अमेरिका ने वारसॉ सम्मेलन के माध्यम से अरब दुनिया और यूरोपीय देशों को संदेश दिया है कि क्षेत्र के साथ अमेरिका का जुड़ाव ईरान के प्रति ध्यान केंद्रित करने के साथ जारी रहेगा।
वारसॉ मध्य पूर्व सम्मेलन - औपचारिक रूप से “मध्य पूर्व में शांति एवं सुरक्षा के भविष्य को बढ़ावा देने हेतु मंत्रिस्तरीय” सम्मेलन के नाम से जाना जाता है, का आयोजन 13-14 फरवरी 2019 को किया गया था। इसमें विभिन्न स्तरों पर साठ से अधिक देशों ने भाग लिया। मई 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रियाद की पहली यात्रा के दौरान भी इसी तरह की एक सभा का आयोजन किया गया था, जहाँ अन्य वचनबद्धताओं के अलावा, उन्होंने लगभग 50 अरब-इस्लामी देशों के नेताओं, बुद्धिजीवियों और पादरियों को भी संबोधित किया था। हालांकि इन दोनों में कुछ भिन्नताएं थीं क्योंकि वारसॉ में दर्शकों में यूरोपीय नेताओं के शामिल होने से यह सम्मेलन काफी बड़ा हो गया था और रियाद के विपरीत, क्षेत्र में अपनी नीतियों के खिलाफ ईरान के लिए संदेश यहां अधिक स्पष्ट रुप से दिया गया था। पश्चिम एशिया में जटिलताओं को देखते हुए, सम्मेलन में खाड़ी सहयोग परिषद (जी.सी.सी.) देशों और इजरायल के बीच संबंधों की बदलती गतिशीलता पर भी विचार किया। रियाद में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने अरब-इस्लामी नेताओं को इस्लामिक आतंकवाद और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया, जो कि अन्य बातों के साथ-साथ इस क्षेत्र में ईरान और उसके सहयोगियों के लिए सूक्ष्म संदर्भ के साथ था।
जनवरी 2019 में मिस्र के काइरो विश्वविद्यालय में अमेरिकी विदेश मंत्री, माइक पोम्पिओ की यात्रा के दौरान वारसॉ मध्य पूर्व सम्मेलन की घोषणा सार्वजनिक संबोधन में की गई थी। काइरो में उन्होंने कहा था कि सम्मेलन के एजेंडे में आतंकवाद, उग्रवाद, साइबर आतंकवाद, सीरिया तथा यमन संकट और मध्य पूर्व क्षेत्र की राजनीति में ईरान के हस्तक्षेप के लिए संदर्भ भी शामिल होगा।
विचार-विमर्श के दौरान, अमेरिका ने अपनी बढ़ती क्षेत्रीय भूमिका और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रदर्शन के खिलाफ ईरान को प्रत्यक्ष संदेश दिया। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान परमाणु समझौते के संरक्षण के साथ-साथ तेहरान के साथ आर्थिक रूप से जुड़ने के लिए वैकल्पिक कानूनी और वित्तीय तंत्र बनाने हेतु फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों को भी संदेश दिया, जो संभावित रूप से अमेरिकी प्रतिबंधों को कमजोर कर सकता है। इस सम्मेलन का अन्य प्रमुख उद्देश्य, बेहद-अप्रत्यक्ष समझौते, “द डील ऑफ़ द सेंचुरी” को प्रकट करना और अरब नेताओं को लंबे समय तक अरब-इज़राइल संघर्ष का स्थायी समाधान स्वीकार करने के लिए राजी करना था।1 लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के वरिष्ठ सलाहकार जेरेड कुशनर की घोषणा के मुताबिक, इस समझौते का अनावरण अप्रैल 2019 में इज़राइल में आम चुनाव के बाद ही होगा।
इस सम्मेलन में अमेरिकी उपराष्ट्रपति, माइक पेंस, राज्य सचिव, माइक पोम्पिओ, जेरेड कुशनर, जी.सी.सी. के मंत्रियों के साथ-साथ मिस्र, यमन, जॉर्डन और मोरक्को जैसे अन्य अरब नेताओं ने भाग लिया। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू पहली बार किसी वैश्विक और क्षेत्रीय बैठक में अरब नेताओं के साथ मंच साझा करते और बैठक में भाग देते देखे गए। प्रत्याशित रुप से यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों ने केवल अपने राजनयिकों, वरिष्ठ अधिकारियों और जूनियर मंत्रियों को भेजा था। इस कार्यक्रम में केवल ब्रिटेन के विदेश सचिव जेरेमी हंट ने भाग लिया।