दो साल बीत चुके हैं जब 2018 में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। हालांकि, इस्लामाबाद ने नवाज़ शरीफ़ के अधीन पिछली पीएमएल (एन) सरकार और इमरान ख़ान के अधीन वर्तमान की पीटीआई सरकार के तहत धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर एफएटीएफ के सदस्यों को मनाने का प्रयास किया है, पर फिर भी ये एफएटीएफ की उम्मीदों और एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन-रोधी और आतंकवादी-रोधी वित्तपोषण व्यवस्था की अपेक्षाओं को पूरा करने से चूक गया है।
एफएटीएफ समीक्षा सप्ताह 16-21 फरवरी, 2020 को पेरिस में आयोजित किया गया था। इसमें दुनिया भर के 205 देशों और क्षेत्रों के 800 प्रतिनिधियों, आईएमएफ, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भाग लिया था। इस बहुपक्षीय संस्था ने ‘एक मानक निर्धारित किया है, जो धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के प्रति अन्य संबंधित खतरों का खंडन और मुकाबला करने के लिए कानूनी, विनियामक और परिचालनात्मक उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है। यह संस्था इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय विधायी और नियामक सुधार लाने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने का प्रयास करता है’।1
यह संस्था आतंक वित्तपोषण और धनशोधन गतिविधियों का समर्थन करते किसी भी सहभागी या गैर-सहभागी देश को ब्लैकलिस्ट में डाले जाने पर उसका आंकलन करता है। वर्तमान में ईरान और उत्तर कोरिया इस ब्लैकलिस्ट में आते हैं। जिन देशों का नाम ब्लैकलिस्ट में शामिल है उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे कि विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि से गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप उनका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बाधित होता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अलगाव का सामना करना पड़ता है। देशों को ग्रे लिस्ट में तब रखा जाता है यदि उनके पास धन शोधन या आतंक वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए वित्तीय अवसंरचना का अभाव है और उन देशों को एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर इसका प्रतिकार करने के लिए उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है। जिन देशों का नाम ग्रे लिस्ट में शामिल है, उनके द्वारा अपर्याप्त कार्रवाई की जाने के मामले में उन्हें ब्लैकलिस्ट में डालने का खतरा रहता है। वर्तमान में, पाकिस्तान सहित बारह ऐसे राष्ट्र हैं, जो ग्रे लिस्ट में है।2
यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया है। इसे पहले भी 2008 में ग्रे लिस्ट में रखा गया था, पर 2012 में हटा दिया गया था, और फिर उसी साल दुबारा डाला गया था, और 2015 में हटा दिया गया था और 29 जून, 2018 में फिर से ग्रे लिस्ट में रखा गया है। जैसा कि विश्लेषकों का तर्क है, ‘पाकिस्तान का बारम्बार ग्रे लिस्ट में प्रवेश होने का कारण है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा नामित आतंकवादी समूहों, जैसे कि तालिबान, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के वित्तपोषण का सभी साधनों को बंद करवाने में असफल रहा है’।3
एफएटीएफ की फरवरी 2020 की समीक्षा बैठक के दौरान, कई मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें उत्तर कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए किए गए उपायों, ईरान, पाकिस्तान और अन्य देशों द्वारा की गई प्रगति, अवैध वन्यजीव व्यापार से होने वाले वित्तीय प्रवाह, जो वित्तीय प्रणाली के प्रति एक जोखिम बनता है, का मुकाबला करने के लिए एक एफएटीएफ पहल की प्रगति, डिजिटल पहचान पर एक मार्गदर्शन पत्र प्रकाशित करना और आईएसआईएल, अल-कायदा और इसके सहयोगियों के वित्तपोषण में विकास के आंकलन का मुद्दा शामिल था।4
