भारत, जापान तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य त्रिपक्षीय सम्बन्ध धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है जैसा कि 2018 में आयोजित प्रथम सम्मेलन में तीनों देशों के नेताओं के बीच स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। आर्थिक तथा राजनीतिक केन्द्र का भारत-प्रशान्त क्षेत्र की ओर विस्थापन होने के कारण इस क्षेत्र की भूराजनीति क्षेत्रीय तथा वैश्विक शक्तियों के मध्य जटिल सहक्रिया के कारण अभूतपूर्व संक्रमण में प्रवेश कर रही है। इस परिदृश्य के कारण भारत-जापान-अमेरिका के मध्य त्रिकोणीय सम्बन्ध इस क्षेत्र के उभरते भूराजनीतिक परिवेश पर एक महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।
भारतीय नौसेना के कोलकाता तथा शक्ति जलपोतों ने अमेरिका, जापान तथा फिलीपीन की नौसेनाओं के साथ 03-09 मई, 2019 तक दक्षिण चीन सागर में सामूहिक रूप से अभ्यास में भाग लिया। भागीदारी करने वाले चार देशों के छ: युद्धपोतों ने छ: दिवसीय अभ्यास में दक्षिणी चीन सागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के लिए फॉर्मेशन अभ्यास का संचालन किया जिसका लक्ष्य "भागीदारी करने वाली नौसेनाओं के मध्य साझेदारी तथा पारस्परिक समझ को गहराई प्रदान करना"1 था। इस अभ्यास के पश्चात भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि "इससे पारस्परिकता वृदधि के माध्यम से सुरक्षित समुद्री पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए समान विचारधारा के देशों के साथ भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।"2 अमेरिकी नौसेना के कमोडोर एन्ड्रयू क्लग गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रॉयर यूएसएस विलियम पी. लारेन्स ने कहा "इस क्षेत्र में अपने सहयोगियों, साझेदारों तथा मित्रों के साथ पेशेवर निकटता हमारे वर्तमान सशक्त सम्बन्धों को दृढ़ करने का अवसर हैं......"3 चीन तथा दक्षिण- पूर्वी एशियाई देशों के मध्य इस क्षेत्र में जटिल प्रभुसत्ता सम्बन्धी विवाद की पृष्ठभूमि में दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) के विवादित क्षेत्र में ऐसा संयुक्त अभ्यास सार्थक है। साथ ही यह अभ्यास तब प्रारम्भ किया गया जब अमेरिका तथा चीन के मध्य व्यापार युद्ध जारी है। यह अभ्यास तथा भारत, जापान और अमेरिका के मध्य सम्बन्धों में समग्र मन्थर प्रगति को इस क्षेत्र में सन्तुलन की नीति अथवा चीन को घेरने के रूप में देखा जाता है।
चित्र : 1
स्रोत : https://twitter.com/indiannavy
हाल के समय में भारत-जापान-अमेरिका, एक ऐसा त्रिपक्ष जो गत लम्बे समय से अपने लघुतर रूप में कार्यरत था, तीनों देशों के नेताओं के मध्य 2018 में आयोजित प्रथम त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के आलोक में एक नई ऊर्जा प्राप्त करता हुआ दिखाई देता है। वैश्विक दृष्टि के केन्द्र के रूप में भारत-प्रशान्त के उभरने के कारण यह त्रिकोणीय सम्बन्ध इस क्षेत्र में उभरती भूराजनीतिक अभिवृत्ति को नवीन आकार देने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
त्रिपक्षीय सम्बन्धों की जड़ें द्विपक्षीय सम्बन्धों में समाहित हैं
