परिचय:
साल 2008 में हिमालयी अधिराज्य भूटान ने संविधान अंगीकृत कर इसे लागू किया और संवैधानिक राजतंत्र को अपनाते हुए भूटान में वर्ष 2008 और 2013 में संसद के चुनाव हुए. हिमालयी राष्ट्र भूटान में इस बार तीसरे संसदीय चुनाव हो रहे है. इस चुनाव का पहला चरण 15 सितम्बर को हो चुका है और अंतिम चरण 18 अक्टूबर को होने वाला है. भूटान के संविधान के अनुसार चुनाव दो चरणों में होंगे- प्रथम चरण में दो लोकप्रिय दलों का चयन होगा और दूसरे चरण में निर्वाचन क्षेत्रों से उम्मीदवारों का चयन होगा. इस छोटे हिमालयी देश में साल 2008 तक राजतंत्र निर्बाध रूप से रहा लेकिन वहाँ के नरेश जिग्मे खेसर वांगचुक ने उपहार स्वरूप लोकतंत्र को जनता के सम्मुख पेश किया. उनका मानना था कि वर्तमान दौर में देश को लोकतंत्र से अवगत होने की आवश्यकता है और एक व्यक्ति की इच्छा से देश नहीं चलना चाहिए. यद्यपि भूटान की जनता उस दौरान भी राजतंत्र के पक्ष में थी और आज भी जनता की नजरों में नरेश सर्वोपरि, श्रद्धेय और एकता के प्रतीक है. भूटान में नवजात लोकतंत्र के विकास में चुनावों की खासी भूमिका है और वहाँ की जनता इसमें अपनी रूचि भी दिखा रही है. 20 अप्रैल को राष्ट्रीय परिषद (उच्च सदन) के चुनाव हुए है और 18 अक्टूबर को राष्ट्रीय सभा (निम्न सदन) के चुनाव हो जायेंगे. पिछले चुनावों के परिणामों में बदलाव और भूटान के लोगों द्वारा चुनाव में बढती सहभागिता एक सकारात्मक पहल की ओर इशारा करती है. इस वर्ष भूटान में हो रहे चुनाव न केवल यहाँ की आंतरिक राजनीति पर प्रभाव डालेंगे बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. इसी साल नेपाल और पाकिस्तान में सरकारें बदली और अब भूटान में पहले चरण के परिणाम भी सत्ता परिवर्तन की ओर ईशारा करते है, जो कि दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय समीकरणों को बदलने और भारत का इन देशों के साथ रवैये पर भी प्रभाव डालेगा.
हिमालयी राष्ट्र भूटान ने वर्ष 2008 में संविधान अंगीकृत कर इसे लागू किया. भूटान का संविधान द्विसदनीय संसद का उल्लेख करता है. जहाँ राष्ट्रीय परिषद (उच्च सदन) में 25 सदस्य होंगे, जिनमे 5 सदस्य भूटान नरेश द्वारा मनोनीत होंगे और शेष 20 सदस्य जिलों का प्रतिनिधित्व करेंगे. उच्च सदन एक अराजनीतिक अंग है और इसमें चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ते है न कि किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार बनकर. राष्ट्रीय सभा (निम्न सदन) में 47 सीटें होती है. इनमे उम्मीदवार किसी दल की तरफ से चुनाव लड़ते है और यह फर्स्ट पोस्ट द पास्ट की पद्धति से होता है. एक जरुरी बात यहाँ यह है कि निम्न सदन शक्तिशाली है और प्रधानमन्त्री भी इसी सदन से होता है लेकिन देश की सुरक्षा और संप्रभुता के मामले पर उच्च सदन की सहमति लेना आवश्यक होता है.1
साल 2008 में राजतंत्र से लोकतान्त्रिक संवैधानिक राजतंत्र में परिवर्तित हुए भूटान में पहली बार आम चुनाव (राष्ट्रीय सभा) हुए. इस चुनाव में 79.4 प्रतिशत मतदान हुआ और कुल 318,465 पंजीकृत मतदाता थे. इस चुनाव में दो दलों ने भाग लिया, ड्रुक फुएंसम शोगपा (DPT) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), जिसमे DPT को 169, 490 वोट मिले और PDP को 83, 322 मत मिले. यह भूटान का प्रथम चुनाव का अनुभव था और लोकतंत्र को मजबूत करने का सराहनीय प्रयास था. इस चुनाव में DPT को 47 सीटों में से 45 सीटें मिली थी (तालिका 1). हालाँकि जोसेफ मैथ्यू जैसे विश्लेषकों का मानना है कि संविधान लाना भूटान में नरेश की तरफ से जनता को उपहार था. दूसरी बात इस चुनाव में दोनों ही दलों के नेता किसी लोकहित के मुद्दे पर न लड़कर, इस बात को मुद्दा बना रहे थे कि कौन नरेश के प्रति ज्यादा निष्ठावान है. बल्कि चुनाव से पहले मुद्दा यह था कि कौन 'ग्रोस नेशनल हैप्पीनेश' के सूचकांक को बेहतर ढंग से लागू करेगा.2