एफएटीएफ द्वारा की गई समीक्षाओं की एक श्रृंखला में, यह निष्कर्ष निकाला गया कि हालांकि पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण और धन शोधन का मुकाबला करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन यह जड़ों को उखाड़ फेंकने में सक्षम नहीं हुआ है, जिसमें औपचारिक और अनौपचारिक संरचनात्मक परिवर्तनों का अभाव है जो इस प्रकार के मौद्रिक लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है।5 पाकिस्तान को जून 2020 तक का अतिरिक्त समय दिया गया है, ताकि सरकार इस तरह के स्थायी बदलाव कर सके, जो आखिरकार पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों की वृद्धि और पनाह को रोक सके।
प्रारंभ में, चीन, जो वर्तमान एफएटीएफ का अध्यक्ष है, पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखने के लिए बल देने वाले देशों की कड़ी निंदा करता था। मीडिया में यह बताया गया है कि चीन के नीति निर्माताओं को ऐसा एहसास हुआ कि पाकिस्तान द्वारा आतंक वित्तपोषण और धन शोधन के खिलाफ कदम उठाए जाने के बावजूद भी सभी देश भारत को खुश करने के लिए पाकिस्तान को तंग कर रहे हैं।
एफएटीएफ की समीक्षा बैठक से चार दिन पहले 12 फरवरी, 2020 को लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा जमात-उद-दावा प्रमुख हाफ़िज़ सईद के खिलाफ सुनाया गया फैसला आतंक वित्तपोषण से संबंधित है। उसे 11 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है। यह एक ऐसा फैसला है जिसे हाफ़िज़ सईद उच्च न्यायालयों में चुनौती दे सकता है। यह फैसला आतंकवादी गतिविधियों हेतु धन पहुंचाने के दो मामलों के लिए सुनाया गया है। दोनों सज़ा समवर्ती रूप से चलेगी, यानी, सईद को जेल में प्रभावी रूप से पांच साल से थोड़ा अधिक समय बिताना पड़ेगा। पाकिस्तान पर सख्त कदम उठाने के लिए एफएटीएफ ने जो दबाव बनाया था, विश्लेषकों ने उस दबाव को इस फैसले के समय चयन का एक कारण बताया है।6
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 2001 में भारतीय संसद पर हमले, 2006 में मुंबई ट्रेन में बमबारी और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में हाफ़िज़ सईद की संलिप्तता के संबंध में भारत सरकार द्वारा कई सबूत पेश किए जाने के बावजूद, पाकिस्तान सरकार ने सईद के खिलाफ इस तरह के आतंकवादी हमलों को लेकर कोई आरोप नहीं लगाया है।7 पाकिस्तानी सरकार हमेशा से इस बात से इनकार करती रही है कि मसूद अज़हर पाकिस्तानी सरजमीं पर मौजूद है और खुले आम परिचालन कर रहा है, और प्रतिष्ठान उसे कथित तौर पर लापता मान रहा है, यह सभी आतंकियों और आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के संबंध में पाकिस्तानी नेताओं और प्रतिष्ठान के गहरे पाखंड को दर्शाता है। भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, मसूद अज़हर और उसके परिवार को वास्तव में बहावलपुर के एक सुरक्षित ठिकाने पर ले जाया गया है और उसे बहावलपुर के मरकज़ उस्मान-ओ-अली में रखा गया है, जो जैश-ए-मोहम्मद का नया मुख्यालय है।8
पाकिस्तान ने अपने बचाव में, यह कहते हुए अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की कि उसने एफएटीएफ की कार्य योजना के 27 बिन्दुओं में से 14 का अनुपालन किया है। पाकिस्तान ने ये भी कहा कि उसने अतिरिक्त 11 बिंदुओं का आंशिक रूप से अनुपालन किया है, जबकि दो बिन्दुएँ ऐसी हैं जिनका अनुपालन करना संभव नहीं होगा।9 जैसा कि अपेक्षित था, आर्थिक मामलों के संघीय मंत्री हम्माद अज़हर की अगुवाई में पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा जमात-उद-दावा प्रमुख हाफ़िज़ सईद को 11 साल की कैद का फैसले पर बल देते हुए गलत बताया है।10
पिछले कुछ महीनों में, प्रधान मंत्री खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने विशेष रूप से मलेशिया और तुर्की के साथ हाल ही में किए गए दो उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में न रखा जाए।
