लंबे समय तक मेक्सिको विश्व के शीर्ष कच्चा तेल उत्पादक देशों में शामिल रहा है। हालांकि वैसे तो, अभी भी प्रचुर मात्रा में कच्चे तेल का भंडार होने का अनुमान है, लेकिन लंबे समय तक एक ही साइट का उपयोग करते रहने से और अप्रचलित तकनीक का उपयोग करने के कारण; कच्चे तेल का उत्पादन गिर गया है।
मेक्सिको में कच्चे तेल का भंडार विश्व का दसवां सबसे बड़ा है। बीते कुछ वर्षों के दौरान मेक्सिको में महसूस किया गया कि मैक्सिको इस उपहार से उस तरह लाभ नहीं उठा पा रहा है जिस तरह उसे उठाना चाहिए। भंडार होने के बावजूद, मेक्सिको अभी देश में पर्याप्त और सक्षम रिफाइनरियों की कमी के चलते कुल प्राकृतिक गैस की अपनी आवश्यकता का लगभग पचास प्रतिशत आयात करता है।1
मेक्सिको पारंपरिक रूप से अमेरिका का ऊर्जा आपूर्तिकर्ता रहा है; हालाँकि, चूँकि आज अमेरिका ऊर्जा के मामले में अधिक स्वतंत्र हो गया है, इसलिए अमेरिका को मैक्सिकों से होने वाला निर्यात गिर गया है और मेक्सिको को मिलने वाला राजस्व भी घट गया है। मेक्सिको अब अपने निर्यात आधार का विस्तार करना चाहता है और उसने अब भारत और जापान जैसे देशों की ओर देखना शुरू किया है।2
संयोग से भारत भी अपने ऊर्जा निर्यातकों में विविधता लाना चाहता है। मेक्सिको भारत को मध्य-पूर्व से स्वागत योग्य राहत प्रदान कर सकता है। मध्य पूर्व पारंपरिक रूप से भारत को तेल निर्यात करता रहा है।
ऊर्जा क्षेत्र में सुधार लागू करके मेक्सिको ने अब पूरी प्रक्रिया को चुस्त-दुरूस्त बना दिया है। मेक्सिको ने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों के लिए खोल दिया है। कच्चा तेलशोधन में अपनी विशेषज्ञता के नाते और ऊर्जा आपूर्ति के नए स्रोत खोजने की आवश्यकता के चलते भारत ने , इन ऊर्जा सुधारों को अद्भुत अवसर के रूप में लिया है।
साथ ही यह भारत और मेक्सिको दोनों को अपने द्वि-पक्षीय संबंधों में मजबूती लाने का अवसर भी प्रदान करता है।
राज्य की स्वामित्व वाली तेल कंपनी पेट्रोलियोस मैक्सिकनोस या पेमेक्स का लंबे समय तक देश के सभी हाइड्रोकार्बन और उनसे प्राप्त उत्पादों पर एकाधिकार रहा है। इस एकाधिकार की जड़ें इतिहास में जाती हैं जिसने अंततः मेक्सिको के संविधान को जन्म दिया। इस पर आगे प्रकाश डाला जाएगा।
कच्चे तेल के गिरते उत्पादन और उससे घटते राजस्व के चलते, मेक्सिको में उन्नत तकनीक का प्रयोग करने और देश के तेल भंडार के अन्वेषण और उत्पादन में अधिक पूंजी लगाने की आवश्यकता है।
2013 में नीटो शासन ने मेक्सिको के ऊर्जा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ऊर्जा सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की।
सुधार
ये सुधार बहु आयामी हैं और इनमें मैक्सिकों के तेल और गैस क्षेत्र की अपस्ट्रीम, मिड स्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम गतिविधियों के कानूनी, वित्तीय और परिचालन क्षेत्र शामिल हैं।*3 साथ ही इन सुधारों ने मैक्सिको के तेल और गैस उद्योग के कामकाज के पारंपरिक तरीकों को भी बदल दिया है। इन सुधारों का उद्देश्य इस उद्योग पर राज्य के नियंत्रण में कमी लाना और विदेशी निवेश और निजीकरण को आमंत्रित करना है। 