यूरोपीय संघ के प्रमुखों की रोम संधि के अवसर पर रोम, इटली में 25 मार्च, 2017 को बैठक हुई। शिखरवार्ता में पिछले 60 वर्षों की उपलब्धियों पर विचार-विमर्श किया गया और यूरोपीय संघ (ईयू) की एकता, साझा हित और मूल्यों पर पुनः बल दिया गया। बैठक का आयोजन वर्तमान चुनौतियों पर विचार करने तथा अगले दस वर्षों के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित करने के लिए भी किया गया था।
यूरोपीय संघ के 60 साल:
1957 में, रोम की संधियों ने एक साझा बाजार की स्थापना की, जहां लोग, वस्तुएं, सेवाएं और पूंजी का निर्बाध रूप से पारगमन किया जा सकता था और उससे यूरोपीय नागरिकों के लिए समृद्धि और स्थिरता का वातावरण सृजित हुआ। संधियों के आधार पर यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) और यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय (ईएईसी) की स्थापना की गई, और संधि पर 25 मार्च 1957 को हस्ताक्षर किए गए थे। ईईसी परिषद की पहली बैठक 25 जनवरी को बेल्जियम के विदेश मंत्री, विक्टर लारॉक की अध्यक्षता में हुई थी।
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में, डोनाल्ड टस्क ने समारोह में अपने भाषण में यह कहा कि यूरोपीय संघ एक गारंटी है जिसका आशय रोजमर्रा के जीवन में स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा, लोकतंत्र और स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। उन्होंने दोहराया, जैसा कि उन्होंने अतीत में अनेक अवसरों पर (यूरोपीय संघ के भविष्य पर 31 जनवरी, 2017 को जारी अपने पत्र में और यूरोपीय परिषद की यूरोपीय संसद पर अपनी 9 मार्च की रिपोर्ट तथा 10 मार्च को 27 देशों एवं सरकारों के प्रमुखों की अनौपचारिक बैठक में) कहा था कि एकता के पहलू में विश्वास यूनियन की सबसे कीमती परिसंपत्ति था। वर्षगांठ के समारोह के अंत में, 27 यूरोपीय संघ के नेताओं ने रोम घोषणा पर हस्ताक्षर कर उसे लागू किया जिसमें आने वाले वर्षों के लिए एक संयुक्त दृष्टि की स्थापना की गई थी।
रोम घोषणा की मुख्य विशेषताएं:
25 मार्च, 2017 को रोम की घोषणा पर हस्ताक्षर करने से पहले, पोलिश प्रधानमंत्री बीटासज़ायडलो ने स्पष्ट संकेत दिए कि पोलैंड दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं करेगा क्योंकि उसे आशंका थी कि एक बहु-गतिय यूरोप पूर्व को दूसरे दर्जे के स्थान पर धकेल देगा। दूसरी ओर, ग्रीस ने यह कहते हुए संकोच जताया कि वह संधि के टेक्स्ट में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक स्पष्ट प्रतिबद्धता चाहता है। हाल के दिनों में, अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं ने ग्रीस को बताया कि वे चाहते हैं कि बेलआउट के लिए नए ऋणों के बदले में अधिक सुधारों को अपनाया जाए। हालांकि, शिखरवार्ता की पूर्व संध्या पर डोनाल्ड टस्क के साथ ग्रीस प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास की बैठक में सिप्रास को एक आश्वासन देते हुए घोषणा पर हस्ताक्षर करने हेतु बेहतर स्थिति बनाई गई। पोलैंड ने पहले ही घोषणा के मसौदे को मंजूरी दे दी थी और एक बहुगतिय यूरोप पर उसकी चिंताओं को समाहित कर मूल अवधारणा के स्वर को नरम करते हुए अंतिम मिनट की वीटो प्रयोग की संभावना से इनकार किया गया।
रोम घोषणा में माना गया कि यूरोपीय संघ ‘अभूतपूर्व चुनौतियों’ का सामना कर रहा है, जिसमें क्षेत्रीय संघर्ष, आतंकवाद, बढ़ते प्रवासी दबाव, संरक्षणवाद और सामाजिक और आर्थिक असमानताएं शामिल हैं। दस्तावेज़ की कुछ प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
