अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने हाल ही में 400 अफगान तालिबान कैदियों के बचे हुए समूह को रिहा करने का आदेश पारित किया, जिससे कतर के दोहा में इंट्रा-अफगान शांति वार्ता की शुरुआत की अंतिम बाधा भी खत्म हो गई। तालिबान और संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिका) के बीच 29 फरवरी के शांति समझौते में 5,000 विद्रोही कैदियों को रिहा करने का वादा किया गया था। इससे पहले, तालिबान ने घोषणा की थी कि वे तब तक बातचीत शुरू नहीं करेंगे जब तक कि उनके सभी शेष कैदी रिहा नहीं हो जाते।[i]
फैसला में सबसे बड़ी रुकावट सरकारी हिरासत में रखे गए छह कैदियों; जिसका नाम हिकमतुल्लाह, सईद रसूल, गुल अली, मोहम्मद दाउद, अल्लाह मोहम्मद और नकीबुल्लाह है, की रिहाई थी, जिसका विदेशी सहयोगियों ने विरोध किया था।[ii] फ्रांसीसी और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने हाल के दिनों में पुष्टि की कि वे कुछ कैदियों को रिहा किए जाने का विरोध कर रहे थे, हालांकि उन्होंने संख्या नहीं बताई।[iii] फ्रांस ने अफगान सरकार से 2008 में काबुल प्रांत के सरोबी जिले में फ्रांसीसी बलों पर हमले में दोषी कई आतंकवादियों की रिहाई पर बातचीत करने हेतु नहीं कहा था, जिसमें 10 फ्रांसीसी सैनिक मारे गए थे।[iv] ऑस्ट्रेलियाई सरकार वाशिंगटन और अफगान सरकार के संपर्क में थी और उसने अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की हत्या के दोषी, हिकमतुल्लाह को रिहा न करने के लिए कहा था।
अगस्त 2020 में, सरकार ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने हेतु, तीन दिवसीय आदिवासी बुजुर्गों और अन्य हितधारकों की पारंपरिक अफगान बैठक लोया जिरगा बुलाई। सलाहकार सभा ने "शांति वार्ता की शुरुआत हेतु बाधाओं को हटाने, रक्तपात को रोकने, और जनता की भलाई हेतु" शेष 400 तालिबान कैदियों की रिहाई को मंजूरी देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया।[v] यह जाहिर है कि अमेरिका की ओर से दबाव ने भी इस निर्णय को प्रभावित किया। जैसे ही अमेरिका में चुनाव का समय नजदीक आएगा, यह स्पष्ट है कि ट्रम्प प्रशासन अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस लेने की अपनी योजना में और देरी नहीं चाहेगी। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 13,000 से अमेरिकी सैनिकों की संख्या अब घटकर लगभग 8,600 हो गई है और अफगानिस्तान में पांच ठिकाने बंद हो गए हैं।[vi] अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने हाल ही में कहा कि वाशिंगटन नवंबर तक और 3,600 सैनिकों को घर वापस बुलाएगा, जिससे अफगानिस्तान में 5,000 से कम सैनिक बचेंगे।[vii] अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी हालांकि भविष्य के राजनीतिक व्यवस्था पर अंतर-अफगान समझौते से जुड़ा हुआ है।
दिलचस्प बात यह है कि तालिबान ने हाल ही में अपनी बातचीत करने वाली टीम में कुछ बदलावों की घोषणा की है। मुल्ला मोहम्मद याक़ूब (दिवंगत सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर के पुत्र), जो तालिबान सैन्य अभियानों के प्रभारी थे और अपने कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं, को बातचीत करने वाली टीम में शामिल किया गया है। तालिबान की नई टीम में विद्रोही समूह के उप नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के छोटे भाई अनस हक्कानी भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल अफगान सरकार ने तालिबान द्वारा पकड़े गए दो अमेरिकियों और एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के बदले में रिहा किया था।[viii] तालिबान प्रशासन के अपदस्थ पूर्व मुख्य न्यायाधीश को भी इस टीम में शामिल किया गया है, जिसका नेतृत्व तालिबान के उप नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कर रहे हैं। प्रमुख तालिबानी वार्ताकार शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि "मुल्ला हैबतुल्ला अखुनजादा ने 20 सदस्य टीम को चुना, जिनमें से 13 में तालिबान की नेतृत्व परिषद के आधे सदस्य शामिल हैं।"[ix] इस बीच, खबरों के अनुसार[x], मुल्ला बरादर के नेतृत्व में कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अफगान शांति पर पाकिस्तानी और चीनी अधिकारियों के साथ 'परामर्श’ करने हेतु पाकिस्तान पहुंचा। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि "शांति प्रक्रिया, पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों का मुद्दा, साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों हेतु सुविधाएं बनाना, पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ प्रतिनिधिमंडल की बैठक का विषय होगा।"[xi]