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने पहले ही इसके बहिष्कार की घोषणा कर दी थी, जबकि तुर्की और लेबनान ने इसमें भाग न लेने का निर्णय किया था। विदेश मामलों व सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि, फ़ेडरिका मोगेरिनी ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया। रूस को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उनका कोई प्रतिनिधि सम्मेलन में उपस्थित नहीं हुआ। मास्को ने कहा कि सम्मेलन “मध्य पूर्व में नई विभाजन रेखाएं बनाने की दिशा में अमेरिकी प्रशासन की नीति का एक नया प्रदर्शन है, जो पहले से ही संघर्षों और विरोधाभासों से घिरा हुआ है।”2
यूरोपीय संघ ने एक ऐसे सम्मेलन में जिसे पश्चिम एशिया में संकट की तुलना में ईरान पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया है और अमेरिका के साथ अपने नीतिगत अंतर को देखते हुए इसे राजनयिक महत्व देने से बचने के लिए निम्न-स्तरीय प्रतिनिधित्व का निर्णय लिया। ईरान के साथ प्रत्यक्ष वित्तीय लेन-देन से बचने के लिए व्यवसायों को अनुमति देने हेतु फ्रांस के साथ जर्मनी, ब्रिटेन द्वारा स्थापित व्यापार आदान-प्रदान के समर्थन में साधन (आई.एन.एस.टी.ई.एक्स.) ईरान को अलग-थलग करने की अमेरिकी योजना के विपरित रहा है। आई.एन.एस.टी.ई.एक्स. एक ‘विशेष प्रयोजन का साधन’ है जिसे ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ व्यापार जारी रखने के लिए कानूनी और वित्तीय तंत्र विकसित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।3 माइक पेंस ने कहा कि ईरान के साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाने हेतु यूरोपीय संघ का यह तंत्र भी ‘अविवेकपूर्ण’ था। यह कदम अमेरिका और यूरोप के बीच दूरी को और अधिक बढ़ा सकता है।4 अमेरिकी विदेश मंत्री, पोम्पिओ ने कहा कि, “ईरान का विरोध किए बिना इस क्षेत्र में शांति हासिल करना असंभव है।” 5 उन्होंने कहा कि हौथीस, हमास, हिजबुल्लाह से वास्तविक खतरा था और उन समूहों का उल्लेख किया जिनको तेहरान का समर्थन प्राप्त था।
क्षेत्रीय भू-राजनीतिक वातावरण को देखते हुए, अमेरिका के साथ पोलैंड का संबंध महत्वपूर्ण है। वारसॉ अमेरिका के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को बढ़ाने का इच्छुक है। पोलैंड के विदेश मंत्री ने कहा कि पोलैंड-अमेरिका के संबंधों को गहरा बनाना सम्मेलन के अनेक फायदों में से एक था। पोलैंड के रक्षा मंत्री, मैरियुसेज ब्लैसजकजैक ने कहा, “हमारे अमेरिकी साझेदारों ने पोलैंड को बिना किसी ठोस कारण के इस सम्मेलन का सह-आयोजन करने की जिम्मेदारी नहीं दी। यह साबित करता है कि अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पोलैंड की स्थिति अधिक मजबूत है।”6 यू.एन.एस.सी. के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में पोलैंड की वर्तमान स्थिति इस आयोजन को अधिक महत्वपूर्ण बनाती है। पोलैंड ने कहा कि यह “मध्य पूर्व पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के निर्ण को एक साथ लाने का प्रयास और उनके साथ ईरान परमाणु समझौते को संरक्षित करने की कुंजी है।”7 पोलैंड के रक्षा मंत्री ने एक साक्षात्कार में आगे कहा कि यूरोपीय संघ के अन्य सदस्यों के साथ पोलैंड का मानना है कि परमाणु समझौते को संरक्षित किया जाना चाहिए, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसे बाहर निकाल गया, और इस बीच उन्होंने यह भी कहा कि निर्णायक प्रतिबंध भी लगाए जाने चाहिए।”8 हालांकि, मध्य पूर्व सम्मेलन का आयोजन वारसॉ क्षेत्र में अन्य यूरोपीय संघ के देशों के साथ पोलैंड के द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन वारसॉ बैठक यूरोपीय संघ के सदस्यों में और अधिक मतभेद पैदा कर सकती है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब दूर के दक्षिणी पक्ष आगे बढ़ रहे हैं और जिनमें प्रवासन, आर्थिक सुधार सहित सदस्य देशों के बीच यूरोपीय संघ के राजनीतिक और आर्थिक महत्व के प्रमुख मुद्दों पर मतभेद हैं और अधिक दृश्यमान हैं।9