रोम घोषणा पर एक नज़दीकी नज़र इस तथ्य को उजागर करता है कि उसे सावधानीपूर्वक प्रारूपित किया गया था ताकि राष्ट्रीय संसदों और नागरिकों द्वारा व्यक्त की गई ’चिंताओं’ को समायोजित किया जा सके। यह इंगित करता है कि नेता विभिन्न स्तरों पर कठोर बदलाव न होने की स्थिति में कम से कम 'कौशल' सृजित करने का रास्ता बनाने के लिए तैयार थे। हालांकि, राष्ट्रीय संसदों की निश्चित चिंताओं, उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ के स्तर पर संसद के विस्तार, यूरोपीय संघ के कानून की प्रमुखता, यूरोपीय संघ की नीति बनाने की प्रक्रिया और पारदर्शिता प्रक्रिया में राष्ट्रीय संसदों की अधिक भागीदारी आदि का उल्लेख नहीं किया गया था। उसी संदर्भ में, हालांकि घोषणा में लोकतांत्रिक, प्रभावी और पारदर्शी निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के बारे में बात की गई थी, फिर भी यूरोपीय संघ के नागरिकों और राष्ट्रीय संसदों के लिए इस प्रणाली को और अधिक स्वीकार्य बनाने का मुद्दा अभी भी स्पष्ट नहीं है। घोषणा स्वत: ही विरोधाभास दर्शा रही है, जहां एक ओर, रोम एजेंडा के कार्यान्वयन के लिए उसमें निश्चित कार्यों की सिफारिश की गई थी, जबकि घोषणा के उत्तरोत्तर भाग में, जिसमें एक स्पष्टता के साथ संघ के लोगों को सुरक्षा की भावना को चित्रित किया जा सकता था। ऐसा लगता है कि घोषणा केवल ऊंची-ऊंची घोषणाओं तक ही सीमित थी।
रोम शिखरवार्ता 2017 केवल पूर्वव्यापी शिखरवार्ता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि शिखरवार्ता के प्रमुख दस्तावेज में यूरोप की समस्याओं को हल करने और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण निर्धारित करने का संकल्प लिया गया है। किसी संधि की अवधारणा का परिवर्तन करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन संस्थागत वातावरण के भीतर प्रस्तुत उदारवादी एवं बेहिचक संवाद प्रक्रियाओं के तत्वों ने राष्ट्रीय संसदों और नागरिकों की चिंताओं को दूर करने की संभावना व्यक्त की, जिनमें से कुछ यूरोपीय संघ के कामकाज से असंतुष्ट हैं। ब्रिटेन का यूरोपीय संघ छोड़ने का निर्णय यूरोपीय संघ की तुलना में ब्रिटेन के लिए अधिक प्रतिकूल होगा, लेकिन जनमत संग्रह के निर्णय को संघ (जो संघर्षों से लड़ने में विश्व में ताकत और एकता का एक प्रतीक है) द्वारा थोड़ा सावधानी से अमल में लाया जा सकता है।
घोषणा में बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा को भी दर्शाया गया था, हालांकि, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया था, उसकी भाषा नरम की गई थी। यह समझने के लिए कि नेताओं ने घोषणा की अवधारणा को निरस्त करने के बजाय, उसे समझने का विकल्प क्यों चुना, इसके लिए अवधारणा के आशय को समझना और हाल की वार्ता में उसकी चर्चा कैसे की गई, उसे समझना आवश्यक है।
बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा:
बहु-गतिय एकीकरण की अवधारणा में यूरोप के एकीकरण के कुछ तत्वों पर आगे बढ़ने में कुछ सदस्य देशों का एक कोर शामिल है, जबकि उन सदस्यों को, जो पीछे छूट रह गए थे, तब कोर में अंतत: शामिल होने की अनुमति दी गई है जब ऐसा करने के लिए वे सक्षम और इच्छुक हों। यह उन देशों को, जो विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग को तेज करने के लिए उत्सुक हैं, उन्हें अपनी सहमति देने हेतु पूरे ब्लॉक के लिए बिना कोई प्रतीक्षा के आगे बढ़ने में सुविधा प्रदान करेगा।
