एक तरफ अमेरिका और नाटो अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ तालिबान तेजी से अफगानिस्तान के इलाकों पर अपना नियंत्रण करते जा रहा है। हालिया रिपोर्टों[i] से पता चलता है कि, जब से राष्ट्रपति बिडेन ने घोषणा की है कि सभी अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से 9/11 की बीसवीं वर्षगांठ तक हटा लिया जाएगा, तब से तालिबान ने अफगानिस्तान के 407 जिलों में से 69 जिलों पर कब्जा कर लिया है। कथित तौर पर, विद्रोही समूह का अब 142 से अधिक जिलों पर नियंत्रण हो गया है, और वो अभी लगभग 170 और जिलों को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।[ii] सरकार ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाये है। हालाँकि ये आंकड़े सच हैं या नहीं, यह तय करने का कोई ठोस तरीका नहीं है, क्योंकि कई क्षेत्रों में दोनों पक्षों का नियंत्रण कभी कम तो कभी बढ़ रहा है, लेकिन यह साफ है कि पिछले कुछ महीनों में पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में काफी वृद्धि हुई है।
अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभुत्व का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि, इस बार इसने उत्तरी प्रांतों में स्थित क्षेत्रों पर कब्जा किया है, जिन्हें अफगानिस्तान के जातीय अल्पसंख्यक समूहों का गढ़ और दक्षिणी व पूर्वी अफगानिस्तान स्थित पश्तून तालिबान की पहुंच से दूर माना जाता था। ऐसा प्रतीत होता है कि तालिबान पहले उन क्षेत्रों पर कब्जा कर रहा है जहां उनके खिलाफ विरोध होने की संभावना है। जून में, तालिबान ने ताजिकिस्तान-शिर खान बंदर के साथ अफगानिस्तान की मुख्य सीमा पार को बंद करने महत्वपूर्ण लाभ हासिल किया और फिर उत्तरी अफगानिस्तान में ताजिकिस्तान के साथ लगने वाले शहर और सभी सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया।[iii] उत्तर में ही, तालिबान ने मई 2021 से अबतक 40 से अधिक जिलों (नक्शा नीचे देख सकते हैं) पर कब्जा कर लिया है, जिसमें कुंदुज प्रांत का एक महत्वपूर्ण जिला भी शामिल है, जहां से उन्हें प्रांतीय राजधानी को घेरना आसान हो जाता है।[iv] सरकार और तालिबान के बीच लड़ाई की वजह से लगभग 5000 परिवारों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।[v] मई के बाद से अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच झड़प का प्रमुख इलाका बगलान का उत्तरी प्रांत रहा है,[vi] जहां तालिबान के लड़ाके अफगान बलों से लड़ने के लिए पुल-ए-कुमारी शहर के निवासियों के घरों का इस्तेमाल कर रहे थे। जैसा कि नीचे दिए गए नक्शे में दर्शाया गया है, उत्तर में हाल की लड़ाई ने अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं को बढ़ा दिया है। उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती शहर को हर तरफ से बचाने के लिए बल्ख प्रांत में हेराटन सीमा की रक्षा हेतु सैकड़ों सैनिकों को तैनात किया गया है।[vii]
तालिबान के बढ़ते नियंत्रण का जून 2021 तक का मानचित्रण
स्रोत: लांग वॉर जर्नल[viii]
मध्य अफगानिस्तान में, राजधानी काबुल और दक्षिणी प्रांत कंधार को जोड़ने वाले गजनी प्रांत के एक प्रमुख राजमार्ग पर 29 जून को हमला हुआ था। तालिबान का गजनी प्रांत में वर्षों से नियंत्रण रहा है, लेकिन गांजी शहर के शेखअजल और गंज इलाकों में सुरक्षा चौकियों के पास हालिया झड़पों में तेजी आई है।[ix] कंधार, बगलान, तखर और कुंदुज में भारी संघर्ष की खबर है और इन इलाकों से हजारों परिवार अपने घर छोड़कर चले गए हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि कई क्षेत्रों में जहां झड़पें हुई हैं, वहां सड़कें बंद हैं और दूरसंचार बाधित हो गया है, जिससे युद्ध की जमीनी स्थिति का आकलन करना मुश्किल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ग्रामीण इलाकों और काबुल के पास खुद को स्थापित कर रहा है। अब उनका दो महीने पहले की तुलना में अफगानिस्तान के लगभग दोगुने इलाकों पर कब्जा है, इस बजह से अमेरिकी सेना के दो महीने में जाने के बाद अफगान सरकार कितने समय तक बची रह सकती है या नहीं बच सकती, इसपर संदेह है।[x]
