नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने 23 अगस्त से भारत की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा की। देउबा द्वारा जून में पदभार सँभालने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा है। देउबा के भारत आने से पहले मुख्य विपक्षी दल एमाले के नेता के पी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री से बातचीत की और कहा कि वे इस यात्रा के दौरान राष्ट्रीय हितों के मुद्दों को उठाये जैसे, तराई-मधेश में बाढ़, उर्जा विकास, 1950 की संधि, सीमा पर नदियों पर बने बाँध और उनके कार्यकाल में हुए पुराने करारों का क्रियान्वयन।1
नेपाल के प्रधानमंत्री का दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुचने पर उनका स्वागत भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। इस यात्रा में प्रधानमंत्री देउबा के साथ उनकी पत्नी अंजू राणा देउबा, उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कृष्ण बहादुर महारा, वित्त मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की, पर्यटन मंत्री जीतेंद्र देव, वाणिज्य मंत्री मीन बिश्वकर्मा तथा नेपाल सरकार के वरिष्ट अधिकारी, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के गणमान्य तथा नेपाल के मीडिया कर्मी भी शामिल थे। प्रथम दिन ही वे प्रधानमंत्री मोदी से अनौपचारिक रूप उनके निवास स्थान पर मिले और शाम को वे दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास में गये जहाँ उन्होंने भारत में कार्य कर रहे प्रवासी नेपालियों को संबोधित किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारत के उद्यमियों को भी संबोधन कर कहा कि वे नेपाल में निवेश करे जिससे कि उन्नति के नये रास्ते खुलेंगे और देश में राजनितिक स्थिरता माहौल बनेगा तथा नए संविधान के लागुकरण की प्रक्रिया को गति मिलेगी।2
इस यात्रा के दौरान नेपाल और भारत के मध्य पारस्परिक सहयोग को बढाने हेतु आठ ज्ञापन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। नेपाल के वित्त सचिव राज सुबेदी और भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर के मध्य एक हस्ताक्षरित ज्ञापन समझौते का विनिमय हुआ, जिसके तहत 50,000 भूकंप से प्रभावित मकानों के निर्माण हेतु अनुदान और पुनर्निर्माण पैकेज के क्रियान्वयन के अधीन नेपाल में स्वास्थ्य और शिक्षा के सेक्टरों हेतु भी अनुदान देने की बात हुई। इसके अतिरिक्त पुनर्निर्माण पैकेज में सांस्कृतिक हेरिटेज सेक्टर पर कीमत साझा के प्रबंधन का क्रियान्वयन पर बात हुई। मेची पुल के निर्माण सम्बन्धी कार्यसूची और सुरक्षा कारकों पर भी दोनों देशों के मध्य ज्ञापन समझौता हुआ। इसके अलावा दोनों देशों में मादक द्रव्यों की तस्करी पर रोक लगाने पर भी सहमती बनी है। इन समझौतों में दोनों देशों में दवाओं की आवाजाही में समरूपता के पैमाने पर भी सहमती बनी। इस अवसर पर दोनों देशो के चार्टेड अकाउंट संस्थाओं के मध्य सहयोग हेतु ज्ञापन समझौता हुआ।
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में द्विपक्षीय संवाद के दौरान नेपाल प्रधानमंत्री देउबा ने कहा कि भारत नेपाल का पडौसी ही नहीं एक अच्छा मित्र भी है। उन्होंने कहा कि खुली सीमा और अन्य कई कारणों से भारत और नेपाल के रिश्ते काफी महत्वपूर्ण है। देउबा ने भारतीय पक्ष विशेष रूप से प्रधानमन्त्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारतीय पक्ष द्वारा समर्थित और संचालित कई पावर प्रोजेक्ट नेपाल में चल रहे है जिनके प्रति भारत गंभीर रहा है। देउबा ने आगे कहा कि नेपाल जल संसाधन, पर्यटन और अन्य सेक्टरों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रतीक्षा कर रहा है, जिससे कि देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी और देश में राजनीतिक स्तर पर नए संविधान के क्रियान्वयन का कार्य सुचारू रूप से हो सकेगा। नेपाल के प्रधानमन्त्री ने इस अवसर पर संविधान संशोधन का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि नागरिकों की मागों के मुताबिक हम संशोधन करने के लिए प्रयासरत है और आगे साझी समझ से साझी राजनीतिक सहमती से इसे आगे संशोधित किया जायेगा।3 हालाँकि इस मुद्दे को लेकर नेपाल में मुख्य विपक्षी दल एमाले ने देउबा की आलोचना की कि उन्होंने देश की आंतरिक राजनीति के मामलों में बाहरी देश को दखल देने का अवसर दिया है। जिसके जवाब में देउबा ने कहा कि हमारे पडौसी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय जो कि हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने, शांति प्रक्रिया और राजनीतिक परिवर्तन में रूचि लेने जैसे मुद्दों को हमें अन्यथा नहीं लेना चाहिए।4
इस अवसर पर भारत के प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि भारत हमेशा नेपाल के विकास में सहयोग के लिए सदैव तैयार है और नेपाल में समृद्धि और शांति के पक्ष में है। प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल प्रधानमन्त्री का स्वागत नेपाली भाषा में किया। मोदी ने नए संविधान के लागुकरण और स्थानीय स्तर के चुनाव संपन्न करवाने के लिए देउबा को बधाई दी। इसके अतिरिक्त मोदी ने कहा कि देउबा कुशल और अनुभवी व्यक्ति है और उनके नेतृत्व में समाज के सभी वर्गों से बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखते हुए नेपाल अपने सभी नागरिकों की आकांक्षाओं समाहित करते हुए संविधान को सफलतम रूप से लागू कर सकेगा।
