संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सहयोग से अफगानिस्तान और फिनलैंड की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अफगानिस्तान के लिए मंत्रिस्तरीय शपथ-ग्रहण सम्मेलन 23-24 नवंबर 2020 को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय कार्यालय में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य अफगान सरकार के प्रति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना था ताकि अगले चार वर्षों के लिए साझा विकासात्मक उद्देश्यों को निर्धारित किया जा सके। महामारी की गंभीर स्थिति और शहर में चल रही तालाबंदी के कारण, "2020 अफगानिस्तान सम्मेलन" लगभग 70 देशों और 32 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ आभासी तौर पर आयोजित किया गया, जिन्होंने सर्वसम्मति से अफगानिस्तान में युद्ध की समाप्ति और स्थायी शांति, स्थिरता और समृद्धि का आह्वान किया। विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमर ने अफगान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और उनके साथ अफगानिस्तान के वित्त मंत्री अब्दुल हादी अरगंदीवाल भी थे। उन्होंने फिनलैंड के अपने समकक्ष मंत्रियों और महासचिव के विशेष प्रतिनिधि तथा संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान सहायता मिशन (यूएनएएमए), डेबोरा लियोंस के प्रमुख के साथ इसकी सह-अध्यक्षता की।
सम्मेलन के माध्यम से, अफगानिस्तान ने वर्ष 2021 और 2024 के बीच निर्णायक अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से अफगानिस्तान के प्रति समर्थन और प्रतिबद्धता की एक मजबूत पुन:पुष्टि का अवलोकन किया। वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले गंभीर वित्तीय तनाव को ध्यान में रखते हुए, अफगानिस्तान के लिए उनके निरंतर समर्थन के भाग के रूप में वैश्विक समुदाय द्वारा व्यक्त की गई 13 बिलियन डॉलर से अधिक की वचनबद्धता को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा सकता है। प्रारंभ में, दाताओं ने आगामी चार वर्षों के पहले वर्ष के लिए लगभग 3.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करने का वचन दिया, जिसके साथ वार्षिक प्रतिबद्धताएं वर्ष-दर-वर्ष उसी स्तर पर रहने की आशा की जाती थीं।[i] प्रत्येक चार वर्षों में, अफगानिस्तान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय साथ आता रहा है और इस वर्ष प्रतिज्ञाएं इसीलिए की गईं क्योंकि इस देश ने अपने परिवर्तनकारी दशक के अंतिम चार-वर्षीय चक्र में प्रवेश किया था। भारत में अफगानिस्तान के इस्लामिक रिपब्लिक के चार्ज डी’अफेयर्स ताहिर कादिरी के अनुसार, "यह इस बात का भी द्योतक है कि अफगानिस्तान द्वारा सामना की गईं अनेकानेक बाधाओं के बावजूद, उसने सफलतापूर्वक वैश्विक सहमति बनाई है।’’[ii] इसी तरह के सम्मेलन 2012 और 2016 में क्रमशः ब्रुसेल्स और टोक्यो में आयोजित किए गए थे।
यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय दाताओं ने देश में स्थायी शांति स्थापित करने की आवश्यकता को दोहराया है और देश के लिए नागरिक सहायता के रूप में अरबों डॉलर देने का वचन दिया है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से इंगित किया गया कि अंतर्राष्ट्रीय सहायता एक कोरा चेक मात्र नहीं है, जिसे सशर्त स्थितियों के बिना भुनाया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और जर्मनी जैसे देशों ने काबुल और तालिबान के बीच चलने वाली शांति वार्ता में प्रगति होने तक आगामी वित्त-पोषण पर कड़ी शर्तें लगाईं। सम्मेलन को आभासी तौर पर संबोधित करते हुए, यूएस अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर पॉलिटिकल अफेयर्स डेविड हेल ने कहा, "हम आज 300 मिलियन डॉलर की प्रतिज्ञा करके प्रसन्न हैं....लेकिन शेष 300 मिलियन डॉलर तभी उपलब्ध कराए जाएंगे जब हम शांति प्रक्रिया में प्रगति की समीक्षा कर लेंगे।"