मेक्सिको और पेरू में मतदाताओं ने एक ऐसे चुनाव में अपने मत का प्रयोग किया, जहां मुख्य मुद्दे महामारी से मुकाबला, स्वास्थ्य सेवा की स्थिति और हिंसा में वृद्धि के साथ आर्थिक असमानता रहे हैं। पेरू में, मतदाताओं ने अपना अगला राष्ट्रपति चुना, जबकि मेक्सिको के मध्यावधि चुनावों को राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर और उनकी भविष्य की सुधार नीति के लिए विश्वास की कसौटी माना गया है। ये दोनों चुनाव उन चुनावों के लिए महत्वपूर्ण अग्रदूत हैं जो इस वर्ष के अंत में चिली में और 2022 में ब्राजील और कोलंबिया में होने वाले हैं।
मैक्सिकन चुनावों का हिंसाग्रस्त मार्ग
6 जून को, मेक्सिकोवासियों ने पदों की संख्या के हिसाब से देश में हुए अब तक के सबसे बड़े चुनावों में भाग लिया। करीब 94 मिलियन मैक्सिकन लोगों ने 21,368 सार्वजनिक अधिकारियों के लिए मत डाले- जिनमें मैक्सिकन कांग्रेस के 500 चैंबर ऑफ डेप्युटी, और देश के 32 गवर्नरशिप में से 15 के साथ-साथ हजार से अधिक मेयर और स्थानीय विधायी पद शामिल थे। सबसे बड़े होने के साथ-साथ ये चुनाव मेक्सिको के सबसे हिंसक चुनावों में से भी एक बन गए हैं।
इस चुनावी चक्र में, देश के तीन पारंपरिक राजनीतिक दलों, मध्य-दक्षिणपंथी रिवोल्यूशनरी इंस्टिट्यूशनल पार्टी, दक्षिणपंथी नेशनल एक्शन पार्टी और डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशन की वामपंथी पार्टी ने राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर के पक्ष के नेशनल रिजेनेरेशन मूवमेंट (मोरेना MORENA), के विरोध में एक गठबंधन बनाने के लिए अपने मतभेदों और वैचारिक संघर्षों को अलग रख दिया। उनके प्रयास फलीभूत हुए क्योंकि प्रारंभिक परिणामों से संकेत मिलता है कि सत्तारूढ़ गठबंधन को सीटों का नुकसान हो सकता है जिससे कांग्रेस में उसके सुपर बहुमत में दाग लग सकता है। मेक्सिको सिटी में मोरेना का समर्थन खोना इस बात का संकेत है कि देश के शिक्षित मध्यम वर्ग के बीच राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर की परियोजना के प्रति समर्थन कम होता जा रहा है। फिर भी, सत्तारूढ़ गठबंधन को स्थानीय और क्षेत्रीय कार्यालयों में सीट हासिल करने की संभावना है, जो यह दर्शाता है कि यह देश के भीतर अपनी पहुंच को गहरा कर रहा है।
ये चुनाव महत्वपूर्ण थे क्योंकि वे तय करते हैं कि राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर, उनकी पार्टी और उनके सेटेलाइट दल सीनेट में उनके सापेक्ष बहुमत के अलावा, चैंबर में पूर्ण बहुमत बनाए रखेंगे या नहीं। राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर के "चौथे परिवर्तन" के लिए संवैधानिक सुधारों को पारित करने के लिए कांग्रेस में बहुमत महत्वपूर्ण है, साथ ही मैक्सिको के संविधान में परिवर्तन को पारित करने के लिए स्थानीय चुनावों में जीत की आवश्यकता है और उन कानूनों को वापस लेने के लिए भी जिनसे उन्हें लगता है कि असमानता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। यद्यपि सहयोगियों के साथ मोरेना, 500 सीटों वाली विधायिका में अभी भी प्रमुख शक्ति होगी, गठबंधन को राष्ट्रपति के एजेंडे के सबसे व्यापक पहलुओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत से काफी कम होने की उम्मीद है।