2013 में घोषित ऊर्जा सुधारों का पैमाना और प्रकृति अभूतपूर्व है और ऐसा मैक्सिको में संसाधन राष्ट्रवाद की मजबूत परंपरा के कारण है। संसाधन राष्ट्रवाद मेक्सिको के राजनीतिक और राष्ट्रीय मानस का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है और हालिया संवैधानिक संशोधन तक; मैक्सिको के संविधान के अनुच्छेद 27 में महिमामंडित था। इस संशोधन के लिए राज्य विधानसभाओं में बहुमत के अलावा कांग्रेस में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी। तेल के राष्ट्रीयकरण का भी मैक्सिकों के लोगों लिए गहरा ऐतिहासिक महत्व है। इसलिए ये सुधार विशुद्ध रूप से आर्थिक निर्णय नहीं हैं, बल्कि उनके साथ काफी सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी जुड़ा हुआ है।4
तेल राष्ट्रवाद और हाइड्रोकार्बन संसाधनों पर राज्य स्वामित्व की परंपरा की जड़ें मेक्सिको के 1917 के संविधान में तलाशी जा सकती हैं। 1917 के संविधान का अनुच्छेद 27 आधिकारिक रूप से राज्य को सभी अधोभूमि संसाधनों का स्वामी निर्दिष्ट करता है। हालाँकि यह राष्ट्रपति लजारो कर्डेनस थे, जिन्होंने 1938 में मेक्सिको के तेल और गैस उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया जिसने अनुच्छेद 27 को प्रभावी रूप से लागू किया। हालांकि, राज्य अभी भी अपस्ट्रीम साझेदारी कर सकता था, सेवा अनुबंध जारी कर सकता था और यहाँ तक कि निजी संस्थाओं को पूरा अनुबंध भी दे सकता था जिसका भुगतान प्राय: नकदी के रूप में में या कुल उत्पादन के प्रतिशत के रूप में किया जाता था।
1958 में, नियामकीय कानून में संशोधन किया गया। इस संशोधन के माध्यम से विकास के अधिकार विशेष रूप से राज्य की स्वामित्व वाली कंपनी - पेट्रोलियेास मेक्सीकैनोस या पेमेक्स के माध्यम से राज्य को सौंप दिए गए। इसके बावजूद भी, विदेशी कंपनियाँ कानूनी खामियाँ खोजकर चालाकी से टिकी रहीं और जोखिम अनुबंधों के माध्यम से अन्वेषण और उत्पादन के अधिकार प्राप्त करने में सफल रही हैं। इसलिए दो वर्ष बाद इस कानून में फिर से संशोधन किया गया। इस बार स्पष्ट रूप से सभी रियायतों और अनुबंधों को प्रतिबंधित कर दिया गया और पहले से विद्यमान रियायतों और अनुबंधों को समाप्त कर दिया गया और इस प्रकार सभी हाइड्रोकार्बन और उसके व्युत्पन्न उत्पादों पर पेमेक्स का एकाधिकार स्थापित किया गया।5
1990 के दशक में नाफ्टा या उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार अधिनियम द्वारा निजीकरण और उदारीकरण आरंभ किया गया, हालांकि, तेल और गैस क्षेत्र इससे अछूता रहा। कहीं जाकर 2008 में फेलिप काल्डेरॉन के शासन के दौरान ऊर्जा सुधारों की आहट मिली। "एकीकृत सेवा अनुबंधों" का सूत्रपात किया गया और सार्वजनिक निविदाओं के माध्यम से प्रदान किया गया और पेमेक्स द्वारा नकद में भुगतान किया गया। हालांकि संवैधानिक परिवर्तन की कमी और सीमित कानूनी निश्चितता के कारण, ये सुधार गंभीर निवेशकों की रूचि नहीं आकर्षित कर सके और सफलता सीमित रही।6
राष्ट्रपति एनरिक पेना नीटो द्वारा आरंभ किए गए सुधार मैक्सिको के संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के साथ ही अनुच्छेद 27 के संशोधन के बाद किए गए हैं और इस परिवर्तन ने पेमेक्स का एकाधिकार समाप्त कर दिया है। हालाँकि इससे सभी हाइड्रोकार्बन संसाधनों पर राज्य के स्वामित्व में सुधार नहीं आया। अन्वेषण और उत्पादन या ई एंड पी क्षेत्र अभी भी एक रणनीतिक क्षेत्र बना हुआ है और यह अभी भी सीधे राज्य के निर्देशनाधीन है।
