रूस तथा यूरोप राष्ट्रीय त्रासदी से ग्रस्त थे। उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत अधिक खतरा था और आतंकवादी समूह इस्लामी स्टेट (आईएस) द्वारा दी गयी चेतावनी के कारण इसकी अवहेलना नहीं की जा सकती थी। चरम वहाबी विचारधारा से उत्पन्न आईएस द्वारा दी गयी धमकी के प्रभाव बहुत दूर-दूर फैले थे और सम्पूर्ण विश्व इससे त्रस्त है।
रूस के सन्दर्भ में, मेट्रोजेट हवाई जहाज का दुर्घटनाग्रस्त होना, बेरुत बम काण्डा तथा पेरिस पर आक्रमणों ने आईएस के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही के लिए रूस को विवश कर दिया। इस रिपोर्ट की पुष्टि के बाद कि हवाई दुर्घटना का कारण बम विस्फोट था और इसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट द्वारा लेने के कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने इस समूह के विरुद्ध रूस के आक्रमणों को तेज करने की प्रतिबद्धता दर्शाई। पेरिस हमले के कारण आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने तथा आपसी खटास को दूर करने के लिए पश्चिम का साथ देने हेतु उसके दरवाजे रूस के लिए खुल गये। यूक्रेन संकट में मास्को की भूमिका तथा 2014 से क्रीमिया के राज्यहरण के कारण पश्चिम तथा रूस के मध्य सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध नहीं थे।
रूस आईएस के विरुद्ध संघर्ष के लिए अन्तर्राष्ट्रीय गुट निर्मित करने का इच्छुक था जिसे पश्चिमी देश नकार रहे थे। पेरिस पर आक्रमण के पश्चत यूरोप की समझ में आ गया कि आईएस का प्रतिरोध करने के लिए रूस को साथ में लेना आवश्यक है।
रूस तथा फ्रांस सीरिया में आईएस की पकड़ वाले क्षेत्रों पर हमला करते रहे हैं। सीआईए प्रमुख ने अमेरिका तथा रूस की खुफिया एजेन्सियों के बीच सम्पर्क जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि रूस तथा अमेरिका के मध्य वर्धित सम्बन्ध भावी आतंकवादी आक्रमणों को विफल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।1 किन्तु, राष्ट्रपति बशर अल असद के नियन्त्रण वाली सीरियाई सरकार में मास्को की हठधर्मी संलिप्तता के कारण आईएस के विरुद्ध आक्रमण करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा उसके साथ गुटबन्दी करने के प्रश्न पर विरोध हैं।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रैंकोइस ओलांद ने कहा कि सीरिया सबसे बड़ी 'आतंकवाद की फैक्ट्री'2 है वे असद को इसकी सबसे बड़ी बाधा मानते हैं। वे आईएस के जन्म के लिए असद को प्रमुख अपराधी मानते हैं। असद के विरुद्ध फ्रांस की नीति स्पष्ट है और वह कहता है कि आईएस के विरुद्ध संघर्ष के लिए रूस को साथ लेने को असद को स्वीकार करने का सूचक नहीं मानना चाहिए। फ्रांस ने 2013 में अमेरिका द्वारा हस्तक्षेप न करने के निर्णय पर दु:ख जताया। पेरिस मानता है कि यदि अमेरिका ने उस समय हस्तक्षेप किया होता तो आईएस का उपद्रव नहीं पनप पाता।3 इसी बीच उस क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के अतिरिक्त रूस का विचार है कि असद को उखाड़ फेंकने से आईएस को लाभ पहुँचेगा। इससे सीरिया में अफरातफरी की स्थिति हो जायेगी जिसका परिणाम नियन्त्रण से बाहर होगा।
आतंकवाद, आर्थिक अस्थिरता तथा शरणार्थी संकट के कारण रूस तथा यूरोप के मध्य के मतभेदों को दूर करना महत्त्वपूर्ण है। रूस तथा यूरोप दोनों ही इस संकट से जूझ रहे हैं। रूस तथा यूरोप के बीच तनाव कम होने से निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी:
रूस के परम्परागत लक्ष्यों जैसे अपने देश के दक्षिणी भाग भाग में कट्टरपन्थी जेहादियों के विरुद्ध प्रतिरोधक का निर्माण करने, शस्त्र एवं नाभिकीय ऊर्जा निर्यात करने, पश्चिमी एशिया के गर्म जलों में ऊर्जा परियोजना चलाने तथा पश्चिमी देशों से प्रतिस्पर्द्धा करने हेतु उसके लिए सीरिया महत्त्वपूर्ण है। मास्को निम्नलिखित कारणों से असद की सत्ता के पक्ष में है:
असद के सत्ताच्युत होने से रूस के लिए निम्नलिखित असुरक्षाएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
