भारतीय रक्षा मंत्री मनोहरपर्रिकर की 30 नवंबर से 1 दिसंबर 2016 तक बांग्लादेश यात्रा काफी हद तक कई विश्लेषकों और टिप्पणीकारों द्वारा चीन-बांग्लादेश रक्षा सहयोग को बेअसर करने के प्रयास के रूप में देखी गई है। इस यात्रा के समय को लेकर पूरी दूनिया के मीडिया में हलचल है क्योंकि यह यात्रा चीनी राष्ट्रपति शी जिंनपिंग की ढाका यात्रा के एक महीने के बाद और बीजिंग द्वारा14 नवंबर, 2016 को बांग्लादेश कीनौसेना को दो पनडुब्बियां पहुंचाने के दो हफ्ते बाद हुई है। यह भारतीय रक्षा मंत्री की यात्रा का एक मकसद हो सकता है, लेकिन यह यात्रा का एकमात्र कारण नहीं है। यह यात्रा क्षेत्र में नए घटनाक्रमों और भारत पर उनके प्रभाव का जायजा लेने के लिए की गई थी। पिछले पैंतालीस वर्षों में किसी भारतीय रक्षा मंत्री की बांग्लादेश की यह पहली यात्रा थी।
ढाका में पर्रिकर की भूमिका
बांग्लादेश में, भारतीय रक्षा मंत्री ने एक रक्षा प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया जिसमें तटरक्षक बल के महानिदेशक के साथ सेना, वायु सेना और नौसेना के उप प्रमुख शामिल थे। रक्षा मंत्री ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद से मुलाकात की। बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने 1971 में देश के स्वतंत्रता संग्राम (लिब्रेशन ऑफ वार) में भारत सरकार और उसके लोगों के योगदान के प्रति आभार जताया। इस युद्ध में भारतीय रक्षा बलों के कई बहादुर सैनिकशहीद हो गए थे। बैठक के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा संबंधों को बढ़ाने हेतु संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
भारतीय रक्षा मंत्री ने 1 नवंबर 2016 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ "शून्य सहिष्णुता" की प्रतिबद्धतता के साथभारत को आश्वासन दिया कि बांग्लादेश अपनी धरती का उपयोग किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी कृत्यों के लिए नहीं करने देगा। हसीना ने पर्रिकर से कहा, "हम किसी भी तरह के आतंकवाद और उग्रवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे और किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देंगे।" हसीना के प्रेस सचिव इहंसनुलकरीम के अनुसार, ‘’प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया और पर्रिकर को बताया कि 18-20 दिसंबर 2016 को भारत में उनकी आगामी यात्रा के दौरान, वह उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलिदेंगी जो 1971में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हो गए थे। अपनी ओर से, पर्रिकर ने कहा कि "यह एक मित्र देश के रूप में स्वतंत्रता युद्ध में बांग्लादेश को सहायता देने की हमारी नैतिक जिम्मेदारी थी और हमने वैसा ही किया।" बैठक के बाद, रक्षा मंत्री ने शेख हसीना को एक हेलिकॉप्टर की प्रतिकृति, जिसका उपयोग भारत बांग्लादेश स्वतंत्रतता संग्राम के दौरान किया गया था, और उस युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की तस्वीरेंसौंपी।पर्रिकर ने बंगाल की खाड़ी से सटे बांग्लादेश के दक्षिणी तट पर रक्षा करने हेतु संवर्धित क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश तटरक्षक बल को प्रशिक्षित करने के लिए भारत की विशेषज्ञता की पेशकश की। भारतीय रक्षा मंत्री ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी से भी मुलाकात की।
क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति
भारतीय रक्षा मंत्री की ढाका यात्रा को क्षेत्र की बिगड़ती सुरक्षा स्थितियों के संदर्भ से देखना होगा, जिनके अल्पकालिक या दीर्घकालिकपरिणाम हैं और ये दोनों देशों के मौजूदा विकास पर भी प्रभाव डालते हैं।
नवंबर 2016 के मध्य में शुरू हुए ताजा जातीय संघर्ष के परिणामस्वरूप, म्यांमार में राखीन राज्य से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमाओं को पार कर रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है कि वे अपने घर से विस्थापित हो रहे हैं; अतीत में उन्होंने अभियोजन से स्वयं को बचाए रखने के लिए भी सीमाओं को पार किया था। बांग्लादेश की सीमा पार करने के बाद कई लोग भारत में आने की कोशिश करते हैं। पूर्व में, उनमें से कुछ भारत में पार करने में कामयाब रहे और दिल्ली तक पहुंच गए। इसके कारण अक्सर प्रवासियों और स्थानीय लोगों के बीच तनाव पैदा होता है।
बांग्लादेश कट्टरता के केंद्र में बदल रहा है। जैसा कि आरोप लगाया गया है कि, दाइश और अलकायदा बांग्लादेश में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहे हैं। भले ही यह एक आरोप है, लेकिन स्थानीय कट्टरपंथी बांग्लादेश में मजबूती से पनप रहे हैं। उनकी संगठनात्मक क्षमता का अनुमान उनके 1 जुलाई 2016 के कृत्य से लगाया जा सकता है जब ढाका के गुलशन क्षेत्र में एक कट्टरपंथी समूह के सात सदस्यों ने भीषण हमला किया जिसमें बीस से अधिक लोग मारे गए। बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, दो स्थानीय आतंकवादी समूहों, अंसार-अल-इस्लाम और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का उस जघन्य अपराध के पीछे हाथ था। खुली सीमा होने के कारण ये आतंकवादी अक्सर भारतीय सीमा में पहुंच जाते हैं।कभी-कभी वे अपने ही देश के नेतृत्व के खिलाफ साजिश भी रचते हैं। 