मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मालदीव की संसद के वर्तमान अध्यक्ष, मोहम्मद नशीद 6 मई 2021 को माले में अपने घर के पास हुए एक कथित आतंकी हमले में घायल हो गए थे। भारत सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की। 2008 के बाद से मालदीव में आये लोकतांत्रिक बदलाव के अगुवा रहे नशीद लोकतंत्र के समर्थन रहे हैं, और अपने दो दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में निर्वासन, आतंकवाद के आरोप और जेल की सजा का सामना किया है। 9 मई 2021 को मालदीव पुलिस ने हमले के तीन संदिग्ध आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन अभी तक किसी भी कट्टरपंथी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।[1] इसी बीच, 13 मई 2021 को नशीद को इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया। मालदीव सरकार ने मानवाधिकार अध्येता श्री अब्बास फैज को विशेष दूत नियुक्त किया है, जो हमले की जांच और इसमें शामिल लोगों की पहचाने करने में सरकार की सहायता करेंगे। इस हमले से एक बार फिर कट्टरपंथी इस्लाम और किसी भी तरह के सुधार के खिलाफ प्रतिरोध जैसे मुद्दे एक बार फिर से सामने आ गये हैं, जिनका सामना मालदीव वर्तमान में कर रहा है। इसलिए मालदीव की संसद के अध्यक्ष पर इस तरह का हमला एक संदेश है कि, कट्टरपंथी इस्लाम का किसी भी तरह का विरोध और राज्य की मौजूदा संस्थाओं की यथास्थिति को बदलने का प्रयास, जिससे न्यायपालिका और सेना जैसी सेवाओं में राजनेताओं, कट्टरपंथी तत्वों और अन्य लोगों की मिलीभगत को नुकसान पहुंच सकता है, मान्य नहीं है।
लोकतंत्र के लिए दूसरा अवसर: कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव
2018 के राष्ट्रपति चुनावों के साथ-साथ 2019 के संसदीय चुनावों में मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) की जीत ने देश के युवाओं में सुरक्षा, भ्रष्टाचार, राजनीतिक पारदर्शिता तथा कट्टरता के मुद्दों के हल होने की उम्मीद को फिर से जगा दिया। पूर्व राष्ट्रपति एम. अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व वाली प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) सरकार (2013-2018) को हराने के लिए ज्यादातर विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति सोलिह और नशीद के नेतृत्व में एमडीपी का समर्थन किया।
पिछली सरकार में मालदीव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई हमले हुए। लेखकों, पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं पर हमले हुए और उनमें से कुछ लापता भी हो गए। 2017 में एक कट्टरपंथी इस्लामी समूह द्वारा ब्लॉगर यामीन रशीद की हत्या, इस बात का एक उदाहरण थी कि देश में उदारवाद की आवाज़ उठाने वाले लोगों को कैसे चुप कराया जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए, राष्ट्रपति सोलिह ने लगभग 27 मामलों की जांच हेतु नवंबर 2018 में "एन्फॉर्स्ट डिसपिरन्स एंड डेथ पर राष्ट्रपति आयोग" नियुक्त किया।[2] सितंबर 2019 में, आयोग ने खुलासा किया कि 8 अगस्त 2014 से लापता हुए पत्रकार अहमद रिलवान अब्दुल्ला को एक इस्लामिक चरमपंथी समूह द्वारा मार दिया गया है और उनकी हत्या की वजह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'इस्लामिक चरमपंथियों और उदारवादियों के बीच का विवाद' है।[3] आयोग ने इस्लामी चरमपंथी समूहों, वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायाधीशों के बीच गठजोड़ का भी खुलासा किया, जिन्होंने यामीन सरकार के दौरान जांच में बाधा डालने का काम किया था।[4] रिपोर्ट में मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अब्दुल्ला अदीद के लापता लोगों के मामलों की जांच को प्रभावित करने में भूमिका का विशेष रूप से जिक्र किया गया है। वह इस समय मनी लॉन्ड्रिंग मामले से कथित तौर पर जुड़े होने के आरोप में जेल में है। नशीद ने अक्सर अल कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) की वजह से कट्टरपंथी इस्लाम द्वारा उत्पन्न हुए खतरों के खिलाफ उठाई है। 4 सितंबर, 2019 को माले में आयोजित हिंद महासागर सम्मेलन में, उन्होंने कहा, "अल कायदा और आईएसआईएस मालदीव के भीतर अपनी स्थिति मजबुत कर रहे हैं और सुरक्षा संस्थानों - पुलिस, सेना, आव्रजन में, शिक्षा मंत्रालय में रणनीतिक पदों पर कब्जा कर रहे हैं...ताकि वो पूरे राज्य को प्रभावित कर सकें।"[5]
