23 सितम्बर, 2018 को मालदीव में सम्पन्न हुए राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम व्यापक भ्रष्टाचार, मानवाधिकारों के उल्लंघन तथा शक्ति के केन्द्रीकरण करने के लिए कथित रूप से उत्तरदायी पदस्थ राष्ट्रपति श्री यामीन के शासन के अन्त के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण थे। यह राष्ट्रपति का ऐसा तीसरा चुनाव था जो इस देश में 2008 में नवीन संविधान को स्वीकार करने के पश्चात एक ही वर्ष में पहली बार बहुदलीय चुनावों का मार्ग प्रशस्त करते हुए सम्पन्न हुआ था।
परिणाम
मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के उम्मीदवार श्री इब्राहिम सालेह ने राष्ट्रपति चुनाव जीता। उन्हें कुल मतों (233,308) में से 134,705 मत अर्थात 58.4 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। पदस्थ राष्ट्रपति और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के उम्मीदवार श्री अब्दुल्ला यामीने को 96,052 (41.6 प्रतिशत) मत (वोट) प्राप्त हुए। कुल 89 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। उम्मीदवारों का चुनावी अभियान द्वीपों/एटोलों के विकास, बढ़ते उग्रसुधारीकरण, विदेश नीति तथा भ्रष्टाचार के मुद्दों पर केन्द्रित था। चुनाव आयोग ने परिणामों की आधिकारिक घोषणा 30 सितम्बर, 2018 को की। 17 नवम्बर, 2018 को श्री सालेह के सरकार बनाने की आशा है।
चुनाव का परिणाम मई 2017 में स्थानीय परिषद के चुनाव में मालदीव की जनता द्वारा एमडीपी के पक्ष में लिये गये फैसले के अनुरूप ही था जिसमें एमडीपी जम्हूरी पार्टी (जेपी) तथा अदालत पार्टी (एपी) के सहयोग से पर्याप्त बहुमत से पीपीएम को हराने में सक्षम हो सकी। मालदीव सरकार के अनुसार यह चुनाव उम्मीदवारों के 945 प्रतिनिधियों, 2610 स्थानीय पर्यवेक्षकों तथा 11 एजेन्सियों के अन्तर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों और 3329 स्थानीय निगरानीकर्ताओं की उपस्थिति में हुआ।1
श्री यामीन की पराजय के कारण
इस चुनाव में श्री यामीन की पराजय में अनेक कारकों का योगदान था। इनमें राज्य संस्थाओं का केन्द्रीकृत शक्ति के रूप में क्रमबद्ध उपयोग; आतंकवाद तथा विरोधी नेताओं के विरुद्ध लगे अन्य आरोप; अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर पाबन्दी; बढ़ते उग्रपन्थ को रोकने की असफलता; व्यापक भ्रष्टाचार, गैर पारदर्शी ढंग से देश में विदेशी निवेश की अनुमति तथा राजनीतिक विमर्श में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के प्रति उदासीनता प्रमुख कारण थे।
2014 से श्री अब्दुल्ला यामीन की सरकार अपने विरोधियों के विरुद्ध हथियार के रूप में राज्य की संस्थाओं का क्रमबद्ध उपयोग करती रही। अक्टूबर 2015 के आतंकरोधी कानून का उपयोग पूर्व-राष्ट्रपति श्री नशीद, जम्हूरी पार्ट (जेपी) के नेताओं तथा अदालत पार्टी (एपी) सहित विपक्षी नेताओं के विरुद्ध किया गया।
इन स्थितियों में विपक्षी दलों ने जून 2016 में मालदीव्स यूनाइटेड अपोजीशन (एमयूओ) संगठन का निर्माण किया ताकि श्री यामीन की सरकार को पराजित किया जा सके। संवैधानिक साधनों के माध्यम से राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का विपक्षी गठजोड़ का प्रयास सफल नहीं था। मालदीव ने अक्टूबर 2016 में उस समय कॉमनवेल्थ से बाहर होने का विकल्प भी चुन लिया जब मालदीव सरकार से राजनीतिक मतभेद समाप्त करने के लिए बातचीत का प्रस्ताव रखा गया। सरकार की हठधर्मिता तथा राजनीतिक बन्दियों की मुक्ति के विषय में विरोध के कारण संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से हुई बातचीत से भी कोई ठोस परिणाम नहीं प्राप्त हुआ। 2016 के मानहानि कानून का उपयोग करते हुए पत्रकारों तथा मीडिया हाउस पर हमले जारी रहे। यामीन रशीद नामक ब्लॉगर की सरकारी नीतियों के विरुद्ध लिखने तथा इस्लामी कट्टरपन्थ के प्रति विरोधी विचार रखने के कारण नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गयी। सरकार के विरुद्ध समाचार प्रसारित करने वाले राज्जे टीवी पर सरकार द्वारा 2 मिलियन एमवीआर का जुर्माना लगा दिया गया।