भारी संख्या में नकदी उपलब्ध कराने के माध्यम से रूस उपद्रव को शान्त करने में समर्थ था। 2000 से 2010 के बीच रूसी सरकार ने उत्तरी काकेशस में 30 बिलियन डॉलर व्यय किये और 2015 तक इस क्षेत्र की नौ मिलियन जनता के लिए संघीय वित्त का 80 बिलियन डॉलर और व्यय किये जाने की योजना है।46 रूस द्वारा नियोजित की जाने वाली राशि बदलते हुए समय और फिर सूचना तथा प्रौद्योगिकी के वैश्वीकरण और प्रगति के कारण पर्याप्त नहीं होगी। इस क्षेत्र के कष्टकारी और नियन्त्रित करने की आवश्यकता वाली एक अन्य समस्या राज्य प्रशासन के समस्त स्तरों पर व्याप्त भ्रष्टाचार है। उपद्रव में योगदान देने वाला यह एक महत्त्वपूर्ण कारक है। स्थानिक भ्रष्टाचार तथा वंशवाद उन क्षेत्रीय कुलीन वर्ग के शासन को स्थायित्व प्रदान करेगा जिनका प्रमुख गुण राष्ट्र के प्रति वफादारी है। इससे राष्ट्र से नागरिकों के पलायन में वृद्धि होगी और इस्लामी राज्य तथा जेहाद सहित विकल्पों हेतु तलाश को प्रोत्साहन मिलेगा। हाल के वर्षों में, उपद्रवियों की प्राथमिक पूँजी सार्वजनिक क्षेत्र से सम्बद्ध अधिकारियों तथा व्यापारियों से की गयी वसूली से प्राप्त होती रही। संघीय स्तर सहित जब तक भ्रष्टाचार व्याप्त रहेगा तब तक इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक समस्याओं पर अतिरिक्त सरकारी वित्त पोषण का बहुत कम प्रभाव पड़ेगा।47 बेरोजगारी, निर्धनता तथा भ्रष्टाचार के साथ भविष्य एक निराशाजनक चित्र प्रदर्शित करता है। बेरोजगारी तथा निर्धनता के कारण आतंकवादी समूहों को आतंकियों की भर्ती में सहायता मिलती है। 8 दिसम्बर को केन्द्रीय मास्को में एक बस स्टॉप पर देशी विस्फोटक से विस्फोट किया गया।48 सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप के कारण आईएस ने राष्ट्रपति पुतिन को रूस में हमला करने की धमकी दी।49 रूस में एक अन्य खतरा जिसका दमन किया जाना आवश्यक होगा वह है जैश-ए-इस्लाम का प्रभाव जो ऐसे उपद्रवियों का सम्मेलन है जिसमें कट्टरपन्थी इस्लामवादी शामिल हैं और जो आतंकवादी समूह के रूप में सूचीबद्ध नहीं है।50
सीरिया के गृहयुद्ध ने एक खतरनाक स्थिति प्रस्तुत की है किन्तु रूस के लिए इस क्षेत्र में यह एक गतिशील अवसर है। रूस तथा पश्चिमी देशों के बीच कुल जोड़ शून्य खेल की निरन्त्रता में विशेष रूप से अमेरिका को ताकत मिल रही है। इस क्षेत्र में मास्को की स्थिति के लिए खतरे बन चुके अमेरिकी प्रभाव को समाप्त करने तथा अपने राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए रूस इस क्षेत्र के समस्त देशों के मध्य युक्ति के लिए प्रयासरत है। ईरान, सीरिया तथा लीबिया रूस के क्षेत्रीय ढाँचे के लिए स्तम्भ रहे हैं।51 लीबिया तथा रूस ने एक अच्छा सम्बन्ध विकसित किया है किन्तु लीबियाई नेता गद्दाफी के पतन तथा नयी सरकार के सत्तासीन होने के पश्चात इन दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्ध सुचारु होने की प्रतीक्षा है। सीरिया भी लीबिया की दिशा में आगे बढ़ रहा है। पश्चिमी देशों ने सीरिया के विरोधी गुट का समर्थन किया है और आईएस असद की सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहता है। किन्तु सीरिया के विरोधी दलों के मध्य भिन्नताएँ हैं जो उन्हें सत्ता के विरुद्ध एकजुट होने से रोक रही हैं।
सीरियाई विरोधी गुट का स्पष्ट मत है कि सत्ता से असद को हटाने का कार्य संक्रमण काल के साथ तुरन्त होना चाहिए जबकि सीरिया आधारित विरोधी, लोकतान्त्रिक परिवर्तन की राष्ट्रीय समन्वयन समिति, जिसे सत्ता ने बर्दाश्त किया है, का कहना है कि असद का भविष्य सीरियाई जनता द्वारा तय किया जाना चाहिए।52 10 दिसम्बर को सीरिया के भविष्य के सम्बन्ध में रियाद में विरोधी दलों के मध्य एक बैठक आयोजित की गयी। रियाद की इस बैठक में 100 से अधिक सीरियाई राजनीतिक हस्तियाँ पहली बार सार्वजनिक रूप से एक साथ उपस्थित हुईं। इनमें प्रमुख विरोधी अम्ब्रेला समूह के सदस्य, सीरिया राष्ट्रीय गठबन्धन तथा पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित विद्रोही समूह सीरियाई सेना और अहरार-अल-शाम तथा इस्लाम सेना जैसे कुछ बड़े विद्रोही इस्लामवादी सम्मिलित हुए।53 किन्तु उन सबमें कोई सहमति नहीं बन पाई। तुर्की समर्थित सबसे बड़े सशस्त्र इस्लामी समूहों में से एक अहरार-अल-शाम ने रियाद बैठक समाप्त होने से पूर्व ही बहिष्कार करके चला गया। इसने डेमास्कस-आधारित समूह नेशनल कोऑर्डिनेशन बॉडी फॉर डेमोक्रेटिक चेन्ज को भूमिका देने का विरोध किया जो असद का सह्य साथी था।54 15 दिसम्बर, 2015 को रूस का दौरा करने वाले अमेरिकी राज्य सचिव जॉन कैरी ने कहा कि सीरिया के गृह युद्ध तथा पूर्वी यूक्रेन में अस्थिरता की समाप्ति के लिए अमेरिका तथा रूस को एक साझा उपाय ढूँढने चाहिए। मास्को तथा पश्चिमी देशों के बीच प्रमुख बाधा भावी संक्रमण में असद की स्वयं की भूमिका को लेकर है। अमेरिका तथा अनेक पश्चिमी देशों का जोर असद को सत्ता से हटाने पर है। किन्तु इस परिक्षेत्र से हाल के महीनों में ऐसे सुझाव उभरे हैं कि असद कुछ समय के लिए संक्रमणात्मक भूमिका निभाने सक्षम हो सकते हैं।