अफगान सरकार की ओर से, जबकि पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला तालिबान के साथ शांति वार्ता का निर्देशन करेंगे, वार्ता में अफगान टीम का नेतृत्व अफगान खुफिया एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के पूर्व प्रमुख मसूम स्टेनकेजई द्वारा किया जाएगा। वह डॉ. अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली परिषद को रिपोर्टिंग और उनका निर्देशन करेंगे। अफगान सरकार की तरफ से बातचीत करने वाली टीम में बदलाव की संभावना है और प्रतिनिधिमंडल में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा। कुल मिलाकर, राष्ट्रीय सुलह के लिए गठित उच्च स्तरीय परिषद से संकेत मिलता है कि - "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़गानिस्तान की वार्ता टीम अंतर-अफगान वार्ता के लिए पूरी तरह से तैयार है।"[xii]
बढ़ते हमले:
इस साल की शुरुआत में अमेरिका के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से, तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं। जब वार्ता जल्द शुरू होने की उम्मीदें बढ़ रही थीं, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में हालिया हमले सुर्खियों में हैं।[xiii] शांति प्रक्रिया को जारी रखने हेतु विद्रोही समूह द्वारा कई बड़े हमलों की अनदेखी की गई है और धीमी प्रगति (उदाहरण के लिए ईद संघर्ष विराम) को सफलता के रूप में टाल दिया गया है। वर्तमान में, वार्ता हेतु तालिबान को जारी करने और अफगान सरकार को स्वीकृति देने से समूह के इनकार के रूप में बड़े पैमाने पर अप्रकाशित रियायतों को लेकर शायद ही कोई बातचीत हुई है, क्योंकि इसके प्रमुख वार्ताकार को इसमें अपनी कुशलता दिखानी होगी।[xiv] अब तक, विभिन्न स्थानों में चर्चा के दौरान, तालिबान वार्ताकारों ने किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई भी लचीलापन नहीं दिखाया है। युद्ध विराम की मांग और कैदियों की अदला-बदली पर सहमत होने के लिए, काबुल ने समझौते की पेशकश की है।
अपने राजनीतिक एजेंडे को लेकर तालिबान की सोची समझी अस्पष्टता ने भ्रम की स्थिति पैदा की है। इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि समूह लोकतांत्रिक राजनीतिक तथा संवैधानिक व्यवस्था के तहत काम करने को तैयार होगा या नहीं। प्रसिद्ध विद्वान, मार्विन जी. वेनबाम ने तर्क दिया कि "शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश में समस्या विश्वास का अभाव या कार्य में अवरोध नहीं है, बल्कि दो बड़े स्तर पर असंतुष्ट होना इसका कारण है, एक अफगान अंत-राज्य के दृश्यमान हैं"। चिंता का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण शिक्षा और कार्य के लिए महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा है। टोलो न्यूज में प्रकाशित तालिबान को एक खुले पत्र में, अफगान महिलाओं ने कहा कि वे "चिंता का विषय है कि शांति की कीमत बहुत बड़ी हो सकती है" यदि वे "अफगानिस्तान की आधी से अधिक आबादी और पिछले दो दशकों में प्राप्त किए गए आवश्यक लाभ को खो देते हैं"।[xv]
ऐसे परिदृश्य में जिसमें दो पक्ष चालीस वर्षों के लंबे समय से युद्ध में संलग्न हैं, शांति हेतु बातचीत करना और राजनीतिक परिवर्तन के लिए सहमत होना आसान नहीं है। इसलिए, अंतर-अफगान वार्ता की बाधाओं के दूर करने वाला हाल ही में हुआ विकास काफी महत्वपूर्ण है। दोनों पक्षों को अब अफगान संघर्ष का राजनीतिक समाधान खोजने हेतु समझौता करना होगा। हालांकि, अपने हालिया लेख में[xvi] वेनबाम ने, "वार्ता की शुरुआत को लेकर एक अच्छी सौदेबाजी" पर अपना संदेह व्यक्त किया और कहा कि "संघर्ष इस प्रकार मूल्यों के टकराव के रूप में इतना बड़ा शक्ति संघर्ष नहीं है, जिस तरह का संघर्ष इतिहास में देखा गया है कि कोई समझौता नहीं होता बल्कि अनिवार्य रूप से एक तरफ से परिणाम तय होता है।”