सत्ता के केन्द्रीकरण के कारण विरोधियों को निर्वासित किया गया और 2018 तक अनेक विपक्षी नेताओं को निर्वासित कर दिया गया या जेल में डाल दिया गया। इस संकट को समाप्त करने के लिए मालदीव के उच्चतम न्यायालय ने 1 फरवरी, 2018 को एक व्यवस्था जिसके द्वारा मालदीव सरकार को श्री नशीद सहित राजनीतिक कैदियों को मुक्त करने का निर्देश दिया गया। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ, श्रीलंका तथा भारत ने मालदीव सरकार से उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के अनुसार राजनीतिक कैदियों को मुक्त करने के लिए कहा ताकि मुक्त और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सकें। राजनीतिक यथास्थिति को भंग करने का अवसर प्रदान करने वाली व्यवस्था को क्रियान्वित करने के स्थान पर सरकार ने 5 फरवरी, 2018 को देश में आपातकाल घोषित कर दिया और साथ ही यह व्यवस्था देने वाले उच्चतम न्यायालय के उस न्यायाधीश सहित पीपीएम के नेता तथा मालदीव के पूर्व शासक श्री गयूम को गिरफ्तार भी कर लिया।
इसी बीज अल जजीरा द्वारा "स्टीलिंग पैराडाइज" नामक डाकूमेंट्री ने धन शोधन तथा लक्जरी रिसोर्ट की पट्टेदारी से सम्बन्धित घूसखोरी में राष्ट्रपति की कथित लिप्तता को उजागर कर दिया। उत्तरी कोरियाई कम्पनी के साथ अवैध तेल व्यापार में एक स्थानीय कम्पनी के साथ राष्ट्रपति के कथित सम्बन्ध चुनावों से पहले ही उजागर हो गये।2 अलजजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने चुनावी खर्च के लिए गैर पारदर्शी ढंग से विभिन्न दाताओं से 1.5 मिलियन डॉलर धन भी लिया।3 श्री यामीन की अन्तर्राष्ट्रीय चुनौतियों के प्रति उदासीनता के कारण यूरोपीय संघ तथा अमेरिका द्वारा प्रतिबन्धों का खतरा उत्पन्न हो गया। यूरोपीय संघ प्रतिबन्ध लगाने के एक ढाँचागत समाधान जैसे सम्पत्ति की जब्ती तथा देश में मानव अधिकारों के उल्लंघन में लिप्त लक्षित व्यक्तियों की विदेशी यात्राओं पर रोक लगाने पर सहमत हो गया। अमेरिका ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार मुक्त एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में असफल रहती है तो प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं। मालदीव सरकार ने अमेरिकी वक्तव्य को "धमकी देने वाला तथा सार्वभौम राष्ट्रों की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया पर अनुचित प्रभाव डालने वाला" बताया।4
उपर्युक्त कुछ कारण चुनावों में यामीन की पराजय के लिए उत्तरदायी हैं। इस सन्दर्भ में भविष्य में इस गठबन्धन तथा भारत-मालदीव सम्बन्धों के सम्मुख कुछ चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं जिन पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है।
परिणाम और चुनौतियाँ
मालदीव के राष्ट्रपति श्री यामीन ने प्रारम्भ में एक आधिकारिक वक्तव्य में चुनाव के तात्कालिक परिणामों को स्वीकार कर लिया और श्री सालेह के राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी।5 मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति श्री नशीद ने ट्वीट किया कि "लोकतन्त्र एक ऐतिहासिक अपरिहार्यता है।"6 भारत, अमेरिका तथा यूरोपीय संघ ने चुनाव के परिणामों का स्वागत किया और नवम्बर में सत्ता के सुचारु हस्तान्तरण की आशा व्यक्त की। चीने कहा कि वह जनता द्वारा लिये गये निर्णय का आदर करता है और आशा जताई कि चीन और मालदीव के सहयोग पारस्परिक हितों के लिए जारी रहेंगे।7