इन सुधारों का उद्देश्य 1958 के कानूनी ढांचे को बदलना और निजी क्षेत्र से निवेश प्रोत्साहित करने वाली मित्रतापूर्ण संरचना को अपनाना है। मेक्सिको और अंतर्राष्ट्रीय निजी कर्ताओ के साथ यह बढ़ी हुई अंतरक्रिया तीन विशिष्ट अनुबंध विकल्पों के माध्यम से होगी - लाभ-सहभाजन, उत्पादन-सहभाजन और अनुज्ञापन और इन तीनों प्रकार के सभी अनुबंध सार्वजनिक निविदाओं के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे।7
हालाँकि, एसईएनईआर या ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से राज्य ने जब भी राज्य चाहे पेमेक्स को अधिनिर्णय प्रदान करने का प्राधिकार अपने पास बनाए रखा है। इसके समान, राज्य ने या तो पेमेक्स के माध्यम से या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संबंधित विशेष परियोजनाओं के मामले में प्रत्यक्ष वित्तपोषण के माध्यम से 30 प्रतिशत तक की प्रत्यक्ष साझेदारी की स्थापना करने का अधिकार भी अपने पास आरक्षित रखा है। सीमा के आर-पार तेलक्षेत्र की संभावना के संबंध में भी एक विशेष धारा है, यहाँ राज्य के लिए न्यूनतम 20% भागीदारी रखना आवश्यक है।
सुधारो से पेमेक्स की संरचना और कामकाज में भी बदलाव आएगा। पेमेक्स अब सरकार से पूर्ण रूप् से स्वायत्त होगी; राज्य अभी भी इस फर्म का एकमात्र स्वामी रहेगा, लेकिन फर्म का प्रबंधन छोड़ देगा। कंपनी को अपेक्षाकृत आसान राजकोषीय शासन से लाभ होने की उम्मीद है और वित्तीय पुनर्गठन के साथ-साथ पेंशन दायित्वों के लिए कंपनी को वित्तीय सहायता मिलेगी। पेमेक्स को कॉरपोरेट गवर्निंग संरचना अपनानी पड़ेगी ताकि कंपनी वैश्विक फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। नया हाइड्रोकार्बन कानून स्वयं में बदलाव लाने के लिए पेमेक्स को दो वर्ष का समय दे रहा है।8
इस बार सुधारों के पीछे संवैधानिक संशोधन होने के कारण, सुधारों ने इसे एक कानूनी निश्चितता प्रदान की है जो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निवेश करने से पहले चाहते हैं।
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, सार्वजनिक निविदाओं के माध्यम से दिए जाने वाले तीन प्रकार के अनुबंध हैं - लाभ-सहभाजन, उत्पादन-सहभाजन और अनुज्ञापन। इन अनुबंधों के बीच अंतर निवेशकों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति पर आधारित है। लाभ-सहभाजन अनुबंध नकद में बोली जीतने वाले की लाभ प्रतिशत से क्षतिपूर्ति करेगा, उत्पादन-सहभाजन अनुबंध तेल, गैस या कंडेनसेट से क्षतिपूर्ति करेगा। अनुज्ञापन पर आधारित अनुबंधों में, हाइड्रोकार्बन अधोभूमि से निकलने पर निवेशक को संपत्ति अधिकार मिलेगा और तब तक मैक्सिकन राज्य की संपत्ति बने रहेंगे।
एसईएनइआर द्वारा परियोजना-दर-परियोजना आधार पर प्रत्येक बोली के लिए प्रस्तावित अनुबंध का प्रकार निर्धारित किया जाएगा। राज्य को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति भी इसी प्रकार निर्धारित की जाएगी और सार्वजनिक निविदाओं के लिए इसकी सबसे महत्वपूर्ण लागत चर होने की भविष्यवाणी की गई है। अनुज्ञापन पर आधारित अनुबंधों के लिए, हस्ताक्षर बोनस भी निर्धारित किया जाएगा। बोली प्रदान किए जाने पर इसका भुगतान किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए इस प्रकार अनुबंधों में लचीलापन शामिल किया गया है कि निवेश और कर व्यवस्था प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट विशेषताओं से मेल खाए और इस प्रकार राज्य का लाभ अधिकतम करे।
