विगत कुछ महीनों में बिडेन प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारियों ने बहुपक्षवाद एवं साझेदार बनाने पर आधारित अपनी विदेश नीति पर बल देने के हिस्से के रुप में एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र का दौरा किया है। एशिया पर बल देते हुए, राष्ट्रपति बिडेन ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति सहयोगियों और क्षेत्रीय निकायों के साथ घनिष्ठ समन्वय के साथ इस क्षेत्र में बहुपक्षीय दृष्टिकोण पर केंद्रित रहेगी। हालांकि, बाइडेन प्रशासन राष्ट्रपति ट्रम्प के दृष्टिकोण का पालन नहीं करेगा, लेकिन इस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के "पूर्व-प्रतिष्ठा" को बनाए रखने; "उदार" राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्था की रक्षा करना; कोरियाई प्रायद्वीप का परमाणु निरस्त्रीकरण; और भारत एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य देशों के साथ सहयोग गहरा करने का दृष्टिकोण समान रहेगा।
मार्च 2021 से अब तक, राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन, राज्य उप सचिव वेंडी शेरमेन, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने जापान और दक्षिण कोरिया के अलावा बांग्लादेश, चीन, मंगोलिया, भारत, फिलीपींस, सिंगापुर और वियतनाम में रुकने के साथ इस क्षेत्र में कई दौरे किए हैं। पूर्व अमेरिकी सीनेटर क्रिस डोड और राज्य के पूर्व उप सचिव रिचर्ड आर्मिटेज और जेम्स स्टीनबर्ग के अनौपचारिक प्रतिनिधिमंडल ने भी ताइवान संबंध अधिनियम की 42वीं वर्षगांठ के अवसर पर ताइवान का दौरा किया था, जिसके लिए राष्ट्रपति बिडेन ने सीनेटर के रूप में मतदान किया था। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सिंगापुर और वियतनाम यात्रा को भी दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख भागीदारों को फिर से जोड़ने के बिडेन प्रशासन के प्रयासों के रुप में देखा जा सकता है। यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति हैरिस ने अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था हेतु अमेरिका की प्रतिबद्धता और संयुक्त राज्य तथा उसके सहयोगियों और सहयोगियों के साझा हितों को बढ़ावा देने वाले इंडो-पैसिफिक को स्वतंत्र व खुला बनाने की बात की।[i] उन्होंने कहा कि बीजिंग की धमकी और इलाके पर दावे के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र के अपने सहयोगियों का समर्थन करेगा। इन व्यक्तिगत यात्राओं के अलावा, बिडेन प्रशासन के अधिकारी नियमित रूप से इस क्षेत्र के अपने समकक्षों के साथ वर्चुअल बैठकें करते रहे हैं। चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिक्रिया बनाते हुए ट्रम्प प्रशासन के एकतरफावाद को दूर करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
अमेरिकी अधिकारियों का दौरा
चीन-संयुक्त राज्य अमेरिका की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह सोच बढ़ रही है कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके लिए मुख्य चुनौती के रूप में उभरा है। चीन को रोकने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका भागीदारों और सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित करके चीन के साथ अमेरिका की दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने हेतु कदम उठा रहा है।
एशिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक हितों के लिए, इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां काफी बढ़ाई हैं। वाशिंगटन चीन की वजह से सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने हेतु अपनी नीति बना रहा है। सुरक्षा पहलुओं पर, सचिव ऑस्टिन की यात्रा से सहयोगियों और भागीदारों को यह आश्वासन मिला है कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध है। यह आश्वासन ऐसे समय में आया है जब चीन अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। (चीन का रक्षा बजट एशिया में सबसे अधिक है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।) चीन के इस क्षेत्र में कई क्षेत्रीय विवाद भी हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र के देशों को रक्षा उपकरणों की बिक्री, सेनाओं के बीच जुड़ाव बढ़ाने तथा सैन्य अभ्यासों की संख्या बढ़ाने के ज़रिए अमेरिकी रक्षा