हालांकि, एफएटीएफ की अंतिम समीक्षा बैठक में, तुर्की को छोड़कर, चीन और सऊदी अरब सहित सभी सहभागी देशों ने पाकिस्तान को जून 2020 से पहले आतंक वित्तपोषण के खिलाफ कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का एक कड़ा संदेश दिया है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया और यह कि जून 2020 में निर्णय लिया जाएगा कि क्या आगे की कार्रवाई करने की आवश्यकता है या नहीं। एफएटीएफ ने कहा कि ‘पाकिस्तान ने अपनी कार्ययोजना के कई क्षेत्रों में प्रगति की है, जिसमें जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण और नकदी कोरियर की पहचान करने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का अनुसरण करना शामिल है’।11 एफएटीएफ ने उन क्षेत्रों को निर्धारित किया जिसमें जून 2020 तक पाकिस्तानी प्रशासन को कार्रवाई करने की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया, वे हैं, ‘(1) यह दिखाना कि [आतंक वित्तपोषण] टीएफ जोखिम प्रबंधन और [आतंक वित्तपोषण स्रोतों] टीएफएस दायित्वों से संबंधित (धनशोधन-रोधी/ आतंक वित्तपोषण के प्रतिकार) एएमएल/सीएफटी उल्लंघनों के मामलों में उचारात्मक कार्रवाई और प्रतिबन्ध लागू किए जा रहे हैं; (2) यह दिखाना कि सक्षम अधिकारी अवैध धन या मूल्य हस्तांतरण सेवाओं (एमवीटीएस) के खिलाफ सहयोग कर रहे हैं और इनकी पहचान करने और प्रवर्तन कार्रवाई हेतु उचित कार्रवाई कर रहे हैं; (3) यह दिखाना कि पाकिस्तान प्रवेश वाले सभी बंदरगाहों में सीमा-पार मुद्रा और वाहक परक्राम्य लिखतों (बीएनआई) नियंत्रणों को लागू कर रहा है और साथ ही प्रभावी, आनुपातिक और निवर्तक प्रतिबन्ध लागू कर रहा है; (4) यह दिखाना कि विधि प्रवर्तक एजेंसियां (एलईए) वृहद किस्मों की टीएफ गतिविधियों की पहचान और छानबीन कर रही हैं और यह कि टीएफ छानबीन और अभियोजन लक्ष्य नामित व्यक्तियों और संस्थानों, और नामित व्यक्तियों और संस्थानों की ओर से या उनके निर्देश से काम करने वालों की पहचान और छानबीन कर रही हैं; (5) यह दिखाना कि (आतंकवादी वित्तपोषण) टीएफ अभियोजन के परिणामस्वरूप प्रभावी, आनुपातिक और निवर्तक प्रतिबन्ध लगाए गए हैं; (6) यह दिखाना कि सभी 126712 और 137313 नामित आतंकवादियों, और उनके लिए या उनकी ओर से काम करते व्यक्तियों के खिलाफ लक्षित वित्तीय प्रतिबन्ध (व्यापक विधिक उत्तरदायित्व द्वारा समर्थित) का प्रभावी कार्यान्वयन किया गया है जिसमें निधि जुटाने और वितरित करने पर रोक लगाना, परिसंपत्तियों (चल और अचल) की पहचान करना और उनपर रोक लगाना शामिल है; (7) यह दिखाना कि टीएफएस उल्लंघनों के खिलाफ कानून प्रवर्तित किया गया है और साथ ही प्रशासनिक और आपराधिक दंड लगाए गए हैं और प्रांतीय तथा संघीय अधिकारी प्रवर्तन मामलों पर सहयोग कर रहे हैं; (8) यह दिखाना कि नामित व्यक्ति के स्वामित्व या नियंत्रण वाली फैसिलिटी और सेवाओं को उनके स्रोतों से और संसाधनों के उपयोग से वंचित किया गया है’।14
यह ध्यान रखना चाहिए कि आतंकवाद के संबंध में पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए, पाकिस्तान के लिए उन तत्वों के खिलाफ उपचारात्मक कार्रवाई करना और प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल होगा जो पाकिस्तान की सरजमीं में यूएन द्वारा नामित आतंकवादी संगठनों को पनाह देते और प्रायोजित करते रहे हैं। इस्लामवादी कट्टरपंथियों की बढ़ती भूमिका एक बड़ी बाधा है। दूसरी बात यह है कि जब बात भारत-रोधी आतंकी तत्वों की आती है, तब पाकिस्तान के अधिकारियों ने हमेशा प्रदर्शनीय कार्रवाई (जैसे कि एफआईआर करना, गिरफ्तारी, जांच, सज़ा इत्यादि) से परहेज किया है। पाकिस्तान में नागरिक, सैन्य और खुफिया संस्थानों की ओर से मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना, पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना मुश्किल होगा।