विधायिका पर प्रभुत्व के कारण राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर को कांग्रेस के अन्य सदस्यों की आलोचना और विरोध के बावजूद गरीबों में धन का पुनर्वितरण करने, आर्थिक राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने और स्वास्थ्य संकट से निपटने में सत्ता को केंद्रीकृत करने की अपनी नीति योजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिली है। राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर सरकार की कमियों को उजागर करने के कारण मीडिया की आलोचना करते रहे हैं, और साथ ही राष्ट्रीय चुनाव संस्थान की भी जिसने उन्हें अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव से संबंधित मामलों पर बोलने से प्रतिबंधित कर दिया था (निर्वाचित अधिकारियों को संविधान और चुनावी कानूनों द्वारा खुद को अथवा अपनी पार्टी को राज्य मशीनरी के उपयोग द्वारा बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है)। 2018 से, मोरेना ने 29 संवैधानिक संशोधन पेश किए हैं और 289 विधायी परिवर्तनों को मंजूरी दी है। कई लोगों ने राष्ट्रपति पद में अधिक शक्ति को केंद्रित किया है और मेक्सिको की संघीय नौकरशाही के अन्य हिस्सों को गंभीर तरीके से नियमबद्ध किया है। इस बात की चिंता जताई जाती है कि एक कमजोर और विभाजित राजनीतिक विपक्ष राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर और मोरेना को प्रभावी चुनौती देने में असमर्थ रहा है। आलोचकों का दावा है कि सरकार स्वतंत्र न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए कदम उठा रही है और उन सुधारों को लागू कर रही है जो गोपनीयता पर आक्रमण करते हैं, जबकि नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एक्सेस टू इनफार्मेशन जैसे सरकारी निगरानी वाले संस्थानों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। यह संस्थान संघीय खर्च पर नज़र रखता है और व्यक्तिगत गोपनीयता के खिलाफ दुर्व्यवहार की जांच करता है। इस बीच, मैक्सिकन अर्थव्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, आपराधिक हिंसा जारी है, और कोविड-19 के प्रकोप से बचने के लिए सरकार की प्रतिक्रिया धीमी रही है। 2020 में गरीबी 36% से बढ़कर 45% हो गई, जो कि राष्ट्रीय सामाजिक विकास एजेंसी कोनेवल के अनुसार महामारी से बढ़ी है। हिंसा भी बदस्तूर जारी है। हाल के वर्षों में सैकड़ों पत्रकार, मानवाधिकार रक्षक, पर्यावरण कार्यकर्ता और पुजारी मारे गए हैं। वर्तमान चुनाव चक्र में, लगभग 89 उम्मीदवार और राजनेता मारे गए हैं, जबकि कई लोग हमले में या धमकी में घायल हुए हैं।
उम्मीदवारों के खिलाफ हिंसा मैक्सिकन लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक कारक है और यह स्थानीय सरकारों और संगठित अपराध के बीच बढ़ते संबंधों के एक आदेशनामा जैसा है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि निकाय की सत्ता के लिए संघर्ष आपराधिक गिरोहों की जरूरतों पर केन्द्रित है, जिसमें स्थानीय सरकार के कोष पर कब्ज़ा, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण, पुलिस बल के भीतर प्रभाव और सबसे महत्वपूर्ण अपनी शक्ति के प्रदर्शन के लिए क्षेत्र और साथ ही मादक द्रव्यों की तस्करी के लिए मार्ग बनाए रखना शामिल है। प्रभाव के लिए लड़ाई जटिल है क्योंकि गिरोह अपने उम्मीदवारों का समर्थन करते हैं और प्रतिद्वंद्वी गिरोहों द्वारा समर्थित लोगों को धमकाते हैं। एक और चिंताजनक बात यह है कि पिछले चुनावों में, जिन उम्मीदवारों ने धमकियों को नजरअंदाज कर प्रचार जारी रखा था, उनकी हत्या कर दी गई थी। इससे एक भय का मनोविकार पैदा हो गया है। बढ़ते खतरों के साथ, उम्मीदवार पिछले उदाहरणों को देखते हुए इस दौड़ से हट गए। राष्ट्रपति लोपेज़ ओब्रेडोर ने अपनी नीतियों के माध्यम से हत्या की दर को कम करने की कोशिश की है- जिसमें एक नया राष्ट्रीय रक्षक और युवाओं को अपराध से हटाने के लिए सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं, लेकिन ये कार्यक्रम युवाओं पर गिरोह की पकड़ को काफी हद तक कम नहीं कर सके हैं। उम्मीदवारों पर हमले आपराधिक समूहों द्वारा मेक्सिको पर नियंत्रण करने की व्यापक कोशिश को दर्शाते हैं।
