र से परे मौजूदा और संभावित वार्ताकारों के साथ नाटो के संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया गया है। शिखर सम्मेलन के लिए ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जापान और न्यूजीलैंड के नेताओं की उपस्थिति इस बढ़ती प्रवृत्ति की ओर इशारा करती है।
पांचवां, उभरती और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस सहित 21वीं सदी की चुनौतियों पर जोर दिया गया है। दस्तावेज़ में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि नाटो खतरों के पूर्ण स्पेक्ट्रम पर प्रतिक्रिया के लिए अंतरिक्ष और साइबर स्पेस में अपनी क्षमता को बढ़ाएगा। यह देशों और देशों से इतर सक्रियकों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा, सूचना और अन्य हाइब्रिड युक्तियों के अवपीड़क उपयोग के विरुद्ध तैयार करने, रोकने और बचाव करने के लिए गठबंधन की क्षमता में निवेश बढ़ाकर किया जाना है। दस्तावेज़ में जोड़ा गया एक दिलचस्प तथ्य यह है कि "सहयोगियों के विरुद्ध हाइब्रिड ऑपरेशन सशस्त्र हमले के स्तर तक पहुंच सकते हैं और उत्तरी अटलांटिक परिषद को उत्तर अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 को लागू करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।" यह पहली बार है कि अनुच्छेद 5 को उन हाइब्रिड खतरों से जोड़ा गया है जिनका सदस्य देशों को सामना करना पड़ता है।
छठा, दस्तावेज़ नाटो की विस्तार प्रक्रिया का संदर्भ देता है, इसे एक ऐतिहासिक सफलता कहता है। गठबंधन ने उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 10 के अनुरूप अपनी ‘ओपन डोर’ नीति की पुष्टि की और इस बात पर जोर दिया कि सदस्यता पर निर्णय नाटो सहयोगियों द्वारा लिए जाने हैं और इस प्रक्रिया में किसी तीसरे पक्ष की बात नहीं है। एक प्रमुख समावेश 2008 बुखारेस्ट शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय तथा जॉर्जिया और यूक्रेन के संबंध में बाद के सभी निर्णयों की पुष्टि है। 2008 के बुखारेस्ट शिखर सम्मेलन[xii] में, नाटो ने सदस्यता के लिए यूक्रेन और जॉर्जिया की यूरो-अटलांटिक आकांक्षाओं का स्वागत किया था और सहमति व्यक्त की थी कि ये देश नाटो के सदस्य बन जाएंगे। हालांकि, क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह देखना बाकी है कि यह कार्य किस प्रकार किया जाएगा।
निष्कर्ष
शिखर सम्मेलन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि "हम एक अधिक खतरनाक दुनिया में रहते हैं और हम एक अधिक अप्रत्याशित दुनिया में रहते हैं। और हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां वास्तव में यूरोप में एक ‘हॉट वॉर’ चल रही है, हमने यूरोप में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान, दूसरे विश्व युद्ध[xiii] के बाद से नहीं देखे हैं" ये पंक्तियाँ यूरोप के साथ-साथ नाटो की वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को उजागर करती हैं। शिखर सम्मेलन से निकाले जा सकने वाले प्रमुख निष्कर्षों में से एक यह है कि रूस अब एक 'साझेदार' नहीं है जैसा कि 2010 की रणनीतिक अवधारणा में वर्णित किया गया था, बल्कि अब यह गठबंधन के लिए एक 'सीधा ख़तरा' है। यह गठबंधन की ओर से एक महत्वपूर्ण अहसास है जिसने एक संकेत भेजा है कि यह रूस के साथ हमेशा की तरह व्यापार नहीं करेगा। रूस की कार्यवाहियों की प्रतिक्रिया के रूप में, मित्र राष्ट्रों ने, भुगतान की स्विफ्ट प्रणाली से रूसी वित्तीय संस्थानों को बाहर करने सहित, जिससे आर्थिक और भुगतान प्रणाली अस्त्र के रूप में प्रयोग की जाएगी, व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। गठबंधन ने रूस पर संबंधों के भविष्य के दायित्व यह कहते हुए रखा है कि संबंधों में कोई भी बदलाव रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन और क्षेत्र में अपनी कार्रवाई को रोकने पर निर्भर करेगा।
रूस की यूक्रेन कार्रवाई ने गठबंधन को अपने बचाव को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। नाटो ने अपने पूर्वी हिस्से को मजबूत करने के मामले में फॉरवर्ड प्रेजेंस की संख्या को चार से आठ तक बढ़ाकर कई निर्णय लिए हैं; इसने रिस्पांस फ़ोर्स को 40,000 से बढ़ाकर 300,000 कर दिया है और अपने पूर्वस्थापित फॉरवर्ड उपकरणों में वृद्धि की है। जबकि वर्तमान स्थिति को देखते हुए इन पहलों का स्वागत है; इन निर्णयों को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उपरोक्त निर्णयों के लिए गठबंधन द्वारा अनुमोदित समय सीमा 2023 है। एक अन्य प्रमुख और शाश्वत मुद्दा ‘बर्डन ऑफ़ शेयरिंग’ है। भले ही गठबंधन के सदस्य अधिक मजबूत नाटो के लिए प्रतिबद्ध हैं, किंतु उनमें से कई रक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2% खर्च करने की अपनी प्रतिबद्धता से चूक जाते हैं। 2014 के वेल्स नाटो शिखर सम्मेलन में, मित्र राष्ट्रों ने 2024 तक 2% लक्ष्य की ओर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी। नाटो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 30 में से केवल नौ सदस्य देशों ने 2% की सीमा[xiv] को पूरा किया है। जबकि महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि 2% "एक पड़ाव होना चाहिए, न कि अंतिम लक्ष्य" - सदस्य राज्यों द्वारा बोझ साझा करना और रक्षा खर्च में वृद्धि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे हल किया जाना है।
