पारस्परिक संवादों और यात्राओं की निरंतरता की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नेपाल की तीन दिवसीय (२-४ नवम्बर) राजकीय यात्रा की। भारत के राष्ट्रपति की अगुवाई में त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी समेत कई नेता मौजूद थे। सर्वप्रथम मुखर्जी ने नेपाल की राष्ट्रपति से मुलाकात की और कई विषयों पर चर्चा की। नेपाल के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति कार्यालय, शीतल निवास पर हुई बैठक में दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने सदियों पुराने भारत नेपाल सम्बन्ध और पारस्परिक हितों एवं चिंताओं के विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। बहुत ही सौहाद्र पूर्ण माहौल में हुई इस बैठक में दोनों देशों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और लोगों से लोगों के आपसी संपर्क को और सुदृढ़ करने पर चर्चा हुई। मंत्रालय के प्रवक्ता भरत राज पौडयाल ने बताया कि भारतीय राष्ट्रपति ने नए संविधान की घोषणा पर और होने वाले संशोधनों के लिए नेपाल की राष्ट्रपति, नेपाल के लोगों और संवैधानिक सभा को बधाईयां दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत हमेशा नेपाल के लोगों और नेपाल की सरकार की सहायता के लिए तत्पर है। इस दौरान मुखर्जी ने कहा कि नेपाल के घनिष्ठ पडौसी होने के नाते भारत नेपाल के साथ विकासशील साझेदारी और नेपाल के लोगों के विकास पर गर्व अनुभव करता है। भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में वर्तमान में जबरदस्त आर्थिक परिवर्तन हो रहा है और नेपाल के लोगों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इसके साथ साथ नेपाल को भारत की इस विकास यात्रा में सहभागी भी बनना चाहिए। इस अवसर पर नेपाल की राष्ट्रपति भंडारी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रपति की यह यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगाढ़ता लाने में काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की यात्रा के बाद भारत के राष्ट्रपति की यह यात्रा संबंधों को और प्रोन्नत करने में सहायक होगी। नेपाल में १८ वर्षों बाद भारतीय राष्ट्रपति की यह यात्रा थी इससे पहले १९९८ में राष्ट्रपति के आर नारायणन ने नेपाल की यात्रा की थी।1
इस यात्रा के दूसरे दिन भारतीय राष्ट्रपति मुखर्जी ने पशुपतिनाथ मंदिर का भ्रमण किया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पशुपतिनाथ मंदिर के भ्रमण के दौरान यहाँ के घाटों के पुनर्निर्माण में भारत द्वारा सहायता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पशुपतिनाथ मंदिर भारत और नेपाल दोनों के लिए एकसमान तीर्थ स्थान है। यह मंदिर सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्वता को परिलक्षित करता है। मुखर्जी ने यहाँ विशेष पूजा अर्चना की और भूकंप के दौरान परिसर में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।2
भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को नेपाल के काठमांडू विश्विद्यालय द्वारा एक विशेष दीक्षांत समारोह के दौरान डी लिट् की मानद उपाधि प्रदान की गयी। प्रधानमंत्री और कुलपति पुष्प कमल दहाल ने मुखर्जी को यह उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए दहाल ने कहा कि प्रणव मुखर्जी एशिया के सर्वोपरि नेता है और भारत के विकास पथ को आगे बढ़ाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। काठमांडू विश्वविद्यालय की स्थापना के २५ वर्षों में तीसरी बार किसी गणमान्य व्यक्ति को इस प्रकार से मानद उपाधि दी गयी है। इससे पूर्व करण सिंह और सत्य मोहन जोशी को यह उपाधि प्रदान की गयी थी।3
