प्रस्तावना
एशिया में सहभागिता और भरोसा रखने के उपाय पर सम्मेलन की, जिसे आमतौर पर सीआईसीए के रूप में जाना जाता है, पांचवीं शिखर बैठकदिनांक 14-15 जून 2019 को दुशांबे,ताजिकिस्तान में आयोजित की गई।सीआईसीए शिखर सम्मेलन आमतौर पर हर चार वर्ष के बाद आयोजित किया जाता है।वर्ष 2019 में ताजिकिस्तान में आयोजित शिखर सम्मेलन का विषय था “सुरक्षित और अधिक समृद्ध सीआईसीए क्षेत्र के लिए साझा दृष्टिकोण”। बदलते वैश्विक और यूरेशियाई गतिकी के बीच सीआईसीए प्रक्रिया का क्रमिक सुदृढ़ीकरण महत्व रखता है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के उदय और तेज गति से विकास के साथ वैश्विक आर्थिक धुरी अवधारणात्मक रूप से यूरेशिया / एशिया की ओर बढ़ रही है।इसके अलावा, मुक्त व्यापार और वैश्वीकरण की प्रक्रिया के गुणों को एक-एक कर गिनाने वाली अग्रणी अर्थव्यवस्थाएं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में श्रान्ति और संरक्षणवाद का सहारा ले रही हैं।दुनिया के विभिन्न लोकतांत्रिक देशों में राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों के उभरने के संकेत भी मिले हैं।पांचवां सीआईसीए शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक संधि-स्थल पर आयोजित किया गया था l इसमें यह प्रतीत हुआ कि यह संगठन एशिया की ओर फिर से अंतरित होने वाले वैश्विक फोकस में एक नई गतिशीलता हासिल करना चाहता है।यह पता लगाया जा सकता है कि क्या संगठन पैन-एशिया महाद्वीपीय मंच के रूप में उभर सकता है, और लोगों के विविध समूह को एकजुट करते हुए एशिया, यूरेशिया एवं विश्व के भविष्य के विकास के लिए एक दृष्टिकोण अपना सकता है?
सीआईसीए का सचिवालय वर्ष 2006 में स्थापित किया गया था जो अस्ताना में स्थित हैl देश के पहले राष्ट्रपति नूरसुल्तान अबीशेव नज़रज़ायेव के सम्मान में इसका नाम बदलकर नूरसुल्तान-कजाकिस्तान की राजधानीकर दिया गया ।सीआईसीए की सदस्यता बढ़ रही है, आज एशिया के 27 देश इसके सदस्य हैं।इसकेफोरम में पर्यवेक्षक के रूप में अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र (यूएन) तथा यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) सहित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। अब तककजाकिस्तान, तुर्की, चीन और ताजिकिस्तान ने इस संगठन की अध्यक्षता की है।
सीआईसीए का उद्भव
शीत युद्ध के अंत से न केवल एशिया का भूगोल बदला, बल्कि उसकी राजनीति और अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई।सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (यूएसएसआर)संघ के विघटन के कारण मध्य एशिया में पांच गणराज्य बन गए।iउन गणराज्यों का समुचित आर्थिक आकार नहीं थाii और वे अचानक बिना सुरक्षा संघटन के हो गए थे तथा पड़ोसी अफगानिस्तान भी उथल-पुथल में था।चीन और भारत को आर्थिक रूप से उभरना बाकी था lमध्य एशिया में इस अराजक स्थिति के बीच, कजाकिस्तान के दूरदर्शी पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने एशिया के लिए एक स्थानीय सुरक्षा संघटन विकसित करने हेतु एक नया विचार प्रस्तावितकिया।उन्होंने 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 47 वें सत्र में अपने संबोधन में अपनी अवधारणा स्पष्ट की। ध्यान देने की बात यह है कि उस समय कजाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में दाखिल ही हुआ था, और उसके राष्ट्रपति महासभा के मंच से अपना पहला भाषण दे रहे थे। इस पहल को निवारक कूटनीति के हिस्से के रूप में, मूल रूप से एशिया में पारस्परिक विचार-विमर्श और भरोसा रखने के उपाय (सीआईसीएमए)के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे इसका संक्षिप्त रूप (सीआईसीएमए) अधिक लोकप्रिय हो गया।
सीआईसीए का विकास