इस क्षेत्र में भारत-जापान तथा अमेरिका के मध्य सम्बन्ध धीरे-धीरे जीवन्त त्रिपक्षीय सम्बन्ध के रूप में उभर रहा है। हाल ही में अमेरिकी-जापानी सुरक्षा परामर्शदात्री समिति की बैठक 19 अप्रैल, 2019 को वाशिंगटन में दोनों देशों के विदेश मन्त्रियों तथा रक्षा मन्त्रियों के साथ 2+2 प्रारूप में आयोजित की गयी थी। बैठक के बाद दिये गये संयुक्त वक्तव्य में भारत-प्रशान्त क्षेत्र में भारत के साथ सुरक्षा तथा रक्षा सहयोग के महत्त्व पर विशेष रूप से बल दिया गया। त्रिपक्षीय सम्बन्धों के महत्त्व का उल्लेख करते हुए इसमें 2018 में भारत, जापान तथा अमेरिका के बीच प्रथम बैठक तथा मालाबार अभ्यास एवं कोप इण्डिया अभ्यास 2018 के महत्त्व पर भी बल दिया गया।4
उभरता हुआ यह सशक्त त्रिपक्षीय सम्बन्ध वास्तव में तीनों देशों के मध्य विकसित घनिष्ठ द्विपक्षीय सम्बन्ध में समाहित है। 2014 में भारत और जापान ने एक दूसरे को "विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक सहयोगी" के रूप में मान्यता दी। दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने शिखर स्तरीय वार्ता में नियमित रूप से भाग लिया। जापान के साथ भारत की विशेष साझेदारी भारत की एक्ट ईस्ट नीति का भी एक महत्त्वपूर्ण अंग है। 7 जनवरी, 2019 को नई दिल्ली में 10वीं भारत-जापान विदेशमन्त्री वार्ता में जापानी विदेश मन्त्री तारो कोनो ने कहा कि जापान के लिए "एक मुक्त तथा खुले भारत-प्रशान्त क्षेत्र को मान्यता देने के लिए भारत सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सहयोगी है।" दोनों देश शीघ्रातिशीघ्र 2+2 मन्त्रिस्तरीय बैठक तथा दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए एक्वीजीशन एण्ड क्रॉस-सर्विसिंग एग्रीमेंट (एसीएसए) पर वार्ता करने हेतु प्रयासरत हैं। एसीएसए सम्पन्न होने के पश्चात दोनों देशों की सशस्त्र सेनाएँ परस्पर सैन्य संचालन के लिए एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग कर सकेंगी।
गत चौथाई शताब्दी के दौरान भारत-अमेरिका के मध्य सम्बन्ध विगत के अवरोधों को पीछे छोड़ते हुए एक नये स्वरूप में पहुँचा है।5 अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति 2017 ने "अग्रणी वैश्विक शक्ति तथा अमेरिका के प्रमुख रक्षा सहयोगी के रूप में भारत"6 का स्वागत किया है। 2018 में भारत को अमेरिका द्वारा लाइसेंस एक्सेप्शन स्ट्रेटेजिक ट्रेड आथराइजेशन (एसटीए-1) प्रदान किया गया जिससे भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला तीसरा एशियाई देश बन गया। सितम्बर, 2018 में विदेश एवं रक्षा मन्त्री स्तर के भारत-अमेरिका 2+2 की प्रथम बैठक में भारत को "एसटीए-1”7 के तहत लाइसेंस मुक्त निर्यात, पुन: निर्यात तथा अन्तरणों के शीर्ष अधिकारी देशों में शामिल" करते हुए रक्षा मदों में दि्वदिशीय विस्तार की अनुमति दी। काफी समय से लम्बित कम्युनिकेशन्स कम्पैटिबिलिटी एण्ड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (सीओएमसीएएसए) का भी स्वागत किया गया क्योंकि इससे भारत को "उन्नत रक्षा प्रणाली की प्राप्ति होगी तथा भारत अपने वर्तमान अमेरिकी मूल के प्लेटफॉर्म का अनुकूलतम उपयोग कर सकेगा।"8
दूसरी ओर, जापान के साथ अमेरिका की दीर्घकालीन मैत्री लम्बे समय से एशिया में उसकी संलग्नता का केन्द्रबिन्दु रही है और जापान की विदेश नीति का आधार रही है। 25 मई, 2019 से प्रारम्भ होने वाले अपने चार दिवसीय जापानी दौरे के समय अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका-जापान मैत्री "दृढ़ और ठोस"9 है और यह इस क्षेत्र में शान्ति तथा सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जापानी उद्यमियों से अमेरिका में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया और कहा कि दोनों देश व्यापारिक असन्तुलन को दूर करने के लिए बातचीत करते हुए "कठोर परिश्रम" कर रहे हैं।10