55 18 दिसम्बर को अपने वार्षिक समाचार बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि असत हो सत्ता छोड़नी ही है किन्तु इसके साथ ही साथ उन्होंने कहा कि सीरिया की समस्या के समाधान में सुनिश्चित करना होगा कि रूस तथा ईरान की 'हिस्सेदारियों' का 'सम्मान' किया जाना चाहिए। मास्को तथा तेहरान के लिए सीरिया में हिस्सेदारियों की सूची में सबसे शीर्ष पर राष्ट्रपति बशर असद हैं।56 यद्यपि अन्य यूरोपीय देशों के साथ रूस तथा अमेरिका में असद की भूमिका को लेकर मतभिन्नता है, किन्तु आईएस के उपद्रव को नियन्त्रित करने की समझ के लिए सभी पक्षों को एक साथ मिलकर कार्य करना स्पष्ट होता जा रहा है।
सीरिया में युद्धरत अलकायदा से सम्बद्ध विद्रोही समूह के नेता ने यह कहते हुए कि जो लोग वार्ता में शामिल थे वे लोग 'विश्वासघाती' हैं, ने सीरिया के विरोधी समूहों को एकजुट करने की सऊदी अरब के प्रयासों की निन्दा की है। अल-नुसरा फ्रंट के नेता अबू मोहम्मद अल-जौलानी ने कहा कि रियाद का सम्मेलन राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता को पुनर्जीवित करने तथा बरकरार रखने के लिए किये जाने वाले 'षडयन्त्र' का एक अंग था।57 जब संक्रान्तिक सरकार सत्ता में आयेगी तो इन समूहों के विभाजित प्रयास देश में अस्थिरता की स्थित उत्पन्न करेंगे। इन स्थितियों में रूस पश्चिमी देशों के पक्ष की सरकार के माध्यम से पश्चिमी देशों के अतिक्रमण से बचकर अपने राष्ट्रीय हित की रक्षा का प्रयास कर रहा है।
रक्षा मन्त्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि रूस ने सीरिया में पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित एक अग्रणी विरोधी समूह को हवाई रक्षा उपलब्ध कराई है।58 पुतिन ने कहा कि सीरियाई सरकार की सेना का समर्थन करते हुए रूस ने स्वतन्त्र सीरियाई सेना की कुछ इकाइयों का समर्थन किया है। असद की सत्ता तथा विरोधी समूहों के मध्य रूस द्वारा सन्तुलन के लिए प्रारम्भ किये गये प्रयास इस क्षेत्र में रूस के अपने हितों की रक्षा के प्रयास का सूचक हैं। लोकतन्त्र के पश्चिमी मूल्यों तथा उदार मूल्यों के प्रभाव के विरुद्ध दीवार के रूप में ईरान आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद पश्चिमी देशों के विरुद्ध अपना आधार तैयार कर रहा है। 3 नवम्बर को सीरिया संकट रूसी विदेश मन्त्रालय का वक्तव्य कि रूस सिद्धान्त के मामले के रूप में बशर-अल-असद को सत्ता में नहीं देखना चाहता है, को ईरानी परिप्रेक्ष्य से विमुख होने के रूप में देखा गया, किन्तु रूसी विदेश मन्त्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि 'पश्चिमी एशिया में एक अन्य सत्ता परिवर्तन एक अन्य विनाश होगा' जो "सामान्य रूप से सम्पूर्ण क्षेत्र को एक बड़े ब्लैक होल में बदल देगा" और कि "मास्को तथा तेहरान सीरियाई सत्ता का समर्थन कर रहे हैं और सहमत है कि सीरियाई जनता को अपना राष्ट्रपति चुनने का अधिकार है", यह सीरिया के विषय में रूस तथा ईरान के मध्य एक समझौते को प्रदर्शित करता है।59 ईरान का लगभग सम्पूर्ण न्यून संवर्धित यूरेनियम का जखीरा ले जाने वाला रूसी जलयान,60 गत गर्मियों में हुए नाभिकीय समझौते को पूरा करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो अपने द्विपक्षीय समझौते को अवरुद्ध न करने की दोनों पक्षों (मास्को तथा तेहरान) की इच्छा को प्रदर्शित करता है। दोनों पक्ष आर्थिक तथा रक्षा सौदों के विस्तार के माध्यम से अपने द्विपक्षीय समझौतों को भी प्रगाढ़ कर रहे हैं। रूस की भाँति ईरान के भी सीरिया में अपने हित हैं। यह फारस की खाड़ी में एक प्रभावी क्षेत्रीय शक्ति बनना चाहता है और इस क्षेत्र में अपने गुट का शासन सुनिश्चित करना चाहता है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र में अपने इस्लामी हितों की रक्षा भी करना चाहता है।61 विदेश में संघर्ष करने के लिए आईआरजीसी ग्राउण्ड फोर्स की नियुक्ति अपनी सीमाओं से परे सैन्य शक्ति स्थापित करने की ईरान की उत्सुकता तथा क्षमता का उल्लेखनीय विस्तार है। हिजबुल्ला के अतिरिक्त इराकी शिया आतंकवादी भी असद के समर्थन में सीरिया में युद्ध कर रहे हैं। 