तालिबान को तेजी से क्षेत्रीय लाभ हासिल करने को देखते हुए, अफगान सरकार ने "नेशनल मोबिलाइजेशन" अभियान शुरू किया, जिसमें वह तालिबान हमलावरों का विरोध करने के लिए नागरिक स्वयंसेवकों को हथियार प्रदान करेगी, जिसे कुछ विश्लेषकों ने एक ऐसी पहल मानते हुए चिंता व्यक्त की है कि जिससे स्थानीय लड़ाके फिर से तैयार हो जाएंगे, जिन्हें नियंत्रित करना काबुल के लिए मुश्किल हो सकता है। इस बीच, अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाले मिशन के कमांडर, ऑस्टिन मिलर ने अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर विचार करते हुए अफगानिस्तान को इलाकों पर तेजी से कब्जा होने के संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी आगाह किया कि सुरक्षा बलों की सहायता के लिए तैनात किए गए लड़ाके देश को गृहयुद्ध में और धकेल सकते हैं।
अटलांटिक काउंसिल द्वारा तैयार की गई एक हालिया रिपोर्ट[xi] में अफगानिस्तान में "प्रतिरोध 2.0" या "दूसरे राष्ट्रीय प्रतिरोध" के बारे में बात की गई है। रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिकी सेना के वापस जाने की ख़बर के बाद से ही अफगान नागरिक खुद को लामबंद और हथियारबंद हो रहे हैं, शांति वार्ता विफल होने की स्थिति में तैयारी कर रहे हैं और तालिबानी सैन्य रणनीति के ज़रिए जीत की तैयारी कर रहे हैं - यानि “ताकतवर लोग फिर से उभर रहे हैं और लड़ाके पूरी ताकत के साथ फिर से पुराने दौर को वापस लाने का कार्य कर रहे हैं।"[xii] 1990 के दशक में, क्षेत्रों में छिपे तालिबान विरोधी लोग उत्तरी, मध्य और पश्चिमी अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिरोध खड़ा कर सकते थे, इनमें से कई पूर्व मुजाहिदीन नेता के पश्चात् 9/11 के बाद की राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा बन गए। उन्हें ऐसा लगता है कि तालिबान के खिलाफ हथियार उठाने और एकजुट होने का अब समय आ गया है। अल जज़ीरा ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा कि, मोहम्मद इस्माइल खान, जिसे 'हेरात के शेर' के रूप में जाना जाता है, ने लोगों से लड़ाई में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि घोर, बड़गी, निमरोज, फराह, हेलमंद और कंधार प्रांतों से सैकड़ों सशस्त्र नागरिक उनके घर आए थे और विदेशी सेना की वापसी से पैदा हुए सुरक्षा के अंतराल को भरने के लिए तैयार थे।[xiii] यहां यह उल्लेखनीय है कि, ये लामबंदी अफगान राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा बलों (एएनडीएसएफ) के ढांचे के बाहर हो रही है, जिसकी अपनी चुनौतियाँ हैं।
अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के बीच, अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और राष्ट्रीय सुलह की उच्च स्तरीय परिषद के अध्यक्ष, अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने पिछले महीने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति बिडेन से मुलाकात की। राष्ट्रपति बिडेन ने अफगान नेताओं को आश्वासन दिया कि भले ही अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से हटाये जा रहे हैं, लेकिन, इससे "अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच साझेदारी खत्म नहीं होगी।"[xiv] लगभग 650 अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान में राजनयिकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु तैनात करने और सितंबर तक कुछ सौ सैनिकों को काबुल हवाई अड्डे पर तैनात करने की उम्मीद है, जब तक कि तुर्की के नेतृत्व में औपचारिक सुरक्षा अभियान शुरू नहीं हो जाता।[xv] अफगानिस्तान के नेताओं ने प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और केंद्रीय जांच एजेंसी (सीआईए) के अधिकारियों से भी मुलाकात की और अमेरिकी सेना के वापस जाने के महत्वपूर्ण मुद्दों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। हालांकि, जमीनी स्तर पर दोनों पक्षों के बीच कोई तालमेल दिखाई नहीं दे रहा है। 2 जुलाई को, जब अमेरिकी सेना स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय के बिना महत्वपूर्ण बघराम हवाई अड्डे से हट गई; तब अफगान बलों के नियंत्रण में आने से पहले दर्जनों स्थानीय लुटेरों ने असुरक्षित फाटकों पर हमला कर दिया था।[xvi]