गठबंधन के लिए एक और महत्वपूर्ण चुनौती यूक्रेनी संकट का प्रबंधन करना है। क्योंकि संकट अपने पांचवें महीने में प्रवेश कर रहा है, नाटो के लिए सबसे बड़ी चुनौती अभी भी बनी हुई है कि गठबंधन को संकट में डाले बिना, यूक्रेन की सहायता उसे स्वयं को बचाने के लिए किस प्रकार की जाए। यह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि संकट जितना लंबा चलता है, इसके बढ़ने का जोखिम उतना ही अधिक होता है, चाहे वह डिजाइन से हो या दुर्घटना से। वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति में गंभीर व्यवधानों के कारण यह और भी जटिल हो जाता है। संकट ने नई चुनौतियों को भी जोड़ा है जिनका सामना नाटो करता है जैसे: विस्तार के भविष्य का प्रबंधन, एक ऐसे यूरोप के साथ जुड़ना जिसकी भू-राजनीतिक आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, और एक ट्रान्साटलांटिक सुरक्षा वास्तुकला का निर्माण कर रहा है जो मिश्रित युद्ध जैसे विविध और जटिल मुद्दों को समायोजित करने में सक्षम है; अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी; जलवायु परिवर्तन आदि, सहयोगियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि नई रणनीतिक अवधारणा ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया है, नाटो अपनी नीतियों और भविष्य के प्रक्षेपवक्र को कैसे तैयार करने जा रहा है, यह देखा जाना बाकी है।
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*डॉ .अंकिता दत्ता, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफ़ेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] Madrid Summit Declaration, NATO, 29 June 2022, https://www.nato.int/cps/en/natohq/official_texts_196951.htm, Accessed on 1 July 2022
[ii] Remarks by President Biden and NATO Secretary General Jens Stoltenberg, The White House, 29 June 2022, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/press-briefings/2022/06/29/remarks-by-president-biden-and-nato-secretary-general-jens-stoltenberg-madrid-spain/ , Accessed on 1 July 2022
[iii] New NATO Force Model, https://www.nato.int/nato_static_fl2014/assets/pdf/2022/6/pdf/220629-infographic-new-nato-force-model.pdf, Accessed on 1 July 2022
[iv] ‘Press conference by NATO Secretary General Jens Stoltenberg’, Extraordinary Summit of NATO Heads of State and Government, 24 March 2022, https://www.nato.int/cps/en/natohq/opinions_193613.htm, Accessed on 1 July 2022
[v] Trilateral memorandum between Türkiye, Finland and Sweden, NATO, 28 June 2022, https://www.nato.int/cps/en/natohq/official_texts_197342.htm?selectedLocale=en, Accessed on 1 July 2022
[vi] Madrid Summit Declaration, NATO, 29 June 2022, https://www.nato.int/cps/en/natohq/official_texts_196951.htm, Accessed on 1 July 2022
[vii] CNN, 25 February 2022, https://edition.cnn.com/2022/02/25/politics/nato-ukraine-russia/index.html, Accessed on 1 July 2022
[viii] NATO's response to Russia's invasion of Ukraine, 3 June 2022, https://www.nato.int/cps/en/natohq/topics_192648.htm, Accessed on 4 July 2022
[ix] ‘Active Engagement, Modern Defence’, Strategic Concept 2010, NATO, Lisbon, https://www.nato.int/lisbon2010/strategic-concept-2010-eng.pdf, Accessed on 4 July 2022
[x] NATO 2022 Strategic Concept, Madrid Summit, NATO, June 2022, https://www.nato.int/nato_static_fl2014/assets/pdf/2022/6/pdf/290622-strategic-concept.pdf, Accessed on 4 July 2022
[xi] Financial Times, 18 October 2021, https://www.ft.com/content/cf8c6d06-ff81-42d5-a81e-c56f2b3533c2, Accessed on 4 July 2022
[xii] Bucharest Summit, NATO, April 2008, https://www.nato.int/docu/update/2008/04-april/e0403h.html, Accessed on 5 July 2022
[xiii] Press Conference by Secretary General Jens Stoltenberg, NATO Press Room, 30 June 2022, https://www.nato.int/cps/ru/natohq/opinions_197301.htm?selectedLocale=en, Accessed on 5 July 2022
[xiv] Defence Expenditure of NATO Countries (2014-2022), Press Release, NATO, 27 June 2022, https://www.nato.int/nato_static_fl2014/assets/pdf/2022/6/pdf/220627-def-exp-2022-en.pdf, Accessed on 5 July 2022