नेशनल एसेंबली चुनाव परिणाम: 2008 (तालिका 1)
राजनीतिक दल |
ई वी एम से प्राप्त मत |
पोस्टल बैलट से प्राप्त मत |
कुल मत |
मत प्रतिशत |
जीती गयी सीटो की संख्या |
DPT |
156,170 |
13,320 |
169490 |
67% |
45 |
PDP |
79, 523 |
3799 |
83322 |
33% |
02 |
पांच साल बाद वर्ष 2013 में भूटान में दूसरे संसदीय चुनाव हुए और इस बार 55 प्रतिशत मतदान हुआ. इस चुनाव में DPT को 47 में से केवल 15 सीटें मिली जबकि PDP को 32 सीट मिली. इस चुनाव में दो अन्य पार्टियाँ भी शामिल थी- DNT (ड्रुक न्यम्रूप त्शोग्पा) और DCT (ड्रुक चिरवांग त्शोग्पा). इस चुनाव में परिणाम 2008 के चुनाव के विपरीत रहे. इस चुनाव में भारत की सहायता भी महत्वपूर्ण रही. भारत द्वारा चुनाव में अन्य व्यवस्था सम्बन्धी सुविधा के अतिरिक्त 4130 ई वी एम (इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन) उपहार के तौर पर दी गयी. जिससे भूटान के इस लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में मजबूती आ सके.
नेशनल एसेंबली, प्रथम चरण के परिणाम: 2013 (तालिका 2)
राजनीतिक दल |
मतों की संख्या |
मतों का प्रतिशत |
जीती गयी सीटें |
DPT |
93724 |
44.5% |
18/15 |
PDP |
68545 |
32.5% |
6/6 |
DNT |
35941 |
17.1% |
2/0 |
DCT |
12453 |
5.9% |
0/0 |
नेशनल एसेंबली, अंतिम चरण के परिणाम : 2013 (तालिका 3)
राजनीतिक दल |
मतों की संख्या |
मतों का प्रतिशत |
सीटों की संख्या |
सीटों का प्रतिशत |
PDP |
138, 558 |
54.9% |
32 |
68.1% |
DPT |
113,927 |
45.1% |
15 |
31.9% |
इस साल 20 अप्रैल को भूटान के उच्च सदन राष्ट्रीय परिषद के चुनाव हुए. इस चुनाव में 432,030 मतदाता शामिल हुए, इस बार 54.3 प्रतिशत मतदान हुआ. राष्ट्रीय परिषद के चुनाव में 127 उम्मीदवार चुनाव लड़े, जिसमे 121 पुरुष और 6 महिलाएं शामिल थी. इस चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या भी बढ़ी और मतदान का भी प्रतिशत बढ़ा. उम्मीदवारों की बात करें तो वर्ष 2008 में 52 और 2013 में मात्र 67 उम्मीदवार थे. मतदान व्यवहार में वृद्धि का एक मुख्य कारण भूटान के चुनाव आयोग का सक्रिय होना भी रहा है, जिसने कई प्रकार के सुधार हैं- इस बार चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलट में वृद्धि की, गैर निवासी भूटानी नागरिकों को इससे जोड़ा, मोबाईल पोलिंग स्टेशन बनाये और निशक्त जनों के लिए विशेष व्यवस्था भी की गयी. इस चुनाव के परिणाम को देखें तो 20 सीटों पर 12 पुराने उम्मीदवार थे जिसमे से केवल पांच ही जीतकर आ पाए हैं और बाकी आठ लोग नए हैं जिसमे विशेष बात यह है कि उनमें दो महिला उम्मीदवार भी विजयी हुई हैं.3 तीन संसदीय चुनावों में मतदान के प्रयोग के अनुभव भूटान की जनता कर चुकी है और इसमें वह निरंतर बुद्धिमान होती जा रही है, जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. थिम्पू में लोगों में उम्मीदवारों को लेकर चर्चा होती रहती है और जनता के मध्य यह सहमति भी है कि परिवर्तन होना चाहिए. जिसके चलते राष्ट्रीय परिषद में पिछले उम्मीदवार काफी कम वोट हासिल कर सके. लेकिन पहले के उम्मीदवारों को दुबारा न चुनने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि आगे होने वाले राष्ट्रीय सभा (निम्न सदन) के चुनावों में भी उनकी पुनरावृत्ति नहीं होगी.