2012 में सरकार समर्थक मिलिशिया अबु अल-फदल अल-अब्बास ब्रिगेड के निर्माण के साथ ही उनकी उपस्थिति जाहिर हुई जो लेबनानी हिजबुल्ला तथा इराक आधारित असाइब अहल अल-हक तथा कताइब हिजबुल्ला के सदस्यों सहित सीरियाई और विदेशी शिया लड़ाकों का समूह है।62 दोनों देशों के आर्थिक हितों के कारण असद का शासन ईरान के लिए महत्त्वपूर्ण है। सीरियाई अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों जैसे सम्पत्ति से सम्बन्धित बड़े-बड़े ठेके आदि में ईरानी जनता तथा निजी संस्थान सक्रिय रहे हैं। इसने सीरियाई सरकार को 1 बिलियन डॉलर का क्रेडिट भी बढ़ाया है। सीरिया के सेंट्रल बैंक के गवर्नर अदीब मयाला ने घोषणा की कि ईरान ने सीरिया की सरकार को नयी क्रेडिट लाइन के लिए 1 बिलियन डॉलर हेतु 'प्राथमिक सहमति' दे दी है जिसका उपयोग वित्तीय आयातों की सहायता के लिए किया जायेगा।63 मार्च 2011 में प्रारम्भ हुए उपद्रव से लेकर यह अब तक का तीसरा सबसे बड़ा ऋण है। 1 बिलियन डॉलर का पहला ऋण जनवरी 2013 में प्राप्त हुआ था। दूसरा ऋण 3.6 बिलियन डॉलर का था जो अगस्त में प्राप्त हुआ था और इसका उपयोग मुख्य रूप से तेल उत्पादों के क्रय के लिए किया गया।64 असद शासन के पतन तथा सुन्नी समुदाय से सम्बन्ध रखने वाले सीरियाई विद्रोही समूह के सत्ता में आने पर ईरान की धार्मिक तथा रणनीतिक दोनों महत्त्वाकांक्षाएँ दुर्बल होंगी।
इस क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा का प्रयास अन्य सशक्त पश्चिमी एशियाई देशों के सहयोग अथवा सीरिया से मधुर सम्बन्ध न रखने वाले इजराइल जैसे देशों सहित गैर-हस्तक्षेप पर रूस के विजय प्राप्त करने के प्रयास में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुन्नी प्रभावी देश और अमेरिका के सशक्त सहयोगी मिस्र ने सीरिया में रूस के दखल को अपना सहयोग दिया है।65 यह सावधानीपूर्वक ईरान की शिया धुरी, सीरिया तथा हिजबुल्ला और सऊदी अरब के नेतृत्व वाली सुन्नी ताकतों के विरोध के बीच समन्वय बनाकर चल रहा है। मिस्र के राष्ट्र अब्देल फतह अल-सीसी की अभिवृत्ति में एक प्रकार की सहानुभूति देखी जा सकती है क्योंकि दोनों देश सुन्नी इस्लामवादी उपद्रव से त्रस्त हैं जिसमें इस्लामिक स्टेट शामिल है, और राष्ट्रपति रीसे तैय्यप इर्डोगन के तुर्की इस्लामवादी शासन में दोनों का एक ही शत्रु है जो सम्पूर्ण क्षेत्र में मुस्लिम ब्रदरहुड तथा इस्लामवाद का समर्थक है।66
इजराइल के साथ रूस के सम्बन्ध जटिल हैं। इन दोनों के बीच एक तात्कालिक समझौते की व्यवस्था प्रतीत होती है। मार्च 2014 में क्रीमिया पर रूस के आक्रमण पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के विरुद्ध मतदान के दौरान इजराइल ने तटस्थता बरती जिसकी प्रशंसा मास्को द्वारा की गयी।67 अपनी निजी महत्त्वकांक्षाओं के चलते तेल अबीब की तटस्थता पश्चिमी तट तथा गाजा पट्टी पर देखी जा सकती है। रूस तथा इजराइल सीरिया में सैन्य गतिरोध से बचने के लिए एक व्यवस्था के समझौते पर सहमत हुए। दोनों देशों के लिए यह एक जटिल परिदृश्य है क्योंकि इजराइल सीरियाई सेना पर इसलिए आक्रमण कर रहा है कि हिजबुल्ला को कोई भी शस्त्र प्राप्त होने से रोका जा सके जो इजराइल के लिए एक खतरा है। सितम्बर में पुतिन तथा प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच एक बैठक में नेतन्याहू ने पुतिन से कहा कि ईरान तथा सीरिया हिजबुल्ला को अत्याधुनिक शस्त्र मुहैया करा रहे हैं जिसमें हजारों शस्त्रों का प्रयोग इजराइली नगरों पर किया गया। पुतिन ने उत्तर दिया "सीरियाई सेना अपने स्वयं के गृह युद्ध में इतना अधिक फँस चुकी है कि इजराइल के विरुद्ध संघर्ष करने की स्थिति में नहीं है।"68 इजराइल ने गृह युद्ध की समाप्ति के पश्चात असद की बेदखली पर जोर दिया किन्तु नेतन्याहू सरकार ने हाल ही में इस पर उदासीन रवैया अपनाया है यद्यपि पश्चिमी देश सीरिया में नेतृत्व परिवर्तन की माँग अब भी कर रहे हैं।69