हालाँकि चीन ने सभी देशों से पाकिस्तान द्वारा अपनी घरेलु आतंकरोधी वित्तपोषण प्रणाली को मजबूत बनाने में की गई प्रत्यक्ष प्रगति को ध्यान में रखने का अनुरोध किया है,15 पर एफएटीएफ ने अपने बयान में कहा कि ‘पाकिस्तान सहमत समय-सीमा के भीतर और इस क्षेत्र से उभरती टीएफ जोखिमों की रौशनी में अपनी कार्य योजना को पूरा करने में असफल रहा है’।16 एक सलाहकारी चेतावनी के रूप में इसने कहा कि यदि पाकिस्तान जून 2020 तक उपरोक्त आठ बिंदुओं को लागू करने में विफल रहता है, तो 'एफएटीएफ कार्रवाई करेगा, और एफएटीएफ अपने सदस्यों से बात करेगा और सभी क्षेत्रों से आग्रह करेगा कि वे अपने-अपने वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंधों और लेनदेन में विशेष ध्यान देने की सलाह दें’।17 वाक्यांश 'विशेष ध्यान' जैसा कि बयान में कहा गया है, निवेश या ऋण के प्रवाह पर प्रतिबंध लगाने, और पाकिस्तान को निर्यात देने और पाकिस्तान से आयात करने पर रोक लगाने की ओर इशारा करता है। जून की बैठक, पाकिस्तान के खिलाफ एफएटीएफ की कोई अतिरिक्त प्रतिकूल कार्रवाई के समर्थन में संभवतः चीन के लिए एक असमंजस लाएगी क्योंकि चीन का पाकिस्तान के साथ एक व्यापक व्यापार और निवेश जुड़ाव रहा है।
भारत ने लगातार और सभी मंचों पर पाकिस्तान की सरजमीं में पनपते आतंकवाद के मुद्दे को उठाया है, इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों या आतंक वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी सरकार और सेना की ओर से सख्त नीति और परिचालन उपायों की मांग की है, और आतंकवाद को राज्य नीति के एक साधन के रूप में उपयोग न करने, और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का उपरिकेंद्र और केंद्र बनने से रोकने की मांग की है।
विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में रखने के परिणामस्वरूप पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में और गिरावट आएगी, जो पाकिस्तान के सामाजिक ताने-बाने को और कमजोर करेगा और देश में और भी अधिक अस्थिरता लाएगा जिसकी वजह से धार्मिक कट्टरपंथियों और अतिवादियों का साहस बढ़ेगा। दूसरी ओर, कुछ विश्लेषक हैं, जो कहते हैं कि पाकिस्तान को ‘कुछ समय पश्चात और उपाय करने का ढोंग करने के बाद ग्रे लिस्ट’ से हटाया जा सकता है,18 जिससे एफएटीएफ का उद्देश्य कमजोर हो जाएगा। यह महत्वपूर्ण है कि एफएटीएफ के सभी सदस्य देशों को पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों या व्यक्तियों के किसी भी प्रकार के प्रायोजन और पनाह को स्थायी रूप से ख़त्म करने और राज्य नीति के एक साधन के रूप में आतंकवाद का उपयोग छोड़ने के लिए दबाव डालना जारी रखना चाहिए।
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* डॉ. ध्रुबज्योति भट्टाचार्जी, शोधकर्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
टिप्पणियां:
[1]Who We Are, FATF Official Website, https://www.fatf-gafi.org/about/ accessed on February 21, 2020
[1]FATF nations, Full member nations, Observer nations, Call for action nations (Blacklisted nations), Other monitored jurisdictions (grey listed nations), https://www.fatf-gafi.org/countries/ accessed on March 2, 2020
[1] Husain Haqqani, “FATF’s grey list suits Pakistan’s jihadi ambitions. It only worries entering the black list”, The Print, February 28, 2020, https://theprint.in/opinion/fatfs-grey-list-suits-pakistans-jihadi-ambitions-it-only-worries-entering-the-black-list/372524/, accessed on March 2, 2020
[1] Outcomes FATF Plenary, 19-21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/fatfgeneral/documents/outcomes-fatf-plenary-february-2020.html, accessed on March 2, 2020
[1] Outcomes FATF Plenary, 19-21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/fatfgeneral/documents/outcomes-fatf-plenary-february-2020.html, accessed on March 2, 2020