साथ ही सुधारों में सभी अनुबंधों पर लागू तीन अन्य भुगतानों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इनमें से दो खोज संबंधी चरण के शुल्क हैं और एक बुनियादी रॉयल्टी है। यह मैक्सिको स्थिरीकरण और विकास पेट्रोलियम फंड में देय होगी। तीसरा शुल्क हाइड्रोकार्बन फंड -उत्पादक राज्य और नगर पालिका में अंशदान होगा। यह प्रति वर्ग मील निर्धारित शुल्क पर आधारित ई एंड पी गतिविधियाँ निष्पादित करने के लिए एक मासिक फ्लैट कर होगा।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तेल और गैस क्षेत्र की कंपनियों से करों के मामले में अलग व्रूवहार किया जाएगा। मेक्सिको के पारंपरिक निगम कर, इम्प्यूस्टो सोब्र ला रेंटा (आईएसआर), के लिए दावा की गई कटौती, अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में लागू करों से अलग दरों के अधीन होगी। सभी ई एंड पी कंपनियों के लिए एक लाभ यह है कि इन अनुबंधों से सीधे प्राप्त सभी रॉयल्टी, शुल्क और क्षतिपूर्तियाँ 16 प्रतिशत मूल्य वर्धित कर से मुक्त होंगी।9
आप यह देख सकते हैं कि सुधार निजी क्षेत्र का निवेश प्रोत्साहित करने और इच्छुक पक्षों से संभव सर्वाधिक तेल भाटक प्राप्त करने के बीच संतुलन बनाने के लिए दृढ़ता से प्रयासरत है।
सुधार चरणों में किया जा रहा है और पहले चरण की घोषणा 13 अगस्त 2014 को की गई थी। इन सुधारों के पहले चरण में मैक्सिको की सरकार ने निजी निवेशकों के लिए अन्वेषण और उत्पादन के लिए खोले जाने वाले तेलक्षेत्रों की घोषणा की है। इस चरण को चक्र एक कहा गया है और इसे दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी को 'फार्म आउट' कहा गया है। इस श्रेणी में पेमेक्स को आवंटित साइटों का लाभ उठाने के इच्छुक निजी निवेशकों के लिए संयुक्त उद्यम के अवसर शामिल हैं। 'न्यू फील्ड्स एंड रिज़र्वोयर्स' की संज्ञा वाली दूसरी श्रेणी पेमेक्स को आवंटित नहीं फील्ड्स और रिज़र्वायर्स' का निवेशकों द्वारा दोहन करने का विकल्प चुनने पर है। पेमेक्स के अधीन नहीं आने वाले भंडारों को सरकार द्वारा अल्पावधि में तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने की उनकी क्षमता के आधार पर चुना गया है, जिसका उद्देश्य अंततः राज्य के लिए राजस्व बढ़ाना और इसे जल्दी करना है। यह अनुमान है कि भंडारों की दूसरी वाली श्रेणी में लाभ-सहभाजन श्रेणी के विपरीत अनुज्ञापन और उत्पादन-सहभाजन अनुबंधों के आधार पर अधिक निवेश होगा।10
फार्म आउट को सार्वजनिक बोली के माध्यम से वितरित किया जाएगा, जिसकी देखरेख सीएनएच या कमीशन नेशनल डी हाइड्रोक्यूब्बरोस द्वारा की जाएगी। इन फार्म आउट को 2पी भंडार के 1.56 बीबीसीओई या बिलियन बैरल कच्चा तेल समतुल्य के विकास में परिवर्तित किया जा सकता है। 2 पी को प्रमाणित और संभावित भंडार के रूप में बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। ये फार्म आउट 3पी भंडार के 2.66 बीबीसीओई (प्रमाणित, संभव और संभावित भंडार) को भी निरूपित करते हैं। ये फार्म आउट 236 वर्ग मील क्षेत्र में फैले हैं और अगले 5 से 10 वर्षों के भीतर $32 बिलियन अमरीकी डॉलर निवेश होने की उम्मीद है।