बहु-गतिय एकीकरण की बात सदी की शुरुआत के बाद से चल रही है। कानूनी आधारों, जैसे कि मास्ट्रिच संधि ने ब्रिटेन जैसे सदस्यों को संधि में निहित यूरोपीय संघ की सामाजिक नीति से बाहर निकलने का अवसर दिया। मास्ट्रिच संधि का अनुसमर्थन नहीं किए जाने के कारण डेनमार्क और ब्रिटेन को आर्थिक और मौद्रिक संघ (ईएमयू) से बाहर निकलना पड़ा। 1997 में एम्स्टर्डम पर बातचीत करते हुए, फ्रांस और जर्मनी ने संधि में एक ‘संवर्धित सहयोग’ खंड जोड़े जाने की वकालत की ताकि कुछ सदस्य देशों के बीच गहन सहयोग स्थापित किया जा सके। यूरोपीय संघ की संधि ने इस मुद्दे का समाधान किया कि उस स्थिति में निर्णय कैसे लिया जाता है जब सभी सदस्य देश निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं। 1989 के यूरोपीय समुदाय में आर्थिक और मौद्रिक संघ पर डेलर्स रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि समुदाय की बहुलता "व्यक्तिगत सदस्य देशों के साथ रहने के लिए आर्थिक निर्णय लेने में स्वायत्तता की एक सीमा और राष्ट्रीय एवं सामुदायिक प्रतिस्पर्धाओं के बीच टकराव की स्थिति में संतुलन’’ की मांग करती है। इसलिए यह स्पष्ट है कि समय-समय पर, एक बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा को कुछ समय तक कानूनी प्रावधानों के जरिए परोक्ष और अपरोक्ष रूप से मान्यता दी गई है।
हाल ही में, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लाउड जुनेकर ने 1 मार्च, 2017 को यूरोप के भविष्य पर प्रकाशित अपने श्वेत पत्र में पांच परिदृश्य प्रस्तुत किए, जो 'विकल्प' की पेशकश करते हैं, जिसे 2025 तक स्टेट ऑफ द यूनियन का निर्धारण करने के लिए संयुक्त रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए। तीसरा परिदृश्य "जो लोग ज्यादा हासिल करना चाहते हैं, उन्हें अवसर प्रदान करना" स्पष्ट रूप से उन सदस्य देशों के समूहों के लिए भविष्य की योजनाओं को इंगित किया गया है, जो विशिष्ट डोमेन (रक्षा, सुरक्षा, न्याय, कराधान और सामाजिक प्रगति पर) पर वर्तमान कानून का प्रयोग करने की संभावनाओं के साथ सहयोग करने का निर्णय ले सकते हैं। दूसरे शब्दों में, इसका अर्थ यूरोपीय संघ के और अधिक एकीकरण को मजबूती प्रदान करने के रूप में एक बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा को देखते हुए और अन्य की तुलना में कुछ देशों को - "यूरोपीय संघ इच्छुक सदस्य देशों को विशिष्ट क्षेत्रों में एक साथ और अधिक कार्य करने की अनुमति देता है" श्वेत पत्र में उल्लिखित "इच्छुकों का गठबंधन" सदस्य देशों के बीच एकता को संरक्षित करने में और उम्मीदों एवं प्रदायगी के बीच ध्रुवीयता को कम करने में योगदान देगा।
6 मार्च 2017 को वर्साय पैलेस में फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के नेताओं की बैठक में बहु-गतिय एकीकरण की अवधारणा को भी मान्यता दी गई। जिन नेताओं ने रोम शिखरवार्ता की पूर्व संध्या पर मुलाकात की, उन्होंने विभिन्न गतियों पर प्रगतिशील यूरोप की अवधारणा का सर्वसम्मति से समर्थन किया।
यूरोपीय संघ की बहु-गतिय योजना, जिसे वास्तव में आधिकारिक नीति के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया गया है, कार्यान्वयन के तहत किया है और वह भी, कई क्षेत्रों में, काफी सफलतापूर्वक। यूरोज़ोन में 19 सदस्य और शेंगेन ज़ोन में 23 यूरोपीय संघ के सदस्य हैं। यूरोजोन की आर्थिक वृद्धि 2016 में 1.7 प्रतिशत थी, जो पूरे 2016 में औसतन रूप से अमेरिका की तुलना में अधिक थी। शेंगेन ज़ोन, जो यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, ने सीमा नियंत्रण को समाप्त कर यूरोपीय देशों के नागरिकों को पासपोर्ट या वीज़ा जाँच से गुजरने के बिना आसानी से यात्रा करने की अनुमति प्रदान की। लेकिन इससे भी अधिक, शेंगेन ज़ोन ने