ब्रिटेन की वर्तमान राजनीति में बदलाव और अनिश्चितता का एक दौर चल रहा है। यूरोपीय संघ के साथ सम्बन्धो के ऊपर हुए जनमत संग्रह के बाद से देश की राजनीति में एक तरह से अनिश्चितता का वातावरण है तथा जनमत संग्रह के निणर्य का अनुपालन करना ब्रिटिश सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में उभर कर आया है। प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ब्रेक्सिट का मतलब ब्रेक्सिट है और वो उसके अनुपालन को स्पष्ट दिशा देने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन लगभग एक वर्ष में हुए फैसलों और दिशा निर्देशों से लग रहा है कि ब्रिटिश सरकार के पास स्पष्ट तौर पर एक सुनियोजित योजना का अभाव है। इस परिस्थिति में व्यावसायिक वर्ग भी असमंजस की स्थिति में हैं।
यह स्पष्ट करना जरुरी हैं कि, राजनीतिक और न्यायिक फैसलों के बाद ही ब्रिटिश सरकार को ब्रेक्सिट की प्रक्रिया को शुरू करने की अनुमति मिली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ब्रेक्सिट के निर्णय को लागू करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने संसद से अनुमोदन भी करा लिया। तत्पश्चात, अपने किए वादे के अनुरूप प्रधानमंत्री मे ने यूरोपियन कौंसिल के अध्यक्ष, डोनाल्ड टस्क को मार्च २०१७ मे पत्र लिख कर उन्हें ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर जाने के निर्णय से औपचारिक तौर पर अवगत कराया। इस पत्र द्वारा औपचारिक तौर पर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच ब्रेक्सिट की प्रक्रिया की शुरूआत मानी जा सकती हैं । लेकिन प्रधानमंत्री मे ने १८ अप्रैल को नये चुनाव कराने की घोषणा कर दी, जो ८ जून को संपन्न हुए। प्रधानमंत्री मे ने स्वयं ही देश में नए चुनाव से इंकार किया था इसलिए उनकी घोषणा एक प्रकार से चकित करने वाली ही कही जा सकती है। परन्तु यहाँ इस बात का उल्लेख करना उचित होगा कि जनमत संग्रह के फैसले के बाद नए चुनाव से इंकार नहीं किया गया था। इसकी सम्भावना भी व्यक्त की गयी थी।
चुनाव परिणाम के बाद बदलते घटनाक्रम
आम चुनाव के परिणाम प्रधानमंत्री थेरेसा मे की आशा के अनुरूप नहीं रहे है। चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रधानमंत्री मे की पार्टी को स्पष्ट जनादेश मिलेगा तथा लेबर पार्टी कमजोर स्थिति में है। अतः प्रधानमंत्री मे ने ब्रेक्सिट वार्ता से पहले अपनी राजनैतिक स्थिति को और अधिक मजबूत करने का प्रयास किया। उन्होंने चुनाव प्रचार में ब्रेक्सिट पर अपने विचार के सन्दर्भ में वोट मांगा। अपने एक भाषण में, प्रधानमंत्री ने कहा था कि, “यह एक ऐसा चुनाव है जहां हर एक वोट मायने रखता है, और मेरे और कंजर्वेटिव उम्मीदवारों के लिए हर एक वोट एक वोट होगा जो ब्रेक्सिट के लिए वार्ता में मेरा हाथ मजबूत करता है।”i लेकिन इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को ३१८ सीट, लेबर पार्टी को २६२ सीट, डेमोक्रेटिक यूनिस्ट पार्टी को १० सीट तथा स्कॉटलैंड नेशनल पार्टी को ३६ सिटो पर जीत मिली।ii अतः ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री मे का दाँव उल्टा पड़ गया है। इस पूरे चुनाव में डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी एक तरह से प्रमुख भूमिका में आ गयी है। बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए कंजर्वेटिव पार्टी को डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी के सर्मथन की जरुरत होगी। दोनों दलों के बीच में समझौता हुआ हैं कि डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी सरकार को ‘all motions of confidence’-विश्वास प्रस्ताव, महारानी का भाषण, बजट, वित्त विधेयकों, धन विधेयकों, आपूर्ति और विनियोग क़ानून और अनुमान “supply and appropriation legislation and estimates” इत्यादि पर सर्मथन देगी। समझौते के तहत् यह भी है कि डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी थेरेसा मे सरकार के ब्रेक्सिट के ऊपर बिल को समर्थन देगी। दोनों दलों के बीच मे एक समन्वय समिति होगी जिसकी अध्यक्षता करेगी।iii