कुछ महीने पहले, बिडेन प्रशासन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि तालिबान वार्ता के लिए तैयार है और तभी एंटनी ब्लिकेन का एक पत्र सबसे आगे आया, जिसमें अफगानिस्तान में शांति के लिए 3-चरणीय रास्ता अपनाने की बात की गई थी, अर्थात् (1) अंतरिम सरकार के लिए वार्ता (2) युद्धविराम और (3) अफगानिस्तान की भावी राजनीतिक व्यवस्था पर चर्चा करने हेतु काबुल और तालिबान का एक साथ आना। हालाँकि, अमेरिका द्वारा बिना किसी शर्त के अफगानिस्तान छोड़ने की घोषणा के बाद, तालिबान ने इस योजना का पालन करने को लेकर अनिच्छा दिखाई है। अफगानिस्तान में पूर्व भारतीय दूत, विवेक काटजू तालिबान के इस रुख की दो वजह मानते हैं, "पहला, उनका मानना है कि उन्होंने युद्ध जीत लिया है, और दूसरा, यह संभव है कि पाकिस्तानी तालिबान को अधिक से अधिक सैन्य लाभ हासिल करने की सलाह दे रहे हैं और कह रहे हों कि वे किसी स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं और सामंजस्य सरकार को लेकर अपनी इच्छा दिख सकते हैं।"[xvii]अब तक राष्ट्रपति गनी ने तालिबान के साथ मिकलर सरकार बनाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है और यह जानते हुए कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव असंभव हैं, सत्ता हस्तांतरण के लिए चुनाव का रास्ता अपनाने का प्रस्ताव दिया है। दूसरी तरफ फिर से ऊभर रहा तालिबान कमजोर अफगान सरकार के साथ सत्ता साझा करने को लेकर अनिच्छुक रहा है, यही एक वजह है जिससे कि दोहा प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हो सकी है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिका की वापसी के छह महीने के भीतर काबुल सरकार गिर सकती है।[xviii] जबकि कुछ का यह तर्क है कि डॉ. नजीबुल्लाह की सरकार को टिकने को लेकर सीआईए का आकलन भी इसी तरह गलत रही थीं और इसलिए यह सरकार जितना सोचा जा रहा है, उससे कहीं अधिक समय तक सत्ता पर बनी रहेगी। अफगानिस्तान के भविष्य का आकलन करना निश्चित तौरपर कठिन है, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर नज़र आ रही है। निकट भविष्य में अस्थिरता, हिंसा और जनसंख्या विस्थापन के बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है और आने वाले दिनों में अफगानिस्तान में सामाजिक और राजनीतिक पदानुक्रमों की बातचीत फिर से शुरु होने की संभावना है। राष्ट्रपति गनी ने वाशिंगटन में अपने भाषण के दौरान अमेरिकी गृहयुद्ध की शुरुआत का संदर्भ दिया और कहा कि उनका देश "1861 के दौरा" का सामना कर रहा है। जनरल ऑस्टिन मिलर ने भी चेतावनी दी है कि, अगर अफगानिस्तान यही रास्ता अपनाना जारी रखता है, तो निश्चित रूप से वह गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है और यह दुनिया के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए, लेकिन अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों को इस लेकर ज्यादा सोचने की जरुरत है।
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*डॉ. अन्वेषा घोष, अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i] Dan De Luce, MushtaqYusufzai and Saphona Smith,”Even the Taliban are surprised at how fast they are advancing in Afghanistan”.NBC News, June 24 2021. Available at: https://www.nbcnews.com/politics/national-security/even-taliban-are-surprised-how-fast-they-re-advancing-afghanistan-n1272236 (Accessed on July 1, 2021)
[ii] Dan De Luce, MushtaqYusufzai and Saphona Smith,”Even the Taliban are surprised at how fast they are advancing in Afghanistan”.NBC News, June 24 2021. Available at: https://www.nbcnews.com/politics/national-security/even-taliban-are-surprised-how-fast-they-re-advancing-afghanistan-n1272236 (Accessed on July 1, 2021)
[iii] “Taliban captures Afghanistan’s main Tajikistan border crossing”. AL Jazeera, 22 June 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/6/22/taliban-capture-afghanistans-main-tajikistan-border-crossing. (Accessed on July 1, 2021)