रूस तथा तुर्की के बीच मनमुटाव के होते हुए भी मास्को तथा तेल अबीब के मध्य भविष्य में एक घनिष्ठ सहयोग सम्बन्ध देखा जा सकता है जो इस क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी कदम होगा। लेवान्त में तेल की खोज के साथ ग्रीस तथा साइप्रस (दोनों ही देश कट्टर ईसाइयत का अनुसरण करते हैं जिस पर बिजेन्टाइन साम्राज्य की छाप देखी जा सकती है, रूस की ईसाइयत बिजेन्टियम से जुड़ी है) के मध्य सुधरते सम्बन्ध तथा तेल अबीब के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध एक वास्तविकता हो सकता है (इजराइल में अनेक जोशीले रूसी हैं)। साथ ही रूस में लगभग 1 मिलियन रूसी भाषी यहूदी हैं जो समाज में सक्रिय हैं। गत पाँच वर्षों में रूस में अनेक विशिष्ट यहूदी समुदायों की संख्या 87 से बढ़कर 200 से अधिक हो गयी है। पन्द्रह वर्ष पूर्व सम्पूर्ण रूस में एक भी यहूदी स्कूल नहीं था। आज 15000 से अधिक विद्यार्थी ऐसे स्कूलों में अध्ययनरत हैं।70 इसी बीच इजराइल में 8.4 मिलियन जनसंख्या का लगभग 21 प्रतिशत रूसी प्रवासी हैं।)71
किन्तु रूस तथा इजराइल के बीच सम्बन्धों में कुछ कमियाँ हैं। प्रथम, एस-24 जेट72 पर हमले के बाद खमीमिम में ए-400 रक्षा मिसाइलों की तैनाती इजराइल के लिए असुरक्षा का कारण बन गया है। उसे भय है कि वे सभी इजराइली युद्धक विमान जो इजराइल के उत्तर में सैन्य हवाई अड्डे के लिए नेगेव में उवदा वायु सैनिक अड्डे से उड़ान भरेंगे उन्हें तुरन्त रूसी रडार प्रणाली द्वारा पकड़ लिया जायेगा। इजराइल को यह भी चिन्ता है कि रूस वे संवेदनशील खुफिया सूचनाएँ हस्तान्तरित कर सकता है जिन्हें वे उन एजेन्टों से हासिल करते हैं जो इजराइल के शत्रु हैं।73 दूसरे, इजराइल के लिए ईरान-हिजबुल्ला धुरी का खतरा हमेशा बना हुआ है। रूस के लिए इस समय इजराइल तथा तुर्की का मेल-मिलाप मास्को की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए निराशाजनक सिद्ध हो सकता है। 14 दिसम्बर को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्डोगन ने इजराइल के साथ सम्बन्धों को सामान्य बनाने के प्रति सकारात्मक वक्तव्य दिया जिसमें 2010 के मरमारा की घटना के कारण खटास आ गयी थी।74
इसी बीच रूस कतर के साथ संवाद स्थापित करने में समर्थ हो चुका है। दोनों देश सीरियाई सरकार के साथ सीरियाई विरोधी गुट की वार्ता को प्रोत्साहित करने हेतु जो कुछ भी कर सकते हैं वह करने के लिए सहमत हो गये। 26 दिसम्बर को रूसी विदेश मन्त्री सर्गे लेवरोव ने कतर के विदेश मन्त्री खालिद बिन मुहम्मद अल-अतिया को मास्को में आमन्त्रित किया। रूसी प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि वह कतर की भाँति असद के विरोधियों से सीरियाई सरकार तथा विद्रोही गुट के बीच वार्ता प्रारम्भ कराने के लिए अधिक उत्सुक हैं।75 यद्यपि असद के भाग्य पर दोनों में मतभिन्नता है, किन्तु वार्ता के आयोजन की सफलता क्रेमलिन के लिए महत्त्वपूर्ण है। मिस्र तथा जोर्डन सहित संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य अरब देश सीरिया में रूस की कार्यवाही को आशावादी दृष्टि से देखते हैं।76 सऊदी अरब के साथ रूस के सम्बन्ध सीरियाई संकट तथा गत वर्ष खाड़ी देशों के अन्य तेल उत्पादक देशों के समर्थन में तेल के मूल्य कम करने की रियाद की कार्यवाही के कारण सकारात्मक नहीं रहे हैं। 2015 के मध्य में असद सरकार के बाद के परिदृश्य में रूस की स्पष्ट भूमिका की चर्चा के लिए डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के मास्को दौरे के साथ दोनों के सम्बन्ध सकारात्मक प्रतीत हुए।77 किन्तु बैठक का नतीजा सफल नहीं रहा और सितम्बर से रूसी सेना के दखल के साथ दोनों देशों के बीच सम्बन्ध पुन: खराब हो गये।
रूस तथा सऊदी अरब के बीच यूरोप के तेल बाजार में प्रभाव स्थापित करने लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गयी है जो द्विपक्षीय सम्बन्धों के लिए सकारात्मक मापदण्ड नहीं है। सऊदी अरब अब स्वीडेन तथा पोलैण्ड देशों को लक्ष्य बना रहा है जहाँ रूस का प्रभाव लम्बे समय तक रहा है। रूस तथा सऊदी अरब दोनों प्रतिदिन 10 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करते हैं और इस उत्पादन से 50 डॉलर प्रति बैरल से कम मूल्य रखते हुए वैश्विक आपूर्ति में योगदान हो रहा है।78 किन्तु नवम्बर में वियना में ओपेक की वार्षिक बैठक में रूस के ऊर्जा मन्त्री अलेक्जेण्डर नोवाक ने तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति पर रियाद के साथ सहयोग करने की रूस की तत्परता की घोषणा की। उन्होंने कहा कि रूस का रणनीतिक क्षेत्र एनएनजी संयन्त्रों का निर्माण करना है और कहा कि 'यदि सऊदी अरब को जरूरत [उत्पन्न होती] है' तो मास्को मास्को 'वाणिज्यिक समझौते पर विचार करने के लिए भी तैयार है।' दोनों पक्ष तेल तथा गैस बाजार से सम्बन्धित मुद्दों की समीक्षा के लिए 'कार्यकारी समूह' स्थापित करने पर सहमत हो गये।79