वस्तुओं और सेवाओं के त्वरित परिवहन के लिए अधिकृत किया जो यूरोपीय संघ के भीतर व्यापार और व्यवसाय के संचालन में एक प्रमुख कारक रहा है। हाल के दिनों में, यूरोप में आतंकवादी हमलों ने व्यवस्था के अस्तित्व और निरंतरता पर सवाल उठाए हैं, जिनका रोम के एजेंडे में विधिवत समाधान किया गया है। नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि एक सुरक्षित और संरक्षित यूरोप का निर्माण करने के लिए, एक कुशल, जिम्मेदार और स्थायी प्रवास नीति के कार्यान्वयन के माध्यम से बाहरी सीमाओं को सुरक्षित करना आतंकवाद और संगठित अपराध से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। भू-राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव और उनके पीछे मौजूद चुनौतियां व्यवस्था को समाप्त करने के लिए प्रेरित नहीं करती हैं, जिसके लाभों ने उससे जुड़े जोखिमों को दूर कर दिया है। समस्याओं की मौजूदगी को नियंत्रित करना और जांचना निश्चित रूप से एक बेहतर विकल्प है।
जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन के साथ-साथ बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने भी बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा का समर्थन किया है। कुछ देशों की प्रगति और संवर्धित एकीकरण की संभावना ने मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच चिंताओं को बढ़ाया है, जिन्हें इस बात का डर है कि वे यूरोपीय नीति-निर्माण की दूसरी श्रेणी में डाउनग्रेड हो जाएंगे। पोलैंड, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी सहित विसेग्रेड फोर, जिन्होंने यूरोपीय आयोग के श्वेत पत्र प्रकाशित होने के एक दिन बाद, वॉरसॉ शिखरवार्ता में एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया था, में यह बताया गया कि एक बहु-गतिय यूरोप की अवधारणा उनके लिए अस्वीकार्य थी। घोषणापत्र में कहा गया है कि यूरोपीय संघ को पश्चिमी यूरोप और पूर्वी देशों के एकीकरण के लिए खुला रहना चाहिए ताकि एक बेहतर यूरोप का निर्माण हो सके।
यह उन केंद्रीय समस्याओं में से एक है जिसका यूरोप सामना कर रहा है, अर्थात एकीकरण का। प्रवासन, शरण, आतंकवाद और असमान आर्थिक विकास जैसे मुद्दों से निपटने के लिए यूरोप को आज अधिक एकीकरण की आवश्यकता है। हालांकि स्लोवाकिया और चेक गणराज्य जैसे कुछ देश शरण और प्रवास नीति पर ब्रुसेल्स के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हंगरी और पोलैंड जैसे अन्य लोग यूरोपीय संघ के भीतर शरणार्थियों के पुनर्वितरण का विरोध कर रहे हैं। गंभीर चुनौतियों से घिरे ब्लाक में विभेदित एकीकरण, जिसे गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, से एक मजबूत एवं उदारवाद यूरोप का लक्ष्य पूरा हो सकता है। यह एक विरोधाभास भी है कि यद्यपि सभी विजगार्ड देशों ने मानवीय गरिमा, समानता और मानवाधिकारों के प्रति अपनी निष्ठा की प्रतिज्ञा की है और वे चाहते हैं कि संघ सदस्य देशों की उम्मीदों पर खरा उतरे, लेकिन हंगरी और पोलैंड जैसे देशों ने एकजुटता और निष्पक्ष वितरण के सिद्धांतों का खुला विरोध करते हुए अपने देशों में शरणार्थियों के प्रवेश को रोकने के लिए सख्त सीमा नियंत्रण लागू करने के लिए कहा है।