भारत और नेपाल दोनों की ओर से कहा गया कि भारतीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की तीन दिवसीय भारत यात्रा सफल रही। शुक्रवार शाम को काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ट्विट करके बताया कि यह यात्रा बड़े स्तर पर सफल रही वही नेपाल की सरकार ने कहा कि यह यात्रा सफल रही और पारस्परिक तौर पर नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी भी जल्द ही भारत की यात्रा करेंगी। राष्ट्रपति मुखर्जी ने नेपाल में अपने संबोधन के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति को भारत आने का निमंत्रण भी दिया।4
नेपाली मीडिया की प्रतिक्रिया:
भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की तीन दिवसीय नेपाल यात्रा को नेपाल के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में मुखपृष्ठ पर स्थान दिया गया। नेपाल के प्रमुख अंग्रेजी अख़बारों द राइजिंग नेपाल, द हिमालयन टाइम्स और द काठमांडू पोस्ट ने इस यात्रा को प्रारंभ से ही क्रमबद्ध रूप से अपने मुखपृष्ठ पर छापा और अंततः इसे एक सफल यात्रा माना। द राइजिंग नेपाल ने इस संदर्भ में यह कहा कि पहले भारत द्वारा विगत वर्ष में नेपाल के संविधान की घोषणा के बाद भारत ने इसे मात्र नोट किया था लेकिन अभी भारत के राष्ट्रपति ने इस नए संविधान, इसके क्रियान्वयन और संशोधन का स्वागत किया है। एक अन्य अंग्रेजी अखबार नेपाली टाइम्स ने अपने ब्लॉग पर राष्ट्रपति मुखर्जी की यात्रा को व्यंगात्मक रूप में पेश करते हुए कटाक्ष किया है। इस खबर का शीर्षक है “Pranab Da Say Sorry”, इसके जरिये यह बताने की कोशिश की गयी है कि भारत ने (तथाकथित) पिछले वर्ष सीमा पर जो नाकेबंदी की थी उससे नेपाल की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी। अतः प्रणव मुखर्जी को माफ़ी मांगनी चाहिए , इसी मुद्दे को लेकर नेपाल में सोशल मीडिया पर भी इसे हैश टैग बनाकर अच्छी खासी चर्चा रही। भारतीय राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान सार्वजनिक अवकाश घोषित किये जाने पर भी सरकार की आलोचना की गयी।
नेपाली अखबार नया पत्रिका ने भी इस यात्रा के सभी पहलुओं को अपने अखबार में स्थान दिया। प्रारंभ वाले दिन की खबर को इस अखबार ने काफी भव्य तरीके से पेश किया। जिसका मुखपृष्ठ पर शीर्षक था ‘भारतीय राष्ट्रपतिको भव्य स्वागत’ लेकिन इस खबर के साथ ही यह भी दिखाया गया कि कैसे काठमांडू की सड़कों को खली करवा दिया गया और आकाश में हेलिकॉप्टर घूम रहे थे, ऐसा सुरक्षा कारणों से बताया गया। इससे लोगों को कितनी दिक्कत हुई इसके बारे में भी लिखा गया। इसको लेकर अभिनेता राजेश हमाल ने कहा कि कभी हमारे देश में नाकेबदी करते है और यहाँ आकर कर्फ्यू लगा देते है। दूसरे दिन इस अखबार ने राष्ट्रपति मुखर्जी के सब नेताओं के साथ भेटवार्ता का उल्लेख किया। भारतीय राष्ट्रपति ने एमाले के मुखिया के पी शर्मा ओली से बातचीत की, जिसमे मुखर्जी ने एमाले को संविधान के कार्यान्वयन को सुचारू रूप से संचालित करने की बात कही। ओली ने राष्ट्रपति मुखर्जी को स्मरण दिलाया कि उनका संविधान लोकप्रिय जनाधार पर घोषित हुआ है। इसके अतिरिक्त मधेसी नेताओं से भी भारतीय राष्ट्रपति ने मुलाकात की। मधेश नेताओं ने संविधान में संशोधन और कार्यान्वयन की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रथम संवैधानिक सभा के समय सरकार और मधेशियो के मध्य हुए समझौते के बीच भारत साक्षी था लेकिन अब सरकार उसे मानने के लिए तैयार नहीं है। एक प्रकार से इस वार्ता के दौरान मधेश नेता भारत पर वर्तमान संविधान में संशोधन का दबाव बना रहे थे।5 एक अन्य मुख्य खबर यह भी रही कि राष्ट्रपति मुखर्जी के पोखरा जाने पर वहां कुछ लोगों ने उन्हें काले झंडे गुब्बारों में लगाकर दिखाए। इस दौरान वहां दो लोगों टीकाराम घीमरे और कप्तान को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बाद मुखर्जी जनकपुर गये और वहां रामजानकी मदिर में पूजा अर्चना की। वहां उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से रामायण के दौर से भारत नेपाल के मध्य रोटी बेटी का सम्बन्ध रहा है और यह आगे भी कायम रहना चाहिए।