वस्तुतः शेर बहादुर देउबा की यहाँ भारत यात्रा पिछले प्रधानमंत्रियों ओली और प्रचंड की तरह परम्परागत औपचारिकता ही प्रतीत होती है। देउबा की यात्रा से पहले नेपाली राजनेताओं ने यह सहमति बनायीं कि देउबा भारत जाकर तराई क्षेत्र में बाढ़ से आई विपदा पर कुछ ठोस बातचीत करेंगे और भारत की सहायता से इस क्षेत्र में सडक और बाँध निर्माण के कार्य संबंधित योजनाओं को वरीयता दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। नेपाल जिसे दूसरा मुख्य बिंदु मान रहा था वह था पंचेश्वर प्रोजेक्ट जिस पर भी कोई बात नहीं हुई, जिसका कारण हो सकता है कि यात्रा से पहले नेपाली पक्ष द्वारा अपने एजेंडे को व्यवस्थित रूप से तैयार न कर पाना रहा हो। हालाँकि नेपाल के प्रधानमंत्री का भारत में भव्य स्वागत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा किया गया और निर्धारित समय से पहले देउबा की मोदी से बैठक उनकी दिल्ली से नजदीकी दिखाती है। देउबा के दिल्ली में दिए गये भाषण में संविधान संशोधन की बात नेपाल में शामिल नहीं की गयी लेकिन उन्होंने यहाँ आकर उसका जिक्र किया, जिसकी आलोचना भी हुई। नेपाल के राजनीतिक हलकों में यह बात है कि माओवादी – कांग्रेस के गठबंधन की सरकार को भारत सरकार का समर्थन है और देउबा को भारत को नजदीक भी समझा जाता है। लेकिन हाल ही चीन के बढ़ते प्रभाव और नेपाल का चीन की उत्साही नीतियों में रूचि लेना इस यात्रा को मात्र नेपाल की दोनों देशों के साथ ‘संतुलन की नीति’ का अवलंबन करने का प्रयास मात्र प्रदर्शित करता है।5
देउबा की इस भारत यात्रा में आधिकारिक रूप से कही भी चीन और नेपाल के रिश्तों की झलक नहीं दिखी। विगत काफी समय से दोक्लम मुद्दे पर भारत और चीन के मध्य तनातनी रही और दोनों ही देश नेपाल के रुख को देख रहे थे। देउबा पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहनसिंह और कांग्रेस मुखिया सोनिया गाँधी से मिले तो उनसे पूछा गया कि नेपाल का चीन से कैसा रिश्ता है, नेपाल के काफी बड़े शहर की कनेक्टिविटी चीन से बढ़ रही है, इसके जवाब में देउबा ने कहा कि यह सच नहीं है। नेपाली आधिअरिक सूत्रों की माने तो इस बैठक में भारत की यह बताने की कोशिश थी कि आप इधर उधर न भटके हम आपके हितों की रक्षा करेंगे, लेकिन सभी सवालों के जवाब देउबा ने बड़ी सतर्कता से दिए।6
नेपाल रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री देउबा बिहार के बोध गया स्थल पर गये। जहाँ पहले यह तय हुआ था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर बाढ़ आपदा से सम्बंधित प्रबंधन पर कुछ बातचीत होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कुल मिलाकर नेपाल के प्रधानमन्त्री शेर बहादुर देउबा की इस यात्रा में उन बिन्दुओ पर ठोस चर्चा नहीं हुई जिन पर पहले कयास लगाये जा रहे थे। देउबा के भारत आने से पहले भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नेपाल गयी और उनके बाद चीन के प्रीमियर नेपाल आये, इस परिदृश्य में नेपाल के पक्ष द्वारा एजेंडे पर इतना ध्यान नहीं दिया गया। देउबा के भारत आने से ठीक पहले नेपाल की सरकार संशोधन बिल को संसद में पेश कर उसे पास करवाने में जुटी रही, लेकिन दो तिहाई बहुमत नहीं जुटा पाई और यह पास नहीं हो पाया। इस यात्रा में देउबा की कुछ प्राथमिकता थी जैसे उनके पिछले कार्यकालों में किये गये करारों को आगे बढ़ाना और साथ ही वर्तमान में चीन से नेपाल के समझौते और दोक्लम मुद्दा इस यात्रा पर ज्यादा हावी रहे, जिसके चलते वांछित मुद्दों पर बातचीत नहीं हो सकी और यह यात्रा पिछली यात्राओं की ही एक कड़ी मात्र बन गयी।
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* लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू भवन, नई दिल्ली |
डिस्क्लेमर: आलेख में दिये गए विचार लेखक के मौलिक विचार हैं और काउंसिल के विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करते।
Endnotes
1 “Oli urges PM to raise issues of National interest during India visit”, The Rising Nepal, 22 Aygust 2017,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2017-08-23/de58bb686969400836d21f14e850e1bb.jpg
2 “Nepal open for business, says PM”, The Rising Nepal, 24 August 2017,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2017-08-24/51a09ac1cb497b7f016c9fc45a6c0276.jpg
3 “Nepal, India sign 8 point agreement”, The Rising Nepal, 25 August 2017,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2017-08-25/e96a970de9c4a2f2d135ef0dab25a114.jpg
4 “We won’t tolerate foreign interference on statute”, Republica, 28 August, 2017,
e.myrepublica.com/epaper/src/epaper.php?id=2637
5 Biswas Baral, "Sher Bahadur Deuba's India trip was further evidence of China's influence in Nepal", The Wire , 28 August 2017, https://thewire.in/171606/nepal-deuba-india-trip/
6 Anil Giri, "Nepal-China ties "figured prominently' in PM deuba's Delhi engagement", The Kathmandu Post, 26 August 2017, http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2017-08-26/1