भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी नेपाल की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर रहे. उनके कार्यकाल में यह नेपाल की तीसरी यात्रा थी जो कि नेपाल का भारत के प्रति महत्व को प्रदर्शित करती है. अप्रैल माह में नेपाल के प्रधानमन्त्री के पी शर्मा ओली की भारत यात्रा के बाद प्रधानमन्त्री मोदी की इस नेपाल यात्रा को एक त्वरित पारस्परिक यात्रा के तौर पर देखा जा सकता है. 11 और 12 मई की यह दो दिवसीय राजकीय यात्रा भारतीय प्रधानमन्त्री के धार्मिक भ्रमण के अतिरिक्त नेपाली जनता से मुखातिब होने की झलक प्रस्तुत करती प्रतीत हुई. इस यात्रा में भारतीय प्रधानमन्त्री काठमांडू के अतिरिक्त नवगठित प्रान्त दो की राजधानी जनकपुर गये जो कि इस यात्रा को महज राजनीतिक नेतृत्व की बैठक और संवाद के आगे भारत के प्रधानमंत्री को नेपाल के स्थनीय स्तर से संवाद करने का अवसर प्रदान करता है. इस यात्रा में प्रधानमन्त्री मोदी का जानकी मंदिर, मुक्तिनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर जाना सांस्कृतिक कूटनीति के तहत दोनों देशों के आपसी मेल मिलाप को बढाने और रिश्तों को प्रगाढ़ करने की दिशा में प्रयत्न को प्रदर्शित करता है.
प्रधानमन्त्री मोदी ने अपना नेपाल भ्रमण जनकपुर से शुरू किया, उनका वहाँ स्वागत नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने किया, प्रान्त दो में उनके नागरिक अभिनन्दन समाहरोह के कारण अवकाश घोषित किया गया. प्रधानमन्त्री मोदी ने इस अवसर अपना अभिभाषण नेपाली मैथिली और हिंदी भाषा में दिया. उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल दो देश है, लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है. राजा जनक और राजा दशरथ ने सिर्फ जनकपुर और अयोध्या को ही नहीं, भारत और नेपाल को भी मित्रता और साझेदारी के बंधन में बांध दिया था. ये बंधन है राम-सीता का, ये बंधन है बुद्ध का भी और महावीर का भी और यही बंधन रामेश्वरम में रहने वालों को खींचकर पशुपतिनाथ ले करके आता है. यही बंधन लुम्बिनी में रहने वालों को बौद्ध-गया ले जाता है और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह आज मुझे जनकपुर खींच करके ले आया है. हमारी माता भी एक-हमारी आस्था भी एक; हमारी प्रकृति भी एक-हमारी संस्कृति भी एक; हमारा पथ भी एक और हमारी प्रार्थना भी एक. हमारे परिश्रम की महक भी है और हमारे पराक्रम की गूंज भी है. हमारी दृष्टि भी समान और हमारी सृष्टि भी समान है. हमारे सुख भी समान और हमारी चुनौतियां भी समान हैं. हमारी आशा भी समान, हमारी आकांक्षा भी समान है. हमारी चाह भी समान और हमारी राह भी समान है. ..... हमारे मन, हमारे मंसूबे और हमारी मंजिल एक ही है. ये उन कर्मवीरों की भूमि है जिनके योगदान से भारत की विकास गाथा में और गति आती है. उन्होंने कहा कि 'व्यक्ति और सरकारें आती जाती रहती है लेकिन सदियों पुराने हमारे सम्बन्ध हमेशा मजबूत रहेंगे'. धार्मिक परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि अयोध्या जानकी के बिना अधूरा है तथा भारत के तीर्थ स्थान और राम नेपाल के बिना अपूर्ण है. नेपाल के विकास हेतु प्रधानमन्त्री मोदी ने नेपाल सरकार को सहायता के लिए प्रतिबद्धता दिखाई. उन्होंने प्रान्त दो के लिए 1 बिलियन रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की, जिससे कि जनकपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के कार्य किये जा सके. इस अवसर पर प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि 'मैं यह अनुदान सवा सौ करोड़ भारतीय की तरफ से माता जानकी के चरणों में भेंट करता हूँ'. इस बात को नेपाली मीडिया ने नाटकीय रूप बताते हुए वर्ष 2015 में हुई नाकेबंदी की क्षमा के रूप में बताया.1 उन्होंने आगे कहा कि इतिहास साक्षी रहा है कि जब-जब एक-दूसरे पर संकट आए, भारत और नेपाल, दोनों मिलकर खड़े हुए. हमने हर मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे का साथ दिया है. भारत दशकों से नेपाल का एक स्थाई विकास का साझेदार है. नेपाल हमारी neighborhood first ये policy में सबसे आगे आता है, सबसे पहले आता है. हम हिमालय पर्वत से जुड़े हैं, तराई के खेत-खलिहानों से जुड़े हैं, अनगिनत कच्चे-पक्के रास्तों से जुड़े हैं. छोटी-बड़ी दर्जनों नदियों से जुड़े हुए हैं और हम अपनी खुली सीमा से भी जुड़े हुए हैं. लेकिन आज के युग में सिर्फ इतना ही काफी नहीं है. हमें, और मुख्यमंत्री जी ने जितने विषय बताए, मैं बहुत संक्षिप्त में समाप्त कर दूंगा। हमें हाइवे से जुड़ना है, हमें information ways यानी I-ways से जुड़ना है, हमें trans ways यानी बिजली की लाइन से भी जुड़ना है, हमें रेलवे से भी जुड़ना है, हमें custom check post से भी जुड़ना है, हमें हवाई सेवा के विस्तार से भी जुड़ना है. हमें inland water ways से भी जुड़ना है, जलमार्गों से भी जुड़ना है. जल हो, थल हो, नभ हो या अंतरिक्ष हो, हमें आपस में जुड़ना है. जनता के बीच के रिश्ते-नाते फलें-फूलें और मजबूत हों, इसके लिए connectivity अहम है. यही कारण है कि भारत और नेपाल के बीच connectivity को हम प्राथमिकता दे रहे हैं.2
नागरिक अभिनन्दन समारोह के अवसर पर भारत के प्रधानमन्त्री मोदी ने तीन चरणों में हुए चुनावों की सफलता पर नेपाल की जनता को बधाईयाँ दी. प्रान्त दो के मुख्यमंत्री लाल बाबू राउत और शहर के मेयर लाल किशोर शाह ने मोदी का स्वागत किया और उन्हें प्रतीक के रूप में नगर की चाबी भेंट की जिससे यह सन्देश बताया गया कि इस एतिहासिक शहर के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले है. इसके पश्चात जानकी मंदिर में नेपाल के प्रधानमन्त्री के पी शर्मा ओली ने भारतीय प्रधानमन्त्री का स्वागत किया और उन्हें सानिध्य दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने यहाँ पूजा अर्चना की और मंदिर परिसर में 1 घंटे भ्रमण किया. इसके बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अयोध्या जनकपुर बस सेवा को हरी झंडी दिखाते हुए संयुक्त रूप से रामायण सर्किट का उद्घाटन किया. दोनों शहरों के मध्य 493 किमी की दूरी यह बस तय करेगी. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या और जनकपुर के मध्य रामायण सर्किट के विकास से जनकपुर के प्रति अन्तराष्ट्रीय पर्यटकों का आकर्षण बढेगा.3
जनकपुर के नागरिक अभिनन्दन समारोह में प्रान्त के मुख्यमंत्री राउत ने अपने स्वागतीय भाषण में भारत के प्रधानमन्त्री मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस 'भेदभाव पूर्ण संविधान' के विरुद्ध अंदरूनी रूप से हमारी लडाई चल रही है. मुख्यमंत्री राउत ने हिंदी में बोलते हुए कहा कि वर्ष 2015 में घोषित हुआ यह संविधान मधेश के लोगों के साथ भेदभाव पैदा करता है और संविधान में वर्णित एक प्रान्त के रूप में हमारे अधिकारों की अभी भी उपेक्षा की जा रही है. इसके अतिरिक्त उन्होंने मधेश में बाढ़ की समस्या को भी इंगित किया.4 यद्यपि भारतीय प्रधानमन्त्री की तरफ से इस संदर्भ में कोई टिप्पणी नहीं की गयी.