इसी समय नवम्बर में तेहरान में गैस निर्यातक देशों के मंच के सत्र में भाग लेने के लिए पुतिन की हालिया तेहरान यात्रा से दोनों देशों के मध्य सम्बन्ध सन्तुलित प्रतीत हुए ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने फोरम में कहा कि 'देशों के लिए बाजार की स्थिरता तथा सन्तुलन के लिए नीतियों के समन्वयन हेतु उत्पादन तथा निर्यात आवश्यक है।' ईरानी तेल मन्त्री बिजान जैंगेनेह ने जोर दिया कि 'रूस को सभी क्षेत्रों में ईरान के लिए एक दीर्घकालीन तथा रणनीतिक साझेदार माना जाता है।'80 रूसी राष्ट्रपति के सहायक व्लादिमिर कोझिन ने सैन्य-तकनीकी सहयोग पर कहा कि रूस 2016 तक ईरान को एस-300 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति जारी कर देगा।81
यद्यपि इजराइल ईरान को दिये जाने वाले एस-300 मिसाइल प्रणाली के मुद्दे पर चिन्तित है किन्तु मास्को तथा तेल अबीब के मध्य सहयोगात्मक सम्बन्ध रूस को इजराइल तथा ईरान के मध्य की चिन्ताओं के समाधान के लिए दोनों के बीच मध्यस्थता करने का अवसर प्रदान कर सकता है। रूस मास्को, तेल अबीब तथा तेहरान के मध्य त्रिपक्षीय सम्बन्ध बनाने तथा एक-दूसरे के मध्य ऐसी आर्थिक संलिप्तता बल दे सकता है जो इजराइल तथा ईरान के बीच की परस्पर असुरक्षा तथा अविश्वास को कम कर सके।82 यदि इस प्रकार का सम्बन्ध सम्भव हो गया तो यह एक प्रकार से रूस की विजय होगी। इस क्षेत्र में उसकी स्थिति मजबूत हो जायेगी जिससे सऊदी अरब, कतर तथा तुर्की से सौदेबाजी करने में सहूलियत हो जायेगी जो इस क्षेत्र में मास्को के हस्तक्षेप के विरोधी हैं। अपने नेटवर्क के विस्तार तथा सशक्तीकरण द्वारा इस क्षेत्र में रूस द्वारा अपनायी गयी युक्ति इस क्षेत्र में मास्को की शानदार रणनीति का एक अंग है।
2011 से सीरिया में रूस का हस्तक्षेप पहले वार्ताओं तथा वीटो पर आधारित नरम शक्ति की कूटनीति पर आधारित थी। क्रेमलिन सरकार ने लीबिया में त्रासदी के परिणाम के आधार पर अपने रुख का बचाव किया। किन्तु आईएस के उद्भव से इसके अत्याचार तथा तीव्र विस्तार ने रूस को असुरक्षित कर दिया। इस संगठन द्वारा जून 2015 में उत्तरी काकेशस को इस्लामी राष्ट्र वलीयत या राज्य बनाने की घोषणा ने रूस को स्थिति की समीक्षा करने के लिए बाध्य कर दिया। मास्को जानता है कि जनांकिकीय संकट, बेरोजगारी तथा मादक पदार्थों की तस्करी देश तथा इसके प्रान्तों को आतंकवादी समूहों के आक्रमण के लिए सरल लक्ष्य प्रदान करते हैं। अत: रूसी हवाई जहाज के विस्फोट तथा पेरिस हमले ने अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर इसे अपनी छवि को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध संघर्षरत देश के रूप में प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया।
आर्थिक प्रतिबन्ध झेल रहे रूस ने रक्षा क्षेत्र के लिए अपने बजट में वृद्धि की है और आश्चर्य यह है कि रूसी जनता ने इस पर कोई विरोध नहीं प्रकट किया। 2016 में राष्ट्रीय रक्षा व्यय पर 3.15टीएन रूबल (51 बिलियन डॉलर) की राशि आवंटित की गयी जो कि उपकरण आधुनिकीकरण के लक्ष्य को अगले पाँच वर्षों में प्राप्त करने के लिए वांछित वार्षिक बजट में अनुमानित 10 प्रतिशत की वृद्धि से काफी कम है।83 रूसी सेना प्रतिवर्ष अपने राष्ट्रीय रक्षा बजट का 60 प्रतिशत व्यय हथियारों की खरीद, रखरखाव तथा विकास पर करती है।84 सीरिया में अपने अभियान के लिए समर्थन प्राप्त करने के लिए क्रेमलिन प्रशासन ने जनता का समर्थन प्राप्त करने हेतु जनता से सोशल मीडिया की सहायता ली है।85 देश का दूरदर्शन निरन्तर सीरिया में इसकी बम वर्षा को बुराई के विरुद्ध लड़ाई के रूप में प्रदर्शित करता है। स्वतन्त्र मतदान सर्वेक्षक लेवादा के अनुसार मास्को की सैन्य कार्यवाही के समर्थन में गत सितम्बर के केवल 14 प्रतिशत की अपेक्षा 70 प्रतिशत से लोगों का समर्थन मिला। इसी बीच राज्य समर्थक मत सर्वेक्षक वीटीएसआईओएम के अनुसार पुतिन के समर्थन की रेटिंग अब तक की सबसे अधिक 89.9 प्रतिशत हो गयी।86