अत:, द्विपक्षीय तौर पर इस अवधि में तीनों देशों के बीच सम्बन्धों में सार्थक प्रगति हुई है।
भारत-प्रशान्त क्षेत्र हेतु दृष्टिकोण तथा रणनीति
तीनों देशों में नीति संवाद तथा दस्तावेजों ने सार्थक रूप से नवनिर्मित भारत-प्रशान्त ढाँचे हेतु अपने दृष्टिकोण, रणनीतियों तथा नीति को सम्मुख रखा। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शांगरी-ला वार्ता 2018 में दिये गये भाषण से भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट हो जाता है जिसमें उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण "मुक्त, खुला तथा समावेशी"11 भारत-प्रशान्त है (जिसका विस्तार अफ्रीका के समुद्री तट से अमेरिका तक फैला है)। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत-प्रशान्त "सीमित सदस्यों का गुट" नहीं हैं और आसियान की केन्द्रीयता इस दृष्टिकोण का अभिन्न अंग है। बाहरी मामले मन्त्रालय में भारत-प्रशान्त विभाग की स्थापना इस क्षेत्र के प्रति भारत के दृष्टिकोण की निरन्तरता में है। यह नया विभाग आसियान क्षेत्र, भारत प्रशान्त रिम एसोसिएशन (आईओआरए) तथा भारत-प्रशान्त चतुष्क को एकजुट करेगा। जापान ने पहले ही 2016 में अपनी विदेश नीति (एफओआईपीएस) में "मुक्त एवं खुली भारत-प्रशान्त रणनीति" का समावेश कर लिया है। इस रणनीति का उद्देश्य "दो महासागरों की सन्धि के रूप में आसियान सहित एशिया तथा अफ्रीका महाद्वीपों के मध्य सम्पर्क, कानून के नियम, नौवहन, बाजारी अर्थव्यवस्था"12 को प्रोत्साहित करना है। वियतनाम में 2017 के एपेक सीईओ सम्मेलन में बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी दृष्टिकोण को "मुक्त एवं खुले भारत-प्रशान्त" के रूप में प्रस्तुत किया। 01 जून, 2019 को "भारत-प्रशान्त रणनीतिक प्रतिवेदन" शीर्षक के तहत रक्षा विभाग द्वारा जारी नवीनतम दस्तावेज में "मुक्त तथा खुले भारत-प्रशान्त"15 के रूप में अमेरिकी दृष्टिकोण को पुन: प्रस्तुत किया गया। एक रणनीतिक पहल में राज्य सचिव जेम्स मैटिस की टिप्पणी "बढ़ता सम्पर्क, हिन्द तथा प्रशान्त महासागर" को महत्त्व देते हुए अमेरिका ने अपने प्रशान्त कमाण्ड का नाम परिवर्तित करके भारत-प्रशान्त कमाण्ड रख दिया। किन्तु भारत का दृष्टिकोण इस क्षेत्र में अमेरिका तथा जापान के दृष्टिकोण के समरूप नहीं बल्कि इसके पूरक के रूप में है। भारत हमेशा से अपने भारत-प्रशान्त दृष्टिकोण में "समावेशन" पर बल देता रहा है।
त्रिपक्षीय सम्बन्ध की हालिया प्रवृत्ति
1 दिसम्बर, 2018 को तीनों देशों के प्रमुख प्रथम त्रिपक्षीय सम्मेलन के लिए ब्यूनस आयर्स में जी-20 सम्मेलन से हटकर अलग से मिले। नेताओं ने दुहराया कि तीनों देशों के आधारभूत मूल्य साझा हैं और ये इस क्षेत्र में शान्ति, स्थिरता तथा समृद्धि को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इस बैठक में इस क्षेत्र में 'समावेशन' के विचार पर बल दिया गया। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस बैठक को तीनों देशों के मध्य दृष्टिकोण का सम्मिलन कहते हुए इसे 'जय' का नाम दिया। उन्होंने सम्मेलन के दौरान सम्पर्क, स्थायी विकास, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत तथा नौवहन की स्वतन्त्रता जैसे पाँच ऐसे क्षेत्रों को इंगित किया जिसमें त्रिपक्षीय सहयोग की आवश्यकता है।16 अप्रैल 2018 में नई दिल्ली में भारत-जापान-अमेरिका त्रिपक्षीय सहायक सचिव स्तरीय बैठक के दौरान सम्पर्क तथा अवसंरचना विकास, घुसपैठ की रोकथाम, आतंकवाद निरोध, नौवहन सुरक्षा, समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) सहित इसी प्रकार के क्षेत्रों की भी चर्चा की गयी।17