राष्ट्रपति नज़रबायेव ने, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र के संबोधन में सीआईसीए के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, सीआईसीए की प्रगति की कल्पना की।इस पहल में एशिया में सुरक्षा सहयोग की दिशा में उत्तरोत्तर प्रगति की परिकल्पना की गई ।यह सुझाव दिया गया कि भरोसा रखने के उपाय कम संघर्ष वाले क्षेत्रों में शुरू किए जाने चाहिए और धीरे-धीरे अधिक चुनौतीपूर्ण मामलों को उठाना चाहिए।iiiफिर भी, विकास प्रक्रिया, गठन संबंधी विचार-विमर्श और प्रारंभिक दस्तावेजों की तैयारी में लगभग एक दशक का समय लग गया।
वर्ष 2002 में आयोजित सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले, सीआईसीए के विकास को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है।संयुक्त राष्ट्र में कजाख राष्ट्रपति के भाषण के बाद से तीन वर्ष (1992-94) के पहले चरण में,1इच्छुक देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों की तीन बैठकें कजाकिस्तान द्वारा आयोजित की गईं।तीसरी बैठक में धीरे-धीरे प्रतिभागियों की संख्या 12 से बढ़कर 29 हो गई।2यह कहा जा सकता है कि इस चरण की मुख्य उपलब्धि प्रतिभागियों का इस बात पर समझौता था कि सुरक्षा के बारे में समस्याओं के ठोस समाधान खोजने के प्रयासों में मौजूदा मतभेद बाधा नहीं होनी चाहिए।दूसरे चरण में, जो लगभग 1995 से 1999 तक था,सीआईसीए में रुचि रखने वाले राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों की बैठक की तैयारी के लिए एक समर्पित विशेष कार्यदल का गठन किया गया ।दूसरे चरण के दौरान इस संगठन के लिए मूलभूत दस्तावेज भी तैयार किए गए ।
सदस्य देशों द्वारा अंगीकृत दो दस्तावेजों - चार्टर और घोषणा - को सहयोग के लिए आधार माना जाता है।कजाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा संयुक्त राष्ट्र में लाए गए सीआईसीए प्रस्ताव के 10 साल बाद, वर्ष 2002 में अल्माटी में आयोजित पहले शिखर सम्मलेन में अल्माटी अधिनियम या सीआईसीए के चार्टर को अंगीकृत किया गया।3दूसरे मूलभूत दस्तावेज को सीआईसीए सदस्य राष्ट्रों के बीच के संबंधों पर मार्गदर्शी सिद्धांत संबंधी घोषणा कहा जाता है। वर्ष 1999 में अल्माटी में आयोजित विदेश मामलों के मंत्रियों की पहली बैठक में इसे अंगीकृत किया गया ।राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों की बैठक इस संगठन का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला मंच है। सीआईसीए की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण एजेंसी विदेश मंत्रियों की बैठक है।
सीआईसीए के उद्देश्य
संप्रभुता के बुनियादी सिद्धांतों, खतरे या बल के गैर-उपयोग, क्षेत्रीय अखंडता और सर्वांगीण विकास के लिए सहयोग के आधार पर, सीआईसीए बहुपक्षीय तंत्र के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने का प्रयास करता है।इस एशियाई मंच का उद्देश्य पूरे महाद्वीप में और उसके बाहर स्थिरता, सुरक्षा एवं शांति के लिए संवर्धित सहयोग और प्रोत्साहन प्रदान करना है।सीआईसीए अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के उन्मूलन का प्रयास करता है। इसके अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्यों में पर्यावरण में सहयोग और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार की रोकथाम करना भी हैं।
सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपने विकास और अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धता के लिए अपनाए जाने वाले विकास की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण में अंतर को समझते हुए,सीआईसीए ने अपनी सामूहिक सुरक्षा के लिए एशिया में सामान्य संरचना के निर्माण हेतु क्रमिक रूप से आगे बढ़ने को प्राथमिकता दी।इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, सीआईसीए ने जो उपाय अपनाए हैं उसे ‘भरोसा रखने के उपायों की सूची' के रूप में परिभाषित किया गया है।4भरोसा रखने के उपायों को मोटे तौर पर पाँच श्रेणियों में रखा गया है: i. नई चुनौतियों और खतरों के खिलाफ लड़ाई; ii. अर्थव्यवस्था; iii.पर्यावरण; iv. मानव क्षेत्र, और v.सैन्य-राजनीतिक आयाम।
