हाल के समय में रूस तथा तुर्की के बीच बढ़ती मैत्री पश्चिमी एशिया में विकास होने के कारण एक संवेदनशील समय में प्रतिमान बनी है। ऐतिहासिक रूप से सोवियत युग के दौरान रूस-तुर्की सम्बन्ध भूराजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता, अविश्वास तथा हितों के संघर्ष से बिगड़े हुए थे। अब तक तुर्की रूस को अपने राष्ट्रीय हितों तथा सुरक्षा के लिए वास्तविक खतरा मानता रहा। शीत युद्ध के दौरान तुर्की का नाटो में सम्मिलित होना सोवियत रूस के खतरे से अपनी सीमाओं को पृथक करना ऐसा ही एक कृत्य था। दूसरी ओर रूस पश्चिमी देशों से अपने सम्बन्ध और नाटो की सदस्यता के कारण तुर्की के इरादों के प्रति आशंकित रहा जिसने अब तक इसकी विदेश नीति को प्रभावित किया। किन्तु वारसा सन्धि की समाप्ति तथा सोवियत संघ के विघटन ने रूस तथा तुर्की के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्धों को पुन: परिभाषित किया किन्तु एक पूर्ण रणनीतिक साझेदारी करने में असफल रहे।
पश्चिमी एशिया में और विशेष रूप से सीरियाई संकट तथा इस्लामिक स्टेट के उदय से वर्तमान क्षेत्रीय विकास ने रूस तथा तुर्की के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्ध की दिशा में परिवर्तन ला दिया। रूस तथा तुर्की के बीच सम्बन्धों में परिवर्तित अभिवृत्तियों के लिए चिन्हित कारक निम्नलिखित हैं:-
रूस-तुर्की मैत्री : सम्बन्धों का एक नवीन प्रतिमान
अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय पश्चिमी एशिया में रूस के बढ़ते प्रभाव पर नजर गड़ाये हुए है जिसका प्रमुख कारण उसकी सैन्य शक्ति का पुनरुत्थान होना है। सौभाग्यवश क्रेमलिन के लिए सीरिया में अत्यन्त कम व्यय पर किये गये आइसिस के विरुद्ध अभियान ने सीरिया संकट को हल करने में अमेरिका न्यून एवं अप्रभावी भूमिका के कारण रूस को गैर-क्षेत्रीय 'सम्भावित विकल्प' के रूप उभरने में सहायता की। पश्चिमी एशिया में रूस के बढ़ते प्रभाव, बढ़ती सैन्य शक्ति तथा भूमिका को आज संयुक्त राज्य के दीर्घकालीन सहयोग तथा नाटो के सदस्य तुर्की सहित अनेक देशों द्वारा इस क्षेत्र की "विशाल शक्ति" के रूप में देखा जाता है। अमेरिका की नाराजगी तथा प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी के बावजूद तुर्की ने रूस से एस-400 एंटी मिसाइल रक्षा प्रणाली प्राप्त करने के लिए खरीद की है। साथ ही तुर्की तथा रूस के बीच बढ़ती घनिष्ठता का कारण पश्चिमी एशिया में अमेरिका की एकपक्षीय गतिविधियों तथा तुर्की के हितों की रक्षा करने में उसका असफल होना हो सकता है।
अस्ताना शान्ति वार्ता में तुर्की की भागीदारी
सीरिया में व्यावहारिक राजनीतिक स्थिरता की तलाश के लिए रूसी नेतृत्व वाली अस्ताना शान्ति वार्ता में तुर्की की सक्रिय सकारात्मक भागीदारी ने एक नई क्षेत्रीय व्यवस्था अर्थात रूस-तुर्की-ईरान-सीरिया के चतुष्कोणीय सम्बन्ध को विकसित किया। जब उत्तर-पश्चिम सीरिया में इदलिब क्षेत्र में विद्रोहियों की पूर्ण समाप्ति के लिए हमला सीरिया को निकट लाया तो ईरान ने 07 सितम्बर, 2018 को सीरिया संकट के विषय में एक त्रिपक्षीय (रूस, ईरान तथा तुर्की) सम्मेलन आयोजित किया जिसमें सीरिया संकट प्रमुख विचारणीय मुद्दा था। सम्बद्ध सभी पक्ष मानवतावादी स्थिति बनाये रखने को पहली प्राथमिकता बनाने पर सहमत हो गये। सभी पक्ष इस बात पर एकमत थे कि सीरिया अपनी 'क्षेत्रीय अखण्डता तथा प्रभुसत्ता बनाये रखे; अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों (प्रमुख रूप से संयुक्त राष्ट्र के साथ) के साथ समन्वित संवैधानिक आयोग के सृजन के माध्यम से "राजनीतिक विधियों" द्वारा सशस्त्र संघर्ष को दूर किया जाये।'