अभी हाल ही में हुए उच्च सदन के चुनावों के संदर्भ में देखे, उच्च सदन भूटान की विधायिका का महत्वपूर्ण अंग है, और इसे किसी भी कानून को जो निम्न सदन से पास होकर आता है, उसे संशोधन करने, अस्वीकृत करने और अपने संज्ञान में लेकर पास करने का अधिकार है. विधायी शक्तियों के तौर पर मुख्य अंतर यह है कि उच्च सदन धन और वित्त विधेयक को तैयार कर उसकी पहल नहीं कर सकता. पिछले साल इसी संदर्भ में उच्च सदन ने क्षेत्रीय मोटर वाहन समझौते को अस्वीकृत करके अपनी क्षमता को प्रदर्शित किया था जो कि भूटान, बांग्लादेश, भारत और नेपाल (BBIN) के मध्य सुगम परिवहन से सम्बंधित था. यद्यपि अन्य मुद्दों के होते हुए भी निम्न सदन ने BBIN समझौते को पास कर दिया था. 4
भूटान के सांसद भारतीय संसदीय प्रणाली को समझने के लिए भारतीय संसद की यात्रा/भ्रमण करते रहे है. भूटान के संसदीय चुनाव वहाँ के नरेश की देखरेख के अलावा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के पर्यवेक्षण में संपन्न होते है. साल 2013 के राष्ट्रीय सभा के चुनावों में यूरोपीय संघ ने अपने पर्यवेक्षकों को यहाँ भेजा. उनके अनुसार भूटान में 31 मई से 13 जुलाई, 2013 के मध्य राष्ट्रीय सभा के चुनाव हो रहे थे और 1 जुलाई को भारत ने चुनाव अभियान के बीच में ही भूटान को दी जा रही तेल की सब्सिडी बंद कर दी. हालाँकि भारत ने इस बात से हमेशा इंकार किया है और चुनाव ख़त्म होने के कुछ समय बाद ही इस सब्सिडी को पुनः प्रारम्भ कर दिया. चीन ने दावा किया कि भारत इस कदम के जरिये चुनावों के परिणाम पर प्रभाव डालना चाहता था और यह सब भूटान सरकार द्वारा चीन के साथ हाल ही के वर्षों में सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए उठाये गये महत्वपूर्ण कदम की प्रतिक्रिया थी. साथ ही यह भी कहा गया कि भारत और भूटान के रिश्तों की बहस चुनावों पर भी छाई रही और जिसके परिणामस्वरूप दूसरे दौर में मतदान में 66.1% की वृद्धि हुई.5
राष्ट्रीय सभा (नेशनल ऐसेम्बली) के चुनाव, 2018:
भूटान की राष्ट्रीय सभा के आगामी चुनाव काफी महत्व रखते है. संविधान के अनुसार, चुनाव दो चरणों में होंगे- प्रथम चरण में दो लोकप्रिय दलों का चयन होगा और दूसरे चरण में निर्वाचन क्षेत्रों से प्रतिद्वंदी दलों के उम्मीदवारों का चयन होगा. भूटान में 18 अक्टूबर को राष्ट्रीय सभा के चुनाव होने जा रहे है और इस चुनाव का प्रथम दौर 15 सितम्बर को हो चुका है. जिसके परिणामों को देखे तो एक बड़ा परिवर्तन दिखाते है. अभी सत्ता में रही शेरिंग तोब्गे की पार्टी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) तीसरे स्थान पर चली गयी. जबकि आश्चर्यजनक तरीके से द्रुक न्यामरूप शोगपा (DNT) पहले स्थान पर रही और अभी का मुख्य विपक्षी दल द्रुक फुएनसम शोगपा (DPT) दूसरे स्थान पर रहा. इन्हें क्रमशः 92,722 और 90, 020 मत हासिल हुए, जो कि ज्यादा अंतर नहीं है. PDP को इस दौर में 79, 883 मत मिले और चौथे स्थान पर रही भूटान कूएन-न्याम पार्टी (BKP) को मात्र 28, 841 मत प्राप्त हुए. इस प्रकार अभी तक सत्ता में रही पार्टी PDP इस चुनाव से पूर्णतया बाहर हो गयी है और अब 18 अक्टूबर को चुनाव के अंतिम दौर में DNT और DPT में टक्कर होगी.6 हालाँकि दोनों में पहले दौर के परिणामों के आंकड़ों में ज्यादा अंतर नहीं है. इसलिए अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कौनसी पार्टी विजयी होगी. लेकिन इस चुनाव के पहले दौर में राजनीतिक दलों की पकड़ या प्रवृत्ति निर्वाचन क्षेत्रों में देखें तो हम पाएंगे कि पूर्वी भूटान में DPT ने अपनी पकड़ बनायीं जहाँ PDP की पकड़ हुआ करती थी, जिसका लाभ DPT को मिला. प्रथम स्थान पर रही DNT को दूर दराज के क्षेत्रों से पोस्टल बैलट द्वारा अच्छे मत मिले, जिससे उसको काफी फायदा हुआ. जिसका कारण यह हो सकता है कि इस दल ने अपने घोषणा पत्र में सामजिक मुद्दे, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक विकास जैसे मुद्दे प्राथमिक रूप से रखे.