सदस्य देशों द्वारा भरोसा रखने के उपायों को लागू किया जा रहा है।कुछ सदस्य राष्ट्रों ने भरोसा रखने के विशिष्ट उपाय संबंधी परियोजनाओं को लागू करने के लिए समन्वयक या सह-समन्वयक बनने की पेशकश की।भारत ने सीआईसीए ढांचे में भरोसा रखने के दो उपायों के समन्वय के लिए अपने आप को पेश किया जिनमें से एक क्षेत्र है"सुरक्षित और प्रभावी परिवहन गलियारों का विकास", जिसका मुख्य समन्वयक अज़रबैजान हैतथा दूसरा क्षेत्र है “ऊर्जा की सुरक्षा”, जिसका प्रधान समन्वयक दक्षिण कोरिया हैl5भारत सीआईसीए की अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
सीआईसीए के साथ भारत का जुड़ाव
एशिया में एक सहयोगी वातावरण तैयार करने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक मंच तैयार करने हेतु सीआईसीएका पहला शिखर सम्मेलन 2002 में कजाकिस्तान की पूर्व राजधानी अल्माटी में आयोजित किया गया lभारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहले शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।एशिया में एकीकरण के कारकों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा: “वर्तमान एशिया के सभी देश किसी न किसी तरह से, उस विचार-विमर्श और एकीकरण की प्रक्रिया के उत्पाद हैं जो एशिया के पूरे इतिहासके दौरान चालू रहा।इसलिए, आज की उलझनों पर ध्यान केंद्रित करने की हमारी प्रवृत्ति में, हमें अपने साझा अतीत को भूलना या कम करके आंकना नहीं चाहिए।”6उन्होंने आतंकवाद को एक ’भयंकर शत्रु ’ करार दिया और कहा कि “एशियाई और वैश्विक सुरक्षा मुख्यत: इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस खतरे का सामना किस प्रकार एकजुट होकर, निर्णायक रूप से और शीघ्रता से करते हैं।अल्माटी शिखर सम्मेलन में 'सभ्यताओं के बीच आतंकवाद को खत्म करने और वार्ता को बढ़ावा देने के लिए घोषणा’ को भी अंगीकार किया गया।
तत्कालीन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा ने 2006 में अल्माटी में आयोजित दूसरे शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधान मंत्री के विशेष दूत के रूप में किया।उन्होंने कहा कि सीआईसीए'एशिया में एक सहयोगी और बहुलतावादी सुरक्षा व्यवस्था' के विकास में योगदान दे सकता है, जो आपसी समझ, विश्वास और संप्रभु समानता पर आधारित है।7उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चयनात्मक या भेदभावपूर्ण रूप से नहीं करनी चाहिए, बल्कि यह लड़ाई वैश्विक स्तर पर व्यापक रूप से निरंतर जारी रहनी चाहिए l उन्होंने आतंकवाद के खतरे को दूर करने के प्रयासों को बढ़ाने और उसके प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाने का आग्रह किया l
तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने जून 2010 में प्रधान मंत्री के विशेष दूत के रूप में इस्तांबुल में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन में भाग लिया।तीसरे सीआईसीए शिखर सम्मेलन में अंगीकृत घोषणा में विश्व समुदाय, विशेषकर एशिया में चुनौतियों का सामना करने में इस संगठन की भूमिका को मान्यता दी गई lसदस्य देशों ने सीआईसीए को बातचीत के लिए एक मंच के रूप में विकसित करने तथा सहयोग को और बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।उन्होंने आतंकवाद की निंदा की और उसे अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए 'सबसे गंभीर खतरा' मानाl8
चौथा शिखर सम्मेलन शंघाई, चीन में मई 2014 में आयोजित किया गया । यह उसी वर्ष भारत में हुए संसदीय चुनावों के तुरंत बाद आयोजित किया गया था, और इसका प्रतिनिधित्व भारत के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी द्वारा किया गया ।यह कहा गया कि संगठन सुरक्षा मुद्दों और भरोसा कायम रखने पर बातचीत के लिए एशिया में अग्रणी मंचों की श्रेणी में शामिल हो गया है।9 यह उल्लेख किया गया कि आतंकवाद क्षेत्र में सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है औरआतंकवाद का मुकाबला करने में की जाने वाली कार्रवाई में सीआईसीए के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता परिलक्षित होनी चाहिए।