इस यात्रा में विशेष बात यह रही कि काठमांडू में हुई चर्चा के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों में यह सहमति बनी कि सितम्बर 2019 तक चुनिन्दा मुद्दों को सुलझा लिया जाये. नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली ने कहा कि दोनों देशों के विदेश सचिव इन मुद्दों को सुलझाने की पहल करेंगे. इसमें राजनीतिक मुद्दे और प्रबुद्ध व्यक्तियों के समूह में बातचीत के मुद्दों को शामिल नहीं किया जायेगा. इसके अंतर्गत बाढ़, बड़े मालवाहक ट्रकों (कार्गो) का आवागमन, नेपाल के लिए अतिरिक्त चार हवाई मार्ग, एकीकृत चेक पोस्ट और भारत द्वारा अनुदानित परियोजनाओं को समय सीमा में पूरा करना. लेकिन भारत की तरफ से नेपाल का प्रबुद्ध व्यक्तियों के समूह की 'एक' रिपोर्ट का आग्रह, नोटबंदी की मुद्रा को बदलने पर हामी के संकेत नहीं मिले. हालांकि दोनों देशों ने तराई क्षेत्र में आने वाली बाढ़ को लेकर पर्यवेक्षण हेतु एक संयुक्त टीम भेजने पर सहमति जताई है.5
काठमांडू में आयोजित नागरिक अभिनन्दन समाहरोह में मोदी ने कहा कि नेपाल ने युद्ध से बुद्ध का बहुत लंबा सफर तय किया है. बुलेट का बोलबाला था। बुलेट को छोड़ करके बैलेट के रास्ते को चुना है. युद्ध से बुद्ध की ये यात्रा है. लेकिन मंजिल अभी और दूर है, बहुत आगे तक जाना है. एक प्रकार से कहूं तो अब हम माउंट एवरेस्ट का बेसकैंप पहुंच गए हैं. लेकिन शिखर की चढ़ाई अभी हमें तय करना है और जिस प्रकार पर्वतारोहियों को नेपाल के शेरपाओ का मजबूत साथ और समर्थन मिलता है उसी प्रकार नेपाल की इस विकास यात्रा में भारत आपके लिए शेरपा का काम करने के लिए तैयार है. पिछले महीने प्रधानमंत्री श्रीमान ओली जी की भारत यात्रा में, और कल और आज की मेरी नेपाल यात्रा में मेरा यही संदेश है कि मेरी यही भावना मैंने अलग-अलग शब्दों में व्यक्त की है. नेपाल अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़े. ये मैं बहुत जिम्मेवारी से कह रहा हूं. आपकी सफलता के लिए भारत हमेशा नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा. आपकी सफलता में ही भारत की सफलता है. नेपाल की खुशी में ही भारत की खुशी है.6
इस यात्रा के दूसरे दिन काठमांडू में जारी हुए संयुक्त वक्तव्य में कुछ महत्वपूर्ण कदमों को शामिल किया गया. जिसके तहत एक साल में रक्सौल-काठमांडू रेल सेवा के सर्वे को पूरा करने की बात कही गयी. संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों देशों के प्रधानमन्त्री इस बात पर भी राजी हुए कि अप्रैल माह में नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा के दौरान हुए समझौतों और आपस में बनी समझ के मुताबिक सभी कार्यों को प्रभावशील तरीके से लागू किया जायेगा. इस बात पर भी सहमति बनी कि कृषि, रेल लिंक और जलमार्गों के विकास की द्विपक्षीय पहल को भी प्रभावी रूप से लागू किया जाये जिससे कि पूरे क्षेत्र में विकासात्मक परिवर्तन लाया जा सके. इस अवसर पर प्रधानमन्त्री ओली ने भारत नेपाल के मध्य व्यापार और पारगमन पर चिंता व्यक्त की और इसकी समस्याओं और समाधानों पर भी बात कही. इस संदर्भ में दोनों प्रधानमंत्रियों ने अभी संपन्न हुई व्यापार, पारगमन और सहयोग पर अन्तर सरकारी समिति की बैठक का स्वगत किया किया, जिससे अवैध व्यापार पर अंकुश लगेगा और संयुक्त रूप से व्यापार और पारगमन संधि की समग्र समीक्षा होगी. इसके साथ ही साथ भारतीय बाजारों में नेपाल की पहुँच, सम्पूर्ण तौर पर द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि और नेपाल को पारगमन व्यापार की सुविधा के मद्देनजर 1996 की व्यापार और पारगमन संधि में संशोधन की बात की अनुशंसा की गयी. यह भी कहा गया कि संशोधन के पत्रों की अदलाबदली जल्द ही की जाएगी. दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी की बात पर भी बल दिया और कहा कि इससे आर्थिक उन्नति और आपस में जनता का संपर्क भी बढेगा.
