संकट पर आसियान का दृष्टिकोण
नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार के खिलाफ 1 फरवरी, 2021 को सेना द्वारा किए गए तख्तापलट और सत्ता हथियाने के बाद म्यांमार में चल रहे राजनीतिक संकट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) का भी ध्यान आकर्षित किया है। आसियान अतीत में हस्तक्षेप न करने के अपने सिद्धांत का पालन करते हुए इस तरह के संकट को आंतरिक मामला माना, क्योंकि आसियान का मानना है कि इससे उसके सदस्य राज्यों की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा होती है।[i] 1967 की बैंकाक घोषणा के तहत, आसियान का औपचारिक उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को बढ़ावा देना था।[ii]
1960 के दशक में विश्व मामलों की बदलती प्रकृति की वजह से आसियान नवंबर 1971 में अपनी विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया को शांति, स्वतंत्रता और तटस्थता का क्षेत्र (जेडओपीएफएएन) बनाने हेतु प्रतिबद्धत होने हेतु प्रेरित हुआ। इसके अलावा, सरकार के प्रमुखों द्वारा फरवरी 1976 में बाली में हुए शिखर सम्मेलन के दौरान आसियान समझौते की घोषणा में राजनीतिक सहयोग हेतु आधिकारिक तौरपर प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। एमिटी एंड कोऑपरेशन संधि (टीएसी) के ज़रिए आसियान समझौते ने मानक-आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था और विवाद के निपटान संबंधी प्रावधान सामने रखे।[iii] इसके अलावा सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुए, संघ सदस्य राज्यों के बीच समानता के सिद्धांत को मंजूरी मिलने को लेकर भी बेहद सतर्क रहा है। शीत युद्ध के बाद आसियान उभरती हुई चुनौतियों का जवाब देने के लिए संवाद और क्षेत्रीय संस्थागत क्षमता में सुधार करने में मदद करने हेतु नए क्षेत्रीय तंत्र स्थापित कर रहा है। क्षेत्रीय और वैश्विक माहौल ने भी आसियान के लिए अपनी क्षेत्रीय धारणाओं को बदलना जरुरी बना दिया है।[iv]
आसियान म्यांमार में वर्तमान राजनीतिक संकट पर नज़र रखे हुए, जिसके दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, नागरिकों और सेना के बीच हुई हिंसा की घटनाओं के कारण पूरे क्षेत्र में गंभीर प्रभाव पड़ा। इनमें रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रत्यावर्तन व उनसे जुड़े मुद्दों के निपटाके पर बांग्लादेश के साथ चल रही बातचीत पर प्रभाव; काचिन राज्यों में उग्रवाद से बढ़ती सुरक्षा संबंधी चिंता भी शामिल है, जो इससे सीमा साझा करने वाले पड़ोसी देशों के लिए चिंता का कारण है; यानि उन देशों पर भी प्रभाव पड़ा है, जिनके म्यांमार के साथ व्यापार और निवेश हित निहित हैं। क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा पैदा करने वाले सुरक्षा कारणों से आसियान को निंदा करने हेतु मजबूर होना पड़ा है और आसियान ने म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ अधिक रचनात्मक जुड़ाव बनाने की दिशा में बातचीत का आह्वान किया है।[v]
म्यांमार के साथ आसियान की रचनात्मक भागीदारी
मानवाधिकार समझौते के लिए पश्चिम देशों की कड़ी आलोचना के बावजूद म्यांमार जुलाई 1997 में आसियान का सदस्य बना। यह सैन्य सरकार के साथ रचनात्मक जुड़ाव की दिशा में एक बड़ा कदम था। म्यांमार को 1990 और 2000 के दशक में पश्चिमी देशों द्वारा कठोर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा और 2007 में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बाद यह आक्रोश और अधिक बढ़ गया। मार्च 2011 में निर्वाचित सरकार के सत्ता पर काबिज होने के बाद, सेना राजनीति में अपने सीधे हस्तक्षेप से पीछे हट गई। हालांकि, इसकी मजबूत भूमिका बरकरार रखी। ऐसा राष्ट्रपति, एक उप-राष्ट्रपति, संसद के निचले सदन के अध्यक्ष और सैन्य अधिकारियों के लिए आरक्षित संसद के पच्चीस प्रतिशत ब्लॉक