पांचवां सीआईसीए शिखर सम्मेलन
पांचवांसीआईसीए शिखर सम्मेलन जून 2019 में ताजिकिस्तान में आयोजित किया गया l इसका आयोजन दिनांक 13-14 जून 2019 को किर्गिज गणराज्य के बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)की राज्य परिषद् के प्रमुखों की बैठक के तुरंत बाद किया गया था।बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी सहित कई नेता दुशांबे गए।विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने सीआईसीए शिखर सम्मेलन 2019 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह नए मंत्री का मध्य एशिया का पहला दौरा था।विदेश मंत्री जयशंकर ने पांचवें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 21 वीं सदी को एशियाई सदी माना जा रहा है और सीआईसीएशांति, सुरक्षा एवं विकास को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि आज एशिया में आतंकवाद 'सबसे गंभीर खतरा' है। उन्होंने कहा: कई सीआईसीए सदस्य देश आतंकवाद के शिकार हैं और यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि आतंकवादी और उनके पीड़ित को कभी एक समान नहीं समझा जा सकता। ’यह सुझाव दिया गया कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
कई सीआईसीए सदस्य देशों ने अफगानिस्तान पर चिंता साझा किया क्योंकि वे समस्या को हल करने के लिए चल रही विभिन्न प्रक्रियाओं में भी शामिल हैं।अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत अफगान-नीत और अफगान- स्वामित्व वाली राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है। सीआईसीए नेताओं द्वारा जारी घोषणा में भी सामान विचार व्यक्त करते हुए यह कहा गया है कि अफगानिस्तान में शांति और सुलह की प्रक्रिया समावेशी, अफगान-नेतृत्व वाली और अफगान-स्वामित्व वाली होनी चाहिए।10 भारत का विचार है कि इस पहल में अफगान समाज के सभी वर्गों और देश की निर्वाचित सरकार को शामिल किया जाना चाहिए।
सीआईसीए, आर्थिक सहयोग और भरोसा कायम रखने के उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस समूह के पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादक और उपभोक्ता हैं। ऊर्जा सुरक्षा का अभाव इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकासात्मक चुनौती के रूप में उभरा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने स्थिर ऊर्जा बाजार, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने और नवीकरणीय ऊर्जा के अधिक उपयोग के लिए उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच 'बेहतर संवाद' का प्रस्ताव रखा।
नवीकरणीय ऊर्जा, सीआईसीए क्षेत्र में सहयोग के एक मजबूत आधार के रूप में उभरने की क्षमता रखती है। दुनिया के अन्य देशों के साथ, भारत एक अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की स्थापना करके इस दिशा में प्रयास कर रहा है। पांचवें सीआईसीए शिखर सम्मेलन में, भारत ने सीआईसीए के उन सदस्यों को आमंत्रित किया, जो अभी तक इस पहल का हिस्सा बनने के लिए आईएसए में शामिल नहीं हुए हैं। इस गठबंधन का मुख्यालय दिल्ली के पास गुरुग्राम में है और अब तक 74 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
दुशांबे में आयोजित पांचवें सीआईसीए शिखर सम्मेलन में अंगीकृत घोषणा में आतंकवाद सहित भारत द्वारा व्यक्त की गई चिंता पर प्रकाश डाला गया। इसमें सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में चरमपंथ और आतंकवाद से उत्पन्न सुरक्षा खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।इसमें राष्ट्रों से आतंकवाद के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियों को समाप्त करके, आतंकवादी उद्देश्य के लिए इंटरनेट के दुरुपयोग का मुकाबला करके और आतंकवादी आश्रय विघटित करके आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने का भी आह्वान किया।सीआईसीए नेताओं ने नोट किया कि समावेशी और सतत आर्थिक विकास का उन्नयन, समृद्धि, गरीबी और अशिक्षा का विलोपन, आतंकवाद और अतिवाद के प्रजनन क्षेत्र को हटाने के कुछ सबसे प्रभावी उपाय हैं।11