उनका यह बयान मालदीव में वर्तमान राजनीतिक तथा सुरक्षा स्थिति को दर्शाता है और साथ ही यह भी साफ करता है कि इस गठजोड़ को खत्म करने में अभी लंबा समय लगेगा। हाल के सालों में हुई कुछ घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं। उदाहरण के लिए, जनवरी 2019 में, उत्तरी मालदीव में व्यभिचार के आरोप में एक महिला को पत्थर मारकर मौत की सजा सुनाई गई और इस फैसले का धर्म के आधार पर बचाव किया गया। सोशल मीडिया पर इस तरह की सजा के खिलाफ बोलने वाले लोगों को इस्लामिक समूहों की ओर से धमकी दी थी।[6] ऐसी खबरें हैं कि चरमपंथी समूहों ने महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (सीईडीएडब्ल्यू) को इस्लाम विरोधी बनाए रखने की मालदीव की प्रतिबद्धता पर उथेमा जैसे महिला समूहों को उनकी रिपोर्ट की वजह से धमकी दी है।
वर्तमान सरकार ने इस मुद्दे को हल करने हेतु "आतंकवाद की रोकथाम अधिनियम" में संशोधन जैसे कुछ उपाय किए हैं। 2019 में पेश किए गए इस अधिनियम में संशोधन से, 'धार्मिक व राजनीतिक उग्रवाद और कट्टरपंथ को आतंकवादी कृत्य' माना जायेगा।[7] हालांकि, संशोधन के कुछ हिस्से की सत्तारूढ़ पार्टी एमडीपी के सांसदों के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भी आलोचना की थी। यामीन के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने सरकार पर 'धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को बढ़ावा' देने के लिए धार्मिक विद्वानों और प्रचारकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।[8] दूसरी ओर एमडीपी सांसदों ने बिना वारंट के निजी संपत्ति की तलाशी लेने और लोगों को गिरफ्तार करने की पुलिस को दी गई शक्तियों की वजह से इस संशोधन पर सवाल उठाया है।
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की "काउंटी रिपोर्ट ऑन टेररिज्म" के अनुसार, 1 जनवरी 2014 से 31 अक्टूबर 2019 के बीच, धार्मिक कट्टरवार के लगभग 188 मामले सामने आये थे। मालदीव में लगभग 1,400 "धार्मिक चरमपंथी" मौजूद हैं।[9] अक्टूबर 2019 में, मालदीव पुलिस ने आईएसआईएस-के के मोहम्मद अमीन को "चरमपंथी विचारधारा को फैलाने" और सीरिया, अफगानिस्तान तथा मालदीव के लोगों को आईएसआईएस में भर्ती करने के संदेह पर गिरफ्तार किया।[10] राष्ट्रीय सुरक्षा पर बनी संसदीय समिति की सिफारिशों के अनुसार सरकार ने सत्रह संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया।[11] इनमें से कुछ संगठन आईएस, अल कायदा, जबात अल-नुसरा, लश्कर-ए-तैयबा, अरब प्रायद्वीप में अल कायदा (एक्यूएपी), इस्लामिक मगरेब में अल कायदा (एक्यूआईएम) और भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस) हैं। इस अधिनियम के तहत इन संगठनों में किसी तरह की भागीदारी और समर्थन को भी अपराध घोषित कर दिया गया। चरमपंथी समूहों ने सरकार की इस कार्रवाई पर जवाबी प्रतिक्रिया दी। अप्रैल 2020 में, महिबाधू द्वीप के बंदरगाह पर खड़ी कई नावों को आग लगा दी गई और फरवरी 2020 में हुलहुमले में तीन विदेशी नागरिकों की चाकू मार हत्या कर दी गई।[12]
राज्य की संस्थाओं में सुधार: एक बड़ी चुनौती