इस यात्रा में क्षेत्रीय सहयोग पर भी बात हुई, गौरतलब है कि नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली की भारत यात्रा के दौरान संयुक्त वक्तव्य में सार्क को शामिल नहीं किया गया था. लेकिन इस बार दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न सेक्टरों में सहयोग स्थापित करने हेतु क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय मंचों जैसे बिम्सटेक, सार्क और बी बी आई एन को रेखांकित किया.7 इस यात्रा के दौरान बहुप्रतीक्षित अरुण 3 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का भी उद्घाटन किया गया. 900 मेगावाट के इस हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन दिल्ली में ओली की यात्रा के दौरान होना था लेकिन नहीं हो पाया था. इस यात्रा के दौरान संयुक्त रूप से दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इसका उद्घाटन किया.8
हवाई मार्ग उलब्ध कराने के मामले में भारत का रुख सकारात्मक रहा. दोनों देश बातचीत के बाद हवई मार्ग देने पर राजी हुए और प्रधानमन्त्री मोदी ने इस सम्बन्ध भारत आने से पहले एक 16 सूत्री संयुक्त वक्तव्य जारी किया. नेपाल जनकपुर, भैरवा, नेपालगंज और महेन्द्रनगर से सीमापार हवाई मार्ग की मांग कर रहा है. नेपाल शीघ्र ही गौतम बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे, भैरवा और एक अन्य निजगढ़ में अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का निर्माण करने जा रहा है जिसके लिए वह पिछले नौ साल से हवाई मार्ग की मांह कर रहा है.9
प्रधानमन्त्री मोदी इस यात्रा के दौरान नेपाल के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मिले. भूतपूर्व प्रधानमन्त्री शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहाल से प्रधानमन्त्री मोदी ने पृथक रूप से मुलाकात की. दहाल ने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत होंगे और पिछले वर्ष नेपाल में हुए चुनावों में भारत के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. दहाल ने पिछले काफी सालों से अनसुलझे सीमा विवाद को सुलझाने की बात कही और बिराटनगर में 2008 में बने फील्ड ऑफिस को हटाने की भी बात कही. नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहदुर देउबा से मिलने पर प्रधानमन्त्री मोदी ने उन्हें तीन चरणों में सफलतापूर्वक चुनाव करवाने पर बधाईयाँ दी और द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत की. मधेश के दलों के नेता राष्ट्रीय जनता पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर और संघीय समाजवादी फोरम के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने भी भारत के प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की.10 इन सभी नेताओं से प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि आप सभी नेपाल में लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया में शामिल रहे है, आप सभी इसके बराबर हिस्सेदार है और इसे आगे मजबूत करने की जिम्मेदारी आप सभी की है, चाहे आप विपक्ष में हो या सत्ता में हो, आप सभी को लोकतंत्र को मजबूत करने योगदान करना चाहिए.
