न्यायपालिका के प्रमुख रह चुके कट्टरवादी नेता इब्राहिम रायसी, जिन्हें ईरान के राष्ट्रपति पद का सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा था, उन्होंने 13वां राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। चुनाव की जिम्मेदारी संभालने वाले ईरान के इंटीरियर मिनिस्ट्री के अनुसार, कुल 59 मिलियन मतदाताओं में से लगभग 28.6 मिलियन ने मतदान किया। रिक्त या शून्य वोटों सहित सभी वोटों के पचास प्रतिशत की न्यूनतम सीमा को पार करते हुए, रायसी ने 17.9 मिलियन से अधिक वोट हासिल किए, जबकि उनके रूढ़िवादी प्रतिद्वंद्वी, पूर्व रिवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसेन रेज़ाई 3.3 मिलियन वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कुछ समय पहले तक सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान के गवर्नर रहे सुधारवादियों से समर्थन प्राप्त अब्दोलनासर हेममती, 2.4 मिलियन वोटों से पीछे रहे।[i] उल्लेखनीय बात यह है कि 3.7 मिलियन रिक्त मतपत्र, जिन्हें उम्मीदवारों के खिलाफ 'विरोध के वोट' के रूप में देखा जा रहा है, रायसी द्वारा हासिल किए गए वोटों के बाद दूसरे स्थान पर हैं और इन वोटों की आधिकारिक घोषणा लोगों के एक विशेष वर्ग के विरोध के डर की वजह से देर से हुई, क्योंकि कहा जा रहा था कि यह संख्या काफी अधिक है और इससे रायसी की जीत अमान्य हो सकती है।[ii]
संरक्षण परिषद का बाहरी प्रभाव
ईरान में, चुनावों की निगरानी संवैधानिक निकाय - गार्जियन काउंसिल यानि संरक्षण परिषद द्वारा की जाती है। 12 सदस्यों वाली इस परिषद में सर्वोच्च नेता द्वारा नियुक्त छह धर्मशास्त्री और मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित सूची से संसद द्वारा अनुमोदित छह न्यायविद शामिल होते हैं, जिन्हें सर्वोच्च नेता द्वारा ही नियुक्त किया जाता है। इसमें पंजीकृत उम्मीदवारों की कई सरकारी एजेंसियों द्वारा ऑडिट और जांच की जाती है, जो परिषद को अपनी रिपोर्ट पेश करती हैं। शुरू से ही, जब से रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों ने चुनाव लड़ने की बात रखी, तभी से संरक्षण परिषद ने साफ कर दिया था कि सैन्य पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति तो है, लेकिन, सैन्य कर्मियों को चुनावों में किसी राजनीतिक गुट या पार्टी का समर्थन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया।[iii] बाद में, परिषद ने 592 उम्मीदवारों में से केवल 7 को ही चुनाव लड़ने के योग्य पाया।[iv] उम्मीद के अनुसार, मंजूर की गई सूची में कट्टरपंथियों का दबदबा था, जबकि केवल दो गैर-रूढ़िवादी नेता ही सूची में शामिल हो सके। पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद, सुधारवादी मुस्तफा ताजजादेह, राष्ट्रपति रूहानी के उपराष्ट्रपति इशाक जहांगीरी और पूर्व संसद अध्यक्ष अली लारीजानी को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
जबकि सुधारवादी नेताओं यानि पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खतामी और महदी करौबी ने राज्य व्यवस्था के गणतंत्रात्मक पहलू को खतरा बताते हुए इन नेताओं को सूचि में न शामिल करने की आलोचना की, हालांकि वे संरक्षण परिषद और चुनावों की संरचना में बदलाव का आह्वान करने वाले एकमात्र आलोचक नहीं थे। लारिजानी और जहांगीरी का अयोग्य करार दिए जाने से उनके प्रभावशाली समर्थकों को हैरानी हुई और उन्होंने विरोध किया। अली लारिजानी के छोटे भाई और रायसी के समक्ष मुख्य न्यायाधीश सादिक लारिजानी ने परिषद के निर्णय पर 'सुरक्षा एजेंसियों' के हस्तक्षेप की शिकायत की।[v] रूहानी, जिन्होंने पहले गृह मंत्रालय से 40 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोककर योग्यता मानदंडों को घटाने की अनदेखी करने की बात कही थी, ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई से परिषद के फैसले से 'प्रतिस्पर्धा की कमी' आने की शिकायत की, जिनके पास हस्तक्षेप करने और अयोग्यता ठहराये गए नामों की समीक्षा करने की शक्ति है। इसके अलावा, पूर्व खुफिया मंत्री हेदर मोस्लेही द्वारा इस बात का खुलासा करने से कि वो 2013 के चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति हाशमी-रफसंजनी को विवादास्पद तरीके से अयोग्य ठहराये जाने के पीछे उनका हाथ था, ने संरक्षण और सुरक्षा तंत्र के बीच संबंधों की बात को और बल दिया।[vi]