क्षेत्र के साथ जुड़ने हेतु प्रेरित कर रहा है। अमेरिकी नौसेना ने इस क्षेत्र के भागीदारों के साथ अपने सैन्य अभ्यास की संख्या बढ़ाई है। इसके पीछे मूल सोच यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा न केवल अपनी खुद की ताकत पर बल्कि दुनिया भर में अपने सहयोगियों व भागीदारों पर भी निर्भर करती है। ऐसा माना जा रहा है कि चीनी सैन्य बलों के तेजी से होते आधुनिकीकरण से संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त में कमी आई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग (डीओडी) के लिए इंडो-पैसिफिक प्राथमिकता है। सचिव ऑस्टिन द्वारा अपनी पहली यात्रा के लिए एशिया को चुनना और संयुक्त राज्य अमेरिका इंडो-पैसिफिक कमांड के हाल ही में नियुक्त कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो द्वारा पहली यात्रा के लिए भारत को चुनना, पेंटागन की रणनीतिक योजना और प्रशांत महासागर के साथ अमेरिका की आर्थिक अन्योन्याश्रयता के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है। पेंटागन की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति हाल के वर्षों में चीन और रूस के साथ 'महान शक्ति' की स्पर्धा से उत्पन्न होने वाले खतरे पर केंद्रित रही है। अभी पेंटागन 15 सदस्यीय टास्क फोर्स के ज़रिए चीन के प्रति अमेरिकी रणनीति की समीक्षा कर रहा है। 30 सितंबर 20202 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष 2021 के लिए, कांग्रेस ने इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और अपने पैसिफिक सहयोगियों व भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाने हेतु पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव में 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण किया।[ii]पेंटागन चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं के जवाब में अन्य डीओडी निवेश[iii] और सैनिकों, मिसाइल डिटेक्शन और क्षेत्र में हथियारों में अधिक निवेश के अतिरिक्त पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव हेतु पांच बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश सहित अपनी फंडिंग लगातार बढ़ा रहा है। बिडेन प्रशासन क्वाड सदस्य देशों के साथ जुड़ाव बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहा है। क्वाड चार देशों के बीच संवाद का एक तंत्र है जो समुद्री सहयोग, आर्थिक विकास और सुरक्षा पर एक विचारधारा रखते हैं। वर्तमान में, क्वाड एजेंडा का विस्तार करते हुए, जिसमें जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवोन्मेष और हाल की कोविड-19 वैक्सीन वितरण जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका अब अवसंरचना पर ध्यान देने के साथ क्वाड देशों के नेताओं का व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन बुलाना चाहता है, जिससे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। क्वाड के तहत, जापान के पास अवसंरचना विकास परियोजनाओं में सबसे अधिक अनुभव है, जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया की परियोजना हेतु सबसे अच्छा विकल्प हैं। बहरहाल, ये परियोजनाएं अभी प्रारंभिक चरण में हैं।
राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में, चीन-संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंध जटिल बने हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अमेरिकी उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार होने के नाते, बाइडेन प्रशासन को चीन के साथ जुड़ना होगा। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध चीन के व्यापार के अनुचित तरीकों की जांच और राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा कारों, हार्ड डिस्क और विमान के कल-पुर्जों सहित चीन से आने वाले लगभग 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के साथ जुलाई 2019 में शुरू हुआ। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आने वाले कृषि उत्पादों, ऑटोमोबाइल और जलीय उत्पादों सहित 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 545 सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। जनवरी 2020 में, दोनों देशों के बीच पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।