[iii]अमेरिका अफगानिस्तान के लिए अग्रणी दाताओं में से एक है, जिसने हाल के वर्षों में नागरिक सहायता के रूप में लगभग 800 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है। एक अन्य महत्वपूर्ण दाता जर्मनी ने 2021 में 430 मिलियन यूरो (511 मिलियन डॉलर) की प्रतिज्ञा करते हुए संकेत दिया कि यह वर्ष 2024 तक योगदान देता रहेगा, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया कि युद्ध के लगभग दो दशकों को समाप्त करने की दिशा में प्रगति करना भी अनिवार्य है। दूसरी ओर, यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने केवल एक वर्ष तक ही सहायता प्रदान करने की घोषणा की। अफगानिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों ने अफगानिस्तान राष्ट्रीय शांति और विकास ढांचे के दूसरे संस्करण का स्वागत किया जिसमें अगले पांच वर्षों के लिए काबुल की दृष्टि, रणनीति और योजना को स्पष्ट किया गया था।[iv] देश में प्रगति की समीक्षा के लिए 2021 में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक और 2022 में द्विवार्षिक बैठक आयोजित की जाएगी।
2020 अफगानिस्तान सम्मेलन में भारत की प्रतिबद्धता
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और उन्होंने अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दोहराया। भारत ने शहतूत बांध के निर्माण के लिए 286 मिलियन यूएस डॉलर प्रदान करने का वादा किया, जो 2 मिलियन काबुल निवासियों को पीने का सुरक्षित जल प्रदान करेगा तथा 150 उच्च-प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए और 80 मिलियन डॉलर (592 करोड़ रुपये) देने का वायदा किया।[v] अब तक, अफगानिस्तान को प्रदान की गई भारत की कुल सहायता 3 बिलियन डॉलर है, जो देश में आर्थिक और सामाजिक कार्यकलापों के सभी क्षेत्रों को कवर करती है। अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में कुल 400 से अधिक परियोजनाएँ क्रियान्वित की गई हैं। अफगानिस्तान के विकास में योगदान देने में, भारत ने परियोजना श्रमिकों के रूप में बहुत से श्रमिक खो दिए हैं, जो आतंकवाद के विभिन्न रूपों के शिकार हुए हैं, लेकिन इसकी परवाह किए बिना इन परियोजनाओं की जारी रखा गया है। अफगानिस्तान को कोविड-19 चुनौती का सामना करने में मदद करने के लिए, भारत ने चाबहार के ईरानी बंदरगाह के माध्यम से 75,000 मीट्रिक टन गेहूं, जीवन रक्षक दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की है।[vi] भारत ने आगे रणनीतिक साझेदारी समझौते के तहत देश में मौजूदा कार्यक्रमों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना जारी रखे जाने की घोषणा की है, जिसमें भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा अफगान छात्रों को दी जाने वाली वार्षिक छात्रवृत्ति भी शामिल है। पिछले एक दशक में ही, 65,000 से अधिक अफगान छात्रों ने भारत में अध्ययन किया है।[vii] इस तरह की पहलों से अफगानिस्तान में भारतीय उपस्थिति में वृद्धि करने तथा शांति के लिए घरेलू अफगान स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना व्यक्त की जाती है। अपने संबोधन में, विदेश मंत्री ने भारत में चल रही शांति वार्ताओं के बारे में भारत की चिंता भी व्यक्त की तथा पिछले बीस वर्षों के लाभों को संरक्षित करने और देश में अल्पसंख्यकों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के हितों का संरक्षण करने पर जोर दिया।