विश्लेषकों का कहना है कि परिषद द्वारा इस तरह की समीक्षा, रायसी और अन्य नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा के भ्रम को ही खत्म नहीं करती, बल्कि उत्तराधिकार पूरी प्रक्रिया को भी नियंत्रित करती है।[vii] ईरान में राष्ट्रपति चुनावों का चक्र आठ साल पुराना है, और ऐसी संभावना है कि अगले राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान, ईरान के 82 वर्षीय खमेनेई के उत्तराधिकारी को ढूंढना पड़ेगा। विश्व की प्रमुख शक्तियों के साथ परमाणु मुद्दे पर किसी समझौते पर पहुंचकर ईरान के आर्थिक अलगाव को खत्म करने के उदारवादी रूहानी प्रशासन के एजेंडे की विफलता और इससे मिली निराशा के परिणामस्वरूप परिषद की इस तरह की समीक्षा ने मतदाताओं में उदासीनता को बढ़ाया है। कम संख्या में मतदान होने को रायसी की जीत में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जैसा कि खतामी और रूहानी के चुनावों के दौरान, इसे सरकारी संस्थाओं के खिलाफ वोट माना गया और इसके परिणामस्वरूप सुधारवादी व उदारवादी जीत हुई है।
राष्ट्रपति उम्मीदवारों के बीच बहस
तीन दौर की राष्ट्रपति उम्मीदवारों के बीच बहस के बाद यह सामने आया कि प्रतिबंधों और आंतरिक कुप्रबंधन की वजह से, ईरानी राजनीतिक विचार-विमर्श त्वरित क्रांतिकारी बहस से अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार और मुद्रास्फीति की दुनिया चिंताओं की ओर मुड़ गया है। आर्थिक मुद्दों का उभरना इस बात से स्पष्ट होता है कि अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और सेंट्रल बैंक के गवर्नर अब्दोलनासर हेममती, एकमात्र गैर-रूढ़िवादी नेता थे जो रायसी को चुनौती दे सकते थे। हालांकि चुनाव के दौरान की राजनीतिक गतिविधि की तुलना 2017 के चुनावों पर असर डालने वाले लोकप्रिय उत्साह से नहीं की जा सकती, जिसमें उम्मीदवारों और राजनीतिक समूहों ने रैलियों व सोशल मीडिया, विशेष रूप से क्लबहाउस, लोकप्रिय ऑडियो एप्लिकेशन के ज़रिए मतदाताओं से सीधे जुड़ने की मांग की, जो ईरान में बेहद लोकप्रिय है।
हेममती को भले ही बहुत कम वोट मिले हो, लेकिन बहस के दौरान उन्होंने आर्थिक नीति पर कट्टरपंथियों को घेरा और एसोसिएट प्रेस को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने एक नई बात छेड़ते हुए तर्क दिया कि अमेरिका को परमाणु समझौते पर ईरान को मजबूत संकेत देने की जरूरत थी, और अगर वो निर्वाचित होते तो वह अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलते।[viii] उन्होंने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) में ईरान के परिग्रहण से जुड़े कानूनों को मंजूरी देने के निर्णय में देरी के लिए एक्सपीडिएंसी काउंसिल के सचिव रेजाई की आलोचना की और 'अर्थव्यवस्था के वेनेजुएलाइजेशन' को रोकने का श्रेय खुद को दिया।[ix]
एफएटीएफ पर रेजाई और रायसी बचाव की स्थिति में नज़र आए। रायसी ने पहले इसे 'दुश्मनों' का सम्मेलन कहा, क्योंकि यह ईरान की इस स्थिति को स्वीकार नहीं करता है कि हिज़्बुल्लाह जैसे कुछ समूहों को 'आतंकवादी' के रूप में सूचीबद्ध करना गलत था।[x] रूढ़िवादी विश्वदृष्टि समझौता करने और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ईरान की भागीदारी को व्यावहारिक आर्थिक संदर्भों के बजाय संप्रभुता और संवर्धन के वैचारिक नज़रिए से देखने के लिए तैयार है। रायसी के अभियान में घरेलू नीतियों के महत्व पर बल दिया गया, जैसे उद्योग के लिए परमिट को उदार बनाना और उत्पादन बढ़ाने के लिए करों को कम करना और बेरोजगारी की समस्या से निपटना, 'प्रतिरोध की अर्थव्यवस्था' के सर्वोच्च नेता के दृष्टिकोण को मजबूती देना।[xi] इसलिए, ऐसा लगता है कि रायसी ने खुद को लोकलुभावन और राष्ट्रवादी के रूप में पेश करेंगे, यहां तक कि पड़ोसी देशों और पूर्वी शक्तियों - चीन, रूस और भारत के साथ आर्थिक साझेदारी को गहरा करने पर जोर देना जारी रहेगा।