राजनैतिक तौर पर यह चुनाव परिणाम प्रधानमंत्री थेरेसा मे के लिए मुश्किल रहा है। प्रधानमंत्री के पास एक बहुमत वाली सरकार थी। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद अब परिस्थिति बहुत बदल गयी है। कंजर्वेटिव पार्टी ने अपना बहुमत खो दिया है। ऐसा माना जा रहा हैं कि स्वयं प्रधानमंत्री के राजनैतिक प्रभाव में कमी आयी हैं, एवम् पार्टी तथा सरकार में उनकी राजनैतिक स्थिति कमजोर हो गयी हैं। ब्रेक्सिट पर उनके विचार बहुत कड़े थे, लेकिन लेबर पार्टी की सीटो की संख्या में वृद्धि, स्कॉटलैंड में कंजर्वेटिव पार्टी की पहले की तुलना में सकारात्मक प्रदर्शन, लिबरल डेमोक्रेट्स का तुलानाम्तक जीत से स्पष्ट होता है कि संसद में कठोर ब्रेक्सिट का समर्थन कम होगा। विपक्ष के नेता जेरेमी कारबिन अब काफी मुखर हो गए है। वर्तमान परिस्थिति में डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी का विचार महत्वपूर्ण है। डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी की नेता अर्लेने फोस्टर ने कहा है कि, “कोई भी हार्ड ब्रेक्सिट नहीं देखना चाहता हैं। हमलोग एक व्यावहारिक प्लान के तहत यूरोपीय संघ से अलग होना चाहते हैं।”iv नार्दन आयरलैंड पर उसका विचार अब महत्वपूर्ण हो गया हैं। डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी नार्दन आयरलैंड और रिपब्लिक ऑफ़ आयरलैंड के बीच हार्ड सीमा (hard border) नहीं चाहती हैं।v
ब्रेक्सिट वार्ता की औपचारिक शुरूआत
जून १९, २०१७ को यूरोपीय संघ तथा ब्रिटेन के बीच ब्रेक्सिट के ऊपर बातचीत शुरू हो गयी है। यूरोपीय संघ के प्रमुख वार्ताकार का कहना है कि पहले यूरोपीय संघ के नागरिको के अधिकारो, उत्तरी आयरलैंड के साथ सीमा तथा अंतिम बिल पर चर्चा होगी। प्रधानमंत्री मे ने कहा हैं कि ब्रेक्सिट के बाद भी यूरोपीय संघ के नागरिक ब्रिटेन में रह सकते हैं और उनको ब्रिटिश नागरिको के समान ही काम का अधिकार, पेंशन, हेल्थकेयर और पब्लिक सुविधाये प्राप्त होगी। इसको जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने एक अच्छी शुरुआत कहा हैं।vi यूरोपीय संघ के वार्ताकार मिचेल बर्निएर ने और स्पष्टता की बात की हैं, उन्होंने ट्वीट किया कि, “EU goal on citizens rights: same level of protection as in EU law. More ambition, clarity and guarantee needed than today’s UK position”.vii लेकिन प्रधानमंत्री मे ने यूरोपियन कोर्ट के न्याय अधिकार को इन्कार कर दिया है। अभी वार्ता कैसे आगे बढ़ेगी यह कहना मुश्किल है।
चुनाव के बाद प्रधानमंत्री थेरेसा मे का द्रष्टिकोण यह है कि किस तरह से एक सामजस्य लाया जाए। वह पुनः अपने नेतृत्व को मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं। एक भाषण में उन्होंने कहा कि वह चुनाव में एक अलग परिणाम चाहती थी। लेकिन ये परिणाम उनके प्रतिबद्धताओं को कम नहीं करेंगे और देश में जो परिवर्तन की मांग है उसको पूरा करना हैं।viii यूरोपीय संघ के वार्ताकार मिचेल बर्निएर ने कहा है कि दूसरे दौर कि वार्ता में यूरोपीय संघ के नागरिको के अधिकारों, ब्रिटेन द्वारा यूरोपीय संघ को किये जाने वाला भुगतान तथा नार्दन आयरलैंड और आयरिश रिपब्लिक के बीच सीमा पर विचार किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि यूरोपीय संघ के नागरिको ब्रिटेन में समान अधिकार होने चाहिए जो ब्रिटिश नागरिको को यूरोपीय संघ में मिले है। वर्तमान ब्रिटिश पक्ष उनको बराबरी का दर्जा की गारंटी नहीं देता है। दूसरे उनका यह भी कहना है कि ब्रिटेन वित्तीय दायित्वों को माने जो उसको यूरोपीय संघ के मेम्बर के समय की है। वित्तीय मामलो का निवारण दोनों के आपसी रिश्तों में विश्वास के लिए जरुरी हैं। मिचेल बर्निएर का कहना हैं कि नार्दन आयरलैंड और आयरिश रिपब्लिक के बीच सीमा का मुद्दा भी बहुत जरुरी है।ix