यह चुनाव विपक्षी दलों द्वारा चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाने के बीच हुआ। फिर भी, परिणाम स्पष्ट संकेत देते हैं कि चुनाव आयोग ने परिणामों के पश्चात निष्पक्ष कार्य किया। ये परिणाम सकारात्मक हैं और इससे लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं तथा संस्थाओं, कानून के नियम को सशक्त करने, मालदीव में मानवाधिकारों की सुरक्षा तथा निर्वासित विपक्षी नेताओं की वापसी में सहायता मिलेगी। चुनाव परिणाम के तुरन्त बाद मालदीव के पूर्व शासक श्री गयूम के जमानत पर रिहा कर दिया गया। पूर्व उपराष्ट्रपति श्री चमील अहमद, जेपी नेता श्री घासिम इब्राहीम भी निवार्सन त्यागकर मालदीव वापस लौट आये। पूर्व राष्ट्रपति श्री नशीद 1 नवम्बर, 2018 को मालदीव वापस लौटने की योजना बना रहे हैं।
विपक्षी दलों की एकता ने चुनाव में एक सकारात्मक कारक के रूप में कार्य किया। तथापि विपक्षी गठबन्धन के सम्मुख कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका भविष्य में सामना करना पड़ेगा। पहली चुनौती संविधान संशोधन तथा 2020 तक नये संविधान के निर्माण से सम्बन्धित मामलों पर सर्वसम्मति बनाने की है। एमडीपी ने अपने घोषणापत्र में राष्ट्रपति प्रणाली के स्थान पर संसदीय व्यवस्था लागू करने का समर्थन किया था जबकि जेपी इस विचार से सहमत नहीं है। एमडीपी, जेपी, एपी तथा पीपीएम (गयूम का धड़ा) से सम्बन्धित चार नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित गठबन्धन का एक समझौता संसदीय बहुमत प्राप्त कर लेने के पश्चात गठबन्धन सरकार के 30 दिनों के भीतर संसद में अनुमोदित होना चाहिए।8
दूसरी चुनौती मालदीव में बढ़ते हुए कट्टरपन्थ से निपटने में सर्वसम्मति प्राप्त करने की है। गठबन्धन का एक घटक दल एपी एक रूढ़िवादी धार्मिक दल है और पिछले चुनावों में इसने समाज में कट्टरपन्थी तत्वों से अपील की थी और इस्लाम का कठोरता से अनुपालन करने पर बल दिया था। एमडीपी को एक उदारवादी दल माना जाता है और इसके नेता श्री नशीद अनेक अवसरों पर बढ़ते कट्टरवाद और रूढ़वादी इस्लाम के प्रसार में सऊदी अरब की भूमिका के विरोध में बोल चुके हैं। रिपोर्टों के अनुसार मालदीव सीरिया तथा इराक में सशस्त्र संघर्ष के लिए लगभग 200 विदेशी लड़ाकों सहित सर्वाधिक लड़ाके भेजता है।9
तीसरी चुनौती अगले संसदीय चुनावों तक स्वयं अपने गठबन्धन को एकजुट बनाये रखने की है। श्री यामीन जेपी की मदद से 2013 में सत्ता में आये थे जिसने एमडीपी उम्मीदवार श्री नशीद को हराने के लिए 2013 के प्रथम चरण के चुनाव के पश्चात पाला बदल लिया। वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह सम्भावना दूर की कौड़ी लगती है। राजनीतिक स्थिरता प्रदान करने के लिए विपक्ष को संसद में बहुमत प्राप्त करना होगा। किन्तु 2009 में पीपीएम ने संसद में बहुमत प्राप्त कर लिया था जिससे कार्यपालिका तथा विधायिका के कार्य में निरन्तर बाधा उत्पन्न होती रही और 2012 में राष्ट्रपति नशीद को त्यागपत्र देना पड़ा।
भारत-मालदीव सम्बन्ध
जहाँ तक भारत-मालदीव सम्बन्ध की बात है तो भारत के प्रधानमन्त्री ने निर्वाचित राष्ट्रपति श्री इब्राहीम सालेह को फोन किया और उन्हें बधाई दी। भारत ने कहा कि "यह चुनाव मालदीव में लोकतान्त्रिक ताकतों की जीत है।"10