[1] Imran Mukhtar, “Will Hafiz Saeed’s conviction benefit Pakistan?”, The Nation, February `4, 2020, https://nation.com.pk/14-Feb-2020/will-hafiz-saeed-s-conviction-benefit-pakistan, accessed on March 6, 2020
[1] Celia W. Dugger, “Group In Pakistan Is Blamed By India For Suicide Raid”, The New York Times, December 15, 2001, https://www.nytimes.com/2001/12/15/world/group-in-pakistan-is-blamed-by-india-for-suicide-raid.html, accessed on March 18, 2020; “Pakistan jails alleged mastermind of Mumbai terror attack”, The Guardian, February 12, 2020, https://www.theguardian.com/world/2020/feb/12/pakistan-jails-alleged-mastermind-of-mumbai-terror-attack, accessed on March 18, 2020; Salman Masood, “Accused Mastermind of Mumbai Attack Convicted of links to terrorism”, The New York Times, February 12, 2020, https://www.nytimes.com/2020/02/12/world/asia/hafiz-saeed-mumbai-convicted.html, accessed on March 18, 2020
[1]Jitendra Bahadur Singh, “Masood Azhar not missing, kept at Jaish safe house in Pakistan's Bahawalpur, say intel inputs”, India Today, February 18, 2020, https://www.indiatoday.in/india/story/masood-azhar-not-missing-kept-at-jaish-safe-house-in-pakistan-bahawalpur-1647478-2020-02-18, accessed on March 2, 2020
[1] Hamza Ameer, “Pakistan submits report to FATF, cites Hafiz Saeed sentence to get out of grey list”, India Today, February 18, 2020, https://www.indiatoday.in/world/story/pakistan-submits-report-to-fatf-cites-hafiz-saeed-sentence-to-get-out-of-grey-list-1647596-2020-02-18, accessed on March 2, 2020: The various points that still needs compliance are (1) Pakistan will have to demonstrate effectiveness of sanctions including remedial actions to curb terrorist financing in the country; (2) Pakistan will have to ensure improved effectiveness for terror financing of financial institutions with particular to banned outfits; (3) Pakistan will have to take actions against illegal Money or Value Transfer Services (MVTS) such as Hundi-Hawala; (4) Pakistan will have to place sanction regime against cash couriers; (5) Pakistan will have to ensure logical conclusion from ongoing terror financing investigation of law enforcing agencies (LEAs) against banned outfits and proscribed persons; (6) Pakistani authorities will have to ensure international cooperation based investigations and convictions against banned organisations (list provided to Pakistan) and proscribed persons (list provided to Pakistan); (7) The country will have to place effective domestic cooperation between Financial Monitoring Unit (FMU) and LEAs in investigation of terror financing; (8) Prosecution of banned outfits and proscribed persons (list provided to Pakistan); (9) Demonstrate convictions from court of law of banned outfits and proscribed persons (list provided to Pakistan); (10) Seizure of properties of banned outfits and proscribed persons (list provided to Pakistan); (11) Conversion of madrassas to schools and health units into official formations (list provided to Pakistan); (12) To cut off funding of banned outfits and proscribed persons; and (13) Pakistan will have to place permanent mechanism for management of properties and assets owned by the banned outfits and proscribed persons. Mehtab Haider, “Pakistan must comply with 13 points to come out of FATF grey list”, The News International, March 16, 2020, https://www.thenews.com.pk/print/629673-pakistan-must-comply-with-13-points-to-come-out-of-fatf-grey-list, accessed on March 18, 2020
