नेपाल सरकार ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की छ दिवसीय भारत यात्रा की आधिकारिक घोषणा की है। इस यात्रा की तिथि की घोषणा के बाद महत्वपूर्ण बात यह रही कि नेपाल के नए संविधान पर भारत की प्रतिक्रिया के आलोचक और उसके बाद नाकेबंदी के परिदृश्य में प्रधानमंत्री ओली का बीजिंग या भारत जाने का काफी समय से चल रहा अस्पष्ट अनुमान अब स्पष्ट हो गया है। विगत माह में ओली ने पत्रकारों के समक्ष यह बात स्पष्ट की थी कि वे देश में अनुकूल परिस्थिति होने के बाद ही दिल्ली की यात्रा करेंगे।1 पिछले दस दिनों में नेपाल के सेना प्रमुख राजेन्द्र छेत्री (१-६ फरवरी) और वित्त मंत्री बिष्णु पौडल (७-९ फरवरी) भारत की यात्रा कर चुके हैं और उन्होंने नेपाली प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले भ्रमित परिस्थितियों और आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की। भारत और नेपाल के विदेश मंत्रालय की वेबसाईट की प्रेस विज्ञप्ति में भी इस खबर की आधिकारिक रूप से पुष्टि १२ फरवरी को कर दी गयी है। इसमें कहा गया है कि यात्रा के दौरान दोनों पक्षों द्वारा यह उम्मीद जताई जा रही है कि पारस्परिक चिंताओं पर वृहद रूप से चर्चा होगी और साथ ही साथ विकासात्मक सहायता, ऊर्जा और संपर्क जैसे विभिन्न द्विपक्षीय सम्बन्धों पर भी चर्चा की आशा है।2 प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के साथ इस यात्रा में नेपाल के उपप्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री, अन्य मंत्री एवं व्यापारी समूहों समेत ४० लोगों के आने की सम्भावना है।
प्रधानमन्त्री के पी शर्मा ओली ने ८ फरवरी २०१६ को एक सलाहकारी बैठक का आयोजन किया जिसमें भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों और उन राजनयिकों ने भाग लिया जिन्होंने भारत में अपनी सेवाएं दी थी। जिसमें उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कमल थापा, उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भीम बहादुर रावल, भूतपूर्व प्रधानमन्त्री झालानाथ खनाल, माधव कुमार नेपाल, मंत्रिपरिषद के पूर्व अध्यक्ष खिलराज रेगमी, भूतपूर्व विदेश मंत्री भेष बहादुर थापा, महेंद्र बहादुर पांडेय, माधव प्रसाद घीमरे, भूतपूर्व विदेश सचिव मदन कुमार भट्टाराई और मधुरमण आचार्य शामिल हुए।3 बैठक के दौरान भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों और राजनयिकों ने भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की सलाह देते हुए कहा कि “हम आज एक ऐसी महत्वपूर्ण घड़ी में हैं जब दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों पर बात होने जा रही है।”4 यह दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों को उन्नत करने का संकेत है, जब नए संविधान की घोषणा के बाद गंभीर रूप से दोनों देशों के मध्य दरार आ गयी थी, जिसके कारण भारत नेपाल सीमा पर मधेशियों द्वारा नाकेबंदी का प्रस्फुटन हुआ था और इसने नेपाल को घोर आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया था।
भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों और राजनयिकों ने प्रधानमंत्री ओली को बताया कि इस अवसर पर विश्वास निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है और इस पर प्रधानमंत्री ओली के विदेशी मामलों के विशेषज्ञ गोपाल खनाल ने कहा कि ‘कोई नया करार करने की बजाय उन्हें सम्बन्धों के पुनरावलोकन पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए’। भूतपूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को नेपाल, भारत और चीन के मध्य त्रिपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि नेपाल की स्वतंत्रता और सार्वभौमिकता के साथ कोई समझौता किये बिना इस अवसर पर दोनों देशों के सम्बन्धों को ऊँचाई पर ले जाने की आवश्यकता है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल ने कहा कि आज इस अवसर पर पूरे देश और दुनिया की नजर इस यात्रा पर है, अतः नेपाल को भारत के साथ बहुआयामिक सम्बन्धों पर ध्यान देना चाहिए। भेष बहादुर थापा ने कहा कि भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की पहल में संचार, यातायात, आय की वृद्धि जैसे मुद्दों को भी इस यात्रा के दौरान उठाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत के साथ जो हमारी गहरी मित्रता है उसमें विगत कुछ दिनों से जटिलता आ गयी थी, उसे अब त्यागने की जरुरत है और इस काल में नेपाल की जनता जिस पीड़ा से गुजरी है, इस यात्रा से यह सुनिश्चित हो कि ऐसी पीड़ा उन्हें भविष्य में नहीं होगी।