अप्रैल 2015 के मध्य में सम्पन्न हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा उद्देश्यपरक राजनयिक सक्रियतावाद को प्रतिबिम्बित करती है। यह यात्रा आर्थिक विकास, आधारभूत ढांचा विकास, कौशल विकास, सुरक्षा संबर्धन, आतंकवाद-निरोध, स्वच्छ ऊर्जा के विकास, परमाणु राजनय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में देश को यथोचित स्थान दिलाने के लिए भारत के गंभीर राजनयिक प्रयासों को दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा यात्रा इस मायने में भी काफी सार्थक है कि 1973 के बाद पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस देश की यात्रा की है। प्रधानमंत्री की इस राजनयिक यात्रा के निहितार्थ कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी की इन तीनों देशो की यात्रा का प्रथम फलित देश के आर्थिक विकास और आर्थिक राजनय से जुड़ा हुआ है जिसे ‘विकास के लिए राजनय’ की संज्ञा दी गयी है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सफलता का आयाम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इन तीनों देशों के नेतृत्व और उद्योग जगत को भारत में आधारभूत ढांचा विकास, कौशल विकास, स्वच्छ ऊर्जा विकास और रक्षा क्षेत्र में पूंजी निवेश और उच्च तकनीक का हस्तांतरण करने के लिए आश्वस्त करने की सफल कोशिश की। भारत और फ्रांस ने विभिन्न क्षेत्र में 17 समझौते किए हैं। फ्रांस की एयर बस कंपनी ने भारत में 2 बिलियन यूरो निवेश करने पर सहमति व्यक्त की है। जर्मनी के हनोवर में व्यापार मेला के उदघाटन समारोह के अवसर पर मोदी ने भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए न केवल जर्मनी बल्कि समस्त विश्व की सहभागिता की आशा व्यक्त की। इस संबंध में आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे भारत में लोकतन्त्र, जनांकिकी और मांग तत्व के महत्व को भी उन्होने रेखांकित किया। कनाडा के साथ छ्ह बिलियन डालर के वर्तमान दो-पक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ दो-पक्षीय निवेश संरक्षण और संबर्धन समझौता और व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता की दिशा में आगे बढ्ने पर ज़ोर दिया गया। कनाडा के साथ कौशल विकास के क्षेत्र में 13 समझौते किए गए हैं। भारत के आर्थिक विकास और रूपान्तरण में इन देशों की पूंजी, तकनीक और बहुमुखी विशेषज्ञता की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और फ्रांस ने सामरिक साझेदारी को नवीन ऊंचाई देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। भारतीय वायु सेना की तात्कालिक संक्रियात्मक आवश्यकता की दृष्टि से उड़ने को तैयार 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने पर दोनों देशों ने अपनी सहमति व्यक्त की है। भारत और फ्रांस हिन्द महासागर क्षेत्र में सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग करने को तैयार हुए हैं। दोनों देशों की नौ सेना हिन्द महासागर में संयुक्त अभ्यास करेंगी। भारत और कनाडा रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को सहमत हुए हैं।
भारत और समस्त विश्व में आतंक के बढ़ते खतरे को देखते हुए अपनी इस यात्रा में भी प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए वैश्विक एकजुटता का आवाहन किया। उन्होने आतंकवाद को मानवता का दुशमन बताते हुए इसके खिलाफ साझा लड़ाई लड़ने की बात की। अपनी कनाडा यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है और इसकी छाया पूरे विश्व में फैल रही है। कनाडा में मीडिया वक्तब्य में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और कनाडा आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने को अपने सहयोग को और अधिक गहन करेंगे। भारत और फ्रांस ने आतंक-निरोध पर सयुंक्त कार्यदल के मसौदे के भीतर अपने सहयोग को तीव्रता देने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
भारत में ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के लिए परमाणु राजनय की सक्रियता विशेष रूप से फ्रांस और कनाडा के संदर्भ में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुई है। काफी समय से लंबित महाराष्ट्र स्थित जैतापुर परमाणु परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए भारत और फ्रांस ने अपनी सहमति व्यक्त की है। यहाँ फ्रांस की अरीवा कंपनी छ्ह परमाणु रियक्टरों को स्थापित करेगी जिससे दस हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परमाणु ऊर्जा विकास की दृष्टि से कनाडा से हुआ समझौता भी काफी महत्वपूर्ण है। कनाडा की सबसे बड़ी यूरेनियम उत्पादक कंपनी कमेको कॉर्प भारत के नागरिक परमाणु रियक्टरों को अगले पाँच वर्षों तक परमाणु ईधन की आपूर्ति करेगी। कनाडा में यूरेनियम का काफी उत्पादन होता है। इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कनाडा के यूरेनियम की गुणवत्ता काफी उच्च है। 