नया पत्रिका के ६ नवम्बर के अंक में मुखर्जी की भारत यात्रा पर भारत मोहन अधिकारी ने “मुखर्जी भ्रमणको सन्देश शीर्षक से अपना एक दृष्टिकोण लिखा। यह लेख काफी आलोचनात्मक रवैये से लिखा गया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति मुखर्जी के नेपाल पहुँचने के एक घंटे के अन्दर भीतर ही नेपाल के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वरिष्ठ राजनैतिक नेता और व्यापारीगण उनसे भेंट करने पहुँच गये। इससे भारतीय दृष्टिकोण के मन अपना मिशन सफल प्रतीत होता दिखाई देता है। प्रधानमंत्री प्रचंड को जो बाते मुखर्जी के सामने रखनी थी वो उन्होंने नहीं रखी, उन्होंने नहीं बताया कि नेपाल में भारत विरोधी आवाजें क्यों उठ रही है। बल्कि उन्होंने भारतीय राष्ट्रपति के आने पर राजकीय अवकाश घोषित कर दिया, जो कि लज्जाजनक निर्णय है। इस प्रकार के निर्णय सरकार की चापलूसी मनोवृति को दर्शाती है। इस बार सरकार की राजनीतिक तैयारी कम थी और स्वागत करने की ज्यादा थी। मुखर्जी की यह यात्रा मात्र मधेशियों की समस्या को संबोधित करने के लिए थी न कि पूरे नेपाल को। नेपाल के विकास के लिए मात्र भारत ही नहीं अमेरिका, जापान और चीन भी विकास में सहयोग दे सकते है। नेपाली जनता में भारत विरोधी भावना क्यों है इसका समाधान नौकरशाही नहीं कर पा रही। वास्तव में नेपाल के मामले में कांग्रेस, बीजेपी दोनों ही उदासीन दिखती है और नौकरशाही के नजरिये में बदलाव नहीं आने के कारण दोनों देशों के बीच आये गैप (अंतराल) को ख़त्म नहीं किया जा सकता। भारतीय राष्ट्रपति के जाने के बाद हमें चीन के राष्ट्रपति के आने से पहले गृहकार्य कर लेना चाहिए और मुखर्जी की यात्रा से कुछ शिक्षा लेनी चाहिए।6
कांतिपुर नेपाली अख़बार के मुख्पष्ठों पर भी इस यात्रा को तीनों दिन स्थान दिया गया जो कि अन्य अंग्रेजी अख़बारों की तरह ही था। अख़बार के सम्पादकीय में श्रीकृष्ण अनिरुद्ध गौतम ने “मुखर्जी भ्रमण: एक पृथक मंथन” शीर्षक से लेख लिखा। यहाँ पर वस्तुतः सामान्य ढंग से पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण किया गया परन्तु लेखक ने यह अंततः निष्कर्ष निकाला कि नेपाल के नेताओं में भारत के प्रति मन में एक भय है जिसके कारण जब भी भारत से कोई राजनीतिक शीर्ष नेतृत्व यहाँ आता है बेचारे उसकी जय जयकार में लग जाते है। इस यात्रा को भी यहाँ इसी रूप में दिखाया गया है।7
नेपाली अखबार गोरखापत्र में भी इस खबर को प्रमुख स्थान दिया गया जैसे कि अन्य अखबारों ने इसे छापा था। लेकिन विशेष बात यह थी कि इसके सम्पादकीय में इस यात्रा को काफी सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया। यहाँ धर्मेन्द्र झा द्वारा “नेपाल भ्रमणको प्रणव सन्देश” शीर्षक से लेख छपा। उनका मूलतः कहना था कि यह यात्रा भारत नेपाल संबंधों में प्रगाढ़ता लाने बहुत उल्लेखनीय रही है। मुखर्जी द्वारा संविधान कार्यान्वयन और संशोधन के लिए बधाई देने से नेपाल के एक बड़े वर्ग में प्रसन्नता और विश्वास आया।