इस शिखर सम्मेलन में व्यापार औरपारगमन में वृद्धि के लिए अधिक आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग और संयोजकता में सुधार का भी आग्रह किया गया। सीआईसीए के सदस्य देशों के बीच संबंधों के मार्गदर्शक सिद्धांतों में निहित उद्देश्य और सिद्धांतों के अनुरूप 'द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर' सीआईसीए के भूगोल के भीतर अर्थव्यवस्था, वित्त, परिवहन और व्यापार सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सदस्यों द्वारा 'सभी पहलों' की घोषणा का स्वागत किया गया।
सीआईसीए सांस्कृतिक विविधता को 'बहुमूल्य संपत्ति' के रूप में अभिस्वीकार करता है, जिसे सभी को शांति और विकास के कारक के रूप में बनाए रखना है। इस घोषणा में हरियाणा,भारत में वार्षिक सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला सहित एशिया में सांस्कृतिक संपर्क को बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल का स्वागत किया गया l इसमें कहा गया कि इस तरह की पहल क्षेत्र में सभ्यतागत बातचीत और आदान-प्रदान के लिए 'ठोस योगदान' का हिस्सा थीं । नेताओं ने अतीत में लोगों को जोड़ने वाले प्राचीन रेशम रूट की परंपराओं को पुनर्जीवित करने सहित पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
निष्कर्ष
पांचवा सीआईसीए शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित किया गया जब यूरेशिया में दुनिया की रुचि बढ़ रही है। बड़ी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का पुन: उदय हो रहा है और आर्थिक धुरी पश्चिम से पूर्व की ओर जा रही है। हाल के वर्षों में, यूरेशियन परिदृश्य में प्रमुख संस्थान उभर रहे हैं। यदि एससीओ क्षेत्रीय देशों के बीच कर्षण का पता लगा रहा है, तो एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईईयू) एक क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग ढांचा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तथा दुनिया भर का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
सीआईसीए की पहल में आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है, भले ही अभी भी सदस्य देशों के बीच सहयोग के लिए प्राथमिकता के रूप में सुरक्षा सहयोग का उभरना बाक़ी है। आर्थिक सहयोग ढांचे के संदर्भ में सीआईसीए, हाइड्रोकार्बन की बिक्री-खरीद, जल विद्युत उत्पादन और वितरण, व्यापार परामर्श और एक दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में निवेश जैसे क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद जुड़ाव खोजने के लिए मंच की सुविधा प्रदान कर सकता है l
एशिया कई चुनौतियों का सामना करता है और यह अद्वितीय क्षेत्रीय ढांचे का प्रतिनिधित्व करने वाली विविध तस्वीर भी प्रस्तुत करता है। सीआईसीए सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग, क्षेत्र में लोगों के विकास के साथ-साथ अतीत में अनसुलझी कठिन समस्याओं के समाधान के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है। भारत इस पहल से शुरू से ही जुड़ा रहा है। वर्ष 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने से पहले, सीआईसीए भारत और मध्य एशियाई देशों द्वारा साझा किया गया एकमात्र क्षेत्रीय बहुपक्षीय मंच रहा है। चूँकि वैश्विक ध्यान यूरेशिया की ओर बढ़ रहा है, क्षेत्रीय पहल और संस्थान नई गतिशीलता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ेंगी।
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i The 27 CICA members are: Afghanistan, Azerbaijan, Bahrain, Bangladesh, Cambodia, China, Egypt, India, Iran, Iraq, Israel, Jordan, Kazakhstan, Kyrgyzstan, Mongolia, Pakistan, Palestine, Qatar, Republic of Korea, Russian Federation, Sri Lanka, Tajikistan, Thailand, Turkey, United Arab Emirates, Uzbekistan and Viet Nam.