1974 में भारत के प्रथम परमाणु विस्फोट के बाद कनाडा ने भारत को यूरेनियन की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। फ्रांस और कनाडा से हुए समझौते के बाद अब भारत पर लगाए गए परमाणु आपूर्ति प्रतिबंध पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं। परमाणु ऊर्जा के विकास में फ्रांस और कनाडा के साथ हुए समझौते काफी महत्वपूर्ण हैं। अमरीका के साथ हुए परमाणु करार पर प्रगति ने इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परमाणु क्षेत्र में हुई प्रगति इस तथ्य को भी प्रतिबिम्बित करती है कि अब वैश्विक परमाणु समुदाय ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद भी भारत को एक सुरक्षित और जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार किया है। भारत में स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर बल देकर मोदी सरकार आगामी जलवायु परिवर्तन वार्ता पर भी अपना रुख स्पष्ट कर रही है।
इस यात्रा में सांस्कृतिक राजनय का पुट भी देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस में श्री अरबिंदो की मूर्ति और जर्मनी में महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण किया। जनता से जनता के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए भारत ने वीजा नीति को उदार बनाने की घोषणा की है। भारत की नवीन छवि का निर्माण और ब्रेंडिंग करने की कोशिश की है। विदेश नीति को भारत की सांस्कृतिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक विरासत से जोड़कर भारत की सॉफ्ट पावर को नया आयाम दिया है। प्रधानमंत्री ने इन देशों में भारतीय डाइस्पोरा से करीबी संपर्क स्थापित किया। कनाडा में 12 लाख भारतवंशी रहते है। कनाडा के टोरंटो शहर के रिको कोलेजियम में प्रधानमंत्री मोदी ने इस देश में भारतीय डाइस्पोरा से जुडते हुए इस समुदाय को संबोधित किया जिसने अमरीका के मेडिसन स्क्येर की स्मृति को ताजा किया। यह भारतीय राजनय का नवीन सक्रिय आयाम है। भारतीय डायस्पोरा को आर्थिक विकास से जोड़ने और उसे राष्ट्र की पूंजी में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है।
इसप्रकार विश्व नक्शे में सुदूर पश्चिमी देश कनाडा की यात्रा की समाप्ति के साथ ही मोदी सरकार के उस राजनयिक सक्रियतावाद का लगभग एक वर्ष पूरा होने को है जिसकी शुरुआत सुदूर पूर्व में स्थित जापान यात्रा के साथ शुरू की गयी थी। इस यात्रा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विदेश नीति विजन एवं राजनयिक व्यवहार का स्वरूप स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है। यह विजन सर्वसमावेशी विकास पर आधारित है जिसमें आर्थिक एवं सैन्य रूप से मजबूत और आत्म-निर्भर राष्ट्र का विकास, भारत की ग्लोबल भूमिका एवं सांस्कृतिक विरासत से लगाव शामिल है। इससे यह भी दर्शित होता है कि मोदी सरकार में आत्म-निर्भरता, सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामरिक स्वायत्ता जैसे कोर मूल्य यथावत हैं लेकिन राजनयिक व्यवहार और विदेश नीति रुझान में कई परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश नीति और राजनय में सक्रियता, गत्यात्मकता, ऊर्जा, नवीन शैली और आत्मविश्वास का आयाम दिया है। इसीलिए कहा गया है कि अब भारत की विदेश नीति ‘प्रो-एक्टिव, मजबूत और संवेदनशील’ हो गयी है।
इस यात्रा से यह भी स्पष्ट होता है मोदी सरकार की विदेश नीति में राष्ट्रहित की सर्वोपरिता और ‘इंडिया फ़र्स्ट’ पर ज़ोर है और केनेथ वाल्स की नव-यथार्थवादी संकल्पना और भू-राजनीति के अनुरूप देश की क्षमता निर्माण पर बल दिया जा रहा है। राष्ट्रीय शक्ति के सभी तत्वों के तीव्र एवं गहन विकास पर बल दिया जा रहा है। सैन्य शक्ति और क्षमता के संवर्धन के साथ आर्थिक और तकनीकी विकास को प्राथमिकता दी गयी है। नव-उदारवादी अवधारणा और भू-आर्थिकी के लिहाज से व्यापार, निवेश और आर्थिक राजनय को विदेश नीति और सम्बन्धों में अधिक महत्व देने की नीति पर बल है। प्रधानमंत्री मोदी ने मजबूत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सबल रक्षा तंत्र को प्रभावी विदेश नीति के संचालन हेतु जरूरी माना है। मोदी सरकार ने विदेश नीति में राष्ट्रवादी भू-राजनीति और कार्यसाधक भू-आर्थिकी पर ज़ोर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और राजनयिक व्यवहार अपनी गत्यात्मकता, शैली और रुझान में सक्रिय दिख रही है जिसमें सर्वसमावेशी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, नवयथार्थवाद और नवउदारवाद का मेल प्रतिबिम्बित हुआ है। विदेश नीति रुझान में राष्ट्रवादी नजरिए के साथ भूराजनीति और भू-आर्थिकी का संतुलन स्थापित किया जा रहा है। जोसेफ नाई की शक्ति की नवीन अवधारणा के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी भी भारत की सौफ्ट पावर और हार्ड पावर का विकास करते हुए देश को एक स्मार्ट पावर के रूप में देखना चाहते हैं जो महत्वपूर्ण ग्लोबल भूमिका निभाने में सक्षम हो।
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