राष्ट्रपति ट्रम्प के अरब-इज़राइल संघर्ष के समाधान की दिशा में बढ़ने हेतु जी.सी.सी. नेताओं और इजरायल को बातचीत करने के लिए एक मंट पर लाने के लंबे समय के प्रयास अभी तक परिणाम प्राप्त करने में विफल रहे हैं। फिर भी इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। यमन के विदेश मंत्री इजरायल के प्रधान मंत्री नेतन्याहू के साथ बैठे और इसी तरह ओमान के विदेश मंत्री और इजरायल के प्रधान मंत्री भी एक-दूसरे से गले मिले। बाद में प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने ट्वीट किया कि वारसॉ बैठक ईरान के नए नेताओं के साथ क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए बढ़ते खतरे के सामने खड़े होने का एक ऐतिहासिक कदम था।10 कथित तौर पर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के विदेश मंत्रियों से प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मज़ाक में कहा कि इन अरब नेताओं द्वारा ईरान को इज़राइल की तुलना में बड़ा खतरा समझे जाना एक प्रमुख ईरानी के रूप में उनका अपमान है।11
इस बैठक का उद्देश्य अरब-इजरायल और यूरोप की ईरान-विरोधी तिकड़ी का गठन करना भी था, ताकि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खिलाफ, अपने यूरोपीय संघ के सहयोगियों को राष्ट्रपति ओबामा की अध्यक्षता में हस्ताक्षरित परमाणु समझौते के खिलाफ लामबंद किया जा सके और यमन, सीरिया, इराक और लेबनान में गैर-राज्य सक्रियकों को समर्थन की अपनी नीतियों से ईरान को रोका जा सके। फिर भी, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच मतभेदों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि इस दिशा में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है।
इसका एक अन्य उद्देश्य मध्य पूर्व रणनीतिक गठबंधन (एम.ई.एस.ए.) के मुद्दे को पुनर्जीवित करना भी था, जो काफी हद तक सुन्नी समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे पहली बार 2017 में राष्ट्रपति ट्रम्प की सऊदी अरब यात्रा के दौरान चर्चा में लाया गया था। अमेरिका ने इस गठबंधन का निर्माण छह जी.सी.सी. राष्ट्रों और मिस्र तथा जॉर्डन से मिलकर किया था, जिसे अनौपचारिक रूप से इस्लामी नाटो कहा गया है।
इसी तरह, क्षेत्र में ईरान की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के डर के कारण वारसॉ बैठक में भाग लेने की सऊदी की उत्सुकता समझ में आती है। ईरान से निपटने हेतु तीन राष्ट्रों के बीच गहरी अभिसारिता के कारण अमेरिका और इज़राइल के साथ संबंध इसकी सबसे अच्छी ढाल हैं। इसके अलावा अमेरिका के साथ घनिष्ठ साझेदारी खाशोगी की हत्या पर सऊदी शासन के खिलाफ आक्रोश की आवाज को भी बेअसर कर देगी और ट्रम्प 9/11 में शामिल सऊदी नागरिकों के खिलाफ विधायी-सह-न्यायिक प्रक्रिया को रोकने में भी मदद कर सकते हैं, जिसे जे.ए.एस.टी.ए. के रूप में जाना जाता है।12
अमेरिका अपने यूरोपीय संघ के भागीदारों से किसी भी प्रकार की वचनबद्धता प्राप्त करने में विफल रहा कि वे ईरान परमाणु समझौते को समाप्त करने की अपनी इच्छा का पालन करेंगे। यूरोपीय संघ समझौते का समर्थन करता रहा है और अमेरिका अपने यूरोपीय संघ के सहयोगियों को सीरिया से वापस लेने के अपने अचानक लिए गये निर्णय को लेकर उन्हें आश्वस्त नहीं कर सका, जिसने दो पुराने सहयोगियों के बीच दरार को और गहरा कर दिया है।13