सहित सरकार के वरिष्ठ स्तरों में कई पूर्व सैन्य अधिकारियों की भागीदारी की वजह से हुआ, और सेना ने राष्ट्रीय आपातकाल के मामले में देश की कमान संभालने के लिए कदम उठाने का संवैधानिक अधिकार भी बरकरार रखा। हालांकि, 2008 के संविधान में संशोधन पर विचार करने हेतु एक संवैधानिक समीक्षा संयुक्त समिति की स्थापना की गई थी, जिसने 31 जनवरी, 2014 को अपनी सिफारिश सामने रखी, लेकिन केंद्र की सरकार और इसकी जातीय-अल्पसंख्यक-नियंत्रित सरकारों के बीच अधिक न्यायसंगत सत्ता-साझाकरण व्यवस्था का निर्माण होने के साथ ही एकमात्र महत्वपूर्ण प्रस्तावित परिवर्तन की वजह से यह अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी।[vi]
म्यांमार में फरवरी के सैन्य तख्तापलट के बाद, 24 अप्रैल, 2021 को आसियान ने एक विशेष शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें उसने जुंटा के नेता जनरल मिन आंग हलिंग को आमंत्रित किया। प्रदर्शनकारियों और नागरिकों के खिलाफ होने वाली हिंसा के बढ़ने के दौरान, आसियान नेताओं की बैठक (एएलएम) म्यांमार में जारी राजनीतिक संकट का कारण बनने वाली पार्टी के साथ जुड़कर एक एकीकृत रुख और सामूहिक प्रतिक्रिया की जरुरत को दर्शाती है। आसियान नेताओं की बैठक में, नेताओं ने दोहराया "...कि आसियान के सदस्य देशों में राजनीतिक स्थिरता आसियान समुदाय में शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध के लिए आवश्यक है...।" इस दौरान, नेताओं में 'पांच सूत्रीय सहमति' बनी; पहला, इसने हिंसा को तुरंत खत्म करने और म्यांमार में सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया। दूसरा, शांतिपूर्ण तरीके से समस्या को हल करने के लिए सभी पक्षों के बीच रचनात्मक संवाद की जरुरत, जिससे सभी लोगों का हित होगा। तीसरा, आसियान के महासचिव की सहायता से, वार्ता प्रक्रिया में मध्यस्थता के लिए एक विशेष दूत की नियुक्ति की जाएगी। चौथा, आपदा प्रबंधन पर मानवीय सहायता (एएचए) हेतु आसियान समन्वय केंद्र आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान करेगा और अंतिम, विशेष दूत और प्रतिनिधिमंडल सभी संबंधित पक्षों से मिलने के लिए म्यांमार का दौरा करेंगे।[vii]
4 जून, 2021 को, आसियान के प्रतिनिधियों, जिसमें ब्रुनेई के दूसरे विदेश मंत्री एरीवान युसूफ और आसियान के महासचिव लिम जौक होई शामिल थे, ने म्यांमार के जुंटा के नेता जनरल मिन आंग हलिंग से मुलाकात की, ताकि बातचीत को आसान बनाया जा सके। पांच सूत्रीय सहमति में शामिल आसियान के विशेष दूत की नियुक्ति को लेकर अभी पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि इसकी मंजूरी अभी दोनों पक्षों से मिलनी बाकी है और इससे बातचीत की प्रक्रिया धीमी हो रही है। इसके अलावा, सैन्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, सुरक्षा और स्थिरता के बाद ही विशेष दूत को म्यांमार का दौरा करने की अनुमति दी जाएगी। राष्ट्रीय एकता सरकार यानि म्यांमार के विपक्ष ने, जो तख्तापलट के बाद सेना द्वारा हटाए गए नागरिक सांसदों द्वारा बनाई गई एक छत्र सरकार है - जोर देकर कहा कि "...आसियान को केवल सेना से ही मुकालात नहीं करनी चाहिए...(क्योंकि) म्यांमार के लोगों के भविष्य को लेकर होने वाली किसी भी बैठक में म्यांमार के लोगों को शामिल करना चाहिए, (उनकी) आवाज सुनी जानी चाहिए…।” [viii]
निष्कर्ष
आसियान की स्थापना एक तरह से इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए संवाद के ज़रिए क्षेत्रीय सुलह सुनिश्चित करने हेतु भी की गई थी। राजनीति में सेना की वापसी से म्यांमार में अभी हो रही नाटकीय राजनीतिक घटनाओं से पिछले कुछ सालों में देश ने जो प्रगति हासिल की है, वो पिछड़ सकती है। हालांकि, वर्तमान राजनीतिक अनिश्चितता की वजह से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन, उभरते सुरक्षा खतरों से यह और गंभीर होगी, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नज़र आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय अपराधों, पर्यावरण क्षरण और कोविड-19 महामारी से खतरे आम चिंताएं हैं क्योंकि इससे पूरे क्षेत्र की विकास और स्थिरता प्रभावित हो रही है।