नए तेलक्षेत्र और रिज़र्वायर फ़ार्म आउट की तुलना में अधिक महत्वाकांक्षी श्रेणी होंगे; इनमें 169 साइटें शामिल हैं जिन्हें बोली लगाने के लिए रखा जाएगा। कुल तेलक्षेत्रों और रिज़र्वायर्स में से 109 अन्वेषण परियोजनाओं के रूप में चिह्नित हैं; ये साइट 10,000 वर्ग मील क्षेत्र में फैले हुए है और 14.6 बीबीसीओई होने का अनुमान है। आकलनों के अनुसार इन साइटों के लिए अगले चार वर्षों में 19 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी। बाकी 60 साइटें उत्पादन के लिए तैयार हैं और 1000 वर्ग मील क्षेत्र फैली हुई हैं। इन्हें 2पी भंडार में 3.8 बीबीसीओई वाला बताया जा रहा है और इनके लिए अगले चार वर्षों के दौरान $15.1 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश की आवश्यकता होगी।11
निजी कंपनियों द्वारा बोली लगाने की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और निर्णय पूरी तरह से अर्थशास्त्र पर आधारित रखने के लिए, दो मुख्य निकायों - ऊर्जा सचिवालय या एसईएनईआर और राष्ट्रीय हाइड्रोकार्बन आयोग या सीएनएच द्वारा बोली लगाने की प्रक्रिया विनियमित की जाएगी। बोली लगाने और अनुवर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता मेक्सिको के लिए बड़ी चिंता का विषय है। राइस विश्वविद्यालय, टेक्सास में ऊर्जा और संसाधन अर्थशास्त्री डॉ. केन मेडलॉक ने टिप्पणी की कि पेमेक्स मैक्सिको की सरकार का एक सर्वाधिक अकुशल रूप से चलाया जाने वाला निकाय है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि मैक्सिको की संघीय सरकार यह संगठन चलाने के लिए सोच-विचार किए बिना कंपनी की परिसंपत्तियों का उपयोग करने की आदी हो गई थी। पारदर्शिता का स्तर बढ़ाने के लिए, सभी बैठकों का लाइव प्रसारण किया जाएगा और साथ ही सार्वजनिक वेबसाइट - www.ronda1[at]gov[dot]mx.12 पर भी सुलभ होंगे।
यह भी अनुमान है कि ऊर्जा क्षेत्र को मिलने वाला यह प्रोत्साहन शीघ्र ही अन्य क्षेत्रों में भी पहुँच जाएगा और वहाँ प्रभाव डालने लगेगा। माना गया है कि 2018 तक मैक्सिको की जीडीपी में अतिरिक्त एक प्रतिशत की वृद्धि होगी और 2025 तक जीडीपी में अतिरिक्त दो प्रतिशत का उछाल आएगा। यह भी आंकलन किया गया है कि ये सुधार मेक्सिको में रोजगार के लिए अच्छी खबर का अग्रदूत सिद्ध होंगे। वर्ष 2018 अपने साथ मैक्सिको वासियों के लिए अतिरिक्त आधा मिलियन रोजगार अवसर लेकर आएगा और 2025 तक पूरक रोजगार की संख्या ढाई मिलियन तक बढ़ जाएगी। इन परिवर्तनों का मतलब मेक्सिको के लोगों के लिए सस्ती गैस और बिजली भी होगा। इस तरह की संभावनाएं और अनुमान मैक्सिको की सरकार के साथ ही मैक्सिको के आम लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण रहे हैं जो पिछले तीस वर्षों से संवृद्धि की लगभग स्थिर दर से जूझ रही है।13
भारत के लिए अवसर
भारत ऊर्जा आश्रित देश है और देश की कुल ऊर्जा आवश्यकता का 78 प्रतिशत ऊर्जा संसाधनों के आयात से पूरा होता है।14 कच्चे तेल पर निर्भरता विशेष रूप से बीते वर्षों में लगातार बढ़ी है। 1990 में 43 प्रतिशत से बढ़कर यह 2012 में 71 प्रतिशत पहुँच गई।15 मध्य पूर्व भारत के लिए परंपरागत रूप से कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन अब भारत ने अपने आयात आधार में विविधता लाना आरंभ कर दिया है।