चित्र : 2
स्रोत : https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-first-ever-trilateral-summit-india-japan-us-focus-on-inclusive-indo-pacific/articleshow/66889722.cms
सम्पर्क के क्षेत्र में जापान तथा अमेरिका ने पहले ही आस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय अवसंरचनात्मक निवेश की साझेदारी की घोषणा कर दी है। यूनाइटेड स्टेट्स ओवरसीज प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन (ओपीआईसी), आस्ट्रेलियन डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स एण्ड ट्रेड (डीएफएटी) तथा जैपनीज बैंक फॉर इण्टरनेशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) ने 30 जुलाई, 2018 को भारत-प्रशान्त बिजिनेस फोरम के दौरान साझेदारी की घोषणा करते हुए एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया। ओपीआईसी ने साझेदारी परियोजना के लिए अमेरिका की ओर से 113 मिलियन डॉलर की प्रारम्भिक राशि निवेश करने की घोषणा की। इस निवेश साझेदारी को चीन की बेल्ट रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के बढ़ते प्रभाव को रोकने के प्रयास के रूप में देखा गया। अमेरिका को ओपीआईसी के अध्यक्ष और सीईओ रे वाशबर्न ने कहा कि ओपीआईसी समझौता ज्ञापन को अन्तिम स्वरूप देने के लिए "अभी भारत के साथ वार्ता की प्रक्रिया में है।"18 यदि सहमति बन जाती है तो यह अमेरिका के जापान तथा आस्ट्रेलिया के साथ समझौतों के समान होगा और यह ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन तथा तकनीकी अवसंरचना के क्षेत्रों में संयुक्त निवेश की प्रक्रिया को संरेखित करेगा। अक्टूबर 2018 में विकासोन्मुख निवेश का सर्वोत्तम उपयोग अधिनियम (बिल्ड एक्ट) के क्रियान्वयन के साथ अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश की जा सकने वाली राशि दोगुनी हो जायेगी और साथ ही इसमें निजी क्षेत्र भी शामिल हो सकेंगे। इससे भविष्य में तीनों देशों के बीच बिजिनेस टु बिजिनेस (बी2बी) के नवीन अवसरों का सृजन होगा। भारत तथा अमेरिका ने भी 29 मार्च, 2019 को एशिया तथा अफ्रीका में त्रिकोणीय विकास सहयोग पर समझौते का नवीकरण किया जो 202119 तक जारी रहेगा। दूसरी ओर भारत तथा जापन एशिया तथा अफ्रीका के उपक्षेत्रों के मध्य सम्पर्क तथा सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 'एशियन अफ्रीकन ग्रोथ कारीडोर' (एएजीसी) समझौता कर रहे हैं। एएजीसी के संकल्पना पत्र में बल दिया गया है कि भारत और जापान के विकास कार्यक्रमों की मजबूती के लिए "अफ्रीका की विकासपरक आवश्यकताओं तथा प्राथमिकताओं के उचित लय में लाने की आवश्यकता है।"20 इस क्षेत्र में औद्योगिक कारीडोर तथा औद्योगिक संजाल के विकास के लिए बी2बी विनिमयो में वृद्धि हेतु "एशिया-अफ्रीका क्षेत्र में जापान-भारत व्यापारिक सहयोग के लिए मंच" स्थापित करने के लिए बातचीत जारी है।21