निष्कर्ष
ब्रेक्सिट का मुद्दा ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के व्यापक सम्बन्धो के परिवर्तन की शुरुआत है, इसके बाद में दोनों को एक नये संबंधो का राजनीतिक और सामाजिक वातावरण भी बनाना है। एक बात कहना गलत नहीं होगा कि अभी दोनों के बीच में एक असमंजस की स्थिति बरकरार है। गौरतलब है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग जा रहा है, यूरोप से नहीं। यूरोप तथा उसके पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता एवम् सुरक्षा की समस्या बहुत कठिन है। पश्चिम एशिया में एक अस्थिरता का माहौल है। रूस के साथ यूरोप का वर्तमान सम्बन्ध चुनौतीपूर्ण है। राजनीतिक और सामरिक तनाव अभी तक बना हुआ है। सीरिया और यूक्रेन की समस्या पर रूस और यूरोप के बीच गतिरोध बने हुए हैं। अतः यूरोपियन देशो को सामरिक दृष्टि से ब्रिटेन के सहयोग की जरूरत पड़ सकती है। यूरोपीय संघ यह भी आशा करता है कि ब्रिटेन बहुत से मुद्दों पर अपनी नीतियों को स्पष्ट करे। यूरोपीय एकीकरण के कुछ सिद्धांतों को भी स्वीकार करे। ऐसे में आने वाला समय कैसा होगा यह कहना एकदम जल्दबाजी होगी। आज के समय में, ब्रेक्सिट ब्रिटेन तथा यूरोपीय देशो में एक महत्वपूर्ण विषय है। ब्रेक्सिट और ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के भविष्य के सम्बन्ध यूरोपीय सामरिक रणनीति को भी प्रभावित करेगा।
*****
* लेखक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली में शोधकर्ता हैं।
डिस्क्लेमर: आलेख में दिये गए विचार लेखक के मौलिक विचार हैं और काउंसिल के विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करते।
Endnotes
i“Election: Theresa May Urges Voters to 'Strengthen My Hand',” BBC, April 25, 2017, http://www.bbc.com/news/uk-wales-politics-39698499 (Accessed on April 28, 2017).
ii Election 2017, Result, BBC, http://www.bbc.com/news/election/2017/results (Accessed on June 15, 2017).
iii Agreement between the Conservative and Unionist Party and the Democratic Unionist Party on Support for the Government in Parliament, https://www.gov.uk/government/uploads/system/uploads/attachment_data/file/621794/Confidence_and_Supply_Agreement_between_the_Conservative_Party_and_the_DUP.pdf (Accessed on July 3, 2017)
iv Laura Hughes, “Who Are the DUP and Will They Demand a Soft Brexit to Prop up the Tories?” The Telegraph, June 12, 2017, http://www.telegraph.co.uk/news/0/Who-are-the-DUP-democratic-unionist-party-northern-ireland/ (Accessed on July 3, 2017)
v Ibid
vi “Theresa May Promises EU Citizens Can Stay Post-Brexit, but Rejects Calls for EU court Oversight of Rights, DW, June 22, 2017, http://www.dw.com/en/theresa-may-promises-eu-citizens-can-stay-post-brexit-but-rejects-calls-for-eu-court-oversight-of-rights/a-39376339 (Accessed on June 23, 2017).
vii Citizens' rights: EU chief Brexit negotiator calls for more clarity from UK, the Guardian, June 26, 2017, https://www.theguardian.com/politics/2017/jun/26/citizens-rights-eu-chief-brexit-negotiator-calls-for-more-ambition-from-uk (Accessed on June 23, 2017).
viii Prime Minister’s Office, 10 Downing Street and the Rt Hon Theresa May MP, “We have to invest in good work,” – Theresa May’s Speech at Taylor Review Launch, 11 July 2017.
ix Jane Mcintosh, “EU Brexit Negotiator Michel Barnier Sets Out Tough Stance for UK Talks,” DW, July 7, 2017, http://www.dw.com/en/eu-brexit-negotiator-michel-barnier-sets-out-tough-stance-for-uk-talks/a-39656464 (Accessed on July 13, 2017).