रूस के लिए सत्य सिद्ध होता एक सर्वेक्षण रक्षा में निमग्न लागत से सम्बन्धित है। 'निमग्न लागत' आर्थिक तथा व्यापारिक सन्दर्भ में वह 'निमग्न लागत' है जिसे पहले ही व्यय किया जा चुका है और उसकी वसूली नहीं हो सकती।87 रूस सीरियाई युद्ध में शामिल लागतों के प्रति चैतन्य है। यह चैतन्यता रूस की रणनीतिक संस्कृति का भी अंग है। रूसी राजनीतिक तथा विदेश नीति की संस्कृतियों में सदैव कुछ मसीहाई तत्व रहे थे, अर्थात देश के लिए सुरक्षा तथा समृद्धि से परे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संवेदना। सैन्य शक्ति को काफी समय से मसीहाई लक्ष्यों को पूरा करने अथवा ऐसे रक्षात्मक आधार के रूप में जिससे जिसे अन्य साधनों से प्राप्त किया जा सके, जैसे कूटनीति, राजनीतिक कार्यवाही (प्रत्यक्ष या परोक्ष) तथा विदेशी सहायता, के रूप में देखा जाता रहा है। राजनीतिक संस्कृति सदैव उन सैन्य मूल्यों के साथ अत्यन्त 'रणप्रिय' अथवा समरस है जिसकी जड़ें क्टो-कोवो (शाब्दिक अर्थ "कौन-किसको") अर्थात उच्चतर प्रभुसत्ता द्वारा प्राप्त अनिवार्य शक्ति अथवा स्थिति के कारण कौन किस पर शासन करता है, के सिद्धान्त में समाई हैं।88
रक्षा सेवा में भर्ती में रूस अनिवार्य सैन्य सेवा के स्थान स्वैच्छिक रूप से भर्ती की वृद्धि देखी जा रही है। जून में रक्षा मन्त्री सर्गे शोयुगु ने घोषणा की कि रस की सशस्त्र सेनाओं के पास पेशेवर सैनिक पदों के लिए अनेक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। रूस की नवीन सरकार संचालित राष्ट्रीय रक्षा केन्द्र के प्रमुख जनरल मिखाइल मिजिन्स्तेव ने बताया कि रूस की सशस्त्र सेनाओं ने 2014 में 70,000 अनुबन्धित सैनिकों की भर्ती की है जो अनिवार्य भर्ती की अपेक्षा आधुनिक रूस में पहली बार सर्वाधिक की गयी अनुबन्धित भर्ती है।89 अनुबन्धित सैनिकों की वृद्धि रूसी युवाओं के बीच राष्ट्रवादी भावना में उछाल की सूचक है। क्योंकि रूस में अनिवार्य सैन्य भर्ती भय का विषय थी और 2005 तक सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के प्रति बहुत कम उत्साह था।90 राष्ट्रवाद तथा देशभक्ति के अतिरिक्त एक अन्य कारण रोजगार भी है। 1990 के दौरान सेना में भर्ती का महत्त्व कम वित्तपोषण तथा इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर कम ध्यान देने के कारण समाप्त हो गया था। किन्तु 2000 से इस परिदृश्य में परिवर्तन आया है। इस क्षेत्र में वेतनमान तथा मौलिक सुविधाओं में बढ़ोतरी पर ध्यान दिया गया। साथ ही जनता के बीच आयोजित सैन्य प्रदर्शनियों ने रूसी जनता की अभिवृत्ति में परिवर्तन किया।91 रूसी जनमत अनुसन्धान केन्द्र (वीसीआईओएम) ने सर्वेक्षण का एक आँकड़ा प्रस्तुत किया है जिसमें बताया गया है कि हाल के पच्चीस वर्षों में किस प्रकार युवा शिक्षा में सेना की भूमिका से सम्बन्धित रूसी अभिवृत्ति में परिवर्तन आया है। रूसी जनता सोचती है कि पेरेस्त्रोइका काल से निम्न पदों पर कार्यरत सैन्य कार्मिकों की आजीविका की स्थिति में पर्याप्त सुधार हुआ है: 65 प्रतिशत लोगों के अनुसार 1990 में 19 प्रतिशत की तुलना में आजीविकी की दशाएँ "उत्तम" अथवा "अत्यन्त उत्तम" है। युवा पीढ़ी पर सेना के प्रभाव के सम्बन्ध में रूसी विचार भी 1990 की तुलना में भिन्न हैं : जो लोग सोचते हैं कि सेना युवा लोगों को नैतिक तथा शारीरिक शक्ति प्रदान करती है उनकी संख्या दोगुनी (1990 में 33 प्रतिशत से बढ़कर 2000 में 64 प्रतिशत) हो गयी है।92 भविष्य में यदि पेशेवर सैनिकों का क्रमिक प्रवाह रहा तो इससे रूस की कठोर शक्ति के सैन्य पराक्रम को मजबूती मिलेगी जिससे अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में इसकी स्थिति को बल मिलेगा।
रूस की भावी योजनाएँ
पेरिस हमले ने रूस को एक अवसर प्रदान किया क्योंकि इस त्रासदी ने फ्रांस के समर्थन से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा पुतिन को आईएस को उखाड़ फेंकने के लिए मिलकर बातचीत करने तथा कार्य करने के लिए सहमत किया। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने रूस तथा पश्चिमी देशों को साथ मिलकर कार्य करने के लिए बाध्य किया। रूस प्रयास करेगा कि विद्रोही गुटों के लिए कोई व्यवस्था बनाकर असद को सत्ता में बनाये रखा जाये,94 और यह सब कुछ विश्व को आतंकवाद से मुक्त करने के नाम पर होगा। इसी समय, सीराया में आतंकवादी समूहों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए स्वतन्त्र सीरियाई सेना (एफएसए) की सहायता करने की भी खबरें भी देश में अपने हितों की रक्षा के लिए क्रेमलिन की व्यावहारिक तथा दीर्घकालीन रणनीति प्रदर्शित करती हैं। असदयुक्त अथवा असदविहीन सीरिया में रूस का उद्देश्य इस क्षेत्र में अपना एक ग्राहक बनाये रखना होगा जिससे क्रेमलिन को आर्थिक, रणनीति तथा आतंकवाद रोधन में भी सहायता मिलेगी। यदि एफएसए (जिसे समूह ने मना कर दिया है) को समर्थन की बात सत्य है तो यह स्पष्ट है कि रूस असद के बाद वाली अगली सरकार के साथ एक कार्यकारी सम्बन्ध बनाये रखने का इच्छुक है। असद के पश्चात की स्थिति उसी प्रकार की हो सकती है जैसी कि उसने गद्दाफी के बाद के लीबिया की संक्रमणिक सरकार के साथ साझा की थी। 