इस त्रिपक्षीय समबन्ध हेतु नौवहन सुरक्षा एक अन्य केन्द्रीय स्तम्भ है। अमेरिकी चीफ ऑफ नेवल ऑपरेशन्स एडमिरल जॉन माइकल रिचर्डसन ने 12 से 14 मई 2019 के बीच भारत का दौरा किया। अपने समकक्ष के साथ परिचर्चा में दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग हेतु नवीन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया। तीनों देशों की नौसेनाओं की नियमित बैठक वार्षिक मालाबार अभ्यास तथा द्विवार्षिक आरआईएमपीसीए अभ्यास (भारत ने 2014 से भाग लेना प्रारम्भ किया) के रूप में की जाती है। कथित तौर पर इस वर्ष मालाबार का आयोजन जापान के समुद्री तट पर आयोजित किया जायेगा। 2018 में प्रथम बार मालाबार अभ्यास का आयोजन अमेरिका द्वारा प्रशान्त कमाण्ड का नाम बदलकर भारत-प्रशान्त कमाण्ड करने के ठीक पश्चात गुआम में किया गया। 1929 में भारत तथा अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कार्यक्रम के रूप में प्रारम्भ हुआ मालाबार अभ्यास 2015 में स्थायी भागीदार के रूप में जापान के शामिल होने के पश्चात त्रिपक्षीय हो गया। इसके अतिरिक्त भारतीय तथा जापानी नौसेनाएँ द्विपक्षीय अभ्यास जिमेक्स में भी मिलती हैं।
अमेरिकी तथा भारतीय वायुसेनाओं के बीच के द्विपक्षीय अभ्यास को चरणबद्ध ढंग से त्रिपक्षीय करने के लिए भी वार्ताएँ जारी हैं। मालाबार की भाँति भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित कोप इण्डिया को उन्नत करके जापान को भी शामिल किया जा सकता है।22
दीर्घकालीन दक्षिणी चीन सागर विवाद क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती बना रहा है। 2016 में फिलीपीन्स बनाम चीन मामले पर हेग ट्रिब्यूनल के निर्णय को चीन द्वारा अस्वीकार करने के बाद उसके इरादों के विषय में पुन: नई चिन्ताएँ उभरी हैं। अमेरिका तथा जापान दोनों 'किसी देश की एकपक्षीय बलपूर्वक कार्यवाही का विरोध' की नीति पर कायम हैं जिसके द्वारा एससीएस में यथास्थिति में बदलाव हो सकता है और उन्होंने यूएनसीएलओएस का सम्मान करने की माँग की। इन विवादों में अमेरिका हस्तक्षेप का चीन विरोध करता रहा है। यद्यपि अमेरिका तटस्थता बनाये रखता है किन्तु इस क्षेत्र में नौवहन की स्वतन्त्रता बनाये रखने के विषय में मुखर है तथा पूर्वी चीन सागर में विवादित सेनकाकू/दिओयू पर जापान का समर्थन करता है। भारत ने यूएनसीएलओएस 1982 के प्रावधानों सहित अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस क्षेत्र में नौवहन तथा विमानों की आवाजाही की स्वतन्त्रता बनाये रखने तथा विवादों के शान्तिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर अपने रुख पर कायम है।
तीनों देशों में चीन के इस बलात व्यवहार के के प्रति एकसमान चिन्ताएँ हैं। भारत-प्रशान्त की भूराजनीति अमेरिका तथा चीन के मध्य भूआर्थिक तनाव की वर्तमान पृष्ठभूमि, भारत-चीन रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा तथा जापान और चीन के मध्य तनाव के कारण परिवर्तनशील है। अमेरिका तथा चीन के बीच जारी व्यापारिक तनाव तथा तकनीकी विरोधों के कारण विशेष रूप से भारत के साथ और व्यापक रूप से भारत-प्रशान्त क्षेत्र में दखल देने की अमेरिका की दिलचस्पी अब और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गयी है। चीन की विशाल तकनीकी कम्पनी हुवाई पर अमेरिकी बाजार में प्रभावी प्रतिबन्ध लगाने, इसे प्रत्येक अमेरिकी सहयोगियों द्वारा बहिष्कृत कराने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय के कारण तनाव में और अधिक वृद्धि हो गयी जिसके पश्चात हुवाई को गूगल के आधिकारिक एन्ड्रॉयड लाइसेंसिंग कार्यक्रम से निलम्बित कर दिया।