प्रधानमन्त्री मोदी के जनकपुर से काठमांडू लौटने के बाद कुछ समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया. काठमांडू में बिबेकशील साझा पार्टी द्वारा 2015 में हुई नाकेबंदी के विरोध में एक बैनर लगाया, जिसे पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हटाया गया. जिसमे कहा गया कि 'हमारा दल भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी का स्वागत तो करती है लेकिन अभी तक नाकेबंदी को भूली नहीं है'. 11यह घटना इस बात को प्रदर्शित करती है कि नेपाल में अभी भी कुछ समूह इस विरोध की मानसिकता से घिरे हुए है.
नेपाल के विदेश मन्त्री प्रदीप ग्यावली ने भारत के प्रधानमन्त्री की इस यात्रा को एतिहासिक, सफल और यादगार माना. उन्होंने भारतीय प्रधानमन्त्री की रवानगी के बाद कहा कि यह यात्रा दोनों देशों की सदियों पुराने द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ करने के साधन के रूप में थी. इससे पिछले करारों और समझौतों का प्रभावी रूप से लागुकरण हुआ है और साथ ही साथ भारत तथा नेपाल के मध्य सहयोग के नए क्षेत्रों को खोजा गया है.12 काठमांडू में प्रेस वार्ता के दौरान भारत के विदेश सचिव विजय गोखले भी इस यात्रा का महत्वपूर्ण ब्यौरा प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि इन दो यात्राओं से हमारे रिश्ते बहु स्तरीय रूप से मजबूत हुए है. उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमन्त्री के जनकपुर और मुक्तिनाथ जाने से भारत के लोगों में पर्यटन और तीर्थस्थान जाने की संख्या बढ़ेगी जो कि नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए सुखद है. विदेश सचिव ने आगे कहा कि इस यात्रा में प्रधानमन्त्री ओली की केबिनेट के सभी वरिष्ठ मंत्री शामिल थे, जो कि सम्पूर्ण नेपाल सरकार में एक सन्देश देता है. अभिनन्दन समाहरोह में व्यवस्थाओं के अतिरिक्त देश के सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों की एकजुटता पर प्रधानमन्त्री मोदी ने प्रशंसा की. 13
भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा द्वारा नेपाल की जनता और राजनीतिक नेतृत्व के साथ भारत का विश्वास अर्जित करना प्रमुख ध्येय था. प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा इस यात्रा में जानकी मंदिर (जनकपुर), मुक्तिधाम मंदिर (मुस्तांग) और पशुपतिनाथ मंदिर (काठमांडू) जाना सांस्कृतिक समबन्धों को प्रगाढ़ करता है. जनकपुर को उन्नत करने का विचार दोनों देशों के लोगों के संपर्क में निश्चित रूप से वृद्धि करेगा. इस यात्रा में भारत के प्रधानमन्त्री ने नेपाल के नए राजनीतिक नेतृत्व वाम गठबंधन को शुभकामनायें दी और विगत वर्ष देश में सफलता पूर्वक चुनावों को करवाने पर बधाईयाँ दी और देश की नई संघीय और प्रांतीय संरचना को मजबूत करने की बात कही.