[iv] इस समझौते से व्यापार घाटा कम नहीं हुआ है और टैरिफ लगा रहा, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार अभी भी जारी है। बिडेन प्रशासन ने यह नहीं कहा है कि वह पहले चरण के समझौते को जारी रखने की योजना बना रहा है और वर्तमान में चीन के प्रति अमेरिकी नीति की समीक्षा कर रहा है। इस बीच, राष्ट्रपति बिडेन ने महामारी से बुरी तरह प्रभावित चार उद्योगों से जुड़ी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का विश्लेषण करने हेतु एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कंप्यूटर चिप्स, बड़ी क्षमता वाले इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण खनिज शामिल हैं।[v]
चूंकि चीन अपनी आर्थित सहायता के ज़रिए विदेशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका इस बात से अवगत है कि उसे अपनी चीन नीति की समीक्षा करनी होगी। चीन विकासशील देशों का सबसे बड़ा आधिकारिक ऋणदाता है। चीन के राजनयिकों ने महामारी से उत्पन्न आर्थिक और जन स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों पर बात की और चीन को इस क्षेत्र के सबसे विश्वसनीय भागीदार के रूप में पेश किया है। वास्तव में, यह क्षेत्र बीजिंग की वैक्सीन कूटनीति का प्रमुख केंद्र रहा है, जहां उसके कुल वैक्सीन दान का हिस्सा 29 प्रतिशत और महामारी की शुरुआत के बाद से इसकी वैश्विक वैक्सीन बिक्री का 25.6 प्रतिशत हिस्सा है। इसी को ध्यान में रखते हुए, हाल के महीनों में, बाइडेन प्रशासन ने इस क्षेत्र में अपनी वैक्सीन कूटनीति के कोशिशों को भी बढ़ाया है, जिसके तहत मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन की 3 मिलियन खुराक वियतनाम को भेजी गई है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कोवैक्स सुविधा के ज़रिए अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को अतिरिक्त शिपमेंट भेजे गए हैं। अगस्त 2021 के मध्य तक, अमेरिका ने दक्षिण और मध्य एशिया को लगभग 23 मिलियन खुराक के साथ दक्षिण पूर्व एशिया को वैक्सीन की 27 मिलियन खुराक दान कर दी थी।[vi] दुनिया के बाकि देशों और डब्ल्यूएचओ के अनुरोध के बावजूद अतिरिक्त वैक्सीन के निर्यात में देरी से अपने सहयोगियों और भागीदारों के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि ज्यादातर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में बढ़ी हुई अमेरिकी पहुंच पर अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली है, हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि चुनौतियां और मतभेद अभी भी बने रहेंगे।[vii]
बिडेन प्रशासन का मानना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के क्षेत्र में चीन के साथ स्पर्धा कर रहा है, जिसमें चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस बात पर बल दिया है कि भविष्य के युद्धों में नागरिक एवं रक्षा दोनों ही तरह की प्रौद्योगिकी युद्ध के नए क्षेत्र होंगे। व्हाइट हाउस अपने संस्थानों और उद्योगों पर विशेष रूप से बिजली तथा तेल व गैस पाइपलाइनों जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों पर चीन के साइबर हमलों को लेकर सावधान है। जुलाई 2021 में, अमेरिकी न्याय विभाग ने चीन की सरकार पर आपराधिक गिरोहों के साथ मिलकर साइबर हमले करने का आरोप लगाया था, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट पर किया गया साइबर हमला भी शामिल था जिससे हजारों संगठन प्रभावित हुए थे। ट्रम्प प्रशासन ने चीनी नागरिकों द्वारा नागरिक तथा सैन्य दोनों उद्योगों से खुफिया और अन्य जानकारी इकट्ठा करने के लिए अमेरिकी वीजा प्रावधानों के दुरुपयोग को उजागर किया था। महामारी के दौरान साइबर हमलों से उत्पन्न खतरा बढ़ गया है क्योंकि हैकर्स ने अपने-अपने घरों से काम करने वाले कर्मचारियों की कमजोर सुरक्षा का फायदा उठाया है। साइबर हमले और सोच समझकर नागरिक अवसंरचना पर हमला करने में चीन की बढ़ती क्षमता पर नए अमेरिकी प्रशासन को विशेष ध्यान देना होगा। हालांकि, अमेरिका ने अपनी चिंता व्यक्त की है, लेकिन उसने अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है।
इस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रमुख चुनौती भागीदार के रूप में विश्वसनीयता की है। संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से इस आश्वासन पर कि वह अपने सहयोगियों और भागीदारों की सहायता करना जारी रखेगा, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी से फैली अराजकता और क्षेत्रीय भागीदारों को कोविड -19 वैक्सीन भेजने में देरी से सवाल खड़े हो रहे हैं।