बहु-गतिय यूरोप के विचार पर हाल के विचार-विमर्शों को वुल्फगैंग मुनचू के लेख "एक बहु-गतिय सूत्र यूरोप के भविष्य को आकार देगा" (द फाइनेंशियल टाइम्स, 12 मार्च, 2017) और फिलिप स्टीफेंस के लेख "ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय संघ को साबित करने के लिए यूरोप के पास अपनी विद्यमानता की शक्ति है" (द फाइनेंशियल टाइम्स, 15 मार्च, 2017) में औचित्यपूर्ण अभिव्यक्तियां दी गई हैं। हालांकि मुनचू बताते हैं कि बहु-गतिय एकीकरण यूरोपीय समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रदान करता है, स्टीफंस का तर्क है कि यूरोपीय संघ 27 में, जहां राष्ट्रवाद की आवाजें अधिक मुखर हुई हैं, वहां सुपरनेचुरल सहयोग और साझा संप्रभुता की बात करना मुश्किल है। बहु-गतिय एकीकरण, इच्छुक देशों के बीच रक्षा या औद्योगिक सहयोग को मजबूत कर सकता है, लेकिन यूरोपीय संघ के भीतर सभी समस्याओं के लिए यह एकमात्र रामबाण नहीं है। यह यूरोप के भविष्य को आकार देने के लिए अपेक्षित खाका का एक हिस्सा बन सकता है, लेकिन एकमात्र रणनीति के रूप में रोजगार की अवधारणा शायद पश्चिमी यूरोपीय राज्यों के प्रभुत्व को सुदृढ़ करेगी और विशेष रूप से बुल्गारिया, रोमानिया और क्रोएशिया जैसे नए सदस्यों की प्रगति को मंद करेगी जो संक्रमणकाल से गुजर रहे हैं, और लोकतंत्र और यूरोपीय संघ के मूल्यों को उनके पश्चिमी पड़ोसियों से ज्यादा समर्थन की आवश्यकता है। संघ के सदस्यों को अलग-अलग दिशाओं में जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें प्रगतिशील सद्भाव बनाए रखने की जरूरत है। अधिक एकीकरण और सामंजस्य की आवश्यकता भी वर्तमान संदर्भ में उत्पन्न होती है, खासकर जब यूरोप को कथित रूप से मुखर रूस का सामना करना पड़ता है, और यूरोप को अपनी पूर्वी सीमाओं को सुरक्षित करना चाहिए।
यूरोपीय संघ की नीति बनाने में मध्य और पूर्वी देशों के हितों का प्रतिनिधित्व विशेष रूप से चिंता का विषय है। दूसरे शब्दों में, सामाजिक और आर्थिक विषमताओं पर काबू पाने के लिए, जिन सदस्यों ने यह महसूस किया है कि उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, उन्हें विकास और संरचनात्मक सुधारों पर सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने के लिए विकसित लोगों के साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है। इससे यूनियन के सामंजस्य और सामंजस्य का मामला पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होगा।
जैसा कि टस्क ने 60वीं वर्षगांठ पर अपने भाषण में जोर दिया, वर्तमान परिस्थितियां (जो 'अभूतपूर्व चुनौतियों' के लिए स्पष्ट रूप से संदर्भित है) एकता की बात करती हैं, न कि बहु गतियों के खिलाफ विरोध करती हैं। परिषद के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने बहु-गति यूरोप के लिए निश्चित रूप से अपनी पसंद का हवाला नहीं दिया या विरोध किया। लेकिन उन्होंने जो स्पष्ट किया वह यह था कि जो ज्यादा महत्वपूर्ण पहलू है, वह मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता, बोलने की स्वतंत्रता और एकत्रीकरण की स्वतंत्रता, चेक और बैलेंस और कानून के शासन जैसे कॉमन नियमों का सम्मान करना है। यह सच है कि संघ को आबद्ध करने वाले मूल्य इसकी विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जैसा कि अतीत में यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ-साथ कई विद्वानों द्वारा दोहराया गया था, बहुलता के बीच प्रगतिशील एकता यूरोपीय संघ का मूल अभिप्राय है और यह एक महाद्वीप में एक ऐसा सीमेंट है जिसने एक बार मानव जाति के इतिहास में सबसे खूनी युद्धों को देखा था।
***
* लेखिका, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।
पादटिप्पणियां :
1 “60th anniversary of the Rome Treaties 25/03/2017”, European Council, मार्च 25, 2017, http://www.consilium.europa.eu/en/meetings/european-council/2017/03/25-informal-meeting/ अप्रैल 18, 2017 को अभिगम्य.