अरब-इजरायल के संबंध पर बने नए ऐतिहासिक पल लेकर इजरायल सरकार का उत्साह मूर्त रूप में परिणत नहीं हुआ, क्योंकि नेतन्याहू कुछ जी.सी.सी. नेताओं के साथ अकेले में बैठक कर सकते थे। यह अरब मीडिया में बहुत निंदा का विषय था। शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के कुछ समय बाद ही एक नए हैश टैग “सामान्यीकरण राजद्रोह है” के तहत एक अभियान चलाया गया था।14
हालाँकि, नेतन्याहू ने दौरे पर आये ओमान के विदेश मंत्री के साथ तस्वीरें खींचवाईं थी, लेकिन वारसॉ सम्मेलन के तुरंत बाद, मास्को की यात्रा के दौरान ओमान के विदेश मंत्री ने बताया कि नेतन्याहू के साथ उनकी मुलाकात का मतलब इजरायल के साथ संबंधों का सामान्यीकरण नहीं था और जब तक कोई स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य अस्तित्व में आता संबंध आगे नहीं बढ़ेंगे।15 मिस्र, जिसने अपने विदेश मंत्री को वारसॉ में भेजा था, ने स्पष्ट किया कि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता के लिए फिलिस्तीन प्रमुख है जैसा कि राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी द्वारा वारसॉ सम्मेलन के तुरंत बाद म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन के दौरान कहा गया था।16 इजरायल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण के लिए प्रक्रिया की शुरुआत के बावजूद, अभी भी सभी अरब देशों और इजरायल के बीच कूटनीतिक और रणनीतिक संबंध बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
इसी तरह, इस्लामी नाटो के मोर्चे पर, जब इस्लामी नाटो के गठन की बात आती है तो जी.सी.सी. के सभी सदस्यों और मिस्र तथा जॉर्डन जैसे अन्य देशों को एक समिति में लाना आसान नहीं होगा, क्योंकि सभी इस्लामी नाटो के प्रस्तावित सदस्यों के बीच अपने आंतरिक मतभेद हैं। उदाहरण के लिए, कुवैत, कतर और ओमान के ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं और मिस्र तथा जॉर्डन के ईरान के साथ उनके अलग तरह के मतभेद हैं लेकिन ये मतभेद कई भौगोलिक और सामरिक विविधताओं के कारण अन्य जी.सी.सी राष्ट्रों की प्रकृति या स्तर के नहीं हैं। इसके अलावा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के विपरीत, ईरान मिस्र या जॉर्डन के लिए एक बड़ा या तात्कालिक खतरा नहीं है, जहाँ दोनों के लिए इजरायल-अरब संघर्ष अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए अधिक खतरनाक हैं, जिसकी तत्काल समाधान की आवश्यकता है।
वारसॉ से, अमेरिका ने अरब दुनिया और यूरोपीय देशों को स्पष्ट संदेश दिया है कि इस क्षेत्र के साथ अमेरिका का जुड़ाव ईरान के खिलाफ जारी रहेगा। मध्य पूर्व सम्मेलन ट्रम्प प्रशासन का एक और कदम था जो जटिल राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों के राजनयिक समाधान की मांग के लिए यूरोपीय बहुपक्षीय प्रयासों को संभावित रूप से कमजोर कर सकता था।
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* लेखक, रिसर्च फैलो, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ताओं के हैं और परिषद के नहीं।
समाप्ति टिप्पणी
1Mohammad Manshavi, “Whatever You Want to Know About Warsaw Summit,” Aljazeera, February 12 , 2019 https://www.aljazeera.net/news/politics/2019/2A2/%D9%85%D8%A4%D8%AA%D9%85%D8%B1- %D9%88%D8%A7%D8%B1%D8%B3%D9%88-%D8%B5%D9%81%D9%82%D8%A9-%D8%A7%D9%84%D9%82%D8%Bi%D9%86-%D8%A7%D9%84%D9%85%D9%84%D9%8i-
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%D8%A7%D9%84%D8%B4%D8%Bi%D9%82-%D8%A7%D9%84%D8%A3%D9%88%D8%B3%D8%B7 (Accessed on February 20, 2019)
2“Warsaw Forum on Middle East Aims to Create Dividing Lines, Says Russian Foreign Ministry,” TASS, February 18, 2019, http://tass.com/world/1045296 (Accessed on February 27, 2019)
