प्रथम आईबीएसए गांधी – मंडेला स्मारक स्वाधीनता व्याख्यान
के अवसर पर
डॉ. टी.सी.ए. राघवन
महानिदेशक
भारतीय विश्व मामले परिषद
द्वारा
स्वागत भाषण
25 जनवरी, 2019
नई दिल्ली
दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री मतमेला सिरिल रामफोसा,
प्रथम महिला महामहिम, डॉ. शेफ़ो मोतसीपे,
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी,
दक्षिण अफ्रीका सरकार के मंत्री,
दक्षिण अफ्रीका के शिष्टमंडल के सदस्यगण,
ब्राजील संघीय गणराज्य के राजदूत महामहिम श्री आंद्रे अरन्हा कोरा डो लागो,
राजनयिक मंडल के सदस्यगण,
देवियों, सज्जनों और सहयोगियों,
नमस्ते और गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई।
विश्व मामलों की भारतीय परिषद के लिए प्रथम आईबीएसए गांधी- मंडेला स्मारक स्वाधीनता व्याख्यान का आयोजन करना गर्व की बात है।
दक्षिण अफ्रीका के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में यह व्याख्यान किया जाना इस अवसर की शोभा को और बढ़ा रहा है।
हमारे 70 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर महामहिम राष्ट्रपति का यहाँ उपस्थित होना और हमारे राष्ट्रपति महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगाँठ होना भी एक सुखद संयोग है।
पिछले वर्ष सितंबर में नेल्सन मंडेला की जन्मशती थी और उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा दक्षिण अफ्रीका, भारत और वास्तव में सारे विश्व में याद किया गया।
इन दो महान विचारक और कर्मयोगी नेताओं की विरासत को एक अन्य महत्वपूर्ण वर्षगाँठ को याद करने के अवसर में मनाए जाने का एक अलग महत्व है।
भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका अर्थात आईबीएसए नामक समूह की स्थापना का यह 15 वां वर्ष है। आईबीएसए देशों में इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया और 2018-19 में इन तीनों देशों में पंद्रह कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह स्वाधीनता व्याख्यान उस श्रृंखलाका एक प्रमुख कार्यक्रम है।आईबीएसए के विदेश मंत्रियों ने सितंबर, 2018 में न्यूयार्क में हुई अपनी बैठक के दौरान एक स्मारक व्याख्यान श्रृंखला- गांधी मंडेला, स्वाधीनता व्याख्यान के विचार पर अपनी सहमति व्यक्त की।
आईबीएसए तीन महाद्वीपों के तीन ऐसे देशों जिनका समान औपनिवेशिक इतिहास है, तीन विकासशील देश हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात - तीन लोकतांत्रिक देशों का समूह है। आईबीएसए की सफलता स्पष्ट रूप से विशेषज्ञों और प्रशिक्षण के आदान - प्रदान के परंपरागत क्षेत्र से परे दक्षिण- दक्षिण सहयोग की वांछनीयता और व्यवहार्यता को प्रकट करता है। उदाहरण के लिए, 2003 में स्थापित गरीबी और भुखमरी उन्मूलन संबंधी आईबीएसए कोष एक अनूठी पहल है जिसके माध्यम से साथी विकासशील देशों आईबीएसए वित्तपोषण की सहायता से विकास परियोजनाएं निष्पादित की जा रहीं हैं।
हमारी अभिलाषा एक समान है- अपने लोगों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाली भौतिक और आध्यात्मिक जिंदगी और एक बहुलवादी तथा समावेशी समाज का निर्माण। इन अभिलाषाओं ने महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के विचारों और कृत्यों को दिशा प्रदान की।
सभी तीनों साझीदार देश बहु- सांस्कृतिक, बहु-भाषी, बहु–नस्लीय और बहु-धार्मिक देश और लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ हैं।
संक्षेप में, आईबीएसए तीन महाद्वीपों की तीन लोकतांत्रिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, महामहिम, देवियों और सज्जनों ! हम सौभाग्यशाली हैं कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति यह प्रथम गांधी-मंडेला स्वाधीनता व्याख्यान देंगें। उनका स्वयं का सार्वजनिक जीवन गांधीजी और नेल्सन मंडेला के लक्ष्यों और आदेशों को प्राप्त करने की संघर्ष गाथा है।कानून का अध्ययन, राजनैतिक संघर्ष, कारावास, दक्षिण अफ्रीका को लोकतंत्र में परिवर्तित करने वाली अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के नेतृत्व का एक भाग होने के नाते और दक्षिण अफ्रीका का नया संविधान लिखने वाली संविधान सभा के सभापति के रूप में उनमें उन दो नेताओं, जिन्हें आज हम याद कर रहे हैं, जैसे सभी गुण हैं। महामहिम रामफोसा एक निवेशक और कारोबारी भी रहे हैं और आईबीएसए के स्मारक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति इसे और प्रासंगिक बना रही है।
महामहिम राष्ट्रपति जी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद की ओर से मैं आपसे प्रथम आईबीएसए-गांधी-मंडेला स्वाधीनता व्याख्यान देने का अनुरोध करता हूँ।
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