नेपाल के हिंदी साप्ताहिक अखबार हिमालिनी ने भी क्रमवार इस घटना को छापा। मुखर्जी की यात्रा के परिप्रेक्ष्य में मधेश हितों को इस अखबार ने प्रमुखता दी। यहाँ भारतीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के भव्य स्वागत के अलावा उनके महत्वपूर्ण बयानों का भी वर्णन किया गया। मधेशी नेताओं से बातचीतके दौरान उन्होंने कहा कि नये संविधान के प्रभावकारी कार्यान्वयन के लिये सभी पक्ष को समेट्ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों को समेटकर ले जाने का प्रयाश स्वागत योग्य है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि“नये संविधान की प्रभावकारी कार्यान्वयन के लिये नेपाल सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों को एक साथ ले जाने का प्रयास की हम सफलता की कामना करतें है। उनका स्पष्ट संकेत तराई केन्द्रित असंतुष्ट दलों की ओर था। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने तराई के नेताओं को कहा कि उन्हें विश्वास है कि मधेश की मांग भी पूरी होगी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से अपने भेंट में तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि संसोधन दिखावा मात्र है। ठाकुर ने कहा कि उन्हें नही लगता है कि संविधान में मधेश की इच्छा अनुसार संसोधन किया जायेगा। वहीं फोरम के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से कहा कि मांग पूरा नही हुई तो आन्दोलन ही विकल्प है। उन्होंने कहा कि अब होने वाले आन्दोलन में हम अपने सभी पडोसी से सहयोग की अपेक्षा रखतें है। इसी तरह सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने कहा की सरकार संसोधन के नाम पर आल टाल कर रही है। नेपाल के राजनीतिक मामले में बहुत ही सावधानी पूर्वक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की शब्दावली चयन की गई थी। वही कुछ लोगों को लगता है कि राष्ट्रपति ने संविधान का स्वागत भी कर दिया और अब भारत का रुख भी बदल गया है। लेकिन उन्होंने बड़ी ही मर्यादित और सावधानी पूर्वक भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने विगत में नेपाल और भारत के बीच मतान्तर होने के बाबजूद दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा उसका समाधान खोजने पर भी खुशी व्यक्त की व्यक्त की।8
इस समाचार पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री ओली द्वारा भारत के राष्ट्रपति मुखर्जी के स्वागत समारोह में न जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। यहाँ कहा गया कि नेपाल को गौरवान्वित होना चाहिये और अपने धर्म संस्कृति पर गर्व करना चाहिये जिसकी वजह से आज भारतीय राष्ट्रपति नेपाल में हैं। नेपाल को इस घड़ी का बहुत ही सही उपयोग करना चाहिये। राजनैतिक रूप से, कूटनैतिक रूप से, अनुभव में एक परिपक्व नेता का साथ तीन दिन के लिए मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। इस समय जितना ज्यादा से ज्यादा राष्ट्रपति मुखर्जी के संग का सदुपयोग किया जाय वह नेपाल और नेपाली के लिये अच्छा रहेगा। ऐसा मौका बार बार नहीं आता इसलिये इस विशिष्ट अतिथि को योग्य स्वागत सत्कार होना चाहिए। समझदार के लिये इशारा काफी होता है, परन्तु जो हठी हो, जिसके लिये न कोई मानमर्यादा, न कोई नीति नियम, न कोई आचार विचार, वह अपने ही ढंग से मनमानी करने में ही अपना बहादुरी समझता है। वही हाल अभी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी एमाले का है। अपना ओछापन् को राष्ट्रीयता का पगड़ी समझ कर इस अबसर को दूषित करने पर पूरा पूरा उतारू है। आखिर एमाले प्रणव मुखर्जी के भ्रमण से दुःखी क्यों है ? क्या तीन दिन की सार्वजनिक छुट्टी हुई इसलिये दुखी है ? क्या भारत ने विभेदि संविधान को सही करने के लिए कहा इस लिए दुखी है ? क्या मुखर्जी जनकपुर आ रहे हैं इसलिए दुखी है ? क्या कारण है कि ओली जी, भीम रावल जी जैसे एमाले के वरिष्ट कार्यकर्ता को मुखर्जी का भ्रमण नहीं भा रहा है ? एमाले को यह पता होना चाहिए की भारतीय राष्ट्रपति आध्यात्मिक एवम् सांस्कृतिक यात्रा पर हैं। हमारी संस्कृति और अध्यात्म “अतिथि देवो भव” सिखाता है। अगर दुश्मन भी अतिथि के रूप में आये तो