सीरिया का इदलिब क्षेत्र-हितों का समामेलन
सीरिया का इदलिब क्षेत्र लगभग 60000 कट्टरपन्थियों का पोषक रहा है और सीरिया में आइसिस तथा अल-कायदा का सबसे बड़ा केन्द्र है। आईएस का गढ़ माना जाने वाला यह क्षेत्र रूस-तुर्की सम्बन्धों में चिन्ता का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनकर उभरा। विशेष रूप से इदलिब में बड़े पैमाने पर किये गये सैन्य अभियान के कारण नागरिक जीवन को खतरा उत्पन्न हुआ और व्यापक पैमाने पर शरणार्थी तुर्की पहुँचे।1 अत: इस क्षेत्र से इस्लामी कट्टरपन्थियों को खदेड़ने के लिए रणनीति बनाते समय इदलिब में सुरक्षा क्षेत्र का सतर्क नियन्त्रण दोनों देशों के लिए महत्त्वपूर्ण। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन तथा तुर्की के राष्ट्रपति रीसेप तैय्यब इरडोगन इदलिब की स्थिति पर वार्ता के लिए 17 सितम्बर, 2018 को सोची में मिले। इस वार्ता का परिणाम सफल रहा क्योंकि रूस तथा तुर्की दोनों इदलिब क्षेत्र में एक असैन्य बफर क्षेत्र बनाने पर सहमत हो गये जिसका क्रियान्वयन 15 अक्टूबर, 2018 से किया जाना है। दोनों नेता इस क्षेत्र से भारी हथियार हटाने तथा सीमाओं पर समन्वित सैन्य गश्त लगाने पर भी सहमत हुए। तथापि सीरिया के इदलिब तथा अन्य सुरक्षा क्षेत्र का भविष्य रूस की सैन्य कूटनीति और संकटपूर्ण स्थिति को हल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों सहित आतंकवाद के निरोध में तुर्की के अनुभव, जैसा कि यूफ्रेट्स शील्ड तथा ओलाइव ब्रांच अभियानों में देखा गया, पर निर्भर करता है।
आगे की राह
रूस तथा तुर्की के मध्य मैत्री रूसी लड़ाकू एयरक्राफ्ट एसयू-24 को मार गिराने जैसी घटनाओं के कारण प्रगति कठिन होने के बावजूद आज एक वास्तविकता है। यद्यपि दोनों देशों के एक साथ लाने में सीरिया संकट प्रमुख कारक रहा है किन्तु साथ ही साथ स्वयं सीरिया सहित अनेक मुद्दों पर हितों का टकराव जारी है। तुर्की सीरिया और इराक में आइसिस द्वारा उपलब्ध कराये गये काले बाजार से तेल खरीदने का अपराधी है जिससे उसने रूस सहित अनेक देशों को अपना दुश्मन बना लिया क्योंकि यह आय का प्रमुख वित्तीय स्रोत है।4 साथ ही अंकारा की सीरियाई तुर्कमेन के साथ परम्परागत एकजुटता है जो तुर्की कुल के सीरियाई हैं। नवम्बर 2015 में तुर्कमेनों के प्रभाव वाले सीरियाई गाँवों पर कथित रूसी हवाई हमले को लेकर अंकारा तथा मास्को के मध्य तनाव और अधिक बढ़ गया था।
दूसरी ओर तुर्की ने रूस को 'कुर्दिश कार्ड' का उपयोग करने का अपराधी ठहराया। तुर्की ने दावा किया कि रूस ने उसकी भूमि पर कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी-परतिया कारकेरेन कुर्दिस्ताने (पीकेके) का समर्थन किया था जबकि रूस ने दावा किया कि तुर्की ने उसके क्षेत्र में चेचेन आतंकवादियों की सक्रिय संलिप्तता को समर्थन दिया था। इस कारण रूस ने इस क्षेत्र में तुर्की हितों को चुनौती देने के लिए "प्रति आक्रमण" के रूप में "कुर्दिश समस्या" का उपयोग किया।