नशीद पर हमला न केवल कट्टरपंथी इस्लाम पर उनके विचारों की वजह से हुआ, बल्कि प्रणालीगत भ्रष्टाचार पर उनके विचारों की वजह से भी।[13] 6 मई 2021 को, हमले के दिन, करप्शन एंड एसेट्स रिकवरी कमीशन ने मालदीव मार्केटिंग एंड पब्लिक रिलेशंस कॉरपोरेशन (एमएमपीआरसी) से पैसा लेने वाले लोगों की सूची संसद को भेजी थी, जिसमें 3.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर के घोटाले का जिक्र था। रिपोर्ट के अनुसार, इस सूची में सुरक्षा बलों, न्यायपालिका, स्वतंत्र आयोगों में सेवारत कर्मियों, व मंत्रियों तथा सांसदों सहित कुल 281 लोगों के नाम लिखे हुए हैं। संसद के अध्यक्ष नशीद ने संसद को बताया कि "वह सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले की पूरी जांच हो, भले ही इसमें कुछ सांसदों और मंत्रियों का नाम भी शामिल है।"[14] यह सूची 13 मई 2021 को जारी की गई थी और इसमें एमडीपी संसदीय समूह और मेधु हेनवेरु निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि अली अजीम, केंदीकुलहुधू निर्वाचन क्षेत्र के सांसद अहमद इसा और माराधू निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि इब्राहिम शरीफ जैसे एमडीपी के प्रमुख नेताओं का नाम है।[15] एमडीपी नहीं चाहती है कि 29 मई 2021 को होने वाले पार्टी के आगामी राष्ट्रीय परिषद चुनावों से पहले उसके सदस्यों का नाम एंटी-करप्शन कमीशन के साथ-साथ एन्फॉर्स्ट डिसपिरन्स एंड डेथ पर राष्ट्रपति आयोग में आये।[16]
नशीद वर्तमान राष्ट्रपति प्रणाली को संसदीय प्रणाली में बदलने के समर्थक रहे हैं, जिसको लेकर उनका मानना है कि शांति और व्यवस्था के लिए ऐसा करना बेहतर है।[17] व्यवस्था में इस बदलाव से नशीद को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा। हालांकि, एमडीपी में व्यवस्था में बदलाव को लेकर मतभेद हैं और नशीद की इस बात से एमडीपी के ज्यादातर सांसद सहमत नहीं हैं।[18] वर्तमान राष्ट्रपति प्रणाली का चुनाव लोगों द्वारा 2007 में किए गये एक जनमत संग्रह से किया गया था। इसलिए, उनका मानना है कि 2023 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ऐसा बदलाव केवल जनमत संग्रह से ही किया जा सकता है। व्यवस्था में बदलाव के लिए अधिकारों का विभाजन भी जरुरी है जिससे एटोल को संसाधनों के इस्तेमाल की शक्ति मिल सकती है और निर्णय लेने का अधिकार राजधानी माले से छिन सकता है। वर्तमान राजनीतिक स्थिति में, नेता हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी भौगोलिक तथा रणनीतिक स्थिति को देखते हुए द्वीपों को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए तैयार नहीं हैं। मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति ने गठबंधन के माध्यम से चुनाव जीता, जिसमें अदालत पार्टी और जुम्हूरी पार्टी जैसी इस्लामिक पार्टी शामिल थी। इन राजनीतिक दलों के नेताओं को सरकार में मंत्री बनाया गया है। "इंडिया फर्स्ट पॉलिसी" के पक्षधर रहे नशीद मालदीव में चीन के निवेश को लेकर भी मुखर रहे हैं और उन्होंने कर्ज की समस्या को हल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में चीन की वित्त पोषित परियोजनाओं पर फिर से बातचीत करने की वकालत की है। मालदीव पर चीन का करीब 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है।[19] मालदीव सरकार को अभी इस पर फैसला करना है। इसलिए, किसी भी सुधार के लिए पार्टियों के भीतर और उनके बीच के मतभेद को दूर करना एक बड़ी चुनौती है। इसका एक उदाहरण वर्तमान सरकार द्वारा चुनावों के दौरान किए गए वादे के अनुसार कठोर 2016 मानहानि अधिनियम को निरस्त करना है। इस अधिनियम ने राज्य को "इस्लाम के किसी भी सिद्धांत" के खिलाफ किसी भी टिप्पणी या "मानहानिकारक" भाषा के साथ-साथ ऐसी टिप्पणी जिससे "राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा" हो या ऐसी टिप्पणी जो "सामान्य सामाजिक मानदंडों के विपरीत" हो, उसे अपराधा मानने का अधिकार दिया है।[20] लेकिन 2019 में वर्तमान सरकार ने यामीन के कार्यकाल के दौरान मानवाधिकारों की सुरक्षा एवं राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए अभियान चलाने वाले मालदीव डेमोक्रेसी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगा दिया।