आयात आधार में विविधता लाने का यह प्रयास इस तथ्य से स्पष्ट है कि हाल ही में नाइजीरिया सऊदी अरब को प्रतिस्थापित करते हुए भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है।16
समग्र रूप से लैटिन अमेरिकी बाजार और विशेष रूप से मेक्सिको भारत को अपने आयात आधार का विस्तार करने का आकर्षक अवसर प्रदान कर रहा है।
ऐसा ही विचार भारतीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी व्यक्त किया है। मैक्सिको की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर, जहाँ उन्होंने अपने समकक्ष मेक्सिको के ऊर्जा मंत्री पेड्रो काल्डवेल के साथ द्विपक्षीय वार्ता की,17 उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा के अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है और वर्तमान में लैटिन अमेरिका से 20 प्रतिशत कच्चा तेल आयात किया जा रहा है।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, "द्विपक्षीय ऊर्जा संबंध बढ़ाने की भारत की प्राथमिकता में मेक्सिको उच्च स्थान पर हैं।"18
सुधारों के बाद, मेक्सिको व्यापारिक भागीदार के रूप में अधिक आकर्षक हो गया है क्योंकि अब यह अन्वेषण और उत्पादन में भागीदारी का अवसर प्रदान कर रहा है। इससे देशों के बीच संबंधों की प्रकृति में उत्पादक और उपभोक्ता के संबंध से ऊर्जा भागीदारों के रूप में बदलाव होगा। यह भारत के लिए भी एक अनुकूल अवसर है क्योंकि भारत हाल के दिनों में कच्चा तेल शोधन केद्र के रूप में उभरा है और कच्चे तेल के अन्वेषण और उत्पादन में प्रतिभागिता का अवसर भारत को अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करेगा।
भारतीय पेट्रो-रसायन कंपनियाँ पहले से ही इस क्षेत्र के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और कार्रवाई करने में तेज रही हैं। राज्य की स्वामित्व वाली कंपनी, ओएनजीसी की अंतरराष्ट्रीय शाखा - ओएनजीसी विदेश ने मेक्सिको में अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय खोलने का फैसला किया है।19
ओएनजीसी विदेश ने हाल ही में घोषणा की कि भारत कच्चे तेल के अपने स्रोतों में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है और भारत मानता है कि भारत की कच्चे तेल की कम से कम 20 प्रतिशत माँग लैटिन अमेरिकी क्षेत्र से पूरी होनी चाहिए। ओएनजीसी विदेश ने यह भी कहा कि ऐसा संभव बनाने के लिए, कच्चे तेल के संभावित स्रोतों की सूची में मेक्सिेको का उच्च स्थान है।
मेक्सिको से भौगोलिक दूरी को पारंपरिक रूप से व्यापार में बाधक माना जाता रहा है क्योंकि यह माना जाता रहा है कि विशाल दूरी का मतलब ढुलाई की बहुत अधिक लागत होगी। हालांकि, हाल के वर्षों में, ढुलाई और परिवहन की लागतों में नरमी आई है। सबसे बड़ा लाभ यह है कि मैक्सिको सस्ते कच्चे तेल की पेशकश कर रहा है, जो दूरी और ढुलाई की बढ़ी हुई लागत की भी क्षतिपूर्ति करता है।
मेक्सिको से कच्चे तेल का आयात शुरू हो गया है और यह देखा गया है कि मध्य-पूर्व से आयातित तेल की तुलना में कुल लागत लगभग 7-10 अमरीकी डालर प्रति बैरल कम है। कच्चे तेल की लागत में यह अंतर मध्य-पूर्व से आने वाले तेल पर बढ़त प्रदान करता है जो कच्चे तेल का भारत का पारंपरिक आपूर्तिकर्ता रहा है।20