3“INSTEX: Europe Sets Up Transactions Channel With Iran,” DW, January 31, 2019, https://www.dw.com/en/instex-europe-sets-up-transactions-channel-with-iran/a-47303580 (Accessed on February 15, 2019)
4Patrick Wintour and Oliver Holmes, “Mike Pence Chides US Allies at Warsaw Summit on Iran,” The Guardian, February 14, 2019 https://www.theguardian.com/world/2019/feb/14/us-and-israel-say- confrontation-with-iran-needed-for-peace (Accessed on February 25, 2019)
5Noa Landau, “Pompeo to Netanyahu: Confronting Iran Key to Mideast Stability, Peace” Haaretz, February 14, 2019 https://www.haaretz.com/middle-east-news/pompeo-impossible-to-achieve-mideast-stability- peace-without-confronting-iran-1.6936439 ( Accessed on February 25, 2019)
6“Mogherini Won't Attend Warsaw Middle East Conference,” Remix, February
https://rmx.news/poland/mogherini-wont-attend-warsaw-middle-east-conference (Accessed on March 1, 2019)
7“Mideast Summit to Boost Poland’s Int’l status: Polish FM,” Radio Poland, February 15, 2019 http://www.thenews.pl/1/10/Artykul/406580,Mideast-summit-to-boost-Poland%E2%80%99s- int%E2%80%99l-status-Polish-FM (Accessed on February 27, 2019)
8Ibid
9Borzou Daragahi, “US is trying to break up Europe’: Controversial Iran Conference Opens in Poland,” Independent, February 13, 2019, https://www.independent.co.uk/news/world/europe/iran-warsaw-summit- israel-us-mike-pompeo-netanyahu-middle-east-poland-a8777476.html (Accessed on February 21, 2019); Etienne Bassot “Ten Issues to Watch in 2019,” European Parliament- EPRS | European Parliamentary Research Service, January 2019, http://www.europarl.europa.eu/RegData/etudes/IDAN/2019/630352/EPRS_IDA(2019)630352_EN.pdf (Accessed on March 1, 2019)
10Rail Youm, An Arabic Daily , February 14, 2019 https://www.raialyoum.com/index.php/%D9%82%D8%B5%D8%A9-
%D9%82%D9%85%D8%AA%D9%8A%D9%86-%D8%A7%D9%84%D8%A3%D9%88%D9%840/oD9%89-
%D9%81%D9%8A-%D9%88%D8%A7%D8%B1%D8%B30/oD9%88-
%D9%84%D9%84%D8%AD%D8%B1%D8%A8-%D8%B6%D8%AF-%D8%A7%D9%8A%D8%B1/ (Accessed on February 21, 2019)
11Joel Gehrke, “Netanyahu Jokes Arab Leaders have Dethrones Him,” Washington Examiner, February 14, 2019 https://www.washingtonexaminer.com/policy/defense-national-security/at-pompeos-warsaw-summit- netanyahu-jokes-arab-leaders-have-dethroned-him-as-chief-iran-hawk (Accessed on February 20, 2019)
12Mohammad Manshavi, “Whatever You Want to Know About Warsaw Summit,”
13Patrick Wintour, European Powers to Present Cool Front at Warsaw Summit, The Guardian, Feb 12, 2019 https://www.theguardian.com/us-news/2019/feb/12/european-powers-take-backseat-in-us-polish-summit- on-middle-east ( Accessed on February 21, 2019)
14Khalid Abu Toameh, “After Warsaw Summit, Arab Launches Anti-Normalization Campaign,” Jerusalem Post, February 26, 2019 https://www.jpost.com/Middle-East/After-Warsaw-summit-Arabs-launch-anti- normalization-campaign-580855 (Accessed on February 20, 2019)
15Rail Youm, An Arabic Daily , Feb 14, 2019
https://www.raialyoum.com/index.php/%D8%A7%D9%84%D9%86%D8%A7%D8%AA%D9%88-
%D8%A7%D9%84%D8%B9%D8%B1%D8%A8%D9%8A-%D9%8A%D8%AD%D8%AA%D8%B6%D80/oB1-
%D9%81%D9%8A-%D8%BA%D8%B1%D9%81%D80/oA9 %D8%A7%D9%84%D8%B9%D9%86%D8%A7%D9%8A%D8%A9-%D8%A7 ( Accessed on February 24, 2019)
16 Ibid