मालदीव में राजनीतिक संकट के प्रत्युत्तर में भारत के प्रधानमन्त्री ने 2015 में अपनी मालदीव यात्रा निरस्त कर दी और फरवरी 2018 से भारत ने मालदीव पर छ: प्रेस वक्तव्य जारी किये। इसने मालदीव की सरकार से उच्चतम न्यालाय की 1 फरवरी को दी गयी व्यवस्था के आधार पर आपातकाल हटाने तथा सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की माँग की।11 राजनीतिक परिदृश्य में भारत की स्थिति के कारण द्विपक्षीय सम्बन्धों पर दबाव बढ़ा। भारत द्वारा उपहार स्वरूप दिये गये दो सैन्य हेलीकॉप्टरों के अनुबन्ध को नवीकृत करने से इन्कार करने तथा 2018 में मिलान में सैनिक अभ्यास न करने का उदाहरण इसका प्रमाण है।
इस घरेलू राजनीतिक संकट के अतिरिक्त श्री यामीन की सरकार चीन पर अधिक निर्भर होती जा रही है जो कि इस द्वीप राष्ट्र की विभिन्न विकास परियोजनाओं का वित्त पोषण कर रहा है और बढ़ता हुआ ऋण भी भारत की चिन्ता का विषय है। चीन तथा सऊदी अरब ने राजनीतिक स्थितियों से स्वयं को अलग कर लिया और मालदीव में अपने आर्थिक तथा अपने रक्षा हितों को संगठित किया। मालदीव ने चीन के बेल्ट एण्ड रोड को अपना समर्थन दिया तथा 2017 में मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) स्वीकार किया। एफटीए से चीनी कम्पनियाँ पर्यटन के क्षेत्र में निवेश कर सकेंगी। चीन मालदीव में वृहत अवसंरचनात्मक परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रहा है जिसमें हाल ही में प्रारम्भ किया गया चीन-मालदीव मैत्री सेतु (200 मिलियन डॉलर) तथा अन्तर्राष्ट्रीय विमानपत्तन का विस्तार (अनुमानित लागत 803 मिलियन डॉलर) शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मालदीव सरकार ने पर्यटन विकास के उद्देश्य से चीन को लगभग 16 द्वीप पट्टे पर दिये हैं।12 चीन के पश्चात सऊदी अरब विमानपत्तन के विकास तथा आवासीय विकास सहित विभिन्न परियोजनाओं के लिए दूसरा सबसे बड़ा ऋणदाता है। मालदीव में आपातकाल के दौरान सऊदी अरब ने 160 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की थी। बड़ी अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ ऋण लेने वाली हैं और मालदीव के मौद्रिक प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार केवल 2017 में ही मालदीव का बकाया ऋण 1,188.2 मिलियन डॉलर था।13 श्री नशीद के अनुसार मालदीव के कुल ऋण में 70 प्रतिशत ऋण की भागीदारी केवल चीन की है।14
नई सरकार के नेतृत्व में मालदीव के विदेशी सम्बन्धों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होने वाला है। गठबन्धन सरकार कुछ परियोजनाओं तथा कानूनों की समीक्षा कर सकती है जिससे देश में विदेशी निवेश सम्भव हुआ है किन्तु चालू परियोजनाओं को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। नई सरकार कतर तथा ईरान से सन्तुलनकारी अभ्यास के रूप में सन्तुलन बनाने की दिशा में कदम उठा सकती है।15
भारत-मालदीव के आर्थिक सम्बन्ध मालदीव के चीन, यूरोपीय संघ तथा सऊदी अरब से सम्बन्धों की अपेक्षा सीमित हैं। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन तथा मत्स्य व्यवसाय पर अधिक निर्भर है। 2012 से 2016 के बीच पर्यटन क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 22 प्रतिशत से अधिक रहा। यदि मालदीव के पर्यटन मन्त्रालय द्वारा उपलब्ध आंकड़ों को देखें तो 2016 में कुल पर्यटकों के आगमन (1,286,135) में सबसे अधिक चीन (324,326), जर्मनी (106,381), इंग्लैण्ड (101,843), इटली (71,202) तथा भारत (66,955) का योगदान रहा।16
2017 में मालदीव का कुल आयात 2360.4 मिलियन डॉलर का था और मालदीव से आयात करने वाला सबसे बड़ा आयातक यूएई (434.4 मिलियन) तथा इसके पश्चात सिंगापुर (318.3 मिलियन), भारत (287.6 मिलियन), चीन (280.6 मिलियन) हैं।17
2017 में मालदीव का कुल निर्यात 199.4 मिलियन डॉलर था। थाईलैण्ड सबसे निर्यातक साझेदार (97.0 मिलियन डॉलर), इसके पश्चात जर्मनी (14.3 मिलियन डॉलर), अमेरिका (13.9 मिलियन डॉलर), फ्रांस (13.9 मिलियन डॉलर) आते हैं।18