5 खिलराज रेगमी ने इस यात्रा के बारे में कहा कि यात्रा से पूर्व ही एजेंडा तय कर लिया जाना चाहिए जिससे कि नेपाली प्रधानमंत्री भारत के कुटनीतिक दवाब में न आ सके। दोनों देशों के मध्य केवल आर्थिक मुद्दों पर जोर होना चाहिए। प्रधानमंत्री ओली को पांच बातों पर कोई समझौता नहीं करना चाहिए; ये हैं - सार्वभौमिकता, स्वतंत्रता, भौगोलिक अखंडता, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्रीय हित।6 पूर्व राजदूत लोकराज बराल ने कहा कि इस भारत यात्रा को कुटनीतिक और राजनीतिक रूप में न देखकर सम्बन्धों को दुरुस्त करने के प्रयास के रूप में देखना चाहिए। भूतपूर्व विदेश मंत्री माधव घीमरे ने कहा कि भारत के साथ वार्ता में प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखना एक अच्छी शुरुआत है। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ओली ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और पंचशील के ‘विदेश नीति के पांच सिद्धांत’ पर भी जोर दिया।7 उन्होंने आगे कहा कि वे नेपाल की संप्रभुता और इससे सम्बंधित मामलों पर कोई समझौता नहीं करेंगे जिससे कि नेपाल की राष्ट्रीय अखंडता पर दुष्प्रभाव पड़ता हो।8 यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस सलाहकारी बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल, डॉ बाबूराम भट्टाराई और शेर बहादुर देउबा उपस्थित नहीं थे।
नेपाल की संसद १६ फरवरी को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व के माध्यम से विदेशी निवेश को नेपाल के लिए आकर्षित करना भारत यात्रा एजेंडे में शामिल है जिससे कि नेपाल के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। उन्होंने संसद को यह भी सूचित किया कि वे भारत यात्रा के दौरान गुजरात भी जायेंगे, जहाँ २००१ में भुज में आये भूकंप के बाद टेहरी बाँध पर हुए पुनर्निर्माण का अवलोकन करेंगे।9
भारत यात्रा से पूर्व नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व में १९५० की भारत-नेपाल संधि के पुनरावलोकन की बात को भी उठाया गया। इस बात को भारत यात्रा के दौरान उठाना है कि नहीं इस बिंदु पर विचार विमर्श हेतु एक समिति का भी गठन किया गया है। नेपाली राजनीतिक हलकों में ऐसा माना जा रहा है कि यदि ओली की इस भारत यात्रा के दौरान १९५० की संधि का पुनरावलोकन हो जाता है तो नेपाल की राजनीति में उनका कद और ऊँचा हो जायेगा।10
प्रधानमंत्री ओली की पहली भारत यात्रा से पूर्व वित्त मंत्री बिष्णु प्रसाद पौडल ने दिल्ली की तीन दिवसीय यात्रा की और वे भारतीय प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा कई भारतीय अधिकारियों से मिले। पौडल के साथ वित्त सचिव लोक दर्शन रेगमी और विदेश सचिव शंकर दास बैरागी ने भी शिरकत की।11 विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बैठक के दौरान पौडल ने नेपाल की राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में अवगत कराया और मधेशी दलों की मांगों के निदान हेतु संविधान में तत्कालीन संशोधन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा के बारे में बताने के साथ साथ भारतीय सहायता और अप्रैल में आये भूकंप की त्रासदी के बाद नेपाल में पुनर्निर्माण के प्रयासों पर भी चर्चा की।12
भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नेपाल के वित्त मंत्री बिष्णु पौडल से आग्रह किया कि भूकंप के बाद पुनर्निर्माण की योजना को जल्द से जल्द पूरा करें जिससे कि भारत सरकार द्वारा दी गयी १ बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता का उचित उपयोग हो सके। आर्थिक सहायता में २५ प्रतिशत अनुदान के रूप में था और शेष राशि हलके ऋण के रूप में थी। वित्त मंत्री जेटली ने यह आशा जताई कि भारतीय निवेशक नेपाल में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सड़क निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी निवेश करेंगे। नेपाल के वित्त मंत्री ने भारतीय पक्ष को सूचित किया कि नेपाल एक विशेष संरचनात्मक विकास बैंक की स्थापना कर रहा है और इसके लिए भारत से सहायता की अपेक्षा रखता है।13