ii Observer states are: Belarus, Indonesia, Japan, Laos, Malaysia, Philippines, Ukraine and USA.
iii Observer organisations are: International Organization for Migration(IOM), League of Arab States (LAS), Organization for Security and Cooperation in Europe (OSCE), Parliamentary Assembly of the Turkic Speaking Countries (TURKPA) and United Nations (UN)
End Notes
1 United Nations Documents, https://undocs.org/en/A/47/PV.24
2 Secretariat of Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia, “About CICA,” http://www.s-cica.org/page.php?page_id=7&lang=1
3 Secretariat of Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia, “About CICA,” http://www.s-cica.org/page.php?page_id=7&lang=1
4 Chinese Chairmanship: CICA Catalogue of Confidence Building Measures (CBMs), http://www.cica-china.org/eng/xrcs_1/kjwjs/t1149711.htm
5 Ministry of External Affairs, Government of India, “Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia (CICA),” March 2012, http://mea.gov.in/Portal/ForeignRelation/cica-march-2012.pdf
6 Ministry of External Affairs, Government of India, “Statement by Prime Minister ShriAtalBihari Vajpayee at the CICA Summit,” 4 June 2002, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/8129/Statement_by_Prime_Minister_Shri_Atal_Bihari_Vajpayee_at_the_CICA_Summit
7 Ministry of External Affairs, Government of India, “Statement by His Excellency ShriMurliDeora, Special Envoy of Prime Minister of India, at Second Summit of Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia (CICA),” June 17, 2006, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/2268/Statement_by_His_Excellency_Shri_Murli_Deora_Special_Envoy_of_Prime_Minister_of_India_at_Second_Summit_of_Conference_on_Interaction_and_Confidence_Bui
8 Ministry of External Affairs, Government of India, “Visit of CIM to Istanbul for 3rd CICA Summit,” 8 June 2010, https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/995/Visit_of_CIM_to_Istanbul_for_3rd_CICA_Summit
9 Ministry of External Affairs, Government of India, Statement by Secretary (West) ShriDinkarKhullar at 4th Summit of the Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia (CICA), Shanghai,” 21 May 2014, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/23337/Statement_by_Secretary_West_Shri_Dinkar_Khullar_at_4th_Summit_of_the_Conference_on_Interaction_and_Confidence_Building_Measures_in_Asia_CICA_Shanghai
10 Dushanbe CICA Summit 2019, “Declaration of the Fifth Summit of Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia - Shared Vision for a Secure and More Prosperous CICA Region,” 15 Jun 2019, http://www.cicasummit2019.tj/dushanbe-declaration
11 Dushanbe CICA Summit 2019, “Declaration of the Fifth Summit of Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia - Shared Vision for a Secure and More Prosperous CICA Region,” 15 Jun 2019, http://www.cicasummit2019.tj/dushanbe-declaration