मैक्सिको का ऊर्जा क्षेत्रक खोले जाने पर भारतीय निजी क्षेत्र ने भी काफी उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है। वर्तमान में, इंडियन ऑयल कंपनी, एस्सार और रिलायंस इंडस्ट्रीज हर वर्ष मैक्सिको से लगभग छह मिलियन टन कच्चा तेल खरीद रहे हैं।
पहले से ही रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा पेमेक्स के साथ फार्म आउट श्रेणी में अन्वेषण और उत्पादन के कुछ अनुबंध हस्ताक्षक्षित किए जा चुके हैं।
सामान्यत: लैटिन अमेरिका और विशेष रूप से मेक्सिको की ओर यह झुकाव भारत के फोकस एलएसी कार्यक्रम के साथ प्रतिध्वनित होगा। फोकस एलएसी (लैटिन अमेरिका और कैरिबिया) के अंतर्गत भारत इस महाद्वीप के साथ बेहतर व्यापारिक संबंध स्थापित करने का प्रयास कर रहा है क्योंकि वाणिज्य मंत्रालय का अनुमान है कि लैटिन अमेरिका और कैरिबिया का बाजार व्यापार के लिए काफी संभावनाएं प्रदान करता है। इस कार्यक्रम का अनुमान है कि मेक्सिको के साथ भारत के होने वाले व्यापार में सालाना 4 प्रतिशत की वृद्धि होगी। व्यापार में इस वृद्धि से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी। ऐसी स्थितियाँ ऊर्जा व्यापार में वृद्धि सहज बनाएंगी, जिससे मेक्सिको अनुकूल ऊर्जा - व्यापार भागीदार बन जाएगा।21
निष्कर्ष
मेक्सिको ने अपना ऊर्जा क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए खोल दिया है। यह मेक्सिको के ज्ञात और शोषित संसाधनों का घटता उत्पादन पुनर्जीवित करने का एक स्वागत योग्य कदम है और कई हाइड्रोकार्बन संसाधनों का अन्वेषण और शोषण करने का अवसर भी है जो छिपे और अविकसित रहे हैं।
यह मैक्सिको के लिए अपनी संवृद्धि दर बढ़ाने, अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, अपने बाजारों में जाने डालने और रोजगार बाजार में जान फूँकने का एक अवसर है।
भारत के लिए भी ये सुधार उचित समय पर आए हैं। भारत अपने तेल आयात पोर्टफोलियो में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि देश कच्चे तेल की अपनी कुल आवश्यकता का 78 प्रतिशत आयात करता है। मेक्सिको भारत को उसके परंपरागत तेल आयात भागीदारों का विकल्प प्रदान करता है और साथ ही, भारत को हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण, उत्पादन और प्रसंस्करण में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है। यह भारत के लिए एक दिलचस्प अवसर है। मैक्सिको के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाकर और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़कर इसका लाभ उठाया जाना चाहिए।
***
* लेखिका, भारतीय विश्व मामलों की परिषद, नई दिल्ली में एक रिसर्च इंटर्न हैं।
व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं, न कि परिषद के हैं।
अंत टिप्पण:
1 Embassy of India, http://www.indembassy.org/eoi.php?id=Trade, (Accessed on 17 November 2015).
2 David Garcia and Isabel Martinez, “Mexico’s Pemex Mulls Crude Imports, More Exports to India, Japan.” http://www.reuters.com/ issue brief/2014/03/17/us-mexico-oil-idUSBREA2G12V20140317 (Accessed 17 November 2015).
3 * Upstream, Mid-stream, and Downstream activities in the Oil and Gas sector pertain to the Exploration and Production, refining and selling of the crude oil and its derivatives.