निष्कर्ष
एशिया और इंडो-पैसिफिक संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। ये वे क्षेत्रों हैं जहां इसे अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चीन संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा इस क्षेत्र में प्रमुख आर्थिक एवं सैन्य शक्ति है। चीन की वजह से आई चुनौतियों के बावजूद, कुछ समय से दिख रहा है कि, संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र को लेकर कोई प्रभावी रणनीति बनाने में सफल नहीं रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए आगे का रास्ता साझा लक्ष्यों वाले देशों के साथ जुड़ाव का होगा। बहरहाल, ऐसा करने के लिए जमीनी वास्तविकताओं पर ध्यान रखना जरुरी है। क्षेत्रीय देशों के सामने संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में से किसी एक को चुनने की समस्या है। हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका उनका एक रणनीतिक भागीदार है, लेकिन चीन की इस क्षेत्र में मौजूदगी है और आंतरिक रूप से वह राजनीतिक, आर्थिक और लोगों से लोगों के संपर्क के ज़रिए उनसे जुड़ा हुआ है।
अपने अधिकारियों की यात्राओं के ज़रिए, बिडेन प्रशासन इस क्षेत्र में अपने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और चीनी सैन्य बलों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। हालांकि, बाइडेन प्रशासन ने दुनिया के बाकी देशों, विशेष रूप से पारंपरिक सहयोगियों के साथ अमेरिकी संबंधों को फिर से स्थापित करने की बात कही है, लेकिन, क्या वे इस लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे, यह देखना बाकी है। एशिया का कोई भी देश चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विआधारी विकल्प नहीं बनाना चाहता। इस क्षेत्र के देश इस बात से अवगत हैं कि दोनों देशों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा आर्थिक और सुरक्षा गतिशीलता के लिए हानिकारक होगी। वे आगे भी चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका को इन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां बनानी होंगी।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
[i]The White House, “Remarks by Vice President Harris on the Indo-Pacific Region,” https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2021/08/24/remarks-by-vice-president-harris-on-the-indo-pacific-region/, Accessed on 03 September 2021
[ii] Caitlin M. Kenney, “Indo-Pacific commander: Long-range missiles and missiledefense are needed to challenge threats from China,” https://www.stripes.com/theaters/asia_pacific/indo-pacific-commander-long-range-missiles-and-missile-defense-are-needed-to-challenge-threats-from-china-1.665308, Accessed on 17 August 2021
[iii] Caitlin M. Kenney, “Indo-Pacific commander: Long-range missiles and missiledefense are needed to challenge threats from China,” https://www.stripes.com/theaters/asia_pacific/indo-pacific-commander-long-range-missiles-and-missile-defense-are-needed-to-challenge-threats-from-china-1.665308, Accessed on 17 August 2021
[iv] Eric Martin and James Mayger, “U.S.-China Trade Booms as If Virus, Tariffs Never Happened,” https://www.bloomberg.com/news/articles/2021-07-22/u-s-china-goods-trade-booms-as-if-virus-tariffs-never-happened,Accessed on 01 September 2021.
[v] Eric Martin and James Mayger, “U.S.-China Trade Booms as If Virus, Tariffs Never Happened,” https://www.bloomberg.com/news/articles/2021-07-22/u-s-china-goods-trade-booms-as-if-virus-tariffs-never-happened,Accessed on 01 September 2021.
[vi] Figures have been taken from the U.S. Department of State. https://www.state.gov/covid-19-recovery/vaccine-deliveries/
[vii] Figures have been taken from the U.S. Department of State. https://www.state.gov/covid-19-recovery/vaccine-deliveries/