नरमपंथियों और सुधारवादियों का हाशिए पर जाना
विगत तीन सालों में, ट्रम्प प्रशासन के 'अधिकतम दबाव' अभियान की वजह से, नरम दलवादी रूहानी प्रशासन ने अपनी जमीन खो दी, जबकि रिवोल्यूशनरी गार्ड्स सहित सुरक्षा एजेंसियों की आर्थिक और राजनीतिक प्रोफ़ाइल मजबूत हुई, उन्होंने इस्लामिक गणराज्य के अस्तित्व के लिए वाशिंगटन के 'आर्थिक युद्ध' के खिलाफ लड़ाई और सीरिया में युद्ध के मैदान में और आईएसआईएस के खिलाफ जीत का श्रेय खुद को दिया। अप्रैल[xii] में जवाद ज़रीफ़ के लीक हुए साक्षात्कार के विवाद को रेखांकित करने हेतु, अनिर्वाचित धार्मिक संस्थानों को नियमित रूप से टिप्पणीकारों द्वारा 'रहस्यपूर्ण' राज्य - सर्वोच्च नेता का कार्यालय, आईआरजीसी और संरक्षण परिषद - के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसे निर्वाचित सरकार को नकारते हुए सभी रणनीतिक निर्णय लेने वाले के रूप में देखा जाता है जो केवल उन्हें लागू करते हैं। इसके अलावा, ईरान के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अर्थव्यवस्था को सामान्य बनाने के रूहानी प्रशासन के एजेंडे की विफलता - विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते के प्रमुख लक्ष्य - अमेरिका के परमाणु समझौते से हटने के कारण, कई ईरानी, विशेष रूप से युवाओं में अपने देश की राजनीति के प्रति उदासीनता विकसित हो रही है। ज़रीफ़, जिन्होंने अपनी लोकप्रियता के बावजूद चुनाव न लड़ने का फैसला किया, ने ईरानियों से वोट देने का आह्वान किया, और तर्क दिया कि मतदान न करने से देश के आर्थिक संकट का हल नहीं निकलेगा, बल्कि अधिक संख्या में मतदान से 'देश और विदेश में कट्टरपंथियों' को निराशा मिलेगी।[xiii]
सुधारवादियों और नरमपंथियों के खुद को दरकिनार करने और कट्टर-रूढ़िवादियों के सत्ता में आने से ईरान का राजनीतिक दायरा संकुचित हो गया है। सुधारवादी नेता, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खतामी और महदी करौबी ने दो गैर-कट्टरपंथी उम्मीदवारों - हेममती या खतामी के शासन के दौरान उपराष्ट्रपति रहे मोहसिन मेहरालीज़ादेह में से किसी को भी रूहानी को लेकर उनकी निराशा के कारण समर्थन देने से इंकार कर दिया था, जिन्हें उन्होंने 2013 और 2017 के चुनावों के दौरान अपना समर्थन दिया था। हालांकि, चुनाव से कुछ दिन पहले, खतामी और करौबी दोनों ने लोगों से महरालिज़ादेह के चुनावों से पीछे हटने के बादा हेममती को वोट देने और समर्थन करने का आग्रह किया, क्योंकि तब चार रूढ़िवादी के खिलाफ केवल एक उदारवादी उम्मीदवार चुनाव में था। जबकि ग्रीन मूवमेंट के दूसरे नेता मीर-होसैन मौसवी ने जोर देकर कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा 'मंच-प्रबंधित' चुनावों के संरक्षण परिषद के प्रबंधन का है और इसलिए लोगों को चुनावों का बहिष्कार करना चाहिए या रिक्त वोट डालना चाहिए। इसलिए, चुनाव ने सुधारवादी खेमे के भीतर फैले विभाजन और भ्रम को उजागर कर दिया है।[xiv]
उत्तराधिकार की लड़ाई
इब्राहिम रायसी को खमेनेई का व्यापक समर्थन प्राप्त है। खमेनेई के तहत क़ोम मदरसा में अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद, उन्हें ईरान-इराक युद्ध के बाद राज्य अभियोजक नियुक्त किया गया था और वो उस समिति का हिस्सा थे जिसने मुजाहिदीन-ए-खल्क से जुड़े विरोधियों को फांसी देने का आदेश दिया था, और इसके पश्चात् उन्होंने 2009 में अहमदीनेजाद की विवादास्पद चुनावी जीत के बाद ग्रीन मूवमेंट में भाग लेने वालों को निर्दोष साबित करने में मदद की थी। 2016 में, उन्हें खमेनेई ने सबसे धनी संस्था अस्तान क़ुद्स रज़ावी का संरक्षक नियुक्त किया गया था, जो मशहद और इसके विभिन्न संस्थानों और उद्योगों में इमाम रज़ा मंदिर का प्रबंधन करता है। 