एक वामपंथी विचारधारा के साथ नेपाली मीडिया में पहले यह इंगित किया गया कि प्रधानमंत्री ओली नई दिल्ली से पहले बीजिंग की यात्रा करेंगे। यद्यपि शुरुआत में चीन सरकार द्वारा कहा गया कि नेपाल और चीन दोनों मुक्त व्यापार, आवागमन मार्ग और चीन से पेट्रो उत्पादों के आयात पर करार/समझौता करने जा रहे हैं, पर वर्तमान परिस्थिति में ओली सरकार इस प्रकार के समझौते करने से पीछे हट गयी। यह निर्णय इसलिए लिया गया कि इस कदम से भारतीय नेतृत्व और अधिक नाराज न हो। इस प्रकार ओली का एकमात्र एजेंडा नाकेबंदी को खत्म करना रहा और प्रधानमंत्री के रूप में पहली विदेश यात्रा दिल्ली आना है।14
उम्मीदें और संभावनाएं
भारत और नेपाल दोनों की ही तरफ से यह मंशा जाहिर की जा रही है कि दोनों के मध्य सम्बन्धों को सामान्य और सहज बनाया जाये। व्यापारिक नाकेबंदी के कारण भारत और नेपाल दोनों ओर के व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ और कष्ट वाले दौर से गुजरना पड़ा। वहीँ नेपाल के बाजारों में आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गयी, जिसके कारण दैनिक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो गयी और इसके कारण आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ओली द्वारा भारतीय नेतृत्व के साथ सम्बन्धों को सामान्य करने की प्रमुख मंशा रहेगी, इसलिए पूर्व में संविधान की घोषणा के पश्चात् पैदा हुई हर प्रकार की भ्रान्ति और अविश्वास को दूर करने की सख्त आवश्यकता है। भूकंप और नाकेबंदी के बाद नेपाल की अर्थव्यवस्था और भी चरमरा गयी है, इसलिए प्रधानमंत्री ओली भारतीय नेतृत्व से और आर्थिक पैकेज की मांग कर सकते हैं, जिससे नेपाल में पुनर्निर्माण का काम भली भांति हो सके तथा राजनीतिक रूप से परिवर्तनशील अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके।
भारतीय नेतृत्वगण उन तरीकों और रास्तों को जानना चाहेगा जिसके द्वारा नेपाल सरकार मधेशी मामले का निदान करने का प्रयास कर रही है और जिसके प्रदर्शन के कारण दोनों देशों की सीमा पर नाकेबंदी रही और सम्बन्धों में कडवाहट भी आई। भारत की तरफ से यह भी जाँच का विषय हो सकता है कि अप्रैल २०१५ के भूकंप के दौरान दिए गये अनुदान का उपयोग किस प्रकार हुआ। भारतीय नेतृत्व नेपाल सरकार द्वारा संविधान में किये गए विभिन्न प्रस्तावित संशोधनों को भी समझने का प्रयास करेगा और उनका मूल्यांकन करेगा कि भारत नेपाल सीमा पर बसे समुदाय पर इसका किस प्रकार अतिव्यापी प्रभाव पड़ रहा है।
यह समझना चाहिए कि नेपाल और भारत के मजबूत द्विपक्षीय सम्बन्ध भारत की आजादी के बाद से निरंतर बने रहे हैं। दोनों देशों के सम्बन्धों में उतार चढ़ाव आते रहे हैं, लेकिन १९५० की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि एक केंद्र बिंदु रही है जिसके आधार पर दोनों देशों के सम्बन्ध उन्नत हुए हैं। यदि नेपाली नेतृत्व आपसी सम्बन्धों को पंचशील जैसे सिद्धांतों के आधार पर पुनर्भाषित करना चाहेगा, जो कि नेपाल और भारत के मध्य कभी निर्देशित सिद्धांत नहीं रहा और जो कि भारत और चीन के मध्य रहा है, तो यह केवल दोनों तरफ के राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और अकादमिक समुदायों के मध्य सारगर्भित संवाद के बाद भारत और नेपाल के नेतृत्व के मध्य पारस्परिक सहमति से ही किया जाना चाहिए। ज्यादा उम्मीद न करते हुए इस यात्रा को आपसी संबंधों में आधारभूत परिवर्तन होने से अधिक दोनों देशों के सम्बन्धों को सुधारने की दिशा में एक प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।
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* लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, सप्रू हाउस, नई दिल्ली.