पेरू के राष्ट्रपति चुनाव
नवंबर 2020 में पेरू को राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा, जब पेरू की कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और महामारी से निपटने में विफल रहने के आरोपों पर पूर्व राष्ट्रपति मार्टिन विज़कारा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की। राष्ट्रपति विजकारा के महाभियोग ने कांग्रेस द्वारा 'तख्तापलट' के खिलाफ लोगों के विरोध को उकसा दिया और कुछ ही दिनों में तीन राष्ट्रपति आए और चले गए। पिछले तीन दशकों में पेरू के लगभग सभी राष्ट्रपतियों पर या तो महाभियोग लगाया गया है या वे भ्रष्टाचार के घोटालों में शामिल हैं, और यही कारण है कि भ्रष्टाचार सभी उम्मीदवारों के चुनाव अभियानों में सबसे प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। अप्रैल के चुनावों में करीब 18 उम्मीदवारों के साथ, जून में मुकाबला वामपंथी उम्मीदवार पेड्रो कैस्टिलो (फ्री पार्टी), जो एक स्कूली शिक्षक थे और जिन्होंने 2017 में राष्ट्रीय शिक्षकों की हड़ताल का नेतृत्व करके राजनीति में प्रवेश किया था, और विंग पॉपुलर फोर्स पार्टी की उम्मीदवार केइको फुजीमोरी के बीच था। कांग्रेसी महिला 2011 और 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में उपविजेता रही थीं और पूर्व राष्ट्रपति अल्बर्टो फुजीमोरी की बेटी हैं जो भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के दुरुपयोग के आरोपों में जेल में है। सभी वोटों की गिनती के साथ, नेशनल ऑफिस ऑफ़ इलेक्शन प्रोसेस (ओपीएनई) ने घोषणा की कि पेड्रो कैस्टिलो को 50.125% वोट मिले और केइको फुजीमोरी को 49.875% वोट मिले। बहरहाल, विजेता घोषित करने के लिए स्वतंत्र निकाय राष्ट्रीय चुनाव जूरी (जेएनई) है न कि ओपीएनई। जेएनई ने कहा है कि वह तब तक विजेता घोषित करने में सक्षम नहीं होगा जब तक कि वह सभी मतदान रिकॉर्ड की समीक्षा नहीं कर लेता है और उसने वोटों को रद्द करने के अनुरोधों पर फैसला सुनाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा चुनाव के आधिकारिक परिणाम घोषित होने से कुछ दिन पहले ही संभव है क्योंकि दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है और अंतिम गिनती घोषित होने से पहले किसी भी उम्मीदवार के हार मानने की उम्मीद नहीं है। ज्यादातर अपील फुजीमोर की पार्टी ने की है लेकिन वह व्यवस्थित तरीके से मतदान में धोखाधड़ी के बहुत कम सबूत दे सकी है जो वोटों को रद्द करने के लिए आवश्यक हैं। कैस्टिलो और उनकी पार्टी ने 'वोटों की चोरी' से इनकार किया है और इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि उम्मीदवार को ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन प्राप्त है, जो सुनिश्चित करता है कि ओपीएनई द्वारा घोषित परिणाम संभव है। आर्गेनाईजेशन ऑफ़ दी अमेरिका जिसने पर्यवेक्षकों को भेजा था, ने कहा है कि उसे गंभीर अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला है।