म्यांमार में राजनीतिक अशांति के बाद, आसियान ने सुलह और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए संवाद की दिशा में ठोस कदम उठाया है। म्यांमार में हिंसा की घटनाओं और हिंसा में वृद्धि की रिपोर्टों को लेकर चिंतित, आसियान ने मौजूदा राजनीतिक संकट के शांतिपूर्ण समाधान और लोगों व उनकी आजीविका पर इसके प्रभाव को कम करने हेतु सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता व्यक्त की। आसियान की स्थापना से ही शांति और सुलह उसकी प्राथमिकता रही है। हालांकि म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ इसने अभी तक जो प्रयास किए हैं, उनमें अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है, बातचीत के लिए माहौल बनाना शायद आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है। पिछले उदाहरणों के विपरीत, संघ म्यांमार के मौजूदा राजनीतिक संकट को आंतरिक मामला नहीं मान रहा है क्योंकि इसका पूरे क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है। 2005 में अपनाये गए आसियान समझौते II में आसियान के साझा हितों को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाले मुद्दों पर परामर्श को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया था। इसके अलावा, आसियान समझौते II में पहली बार संस्थागत मानदंडों और मूल्यों को भी स्पष्ट किया गया, जिसमें अपने सदस्यों से मौलिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण और सामाजिक न्याय का सम्मान करने की बात की गई है। 'पांच सूत्रीय सहमति' आसियान को मौजूदा राजनीतिक संकट का स्थायी हल तलाशने के लिए सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखने हेतु संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है।
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*डॉ. टेम्जेनमेरेन एओ, अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i]“Indonesia”, National Intelligence Estimate (NIE 55-68), US Department of States, December 31, 1968, https://nsarchive2.gwu.edu/NSAEBB/NSAEBB242/1968_NIE-55-68.pdf, Accessed on April 12, 2020.
[ii]“Indonesia”, National Intelligence Estimate (NIE 55-68), US Department of States, December 31, 1968, https://nsarchive2.gwu.edu/NSAEBB/NSAEBB242/1968_NIE-55-68.pdf, Accessed on April 12, 2020.
[iii]Munmun Majumdar, Indonesia: Primus Inter Pares in ASEAN, (Rajat Publications: New Delhi, 2003), p. 8-15.
[iv]Munmun Majumdar, Indonesia: Primus Inter Pares in ASEAN, (Rajat Publications: New Delhi, 2003), p. 8-15.
[v]Munmun Majumdar, Indonesia: Primus Inter Pares in ASEAN, (Rajat Publications: New Delhi, 2003), p. 8-15.
[vi]Joseph ChinyongLiow, Dictionary of the Modern Politics of Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2015), p. 28-30.
[vii]“Chairman’s Statement on the ASEAN Leaders’ Meeting” ASEAN, April 24, 2021, https://asean.org/storage/Chairmans-Statement-on-ALM-Five-Point-Consensus-24-April-2021-FINAL-a-1.pdf, Accessed on May 27, 2021.
[viii]“ASEAN envoys meet Myanmar junta leader to press for dialogue on coup”, Business Standard, June 5, 2021, https://www.business-standard.com/article/international/asean-envoys-meet-myanmar-junta-leader-to-press-for-dialogue-on-coup-121060500099_1.html, Accessed on June 10, 2021.