2017 के राष्ट्रपति चुनावों में रूहानी से हारने के बाद, उन्हें खमेनेई ने मार्च, 2019 में न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया गया था। न्यायपालिका का प्रमुख बनने से उनका सार्वजनिक महत्व बढ़ा, जिसका उपयोग उन्होंने न्यायपालिका में एक प्रचारित भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का नेतृत्व करके अपनी छवि को बढ़ावा देने हेतु किया। इसके अलावा, रायसी एक्सपीडिएंसी काउंसिल (समीचीनता परिषद) के सदस्य भी हैं, जो संरक्षण परिषद और संसद के बीच मध्यस्थता का काम करती है और वो इस्लामी न्यायविदों का 88 सदस्यीय निकाय के विशेषज्ञों की सभा के निदेशक मंडल का भी हिस्सा हैं, जिसे 8 साल के लिए चुना जाता है और उसपर सर्वोच्च नेता की नियुक्ति व पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी होती है। कई लोगों का तर्क है कि रायसी की मौलवी और सैय्यद - पैगंबर मोहम्मद के वंशजों से जुड़ी उपाधि - के रुप में उनके व्यवस्थित उदय से पता चलता है कि उन्हें अगले सर्वोच्च नेता के रूप में तैयार किया जा रहा है। उनकी वर्तमान जीत से शीर्ष पद के लिए उनकी साख और बढ़ेगी।
इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्ला खुमैनी के पोते और सर्वोच्च नेता के पद के लिए भविष्य के दावेदार के रूप में देखे जाने वाले सैयद हसन खुमैनी, से व्यक्तिगत रूप से खमेनेई ने चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा था। संरक्षण परिषद की अयोग्यता के मद्देनजर, खमेनेई ने तर्क दिया कि "यदि मैं चुनाव लड़ने की मंजूरी मिलने वाले उम्मीदवारों के स्थान पर होता, तो मैं पीछे हट जाता" और 'संकुचित व अप्रभावी सोच' मानते हुए उनके इस निर्णय की निंदा की।[xv] खमेनेई उस वक्त कट्टरपंथियों का निशान बन गए थे जब वो 2009 में अहमदीनेजाद के विवादास्पद पुन: चुनाव का समर्थन करने के लिए सामने नहीं आये थे।[xvi] 2016 में, 46 वर्षीय, खमेनेई को विशेषज्ञों की सभा ने चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। खमेनेई, जो इमाम खुमैनी मकबरे और होज्जातोलसलाम के संरक्षक हैं, जो मध्यम स्तर के मौलवी हैं, ने राजनीति में बढ़ती 'सैन्य भागीदारी' की आलोचना करते हुए अपने दादा की वैचारिक विरासत का जिक्र किया।[xvii] कहा जाता है कि उनपर सुधारवादी गुट, नरमपंथी और मध्यमार्गी रूढ़िवादी भरोसा करते हैं और इसलिए, वो उत्तराधिकार को लेकर ईरान के शक्ति संघर्ष में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।[xviii]
रायसी की जीत के साथ, रूढ़िवादी-कट्टरपंथी सत्ता के सभी महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो गए हैं और वो ईरान के इस्लामी गणराज्य में जारी पीढ़ीगत बदलाव में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालाँकि, ईरान का जटिल राजनीतिक व्यवस्था और समाज की अस्थिर गतिशीलता हमेशा से हैरान करने वाली रही है।
*****
* डॉ. दीपिका सारस्वत, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i]Iran’s Interior Minister Announces Final Results of the Election, MENAFN, 19 June, 2021, https://menafn.com/1102308541/Irans-Interior-Minister-announces-final-results-of-elections&source=28 (Accessed on 20 June, 2021)
[ii]Iran’s Interior Minister Announces Final Results of the Election, MENAFN, 19 June, 2021, https://menafn.com/1102308541/Irans-Interior-Minister-announces-final-results-of-elections&source=28 (Accessed on 20 June, 2021)
[iii]Iran’s Interior Minister Announces Final Results of the Election, MENAFN, 19 June, 2021, https://menafn.com/1102308541/Irans-Interior-Minister-announces-final-results-of-elections&source=28 (Accessed on 20 June, 2021)
[iv]Iran’s Interior Minister Announces Final Results of the Election, MENAFN, 19 June, 2021, https://menafn.com/1102308541/Irans-Interior-Minister-announces-final-results-of-elections&source=28 (Accessed on 20 June, 2021)