उसे भी स्वागत करना हमारी संस्कृति है फिर भारत से तो हमारा पारिवारिक सम्बन्ध है । फिर इस तरह का वर्ताव क्यों ? अपनी संस्कृति को ही धूमिल करने पर लगा एमाले सारा मान मर्यादा को भूल गया और भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित स्वागत कार्यक्रम में नहीं गयें ओली महाशय। इस तरह की ओछी हरकत करके अपने आपको राष्ट्रवादी प्रमाणित किया जाता है ? एमाले के वरिष्ट नेता भीम रावल जी का कहना है कि नेपाल को सार्वजनिक छुट्टी नहीं देना चाहिए । चलिये मानते हैं, लेकिन इस बात की चर्चा अपनों में करनी चाहिये, क्योंकि छुट्टी नेपाल सरकार ने दिया है न कि मुखर्जी ने कहा था। स्वागत समारोह वहिष्कार करना ओली जैसे पूर्व प्रधानमंत्री और एमाले के राष्ट्रिय अध्यक्ष के लिये बिल्कुल शोभनीय नहीं था। परंतु वह घटना घट गई, सही हुई या गलत और इसका प्रभाव एमाले के ऊपर कैसा रहेगा इसका विश्लेषण समय करेगा परन्तु अब जो समय बाँकी है इसमें एमाले को अपनी ओछापन छोड़कर उदार बनना होगा। क्यों कि वैसे भी एमाले ने संविधान संसोधन में अड़ंगा लगाकर अपनी छवि विवादित बना रखा है, अगर इसी तरह से बचपना करते रहे तो वह एमाले के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। एमाले को भी आम जनता की तरह ख़ुशी मनाना चाहिए और इस सांस्कृतिक एवम् आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण रूप से सफल बनाने में अपना सम्पूर्ण सहयोग देना चाहिये।9
अतः इस प्रकार से नेपाल के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की इस नेपाल यात्रा को व्यापक रूप से जगह मिली। कुछ अख़बारों ने आलोचना करते हुए इसे मधेश केन्द्रित यात्रा कहकर भारत का निजी एजेंडा बताया। वही कुछ अख़बारों ने मुखर्जी द्वारा संविधान के क्रियान्वयन के स्वागत पर उनकी जमकर तारीफ की। एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि उनके भव्य स्वागत और उनके इस स्वागत की कुछ नेताओं द्वारा भर्त्सना करने की बातों का भी सभी अख़बारों ने विश्लेषण किया। वस्तुतः यह यात्रा दोनों देशों के मध्य संवाद, आपसी चिंता और निरंतर भेट करने के उद्देश्य सफल मानी गयी।
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* लेखक , शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, सप्रू हाउस, नई दिल्ली.
व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद के नहीं.
End Notes
1 Modnath Dakhal, “India ready to extend support Nepal”, The Rising Nepal, November 2, 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-11-03/7f0acd152a0641cbdc8076a69f779458.jpg
2 “Mukherjee keen to rebuild Pashupatinath Ghat”, The Rising Nepal, November 3, 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-11-04/f982dda65e8b1a69586522211fb9130d.jpg
3 “Indian president conferred with D litt degree”, November 2, 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-11-04/fef69eb46a0c916e36571d789e1b87db.jpg
4 Modnath Dhakal, “Visit successful”, The Rising Nepal, November 4, 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-11-05/5582afcad7273dfa15facc2bbce5ddf3.jpg
5 “संविधान कार्यन्वयनमा मिल्न सुझाब”, नया पत्रिका, नवम्बर ४, २०१६,
http://www.enayapatrika.com/enayapatrika.com/ep/november-04/
6 भारत मोहन अधिकारी, “मुखर्जी भ्रमणको सन्देश”, नया पत्रिका, नवम्बर ६, २०१६,
http://www.enayapatrika.com/2016/11/102414
7 श्रीकृष्ण अनिरुद्ध गौतम, “मुखर्जी: एक पृथक मंथन”, नवम्बर ४, २०१६,
http://epaper.ekantipur.com/kantipur/2016-11-04/6
8 “भारतीय राष्ट्रपति मुखर्जी से मधेशी नेताओं ने कहा: आन्दोलन ही विकल्प, नवम्बर ४, २०१६,