नेपाल में इस यात्रा के मिश्रित भाव रहे, एक वर्ग यह मानता है कि दोनों देशों के मध्य पिछले कुछ समय में उत्पन्न हुए अविश्वास को इस यात्रा ने सफलतापूर्वक ख़त्म कर दिया है. वही दूसरा वर्ग मानता है कि इस यात्रा से प्रधानमन्त्री मोदी ने स्वयं की छवि, अपनी सरकार छवि को नेपाल की जनता समक्ष सुधारने तथा भारत में अपने राजनीतिक समकक्षों और पडौसी देशों की नजरों में भी छवि सुधारने की कोशिश की है. एक वर्ग यह भी मानता है कि इस यात्रा से नेपाल सरकार द्वारा भारत को तुष्टीकरण (अनावश्यक रूप से अभिनन्दन समाहरोह द्वारा खुश करने) करने का भी प्रयास किया गया.14
वस्तुतः, संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमन्त्री की इस तीसरी एतिहासिक यात्रा ने सदियों पुराने मैत्री संबंधों को मजबूत किया है और इससे दोनों देशों के मध्य सामजिक और सांकृतिक सेतु का निर्माण हुआ है जिससे दोनों देशों के लोगों के मध्य सम्पर्क में अभूतपूर्व वृद्धि होगी.
लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस, नई दिल्ली.
1 Ajit Tivari, Shyam Sundar, "Strong ties 'shall always remain'", The Kathmandu Post, 12 May 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-05-12/3
2 ’Translation of Prime Minister's speech at civic reception in Janakpur during his visit to Nepal (May 11, 2018), Ministry of External Affairs, Government of India, May 12, 2018,
http://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/29890/Translation_of_Prime_Ministers_speech_at_Civic_Reception_in_Janakpur_during_his_visit_to_Nepal_May_11_2018
3 Dharbendra Jha, "PM Oli, Modi jointly open Ramayana Circuit", The Rising Nepal, 12 May 2018,
http://therisingnepal.org.np/news/23577
4 "Raut tells modi: Struggle is on against 'discrimanotary constitution'", My Republica, 12 May 2018,
http://e.myrepublica.com/epaper/src/epaper.php?id=2884#page/1
5 Anil Giri, "Nepal, India to resolve key issues by Sept 19", The Kathmandu Post, 12 May 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-05-12/3
6 ’Translation of Prime Minister's speech at civic reception in Kathmandu during his visit to Nepal (May 12, 2018), Ministry of External Affairs, Government of India, May 13, 2018,
http://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/29895/Translation_of_Prime_Ministers_speech_at_Civic_Reception_in_Kathmandu_during_his_visit_to_Nepal_May_12_2018
7 Anil Giri, "India sends draft MoU for railway feasibility study", The Kathmandu Post, 13 May 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-05-13/1
8 "Oli,Modi jointly lays foundation stone for Arun III Hydropower project", The Kathmandu Post, 11 May 2018,
http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2018-05-11/oli-modi-jointly-inaugurates-arun-iii-hydropower-project.html
9 "India positive about giving Nepal more air entry routes", My Republica, 13 May 2018,
http://e.myrepublica.com/epaper/src/epaper.php?id=2885
10 "Cross party leaders meet Indian PM Modi", The Kathmandu Post, 13 May 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-05-13/4
11 "cops remove bibeksheel protest banner", My Republica, 13 May 2018,
http://e.myrepublica.com/epaper/src/epaper.php?id=2884#page/2
12 Anil Giri, "India sends draft MoU for railway feasibility study", The Kathmandu Post, 13 May 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-05-13/1
13 "Transcript of Media Briefing by Foreign Secretary in Kathmandu (May 12, 2018), Ministry of External Affairs, Government of India, May 13, 2018,
http://www.mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/29910/Transcription_of_Press_Briefing_by_Foreign_Secretary_in_Kathmandu_May_12_2018
14 Narayan Upadhyaya, "Improving Nepal India relations", The Kathmandu Post, 24 May 2018,
http://therisingnepal.org.np/news/23659