निष्कर्ष
मालदीव को 2018 में लोकतांत्रिक एकीकरण का दूसरा मौका मिला, लेकिन मालदीव में होने वाली ये घटनाएं, ज्यादातर समय सत्तावादी शासन के अधीन रहे इस राज्य में लोकतांत्रिक संक्रमण की जटिलताओं को दर्शाती हैं। 2008 में हुए पहले बहुदलीय चुनावों ने राज्य के संस्थानों को पारदर्शी लोकतंत्र की ओर ले जाने की एक उम्मीद दी। लेकिन यह उम्मीद ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। राष्ट्रपति नशीद के नेतृत्व वाली पहली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार विपक्ष के विरोध की वजह से साल 2012 में गिर गई। यामीन की अगुवाई में पीपीएम के नेतृत्व वाली सरकार ने 2008 में लोकतांत्रिक बदलाव को शुरुआत में ही खत्म कर दिया। इस दौरान विरोध की कमी, नीतिगत फैसलों में पारदर्शिता की कमी, भ्रष्टाचार व कट्टरता देखी गई। सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की असहमति और राज्य संस्थानों में सुधार की बात को "इस्लाम विरोधी" कहा गया। विपक्ष के नेताओं को आतंकवाद के आरोप में जेल में डाल दिया गया, जिसमें नशीद भी शामिल थे। नागरिक समाज और विरोध को बेरहमी से दबाने का काम किया गया। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई।
मालदीव में लोकतंत्र को मजबूत करने का दूसरा मौका तब तक नहीं मिलेगा, जब तक कि राजनीतिक दल और नागरिक समाज राज्य के सुधार में आने वाली बाधाओं और युवाओं के बीच बढ़ते कट्टरपंथ की समस्या को हल करने हेतु एकजुट और समावेशी दृष्टिकोण नहीं अपनाते हैं। 15-24 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुषों (36%) और महिलाओं (34%) के बीच नशीली दवाओं का उपयोग बहुत प्रचलित है।[21] इसलिए मालदीव सरकार को ऐसी कमजोरियों पर भी काम करना होगा। सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन की हिस्सेदारी 59% है और मालदीव राजनीतिक व सुरक्षा अस्थिरता की वजह से इसमें कमी होने का जोखिम नहीं उठा सकता। अर्थव्यवस्था और रोजगार पर कोविड-19 के प्रभाव की वजह से कट्टरता के मामले बढ़ सकते हैं। नशीद पर हुआ यह हमला मालदीव पर कट्टर धार्मिक तत्वों की पकड़ का सबुत है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को एमडीपी के नेतृत्व वाली सरकार के विकास के एजेंडे को अपनाना होगा, जिसका जिक्र इसकी रणनीतिक कार्य योजना (2019-2023) में किया गया है। इस रणनीतिक योजना में नीली अर्थव्यवस्था का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, लघु व मध्यम उद्यम तथा परिवार कल्याण जैसे कई मुद्दे शामिल हैं।[22] इस योजना में उदार इस्लाम को बढ़ावा देने के साथ-साथ युवाओं के बीच नशीली दवाओं/नशीले पदार्थों के इस्तेमाल को नियंत्रित करने की बात भी कही गई है।
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*डॉ. संजीव कुमार, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[1] The Edition, “Police arrest main suspect in May 6 terror attack”, 9th May 2021, https://edition.mv/news/22525. Accessed on 19 May 2021.
[2] The President’s Office, Republic of Maldives, Press Release, “Commission on Deaths and Disappearances discloses details of probe into Rilwan’s Case”, 1 September 2019, https://presidency.gov.mv/Press/Article/22015?term=0. Accessed on May 8, 2021.
[3] The President’s Office, Republic of Maldives, Press Release, “Commission on Deaths and Disappearances discloses details of probe into Rilwan’s Case”, 1 September 2019, https://presidency.gov.mv/Press/Article/22015?term=0. Accessed on May 8, 2021.