[iv] “Taliban captures Afghanistan’s main Tajikistan border crossing”. AL Jazeera, 22 June 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/6/22/taliban-capture-afghanistans-main-tajikistan-border-crossing. (Accessed on July 1, 2021)
[v] “Taliban captures Afghanistan’s main Tajikistan border crossing”. AL Jazeera, 22 June 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/6/22/taliban-capture-afghanistans-main-tajikistan-border-crossing. (Accessed on July 1, 2021)
[vi] “Taliban captures Afghanistan’s main Tajikistan border crossing”. AL Jazeera, 22 June 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/6/22/taliban-capture-afghanistans-main-tajikistan-border-crossing. (Accessed on July 1, 2021)
[vii] “Taliban captures Afghanistan’s main Tajikistan border crossing”. AL Jazeera, 22 June 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/6/22/taliban-capture-afghanistans-main-tajikistan-border-crossing. (Accessed on July 1, 2021)
[viii] Bill Rojjio, “Mapping the Taliban Controlled and Contested districts in Afghanistan”,FDD’s Long War Journal, June 23, 2021. Available at:https://www.longwarjournal.org/mapping-taliban-control-in-afghanistan(Accessed on July 1, 2021)
[ix] “Afghanistan: Taliban fighters launch attack on Ghazni”.Al Jazeera, June 29, 2021. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2021/6/29/afghanistan-taliban-fighters-launch-attack-on-ghazni, Accessed on?
[x],”Even the Taliban are surprised at how fast they are advancing in Afghanistan”, Op.cit. (Accessed on July 1, 2021)
[xi] Tamim Asey” Resistance 2.0- A military framework to deter a Taliban military takeover and engage the United States and the region on counter-terrorism and peace for Afghanistan”.The Atlantic Council, June 10, 2021.Availavle at: https://www.atlanticcouncil.org/blogs/southasiasource/resistance-2-0-a-military-framework/
[xii] Ibid
[xiii] “Taliban claims to control most of Afghanistan after rapid gains”. Al Jazeera, July9, 2021. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2021/7/9/taliban-says-it-controls-85-of-afghanistan (Accessed on 12.7.2021)
[xiv] “Biden pledges US support to embattled Afghanistan leaders”. AL Jazeera, June 25, 2021. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2021/6/25/biden-to-reassure-afghan-leaders-of-us-support(Accessed on July 3, 2021)
[xv] “Roughly 650 US troops are expected to remain in Afghanistanafterwithdrawal”. The Times of India, June 25, 2021. Available at:https://timesofindia.indiatimes.com/world/us/us-to-keep-about-650-troops-in-afghanistan-after-withdrawal/articleshow/83843350.cms (Accessed on July 3, 2021)
[xvi] “Roughly 650 US troops are expected to remain in Afghanistanafterwithdrawal”. The Times of India, June 25, 2021. Available at:https://timesofindia.indiatimes.com/world/us/us-to-keep-about-650-troops-in-afghanistan-after-withdrawal/articleshow/83843350.cms (Accessed on July 3, 2021)
[xvii]Amb. Vivek Katju (Former Indian Ambassador to Afghanistan) while speaking at an interview “U.S. Exits, Taliban Advances; Ghani, Abdullah 'Show Unity' In Biden Meeting.” StatNewsGlobal, June 26, 2021. Available at:https://www.youtube.com/watch?v=3Zqaf_IGpMo(Accessed on July 3, 2021)
[xviii] “Afghan Government Could Collapse Six Months After U.S. Withdrawal, New Intelligence Assessment Says”. TheWallStreetJournal, June 23, 2021. Available at: https://www.wsj.com/articles/afghan-government-could-collapse-six-months-after-u-s-withdrawal-new-intelligence-assessment-says-11624466743(Accessed on July 3, 2021)