[v] Iran’s Rouhani Complains to Supreme Leader over Disqualification of Presidential Candidates, Caspian News, 26 May, 2021, https://caspiannews.com/news-detail/irans-rouhani-complains-to-supreme-leader-over-disqualification-of-presidential-candidates-2021-5-26-0/(Accessed on 20 June, 2021)
[vi] Iran’s Rouhani Complains to Supreme Leader over Disqualification of Presidential Candidates, Caspian News, 26 May, 2021, https://caspiannews.com/news-detail/irans-rouhani-complains-to-supreme-leader-over-disqualification-of-presidential-candidates-2021-5-26-0/(Accessed on 20 June, 2021)
[vii]Iran’s Presidential Elections and its Future Foreign and Domestic Policies, Quincy Institute for Responsible Statecraft, 26 May, 2021, https://www.youtube.com/watch?v=K8683zsEqko&ab_channel=QuincyInstituteforResponsibleStatecraft(Accessed on 20 June, 2021)
[viii]Mehdi Faatahi, Iran Candidate says he is willing to potentially meet Biden, Associate Press, 9 June, 2021, https://apnews.com/article/only-on-ap-donald-trump-middle-east-iran-election-2020-2178a146cea6c53b2101a40525e2612e(Accessed on 20 June, 2021)
[ix]Mehdi Faatahi, Iran Candidate says he is willing to potentially meet Biden, Associate Press, 9 June, 2021, https://apnews.com/article/only-on-ap-donald-trump-middle-east-iran-election-2020-2178a146cea6c53b2101a40525e2612e(Accessed on 20 June, 2021)
[x]Financial ‘noose’ of FATF Divides Iran Presidential Candidates, Iran International, 6 June, 2021, https://iranintl.com/en/world/financial-%E2%80%98noose%E2%80%99-fatf-divides-iran-presidential-candidates(Accessed on 20 June, 2021)
[xi]Financial ‘noose’ of FATF Divides Iran Presidential Candidates, Iran International, 6 June, 2021, https://iranintl.com/en/world/financial-%E2%80%98noose%E2%80%99-fatf-divides-iran-presidential-candidates(Accessed on 20 June, 2021)
[xii] In Leaked recording, Iran’s Zarif criticized Guard’s influence in diplomacy, Reuters, 26 April, 2021, https://www.reuters.com/world/middle-east/leaked-recording-irans-zarif-criticises-guards-influence-diplomacy-2021-04-26/ (Accessed on 8 July, 2021)
[xiii] In Leaked recording, Iran’s Zarif criticized Guard’s influence in diplomacy, Reuters, 26 April, 2021, https://www.reuters.com/world/middle-east/leaked-recording-irans-zarif-criticises-guards-influence-diplomacy-2021-04-26/ (Accessed on 8 July, 2021)
[xiv] Some Reformists Break Ranks, Endorse Hemmati for Presidential Vote, Iran International, 15 June, 2021, https://iranintl.com/en/iran/some-reformists-break-ranks-endorse-hemmati-iran-presidential-vote(Accessed on 19 June, 2021)
[xv] Khomeini’s Grand Son Slams Rejection of Key Presidential Candidates in Iran, Iran International, 26 May, 2021, https://iranintl.com/en/iran-in-brief/khomeinis-grandson-slams-rejection-key-presidential-candidates-iran(Accessed on 19 June, 2021)
[xvi] Khomeini’s Grand Son Slams Rejection of Key Presidential Candidates in Iran, Iran International, 26 May, 2021, https://iranintl.com/en/iran-in-brief/khomeinis-grandson-slams-rejection-key-presidential-candidates-iran(Accessed on 19 June, 2021)
[xvii] The Second Coming of Khomeini, Foreign Policy, 30 December, 2015, https://foreignpolicy.com/2015/12/30/the-second-coming-of-khomeini/(Accessed on 20 June, 2021)
[xviii] The Second Coming of Khomeini, Foreign Policy, 30 December, 2015, https://foreignpolicy.com/2015/12/30/the-second-coming-of-khomeini/(Accessed on 20 June, 2021)