नेशनल एसेंबली, प्रथम चरण के परिणाम: 2018 (तालिका 4)
राजनीतिक दल |
मतों की संख्या |
मतों का प्रतिशत |
जीती गयी सीटें |
DNT |
92722 |
31.8% |
16 |
DPT |
90020 |
30.9% |
22 |
PDP |
79883 |
27.4% |
6 |
BKP |
28841 |
9.7% |
0 |
निष्कर्ष:
इस चुनाव का महत्व न केवल भूटान की आंतरिक राजनीति पर प्रभाव डालेगा वरन क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय स्तर पर भी इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव होंगे. यद्यपि विश्लेषक यह भी मानते है कि भूटान सदैव एक विश्वसनीय मित्र के रूप में भारत के साथ विकट परिस्थितियों में खड़ा रहा है और यहाँ सरकार चाहे किसी भी दल की हो उसके रिश्ते भारत के साथ मधुर ही रहेंगे. चुनावी घोषणा पत्र में हालाँकि दोनों दलों ने स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली, पेयजल, सेल फोन इत्यादि मुद्दों का जिक्र किया है और भारत और चीन के मुद्दे चुनाव में नहीं है. लेकिन भूटान में सोशल मीडिया पर पिछले चुनाव में भारत की गतिविधि को लेकर अभी चर्चा हो रही है और साथ ही आत्म-निर्भरता और संप्रभुता जैसे मुद्दों को भी महत्व दिया जा रहा है, जिनका संभवतया चुनाव के परिणामों पर असर दिख सकता है. पिछले वर्ष दोकलम मुद्दे पर चीन के साथ तनातनी के बाद भूटान की राजनीति और राजनीतिक नेतृत्व में भारत की रूचि वांछनीय हो गयी है. इन संसदीय चुनावों में लोगों की रूचि में वृद्धि और राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव की बयार संभवतया नये भू-राजनीतिक समीकरण स्थापित कर सकती है.
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* लेखक, अनुसन्धान अध्येयता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस, नई दिल्ली |
डिस्क्लेमर: आलेख में दिए गए विचार लेखक के मौलिक विचार हैं और काउंसिल के विचारों को प्रतिबिम्बित नही करते है |
1 Article 11, The Constitution of The Kingdom of Bhutan, 2008,
http://www.nationalcouncil.bt/assets/uploads/files/Constitution%20%20of%20Bhutan%20English.pdf
2 Mathew Joseph C, "Bhutan: 'Democracy' from above", Economic and Political Weekly, Vol. 43, No. 19, May 10-16, 2008, pp. 29-31,
https://www.jstor.org/stable/40277439?Search=yes&resultItemClick=true&searchText=bhutan&searchUri=%2Faction%2FdoBasicSearch%3Fgroup%3Dnone%26amp%3Bwc%3Don%26amp%3Bfc%3Doff%26amp%3BQuery%3Dbhutan%26amp%3Bacc%3Don&refreqid=search%3A652d8d6ff9a9d75bf4b74945b9b3fc9f&seq=1#page_scan_tab_contents
3 "The Third NC election", Kuensel, 21 April 2018,
http://www.kuenselonline.com/the-third-nc-election/
4 "Upper house polls in Bhutan reflect a desire for change", The Wire, 21 April 2018,
https://thewire.in/south-asia/upper-house-polls-in-bhutan-reflect-a-desire-for-change
5 Enrico D'Ambrogio, "Bhutan and its Political Parties", European Parliamentary Research Service, November 2014,
http://www.europarl.europa.eu/RegData/etudes/ATAG/2014/542164/EPRS_ATA(2014)542164_REV1_EN.pdf
6 Kinley Yangden, "National Assembly election 2018: Druk Nyamrup Tshogpa and Druk Phuensum Tshogpa Through to General Round", Bhutan Times, 17 September 2018,
https://www.bhutantimes.com/article/national-assembly-election-2018-druk-nyamrup-tshogpa-and-druk-phuensum-thosgpa-through-to-general-round.