यद्यपि सीरिया संकट के कारण रूस-तुर्की सम्बन्धों में सुधार हुआ है किन्तु इस साझेदारी का स्थायित्व न केवल वर्तमान हितों पर बल्कि बहुत कुछ दीर्घकालिक परिदृश्य पर भी निर्भर करता है। वर्तमान सहयोग को बनाये रखने के लिए आर्थिक सम्बन्धों को साझेदारी में हितों के प्रमुख क्षेत्र में शामिल करना जारी रखना चाहिए जो कि शीत युद्ध के पश्चात के काल में रूस-तुर्की सम्बन्धों का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त रहा है। इन दोनों देशों के मध्य आर्थिक अन्तर्क्रिया को वर्तमान स्वरूप देने वाले कारक हैं : (a) तुर्की की रणनीतिक स्थिति रूस के ऊर्जा आपूर्ति बाजारों हेतु एक पारगमन मार्ग के रूप में कार्य करती है क्योंकि यह एक ऊर्जा निर्यातोन्मुखी देश है। तुर्की ने स्वयं को रूस, ट्रांसकाकेशिया, कैस्पियन सागर क्षेत्र तथा सम्भावित रूप से अरब राज्यों से लेकर यूरोप और इजराइल से ऊर्जा के कच्चे माल के अन्तर्राष्ट्रीय पारगामक सेतु के रूप में प्रस्तुत किया है, तथा (b) तुर्की रूसी ऊर्जा संसाधनों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है क्योंकि जर्मनी के बाद यह रूसी प्राकृतिक गैस खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है जो कि पूर्व के सोवियत संघ से बाहर के रूसी गैस निर्यात का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है।
निर्माणात्मक तथा अनुबन्धात्मक कार्य के साथ-साथ तुर्की कम्पनियाँ रूस में पर्यटन भी प्रारम्भ कर रही हैं। तुर्की के कृषि उत्पाद, हल्के औद्योगिक माल तथा टेक्सटाइल क्षेत्र में व्यापार भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रूस भी तुर्की का पहला नाभिकीय ऊर्जा केन्द्र तैयार कर रहा है जिसकी अनुमानित लागत 20 मिलियन डॉलर से अधिक है और इसका एक बड़ा हिस्सा मास्को द्वारा वित्तपोषित है।
विगत में रूस तथा तुर्की के मध्य तनाव रहने के बावजूद उपर्युक्त कारक आने वाले वर्षों में दोनों देशों के मध्य स्थायी साझेदारी बनाये रखने के लिए आवश्यक हैं। सीरिया की सुरक्षा तथा स्थायित्व के सम्बन्ध में एक-दूसरे के रुख में सकारात्मक परिवर्तन रूस-तुर्की सम्बन्धों के उभरते परिदृश्य में एक प्रासंगिक कारक रहा है। इसके विपरीत आज दोनों देश ऐसी नयी क्षेत्रीय व्यवस्थाएँ ढूँढते हैं जो पश्चिमी एशिया में उनके साझा हितों तथा चिन्ताओं को सुरक्षित कर सकें। सीरिया संकट तथा आइसिस समस्या से निपटने के क्रम में रूस तथा तुर्की दोनों को साथ मिलकर एक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए जो एक-दूसरे के हितों तथा चुनौतियों को समायोजित कर सके। किसी भी पक्ष अथवा इसकी गठबन्धन सेनाओं का कोई भ्रम पश्चिमी एशिया की क्षेत्रीय सुरक्षा परिवेश को गम्भीर संकट की ओर ले जायेगा।
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* लेखिका, शोधार्थी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त दृष्टिकोण शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी
1 ब्लादिमिर येवसेयेव, "इदलिब समस्या के समाधान की सम्भावना", 20 सितम्बर, 2018 http://valdaiclub.com/a/highlights/prospects-of-solving-the-idlib-problem/?sphrase_id=433695
2 आइबिड
3 “रूस और तुर्की सीरिया के इदलिब में बफर जोन बनाने के लिए सहमत", आरएफईआरआई, 17 सितम्बर, 2018. www.referl.org/putin- erdoganpto-meet-in-sochi-to-discuss-syria-s-idlib/29493691 .html
4 “रूस ने कहा कि उसके पास इस्लामिक स्टेट तेल व्यापार में तुर्की की संलिप्तता के प्रमाण हैं", र्यूटर, 02 दिसम्बर https://www.reuters.com/article/us-mideast-crisis-russia-turkey/russia-says-it-has-proof-turkey-involved-in-islamic- state-oil-trade-idUSKBN0TL19S20151202
5 “तुर्की ने तुर्कमेन गाँवों पर रूस की "भारी" बमबारी का विरोध किया",” मिडल ईस्ट आई, 20 नवम्बर, 2015, https://www.middleeasteye.net/news/turkey-protests-intense-russian-bombing-turkmen-villages-1603191925