2 Sarma, Sanghamitra, “The second phase of preparations for the Rome treaty anniversary: Analyzing Donald Tusk’s letter and EU Malta Summit 2017”, Viewpoint, Indian Council of World Affairs, मार्च 14, 2017, http://www.icwa.in/pdfs/VP/2014/RomeTreatyanniversaryVP14032017.pdf अप्रैल 20, 2017 को अभिगम्य.
“Report BY President Donald Tusk to the European Parliament on the European Council of 9 मार्च and the informal meeting of the 27 heads of state and government of 10 मार्च ”,European Council, मार्च 15, 2017, http://www.consilium.europa.eu/en/press/press-releases/2017/03/15-tusk-report-european-parliament/ अप्रैल 20, 2017 को अभिगम्य.
3 Baczynska, Gabriela, “EU hopes Greece will drop objections to unity declaration”, Reuters, मार्च 23, 2017, http://www.reuters.com/article/us-eu-summit-rome-idUSKBN16U0N2 अप्रैल 18, 2017 को अभिगम्य.
4 Jensen, Christian B. & Jonathan B. Slapin, “The Politics of Multispeed Integration”, in Jeremy Richardson and Sonia Mazey, ed. “European Union: Power and Policy Making”, UK: Routledge, 2015, p. 65.
5 Palmer, John, “New routes to Union”, The Guardian, अक्तूबर 23, 1996, p. 11 in Christian B. Jensen & Jonathan B. Slapin, “The Politics of Multispeed Integration”, in Jeremy Richardson and Sonia Mazey, ed. “European Union: Power and Policy Making”, UK: Routledge, 2015, पृष्ठ 63-79.
6 Delors, Jacques, “Report on economic and monetary union in the European Community”, Committee for the Study of Economic and Monetary Union, अप्रैल 17, 1989, http://aei.pitt.edu/1007/1/monetary_delors.pdf अप्रैल 20, 2017 को अभिगम्य.
7 Gaynor, K.B. and E. Karakitsos, “Economic Convergence in a Multispeed Europe”, London: Macmillan Press Ltd. (1997), p. 34.
8 “White Paper on the Future of Europe”, European Commission, मार्च 1, 2017, https://ec.europa.eu/commission/sites/beta-political/files/white_paper_on_the_future_of_europe_en.pdf अप्रैल 21, 2017 को अभिगम्य.
9 पूर्वोक्त , p.20
10 Amaro, Silvia, “Euro zone growth outpaces the US for the first time since the 2008 crash”, CNBC, जनवरी 31, 2017, http://www.cnbc.com/2017/01/31/euro-zone-gdp-hits-05-in-last-quarter-of-2016-beating-estimates-जनवरी -inflation-at-18-unemployment-falls.html अप्रैल 21, 2017 को अभिगम्य.
11 “What does a multi-speed EU mean for central and eastern Europe?”, DW, मार्च 24, 2017, http://www.dw.com/en/what-does-a-multi-speed-eu-mean-for-central-and-eastern-europe/a-38016484 अप्रैल 21, 2017 को अभिगम्य.
12 “Visegrad group wants a better Europe”, Visegrad Post, मार्च 4, 2017, https://visegradpost.com/en/2017/03/04/visegrad-group-wants-a-better-europe/ अप्रैल 21, 2017 को अभिगम्य.
13 “Speech by President Donald Tusk at the ceremony of the 60th anniversary of the Treaties of Rome”, European Council, मार्च 25, 2017,http://www.consilium.europa.eu/en/press/press-releases/2017/03/25-tusk-ceremony-rome-speech/ अप्रैल 21, 2017 को अभिगम्य.