दो उम्मीदवारों के समर्थन आधार विभाजित मतदाताओं का संकेत देते हैं। कैस्टिलो को ग्रामीण क्षेत्रों का समर्थन प्राप्त है क्योंकि वह विदेशी कंपनियों के मुनाफे को सीमित करने और समाजवाद की दिशा में काम करने की बात करते हैं। उन्होंने कहा है कि यदि वे निर्वाचित होते हैं, तो वे लाभ प्रदान करने वाली खनन और ऊर्जा कंपनियों के साथ अनुबंधों पर फिर से बातचीत करने और उन पर कर बढ़ाने की कोशिश करेंगे, जिसने व्यापार क्षेत्र को चिंतित कर दिया है। फुजीमोरी को मध्यम और उच्च वर्ग की शहरी आबादी का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बाजार समर्थक नीतियों को फिर से लागू करने और असुरक्षा को दूर करने के लिए भारी-भरकम प्रतिक्रियाएं दी हैं। नए राष्ट्रपति को ऐसे समय में जब लैटिन अमेरिका में सत्ता के खिलाफ लोगों का विरोध हो रहा है, दोनों गुटों के साथ काम करना होगा।
इसके बावजूद, विजेता को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि पेरू एक लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और कोविड-19 दोनों से जूझ रहा है। स्वास्थ्य प्रणाली में दशकों से कम निवेश और महामारी के कारण हुए लॉकडाउन की अस्थिरता ने एक ऐसे देश में जहां अधिकांश लोग अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, कोविड-19 संक्रमणों में भयावह वृद्धि की है। 2020 में, पेरू में पंजीकृत कोविड-19 मृत्यु दर प्रति व्यक्ति के हिसाब से दुनिया में सबसे अधिक थी और यहाँ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में क्षेत्र का सबसे बड़ा संकुचन हुआ (आज तक पेरू में 20,81,557 पुष्ट मामले और 1,94,488 मौतें हुई हैं।) महामारी के बीच नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने में सरकार की अक्षमता ने देश के संस्थानों और अधिकारियों के बीच एक समग्र असंतोष फैला दिया है। पेरू को न केवल स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा क्षेत्र को ठप करने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी हल करने के लिए एक स्थिर सरकार की आवश्यकता होगी। अगले राष्ट्रपति को कांग्रेस के साथ भी काम करना होगा जिसमें किसी के पास भी बहुमत नहीं है- कैस्टिलो की पार्टी के पास 37 सीटें हैं और फुजीमोरी की पार्टी के पास कांग्रेस की 130 सीटों में से 24 सीटें हैं। खंडित कांग्रेस का मतलब होगा कि अन्य दलों का समर्थन हासिल करने के लिए और गठबंधन बनाने के लिए उन्हें अपना रुख नरम करना होगा। नई सरकार को ग्रामीण विकास, शहरी आर्थिक विकास और आय की समानता के मुद्दे पर ध्यान देना होगा। शेष लैटिन अमेरिका की तरह, उच्च असमानता, बढ़ती बेरोजगारी, हिंसा और अर्थव्यवस्था आम लोगों की प्रमुख चिंताएं बनी हुई हैं।
निष्कर्ष
समग्र रूप से लैटिन अमेरिका के लिए, ये दो चुनाव उस दिशा का पूर्वावलोकन करा सकते हैं जिसमें अन्य देश आगे बढ़ रहे हैं। जहां स्थापित दल समर्थन खो रहे हैं और नए दल व उम्मीदवार गरीबी दूर करने के लिए अधिक खर्च का वादा कर और प्रचंड महामारी के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट मतदाताओं के बीच जमीन हासिल कर रहे हैं। लैटिन अमेरिका लंबे समय से दुनिया के सबसे असमान क्षेत्रों में से एक रहा है, लेकिन महामारी की चपेट में आने के बाद से यह अंतर बढ़ गया है, और टीकाकरण अभियान धीमी गति से शुरू हुआ है। विधि निर्माताओं ने लोगों की नाराजगी को देखते हुए धन पर नए करों को पारित किया है और निजी पेंशन फंड से दसियों अरब डॉलर जारी किया है। अपनी क्रेडिट रेटिंग में कटौती को देखते हुए सरकारें बड़े घाटे में चल रही हैं और मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव से जूझ रही हैं। हिंसा अब भी समान कारक बनी हुई है। पेरू और मैक्सिको दोनों चुनाव संबंधी हिंसा के गवाह रहे है, जिसने लोकतांत्रिक संस्थानों और मतदाताओं को चुनौती दी है।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली।
व्यक्त विचार निजी हैं।