[1] “FATF decides to keep Pakistan on its grey list, next review in June”, Dawn, February 21, 2020, https://www.dawn.com/news/1535808, accessed on March 2, 2020
[1]Pakistan, Jurisdictions under Increased Monitoring – 21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/high-risk-and-other-monitored-jurisdictions/documents/increased-monitoring-february-2020.html#pakistan, accessed on March 2, 2020
[1]United Nations Security Council resolution 1267 was adopted unanimously on 15 October 1999, where inclusion of terrorist organisations are made regularly (latest been ISIS-West Africa (ISIS-WA) and ISIS-Greater Sahara (ISIS-GS) on February 23, 2020). It asks member nations to implement laws which must be passed within each member nation in order to implement sanctions on the terrorist group/organisation/individual in the UN list.
[1]United Nations Security Council Resolution 1373, adopted unanimously on 28 September 2001. The resolution aimed to hinder terrorist groups in various ways. UN member states were encouraged to share their intelligence on terrorist groups in order to assist in combating international terrorism. The resolution seeks a) Criminalization of financing of terrorism and associated money laundering; b) Freezing and confiscation of terrorist assets, provisional measures and confiscation; c) Prevention measures to be taken by financial institutions and non-financial businesses and professions; d) Institutional and other measures necessary in systems for combating money laundering and terrorist financing; and e)Cross-border control of the movement of cash and other monetary instruments. It stated that all States "should also ensure that terrorist acts are established as serious criminal offences in domestic laws and regulations and that the seriousness of such acts is duly reflected in sentences served."
[1]Pakistan, Jurisdictions under Increased Monitoring – 21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/high-risk-and-other-monitored-jurisdictions/documents/increased-monitoring-february-2020.html#pakistan, accessed on March 2, 2020
[1] China urges world to recognise Pakistan’s counterterrorism financing efforts, Dawn, January 24, 2020, https://www.dawn.com/news/1530191, accessed on March 2, 2020
[1] Pakistan, Jurisdictions under Increased Monitoring – 21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/high-risk-and-other-monitored-jurisdictions/documents/increased-monitoring-february-2020.html#pakistan, accessed on March 2, 2020
[1] Pakistan, Jurisdictions under Increased Monitoring – 21 February 2020, FATF, https://www.fatf-gafi.org/publications/high-risk-and-other-monitored-jurisdictions/documents/increased-monitoring-february-2020.html#pakistan, accessed on March 2, 2020
[1] Husain Haqqani, “FATF’s grey list suits Pakistan’s jihadi ambitions. It only worries entering the black list”, The Print, February 28, 2020, https://theprint.in/opinion/fatfs-grey-list-suits-pakistans-jihadi-ambitions-it-only-worries-entering-the-black-list/372524/, accessed on March 2, 2020