व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद के नहीं.
1 “PM Most Likely to Visit India from Feb 19-23,” The Himalayan Times, January 30, 2106, https://thehimalayantimes.com/nepal/pm-most-likely-to-visit-india-from-feb-19-23/.
2 “Visit of Prime Minister of Nepal to India (February 19-24, 2016),” Ministry of External Affairs, Government of India¸ February 12, 2016, http://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/26352/Visit_of_Prime_Minister_of_Nepal_to_India_February_1924_2016.
3 “PM Suggested to Consider National Interest,” DC Nepal, February 8, 2016, http://www.dcnepal.com/news/english_news.php?nid=192152.
4 “PM Holds Consultations for Maiden India Visit,” The Kathmandu Post, February 9, 2016, http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2016-02-09/pm-holds-consultations-for-maiden-india-visit.html.
5 लक्की चौधरी, “प्रधानमंत्री को भारत भ्रमण,” गोरखापत्र, १५ फरवरी २०१६, http://gorkhapatraonline.com/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-02-15/468b4c1dabc47cd9ced536fa72ebd227.jpg.
6 लक्की चौधरी, “भारत भ्रमणबारे प्रधानमंत्री परामर्शमा,” गोरखापत्र, ९, फरवरी २०१६, http://gorkhapatraonline.com/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-02-09/7f61feca6fe99c8e1a332b01a70f1a3f.jpg.
7 परशुराम काफले, “भारतसंग के एजेंडा राखदे छन प्रधानमंत्री?” नयाँ पत्रिका, ९ फरवरी २०१६, http://www.enayapatrika.com/epaper/feb-09/.
8 “PM Holds Consultations for Maiden India Visit,” The Kathmandu Post, February 9, 2016, http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2016-02-09/pm-holds-consultations-for-maiden-india-visit.html.
9 “Nepal-India Relations would be Based on Mutual Benefit: PM Oli,”
http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2016-02-16/nepal-india-relations-would-be-based-on-mutual-benefit-pm-oli.html.
10 धनपति कोइराला, “प्रधानमंत्रीको कर्तव्यपथ,” गोरखापत्र, ९, फरवरी २०१६, http://gorkhapatraonline.com/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-02-09/0bee3b88fd7c1385f7132c6a5333767e.jpg.
11 “FinMin Poudel Steps up Political Meetings in Delhi,” The Kathmandu Post, February 7, 2016, http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2016-02-07/finmin-poudel-steps-up-political-meetings-in-delhi.html.
12 “Minister Paudel Meets Sushma Swaraj, Rajnath Singh in Delhi,” The Himalayan Times, February 7, 2016, https://thehimalayantimes.com/nepal/minister-paudel-meets-sushma-swaraj-in-new-delhi/.
13 “India Urges Nepal to Finalise Reconstruction Programme,” The Himalayan Times, February 9, 2016, https://thehimalayantimes.com/business/india-urges-nepal-to-finalise-reconstruction-programme/.
14 “Oli to visit Beijing after Delhi”, People’s Review, December 30, 2015, http://www.peoplesreview.com.np/index.php/component/k2/item/3407-oli-to-visit-beijing-after-delhi