23 अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति 2018 में चीन की 'अपहरक' आर्थिक नीति की बलपूर्ण तथा त्रासदायक नीति के रूप में आलोचना की गयी। अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने हाल ही में कहा कि मुक्त तथा खुली व्यवस्था की प्रतिबद्धता के रूप में अमेरिका "प्रत्येक भारत-प्रशान्त क्षेत्र के देशों को शक्ति के भय से मुक्त करके अपनी प्रभुसत्ता की रक्षा में समर्थ करने के लिए आस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा दक्षिण कोरिया जैसे समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट कर रहा है।"24 अमेरिका ने कहा कि संशोधनवादी शक्ति के रूप में चीन अमेरिकी मूल्यों तथा हितों के विपरीत मूल्यों को प्रस्तुत करते हुए सबसे बड़ी दीर्घकालिक चुनौती बना हुआ है। दूसरी ओर भारत हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते दखल के विषय में सशंकित बना हुआ है और उसके भारी-भरकर बीआरआई परियोजना से चिन्तित है। तात्कालिक तौर पर जलशक्ति प्रदर्शित करने के लिए ब्लू वाटर नौसैनिक क्षमताओं के साथ पीएलए नौसेना अपने प्रचालन के परम्परागत क्षेत्र से परे जा रही है। अफ्रीका के जिबूती में प्रथम विदेशी पत्तन के निर्माण सहित महत्त्वपूर्ण स्थानों पर नौसैनिक अड्डे तथा ग्वादर एवं हम्बनटोटा में सहायक सुविधाओं की स्थापना तथा उसकी सामुद्रिक सिल्क रूट परियोजना ने इस क्षेत्र में चीन के दीर्घकालीन इरादों के विषय में चिन्ता उत्पन्न कर दी है। विशेष रूप से सेनकाकू द्वीपों के विषय में जापान तथा चीन में भी महत्त्वपूर्ण रणनीतिक तनाव बना हुआ है।
अत: तीनों लोकतान्त्रिक व्यवस्थाएँ व्यापक रूप से एक मुक्त, स्थायी, सुरक्षित तथा समृद्ध भारत-प्रशान्त क्षेत्र के विषय में अपने पूरक उद्देश्यों को व्यापक रूप से साझा करती हैं। 2017 में ‘चतुष्क’ (क्वाड) को पुन: जीवित करने के पश्चात त्रिपक्षीय सम्बन्धों में अधिक प्रगाढ़ता आई है जो इस समय परामर्शक प्रणाली के रूप में धीरे-धीरे प्रगतिशील दिखाई दे रही है। किन्तु दिल्ली, टोकियो तथा वाशिंगटन के मध्य त्रिपक्षीय सम्बन्ध चौकस रहे हैं जिसमें सतर्कता के साथ सन्तुलन रखा गया है और चीन को एक सन्तुलनकारी अथवा निहित नियन्त्रणकारी संकेत दिया गया है। 'जय' की भाँति शिखर सम्मेलन आयोजित करके भविष्य में एक नियमित आयोजन करने से सहयोगपरक सम्बन्धों में मजबूती आयेगी। देशों को विकसित करने के लिए एक जीवन्त, बहुआयामी साझेदारी के लिए रणनीतिक मुद्दों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। तीनों देशों के नेता जी-20, 2019 सम्मेलन के लिए इस माह के बाद जापान के ओसाका में मिलने वाले हैं। जटिल तथा कभी-कभी क्षेत्रीय तथा वैश्विक खिलाड़ियों की प्रतिस्पर्द्धी रुचि सहित भारत-प्रशान्त क्षेत्र के पेचीदे भूराजनीतिक क्षेत्र के कारण आने वाले समय में भारत-जापान-अमेरिका इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तिकड़ी होगी।
*****
* लेखिका, शोधकतार्, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
_____________
1 IN Ships Kolkata and Shakti undertake Group Sail with Naval Ships of Japan, Philippines and the USA, 9 May 2019, Press Information Bureau, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=189962, Accessed on May 15, 2019