4 Mexico Energy Revolution Series: Oil and Gas https://www.manatt.com/uploadedFiles/Content/5_Insights/White_Papers/MJGS-Mexico-Oil-and-Gas-Exploration-and-Production.pdf (Accessed 22 December 2105)
5 Friedrich E. Schuler (1999), Mexico Between Hitler and Roosevelt : Mexican Foreign Relations in the Age of L Zaro C Rdenas, 1934-1940,Chapter 5, New Mexico: University of New Mexico Press.
6 Mexico’s Oil and Gas Sector: Background, Reform Efforts, and Implications for the United States (2015), Congressional Research Service, https://www.fas.org/sgp/crs/row/R43313.pdf (accessed 25 December 2015)
7 Mexico Energy Revolution Series: Oil and Gas https://www.manatt.com/uploadedFiles/Content/5_Insights/White_Papers/MJGS-Mexico-Oil-and-Gas-Exploration-and-Production.pdf (Accessed 22 December 2105)
8 Mexico’s Energy Reform and PEMEX as a State Productive enterprise, 2015, (information taken from www.pemex.com) http://www.pemex.com/ri/herramientas/Presentaciones%20Archivos/Investor%20Presentation_i_150127.pdf
(Accessed on 25 December 2015)
9 Information taken from Mexico’s Ministry of Energy’s Round One website, http://www.energia.gob.mx/webSener/rondauno/index.html, (Accessed on 24 December 2015)
10 “National Entitlements Awarded to Pemex.” Mexico’s Ministry of Energy’s Round Zero website, http://www.energia.gob.mx/webSener/rondacero_Ingles/9701.html. 12 Pemex (Accessed 24 December 2015)
11 Information taken from Mexico’s Ministry of Energy’s Round One website, http://www.energia.gob.mx/webSener/rondauno/index.html, (Accessed on 24 December 2015)
12 Peter Maffitt, “Mexico’s Energy Reforms Critical for Nation’s Economic Growth”, http://www.breitbart.com/texas/2015/05/01/mexicos-energy-reform-critical-for-that-nations-economic-growth/ (Accessed 12 November 2015).
13 “Mexican Energy Reforms – Opportunity Knocks”, http://www2.deloitte.com/content/dam/Deloitte/br/Documents/energy-resources/Mexico_ReformaEnergia0342014.pdf (Accessed 29th October 2015)
14 India’s Energy Security Scenarios 2047, version 2.0, Niti Aayog http://niti.gov.in/mgov_file/Call%20for%20Evidence-IESS%20V2/Call_for_evidence_15.06.pdf (Accessed 27 December 2015)
15 India Increasingly Dependent On Imported Fossil Fuels As Demand Continues To Rise(14-08-2014), U.S Energy Information and Administration, https://www.eia.gov/todayinenergy/detail.cfm?id=17551 (Accessed 27 December 2015)
16 Morgan Windsor (25-6-2015), “Nigeria replaces Saudi Arabia as top Crude Oil Supplier to India”, International Business Times, http://www.ibtimes.com/nigeria-replaces-saudi-arabia-top-crude-oil-supplier-india-1983397 (Accessed 28 December 2015)
17 Visit of Petroleum Minister Shri Dharmendra Pradhan to Mexico, Press Information Bureau Government of India, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=121865 (Accessed 5 January 2016)
18 “India Eyes a Share of the Mexican Energy Biz”, Business Standard, http://www.business-standard.com/issue brief/economy-policy/india-looks-to-expand-mexican-crude-oil-imports-to-bolster-energy-ties-115052000346_1.html (Accessed 3 November 2015).
19 “India Eyes a Share of the Mexican Energy Biz”, Business Standard, http://www.business-standard.com/issue brief/economy-policy/india-looks-to-expand-mexican-crude-oil-imports-to-bolster-energy-ties-115052000346_1.html (Accessed 3 November 2015).
20 Jyoti Mukul, “As Domestic Challenges Grow, RIL Follows OVL to Mexico”, Business Standard, http://www.business-standard.com/issue brief/companies/ril-signs-mou-with-mexico-s-pemex-114120500100_1.html (Accessed 3 November 2015).
21 Focus LAC Programme, Department of Commerce, Government of India http://commerce.nic.in/trade/international_tpp_lac.pdf (Accessed 28 December 2015)