मालदीव में सत्ता परिवर्तन से भारत को रचनात्मक ढंग से इस द्वीप राष्ट्र से सम्बन्ध स्थापित करने का अवसर मिल सकता है। भारत के लिए इस द्वीप राष्ट्र की हिन्द महासागर में इसकी रणनीतिक स्थिति के कारण यहाँ की राजनीतिक स्थिरता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। आवश्यक वस्तुओं के निर्यात के अतिरिक्त मालदीव के क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण और विकास में सहायता और विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं को नियन्त्रित करने में सहायता देना है। भारती कि चिन्ताएँ मुख्य रूप से हिन्द महासागर की सुरक्षा में निहित है। भारत, श्रीलंका तथा मालदीव के बीच एक मैरीटाइम त्रिपक्षीय सहयोग समझौता होने वाला है और भारत मालदीव के ईईजेड को सुरक्षा सहायता (सर्विलान्स) उपलब्ध करायेगा। भारत की पड़ोसी प्रथम नीति पड़ोसी देश मालदीव के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है। अत: यह देखना शेष है कि मालदीव की यह नई सरकार अपने क्षेत्र से बाहर की शक्तियों के साथ सम्बन्ध बनाते हुए भारत के साथ अपने सम्बन्धों को किस प्रकार सन्तुलित करेगी।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग द्वारा परिणामों की आधिकारिक घोषणा के पश्चात श्री यामीन ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता तथा नवम्बर 2018 में सत्ता हस्तान्तरण में विलम्ब के लिए योजना पर प्रश्न खड़े किये हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर धोखाधड़ी, वोटों की हेराफेरी, कदाचार तथा भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उसके द्वारा घोषित चुनाव परिणामों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए मुकदमा दर्ज कराया। किन्तु वह अपने प्रयास में सफल नहीं है क्योंकि श्री सालेह को भारी बहुमत मिला था और पीपीएम में यामीन के समर्थन का आधार कम हो गया था।
मालदीव में राष्ट्रपति के चुनावों से मालदीव में राजनीतिक संकट दूर करने में विपक्षी दलों, सिविल सोसाइटी समूहों तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को आशा की एक किरण दिखाई दी। इसके परिणाम से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने पारदर्शी ढंग से चुनाव सम्पन्न कराये। मालदीव की जनता के लिए नागरिक तथा राजनीतिक अधिकारों की रक्षा के सन्दर्भ में यह एक स्वागत योग्य परिवर्तन था। किन्तु इस देश की स्थिरता विपक्षी ताकतों की एकता पर निर्भर करेगी। इस प्रसंग में भारत और मालदीव किस प्रकार अपने सम्बन्धों को सुधारेंगे इस पर ही क्षेत्रीय सहयोग तथा सुरक्षा निर्धारित होगी।
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* लेखिका, शोधार्थी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त दृष्टिकोण शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी
1 विदेश मन्त्रालय मालदीव सरकार, “राष्ट्रपति चुनाव में तात्कालिक परिणामों की घोषणा”, 24 सितम्बर 2018,http://foreign.gov.mv/index.php/en/mediacentre/news/4629-provisional-results-announced-in-presidential-elections.26 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
2फतमथ शाहुआंज, “अवैध तेल व्यापार में राष्ट्रपति की लिप्तता के एमडीपी के आरोपों को पुलिस ने नकारा”, 5 सितम्बर 2018, https://edition.mv/news/7062. 17 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
3रशीद जहेना, “मालदीव के राष्ट्रपति को मतदान से पूर्व 5 मिलियन डॉलर नकद मिले”, 2 अक्टूबर 2018, https://www.aljazeera.com/news/2018/09/maldives-president-received-15m-hard-cash-vote-180930083126271.html. 5 अक्टूबर 5, 2018 को एक्सेस किया गया।