निष्कर्ष के तौर पर, यह कहा जा सकता है कि 2020 अफगानिस्तान प्रतिज्ञा सम्मेलन न केवल अफगानिस्तान के लिए बल्कि बड़े पैमाने पर दुनिया के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय पर किया गया। ऐसे समय में, जब दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाएं विश्व अर्थव्यवस्था को कारित की गई क्षति के कारण हिल गई हैं और कोविड-19 द्वारा उत्पन्न तबाही से निपटने के लिए घरेलू स्तर पर संघर्ष कर रही हैं, अफगानिस्तान के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता निसंदेह ही उल्लेखनीय है। अफगान सरकार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता पर अत्यधिक निर्भर है, जो सरकार के बजट के लगभग 75 प्रतिशत भाग का वित्त-पोषण करती है और साथ ही जिसमें राष्ट्रीय आय का एक महत्वपूर्ण भाग शामिल होता है - एक ऐसी निर्भरता जो महामारी के कारण और भी अधिक हो गई थी। सरकार के राजस्व में गिरावट ने वर्ष 2020 के दौरान 800 मिलियन डॉलर से अधिक का बजट घाटा हुआ है तथा इसके अलावा, देश में भारी संरचनात्मक बजट अभाव और उच्च गरीबी दर पैदा हो गई है, जो अब गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी के अनुमानित दो-तिहाई से आधे से अधिक हो गई है।[viii] यह स्थिति, अगले साल ऐसे समय में विदेशी बलों की संभावित पूर्ण वापसी के साथ, जब देश में विद्रोही हमले और हिंसा का स्तर एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा देश के प्रति समर्थन दिखाए जाने के महत्व को सामान्य से अधिक महत्वपूर्ण बना देती है। हालांकि, पिछले वर्षों के विपरीत, दाता देशों द्वारा संलग्न शर्तें और शांति वार्ता की प्रगति पर निधि की उपलब्धता को आकस्मिक बनाया जाना, न केवल अमेरिका के नेतृत्व वाली अफगान शांति पहल के परिणाम के बारे में कथित आशंकाओं का संकेत है, बल्कि यह अफगानिस्तान के लिए हितों का समग्र रूप से कटौती भी है।
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*डॉ. अन्वेषा घोष, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोधकर्ता हैं ।
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] “2020 अफगानिस्तान सम्मेलन”, फिनलैंड का विदेश मंत्रालय. 23-24 नवम्बर 2020. https://um.fi/about-the-conference पर उपलब्ध (28 नवम्बर 2020 को एक्सेस किया गया)
[ii] ताहिर कादिरी, “2020 अफ्गानिस्तान सम्मेलन : पुन:प्रवर्तित प्रतिबद्धता”, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, 25 नवम्बर, 2020. https://www.orfonline.org/expert-speak/2020-afghanistan-conference-a-reinforced-commitment/ पर उपलब्ध ( 28 नवम्बर 2020 को एक्सेस किया गया)
[iii] दाताओं ने अफगानिस्तान के लिए बिलियन डॉलर का वायदा किया, परंतु शर्तों के साथ, अल जजीरा, 24 नवम्बर, 2020. https://www.aljazeera.com/news/2020/11/24/donors-pledge-billions-to-afghanistan-but-with-strings-attached पर उपलब्ध (29.11.2020 को एक्सेस किया गया)
[iv] “2020 अफ्गानिस्तान सम्मेलन”, फिनलैंड का विदेश मंत्रालय, 23-24 नवम्बर, 2020. https://um.fi/about-the-conference पर उपलब्ध ( 29th November 2020 को एक्सेस किया गया)
[v] “भारत ने अफगानिस्तान सम्मेलन 2020 मे प्रमुख प्रतिबद्धता की घोषणा की”, प्रेस प्रकाशनी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, 24-25 नवम्बर, 2020. https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/33234/India_announces_major_commitments_at_Afghanistan_Conference_2020 पर उपलब्ध (30.11.2020 को एक्सेस किया गया)
[vi] “भारत अफगानिस्तान को सहायता भेजने के लिए चाबहार पत्तन का प्रयोग करेगा”. दि हिंदू, 13 अप्रैल, 2020. Available at: https://www.thehindu.com/news/national/india-to-use-chabahar-port-to-send-assistance-to-afghanistan/article31326064.ece पर उपलब्ध (30.11.2020 को एक्सेस किया गया)
[vii] तदेव
[viii] केट क्लार्क, “दि बिदेन प्रेजीडेंसी : व्हाट चॉइसेज़ फॉर अफगान पॉलिसी रिमेन?”, अफगानिस्तान एनालिस्ट नेटवर्क, 12 नवम्बर, 2020. https://www.afghanistan-analysts.org/en/reports/international-engagement/the-biden-presidency-what-choices-for-afghan-policy-remain/?fbclid=IwAR0_cpU70zrxrRh_PHE185nLW6AV0RiOb1kcb7ExuYULSg8mLPADWudTaMQ पर उपलब्ध (30.11.2020 को एक्सेस किया गया)