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*डॉ. अन्वेषा घोष विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पणी:
[i]“Taliban says ready for talks next month if prisoner swap complete”. Al Jazeera, July 24, 2020. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2020/07/taliban-ready-talks-month-prisoner-swap-complete-200723161554074.html(Accessed on 21.8.2020)
[ii] Sayed Sharif Amiri, “Obstacles to Talks will be removed soon: Sources”. The Tolo News, August 23, 2020. Available at:https://tolonews.com/afghanistan/obstacles-talks-will-be-removed-soon-sources(Accessed on 21.8.2020)
[iii] Abdul Qader Sediqi, “Australia, France object to release of Final Taliban Prisoners”. Reuters, August 17, 2020. Available at:https://www.reuters.com/article/us-afghanistan-taliban-prisoners/australia-france-object-to-release-of-final-taliban-prisoners-officials-idUSKCN25D1MQ(Accessed on 21.8.2020)
[iv] Ibid
[v] “Afghan President agrees Taliban prisoner release”. Al Jazeera, August 9,2020. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2020/08/afghan-president-agrees-taliban-prisoner-release-200809063717608.html(Accessed on 21.8.2020)
[vi]Kathy Gannon, “Number of American troops in Afghanistan drops to 8,600 as Taliban make big changes ahead of expected talks”. The Military Times, July 19, 2020. Available at:https://www.militarytimes.com/news/your-military/2020/07/19/number-of-american-troops-in-afghanistan-drops-to-8600-as-taliban-make-big-changes-ahead-of-expected-talks/(Accessed on 22.8.2020)
[vii]Rahim Faiez and Kathy Gannon, “Afghan Council frees Taliban Prisoners to setting up peace talks”. The Washington Post, August 9, 2020. Available at:https://www.washingtonpost.com/world/the_americas/traditional-council-frees-taliban-setting-up-peace-talks/2020/08/09/a0890c2a-da0b-11ea-a788-2ce86ce81129_story.html(Accessed on 21.8.2020)
[viii] Zahid Hussain, “Intra-Afghan Peace Talks”.DAWN, August 12,2020. Available at:https://www.dawn.com/news/1573992?fbclid=IwAR1Q-54oDcBAzdteTODz1nszxYejp-E_ZAUuu-Gsi3bmRZbq2IRWzlaeIjo(Accessed on 22.8.2020)
[ix] “Taliban has finalised negotiating team for intra-Afghan talks”. Al Jazeera, August 24,2020. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2020/08/taliban-finalised-negotiating-team-intra-afghan-talks-ap-200824040953615.html(Accessed on 24.8.2020)
[x] “Pakistan invites Taliban, China to discuss Afghan Peace”. The Tolo News, August 24, 2020. Available at:https://tolonews.com/afghanistan/pakistan-invites-taliban-china-discuss-afghan-peace(Accessed on 24.8.2020)
[xi]Ibid
[xii] Sayed Sharif Amiri, “Obstacles to Talks will be removed soon: Sources”. Op. cit
[xiii]“Afghanistan officials: Taliban Truck bomb, other attacks kill 12”, Deccan Herald August 24,2020. Available at:https://www.deccanherald.com/international/world-news-politics/afghanistan-officials-taliban-truck-bomb-other-attacks-kill-12-877614.html?fbclid=IwAR1NQoMrsggjkanal5bW536ugJtqA5ABMfeWaQfQ0V_Ryz_FvBI1RknU2A0(Accessed on 24.8.2020)
[xiv] “Taliban doesnot recognize Afghan government”.The Tolo News,August 15,2020. Available at:https://tolonews.com/afghanistan/taliban-doesn%E2%80%99t-recognize-afghan-govt-statement?fbclid=IwAR2B9ndHPCfd7faeTZ65XWCTh4Fw7WD0DesCUk75GHvaT4by9oqeuZuy7hs(Accessed on 24.8.2020)
[xv]“Open Letter by Afghan Women to Taliban”.The TolO News, August 13,2020. Available at:https://tolonews.com/opinion/open-letter-afghan-women-taliban-0(Accessed on 24.8.2020)
[xvi]Marvin G. Weinbaum,”The Taliban Know Afghanistan’s Peace Negotiations End In an Islamic Emirate”. Op.cit.