2014 में समूह ने बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को मारने की साजिश रची, लेकिन उनके साजिश को पुलिस और एनआईए ने नाकाम कर दिया। असम पुलिस द्वारा जेएमबी के एक शीर्ष उग्रवादी, शाहनूरअलोम उर्फ "डॉक्टर इलियास" की गिरफ्तारी के बाद उसने पुष्टि की कि जेएमबी के कई शीर्ष नेताओं ने राज्य के कम से कम एक मदरसे का दौरा किया था और वहां प्रेरक प्रशिक्षण दिया था। दोनों ही स्थितियों में भारत प्रभावित होता है। इसलिए, भारत ने बांग्लादेश को अपना समर्थन दिया है। मई 2016 में ढाका की अपनी यात्रा के दौरान, भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में बांग्लादेश को भारत के मजबूत समर्थन से अवगत कराया, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ हमलों के जवाब में।अपने समकक्ष बांग्लादेशी शाहिदुलहक से मिलने के बाद, उन्होंने कहा "मैंने विदेश सचिव से कहा कि मैं यहां बांग्लादेश सरकार को भारत सरकार केमजबूत समर्थन का संदेश देने के लिए आया हूं क्योंकि वह आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ रहा है।" उन्होंने कहा कि "यह एक ऐसा मुद्दा है जो पड़ोसियों के रूप में हमारे लिए सीधे चिंता का विषय है," कट्टरवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ने के लिए दोनों देश 2010 से संयुक्त सैन्य अभ्यास भी कर रहे हैं। भारत-बांग्लादेश संयुक्त सैन्य अभ्यास "सम्प्रीती-2016" का छठा चरण 4 नवंबर, 2016 को बंगाबंधुसेनानिबास, तंगेल में शुरू हुआ। इस चौदहवें संयुक्त अभ्यास चरण का मुख्य फोकस संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत पहाड़ी और जंगली इलाकों में आतंकवाद-रोधी अभियानों पर था।
अंत में, भारत और चीन के बीच राजनीतिक संबंधों की प्रकृति ऐसी है कि बंगाल की खाड़ी (बीओबी) में चीनी जहाजों या पनडुब्बियों की उपस्थिति भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए एक चिंता का विषय है। स्टॉकहॉल्म इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, बीजिंग ने 2010 से ढाका को पांच समुद्री गश्ती जहाज, दो कोरवेट, 44 टैंक और 16 फाइटर जेट के साथ-साथ सतह से हवा और जहाज-रोधी मिसाइलों की आपूर्ति की है। ये आपूर्ति चीन से मगाई गई एक नई मिंग-श्रेणी की पनडुब्बी के अलावा है, जो नवंबर 2016 में बांग्लादेशी बेड़े में शामिल हुई। जनवरी 2016 में पहली बार, तीन चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) नेवी के जहाज(जिनमें दो मिसाइल फ्रिगेट भी शामिल थे) बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पहुंचने से पहले बीओबी के जरिए निकले। इसमें पीएलए नौसेना के 21 बेड़े थे, जिसमें गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट लिउज़ो और सान्या शामिल थे, और एक व्यापक आपूर्ति जहाज Qinghaihuथा। 'बेल्ट एंड रोड' पर चीनी श्वेत पत्र में उल्लेख किया गया है कि बीसीआईएम ईसी "इससे से बारीकी से संबंधित है"। बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार कोरिडोर के माध्यम से ओवरलैंड कम्पोनेन्ट के भाग के रूप में बेल्ट और रोड की दृष्टि से तथामैरीटाइम सिल्क रोड के लिए एक बंदरगाह केंद्रकी दृष्टि से, दोनों के आधार पर बांग्लादेश की भूमिका है।चीन और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंध और निकटता का आकलन अक्टूबर 2016 में शी जिनपिंग की ढाका यात्रा के बाद जारी संयुक्त बयान में इस्तेमाल किए गए शब्दों से लगाया जा सकता है, जिसमें 'रणनीतिक सहयोग भागीदारी' वाक्यांश का प्रयोग किया गया था। यह 2014 में शेख हसीना द्वारा चीन का दौरा किए जाने के बाद से इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों से अलग है। उस समय संयुक्त वक्तव्य में ‘डीपनिंग क्लोजर कॉम्प्रिहेंसिव पार्टनरशिप ऑफ कोऑपरेशन ’वाक्यांश का प्रयोग किया गया था। i
निष्कर्ष
उपर्युक्त घटनाक्रमों के आलोक में, भारत के रक्षा मंत्री की बांग्लादेश यात्रा क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण थी। रक्षा मंत्री ने चटगांव सैन्य अकादमी का भी दौरा किया। आंतरिक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने बांग्लादेश को सैन्य हार्डवेयर और अपतटीय गश्त पोत की पेशकश की।
चीन-बांग्लादेश सहयोग मुद्दे पर, 14-15 अक्टूबर, 2016 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बांग्लादेश यात्रा से एक दिन पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुलहसनमहमूद अली ने स्पष्ट किया था कि बांग्लादेश अभी भी देश के संस्थापक पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमानद्वारा निर्धारित विदेश नीति सिद्धांत का पालन कर रहा है, जिसमें "सभी से मित्रता, किसी के प्रति दुर्भावना नहीं" की संकलप्ना की गई है। बांग्लादेश केविदेश मंत्री भारत और चीन के प्रति अपने देश के दृष्टिकोण के बारे में सही हो सकते हैं, लेकिन भारत को तर्कसंगत रूप से कार्य करना होगा और दक्षिण एशिया में अपने सुरक्षा संबंधी हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।
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*डॉ. अमित रंजन, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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