[4] The President’s Office, Republic of Maldives, Press Release, “Commission on Deaths and Disappearances discloses details of probe into Rilwan’s Case”, 1 September 2019, https://presidency.gov.mv/Press/Article/22015?term=0. Accessed on May 8, 2021.
[5] The President’s Office, Republic of Maldives, Press Release, “Commission on Deaths and Disappearances discloses details of probe into Rilwan’s Case”, 1 September 2019, https://presidency.gov.mv/Press/Article/22015?term=0. Accessed on May 8, 2021.
[6] Meenakshi Ganguly, “Expressing Religious Views is Risky in the Maldives”, Human Rights Watch, 28 January 2019, https://www.hrw.org/news/2019/01/28/expressing-religious-views-risky-maldives. Accessed on May 11, 2021.
[7] Meenakshi Ganguly, “Expressing Religious Views is Risky in the Maldives”, Human Rights Watch, 28 January 2019, https://www.hrw.org/news/2019/01/28/expressing-religious-views-risky-maldives. Accessed on May 11, 2021.
[8] Meenakshi Ganguly, “Expressing Religious Views is Risky in the Maldives”, Human Rights Watch, 28 January 2019, https://www.hrw.org/news/2019/01/28/expressing-religious-views-risky-maldives. Accessed on May 11, 2021.
[9] The US Department of State, “Country Reports on Terrorism 2019: Maldives”, https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/maldives. Accessed on May 12, 2021.
[10] The US Department of State, “Country Reports on Terrorism 2019: Maldives”, https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/maldives. Accessed on May 12, 2021.
[11] The US Department of State, “Country Reports on Terrorism 2019: Maldives”, https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/maldives. Accessed on May 12, 2021.
[12] The US Department of State, “Country Reports on Terrorism 2019: Maldives”, https://www.state.gov/reports/country-reports-on-terrorism-2019/maldives. Accessed on May 12, 2021.
[13] Patricia Gossman, “Attack on Ex-Maldives’ President Shows Cost of Impunity”, Human Rights Watch, 10 May 2021, https://www.hrw.org/news/2021/05/10/attack-ex-maldives-president-shows-cost-impunity. Accessed on May 13, 2021.
[14] Patricia Gossman, “Attack on Ex-Maldives’ President Shows Cost of Impunity”, Human Rights Watch, 10 May 2021, https://www.hrw.org/news/2021/05/10/attack-ex-maldives-president-shows-cost-impunity. Accessed on May 13, 2021.
[15] Patricia Gossman, “Attack on Ex-Maldives’ President Shows Cost of Impunity”, Human Rights Watch, 10 May 2021, https://www.hrw.org/news/2021/05/10/attack-ex-maldives-president-shows-cost-impunity. Accessed on May 13, 2021.
[16] Patricia Gossman, “Attack on Ex-Maldives’ President Shows Cost of Impunity”, Human Rights Watch, 10 May 2021, https://www.hrw.org/news/2021/05/10/attack-ex-maldives-president-shows-cost-impunity. Accessed on May 13, 2021.
[17] Fathmath Shaahunaz, “Speaker Nasheed reiterates support for parliamentary system in Maldives”, The Edition, 8 December 2019, https://edition.mv/news/13831. Accessed on May 8, 2021.
[18] Fathmath Shaahunaz, “Speaker Nasheed reiterates support for parliamentary system in Maldives”, The Edition, 8 December 2019, https://edition.mv/news/13831. Accessed on May 8, 2021.
[19] The Outlook, “China, Maldives clash over mounting Chinese debt as India warms up to Male”, 8 July 2019, https://www.outlookindia.com/newsscroll/china-maldives-clash-over-mounting-chinese-debt-as-india-warms-up-to-male/1570534. Accessed on May 13, 2021.
[20] International Federation of Journalists, “ Maldives approves defamation law curtailing press freedom”, 10 August 2016, https://www.ifj.org/media-centre/news/detail/category/press-releases/article/maldives-approves-defamation-law-curtailing-press-freedom.html. Accessed on May 21, 2021.
[21] Government of Maldives, President’s Office, “Strategic Action Plan (2019-2023)”, https://storage.googleapis.com/presidency.gov.mv/Documents/SAP2019-2023.pdf. Accessed on May 14, 2021.
[22] Government of Maldives, President’s Office, “Strategic Action Plan (2019-2023)”, https://storage.googleapis.com/presidency.gov.mv/Documents/SAP2019-2023.pdf. Accessed on May 14, 2021.