4विदेश मन्त्रालय, मालदीव सरकार, “6 सितम्बर, 2018 को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा जारी वक्तव्य के उत्तर में मालदीव सरकार का जवाब”, 7 सितम्बर, 2018, http://foreign.gov.mv/index.php/en/mediacentre/statements. 10 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
5द प्रेसीडेंसी, मालदीव गणराज्य, “राष्ट्रपति यासीन ने 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार की”, 24 सितम्बर 2018, https://presidency.gov.mv/presidentNews/news/10227. 25 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
6https://twitter.com/MohamedNasheed/status/1043951153816301568
7चीन गणराज्य के विदेश मामले मन्त्रालय, “विदेश मन्त्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग की 25 सितम्बर को नियमित प्रेस कांफ्रेंस, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/xwfw_665399/s2510_665401/t1598615.shtml.
8“एमडीपी ने मालदीव के मत्स्य ग्रहण से विदेशी नावों पर प्रतिबन्ध लगाया”, 2 जुलाई 2018, https://maldivesindependent.com/politics/mdp - pledges-to-ban-foreign-vessels-from-maldives-fishing-139103. 17 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
9‘वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2017’, आर्थिक एवं शान्ति संस्थान, http://visionofhumanity.org/app/uploads/2017/11/Global- Terrorism-Index-2017.pdf. 16 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
10भारत सरकार, विदेश मामले मन्त्रालय, “मालदेव में राष्ट्रपति चुनाव की प्रेस सूचना”, 24 सितम्बर 2018, https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/30424/Press_Release_on_Presidential_Elections_in_Maldives. 26 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
11भारत सरकार, विदेश मामले मन्त्राल, “मालदीव के उच्चतम न्यायालय के आदेश के उपरान्त मालदीव की बदलती स्थिति पर भारत की प्रतिक्रिया की प्रेस सूचना”, 2 फरवरी 2018, https://www.mea.gov.in/press-htm?dtl/29409/Press_Release_on_Indias_over_evolving_situation_in_Maldives_after_order_of_the_Supreme_Court_of_Maldives. 26 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
12“चीन ने मालदीव में 16 से 17 द्वीप हथिया लिए, नशीद ने बताया”, 22 जनवरी, 2018, https://newsin.asia/china-grabbed-16-17- islands-maldives-says-nasheed/. 10 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
13मालदीव का अल्पसंख्यक प्राधिकरण, मासिक आंकड़े, http://www.mma.gov.mv/#/statistics/monthlyStatistics#externalSector
14सचिन पराशर, “चीन के एफटीए ने मालदीव की प्रभुसत्ता को नीचा किया, इस क्षेत्र के लिए खतरा : पूर्व राष्ट्रपति नशीद”, https://timesofindia.indiatimes.com/world/south-asia/china-fta-undermines-maldives-sovereignty-bad-for-region-former-prez- nasheed/articleshow/61906756.cms
15मोहम्मद रेहान, “विपक्ष ने मालदीव-चीन सम्बन्ध को यथावत समर्थन का आश्वासन दिया”, 12 अगस्त 2018, https://avas.mv/en/52769. 13 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया।
16पर्यटन मन्त्रालय, मालदीव गणराज्य, “टूरिज्म ईयर बुक 2017”, http://www.tourism.gov.mv/pubs/Tourism_Yearbook_2017.pdf.
17मालदीव का अल्पसंख्यक प्राधिकरण, http://www.mma.gov.mv/#/statistics/monthlyStatistics#externalSector
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