2 I.bid.
3 U.S., Partner Navies Sail Together in South China Sea, 9 May,https://www.navy.mil/submit/display.asp?story_id=109535&utm_source=twitter&utm_medium=social&utm_conte nt=100000613638870 Accessed on May 15, 2019
4 Joint Statement of the Security Consultative Committee, https://www.mofa.go.jp/files/000470738.pdf Accessed on May 16, 2019
5 United States, National Security Strategy 2017, P. 47, https://www.whitehouse.gov/wp-content/uploads/2017/12/NSS-Final-12-18-2017-0905.pdf, Accessed on May 16, 2019
6 India third Asian nation to get STA-1 status from U.S., The Hindu, 04 August 2018,
https://www.thehindu.com/business/Economy/india-third-asian-nation-to-get-sta-1-status-from-us/article24603607.ece, Accessed on May 15, 2019
7 Joint Statement on the Inaugural India-U.S 2+2 Ministerial Dialogue, September 06, 2018
Ministry of External Affairs, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30358/Joint+Statement+on+the+Inaugural+IndiaUS+2432+Ministerial+Dialogue, Accessed on May 15, 2019
8 I.bid
9 US-Japan alliance is steadfast and ironclad, BBC News, 27 May 2019, https://www.bbc.com/news/av/world-asia- 48420185/donald-trump-us-japan-alliance-is-steadfast-and-ironclad, Accessed on May 27, 2019
10 Trump opens state visit to Japan with jab at trade imbalance, 25 May 2019 https://www.aljazeera.com/news/2019/05/trump-opens-state-visit-japan-jab-trade-imbalance-190525135602246.html, Accessed on May 27, 2019
11 Prime Minister’s Keynote Address at Shangri La Dialogue (June 01, 2018) https://www.mea.gov.in/Speeches- Statements.htm?dtl/29943/Prime+Ministers+Keynote+Address+at+Shangri+La+Dialogue+June+01+2018, Accessed on May 15, 2019
12 Mission of Japan to ASEAN, https://www.asean.emb-japan.go.jp/files/000352880.pdf, Accessed on 30 May 2019
13 Remarks by President Trump at APEC CEO Summit | Da Nang, Vietnam, https://www.whitehouse.gov/briefings-statements/remarks-president-trump-apec-ceo-summit-da-nang-vietnam/, Accessed on May 23, 2019
14 Indo-Pacific Strategy Report Preparedness, Partnerships, and Promoting a Networked Region June 1, 2019, https://media.defense.gov/2019/May/31/2002139210/-1/- 1/1/DOD_INDO_PACIFIC_STRATEGY_REPORT_JUNE_2019.PDF, Accessed on June 03, 2019.
15 Remarks at U.S. Indo-Pacific Command Change of Command Ceremony, Secretary of Defense James N. Mattis, https://dod.defense.gov/News/Transcripts/Transcript-View/Article/1535689/remarks-at-us-indo-pacific-command-change-of-command-ceremony/, Accessed on May 25, 2019
16 In first-ever trilateral summit, India-Japan-US focus on ‘inclusive' Indo-Pacific , Indrani Bagchi, Times of India, 01 December 2019, https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-first-ever-trilateral-summit-india-japan-us-focus-on-inclusive-indo-pacific/articleshow/66889722.cms, Accessed on May 18, 2019
17 India-Japan-US Trilateral Meeting, Joint Press Release, April 04, 2018
https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/29744/IndiaJapanUS+Trilateral+Meeting, Accessed on May 15, 2019
18 South China Morning Post, 25 September 2018, https://www.scmp.com/news/asia/south-asia/article/2165600/india-talks-join-us-global-development-partnership-countering, Accessed on May 18, 2019
19 India and United States Renew Triangular Development Cooperation in Asia and Africa, March 29, 2019, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/31189/India+and+United+States+Renew+Triangular+Development+Cooperation+in+Asia+and+Afri ca, Accessed on May 18, 2019
20 Asia Africa Growth Corridor: Partnership for Sustainable and Innovative Development, A Vision Document, Africa Development Bank Meting, Ahmedabad, India, May 2017, http://www.eria.org/Asia-Africa-Growth-Corridor- Document.pdf, p.6s, Accessed on May 25, 2019
21 India-Japan Vision Statement, October 29, 2018, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30543/IndiaJapan_Vision_Statement, Accessed on May 25, 2019
22 India, Japan, U.S. plan joint air exercise, The Hindu, 20 October 2018, https://www.thehindu.com/news/national/india-japan-us-plan-joint-air-exercise/article25269629.ece Accessed on May 30, 2019, Accessed on May 30, 2019
23 Google pulls Huawei’s Android license, forcing it to use open source version, https://www.theverge.com/2019/5/19/18631558/google-huawei-android-suspension, May 19, 2019, May 25, 2019
24 Remarks at the Claremont Institute 40th Anniversary Gala: "A Foreign Policy from the finding”, 11, May 2019,
https://www.state.gov/remarks-at-the-claremont-institute-40th-anniversary-gala-a-foreign-policy-from-the-founding/, Accessed on May 27, 2019