2015 में अनेक लीबियाई राजनीतिज्ञों ने व्यापार तथा आर्थिक सहयोग के लिए आधिकारिक अन्तर्क्रियाओं तथा भावी क्षेत्रों पर विचार का प्रस्ताव करते हुए रूसी अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित किया था। इन सम्पर्कों के क्रम में उन्होंने गद्दाफी की बेदखली के पाद रूसी कम्पनियों द्वारा गँवायें गये आर्थिक अनुबन्धों को पुन: प्रारम्भ करने की संकल्पनाओं को प्रसारित किया। इन आधिकारिक अन्तर्क्रियाओं का कार्यरूप में परिणत होना शेष है।95 अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में अपने-अपने रुखों के कारण रूस तथा पश्चिमी देशों और विशेष रूप से अमेरिका के लिए सीरिया की स्थिति जिस पर अपने-अपने चेहरे बचाने के विषय में बनी है तो इससे भविष्य में एक सन्तुलित समाधान की आशा है।
रूस की निपुण नीति ने इजराइल जैसे अनेक देशों के साथ सम्बन्धों को मृदु बनाने और जख्मों को भरने में सहायता की है। किन्तु रूस को अपनी रणनीतियों में सावधान रहना होगा। उसे 'ईसाई कार्ड' नहीं खेलना चाहिए क्योंकि भविष्य में इसकी प्रतिक्रिया भयावह होगी। थोड़े समय के लिए सभी देश अपनी सुरक्षा के भय से बाहर होकर आईएसआईएस के विरुद्ध युद्ध के लिए एक साथ मिल रहे हैं किन्तु मुस्लिमों के विरुद्ध ईसाइयत का धार्मिक कार्ड भविष्य में सहायक नहीं होगा।
पश्चिमी एशिया में अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए रूस को तुर्की सहित ईरान और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों की आवश्यकता होगी। यह इसलिए क्योंकि अंकारा काला सागर को अवरुद्ध करके तथा नागोर्नो-कराबखा घटना को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करके रूस के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।96 नागोर्नो-कराबखा दक्षिणी काकेशस में सैन्य-राजनीतिक विस्तार के कार्यक्रम के लिए अपने लक्ष्य के कारण रूस के लिए महत्त्वपूर्ण है। ईरान पश्चिमी देशों के साथ नाभिकीय मुद्दों के समाधान तथा रूस के साथ अपने सम्बन्धों को प्रगाढ़ करके अपने निजी हितों की रक्षा का भू-रणनीतिक कार्ड खेल रहा है। व्यापक परिदृश्य में विदेश नीति तथा सम्बन्धों का अनुमान लगाना कठिन है अत: इस क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों तथा अपनी छवि की रक्षा करने के उद्देश्य के साथ एक सन्तुलित उपक्रम करना क्रेमलिन का लक्ष्य होगा।
* लेखिका, भारतीय मामलों की वैश्विक परिषद, नई दिल्ली की शोधकर्ता हैं।
इसमें व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
अंत टिप्पण:
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80 Ibid.
81 “Russia to Finalize Delivery of S-300 Air Defense Systems to Iran in 2016”, Russian Aviation, December 15, 2015. http://www.ruaviation.com/news/2015/12/15/4354/?h (Accessed on December
82The scenario of mitigation between Israel and Iran coming together seems impossible but unpredictably in international relations is an important policy.
83 Kathrin Hille, “Russia Defies Recession to Fund Syria Conflict,” FT, October 25, 2015. http://www.ft.com/intl/cms/s/0/8f9c21fa-7957-11e5-933d-efcdc3c11c89.html#axzz3t8aaUML0 (Accessed on December 15, 2015).
84 According to a SIPRI report, in real terms, spending on Russia’s 'national defence' will fall by 12.8 per cent in 2016, 2.8 per cent in 2017 and a further 6.4 per cent in 2018. Julian Cooper, “Military expenditure in the Russian Ministry of Finance's new 'Basic Directions of Budget Policy for 2016 and the Planned Period 2017 and 2018' ; A Research Note,” SIPRI, July, 2015. http://www.sipri.org/research/armaments/milex/publications/unpubl_milex/military-expenditure-in-the-russian-ministry-of-finances-new-basic-directions-of-budget-policy-for-2016-and-the-planned-period-2017-and-2018-research-note-july-2015 (Accessed on December 30, 2015).
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