स्वीडेन के उत्तरी स्टॉकहोम के कैसल ऑफ रिम्बो में यह एक विलक्षण दृश्य था जब विद्रोही हाउती के प्रमुख मुहम्मद अब्देलसलाम तथा अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त यमन सरकार के विदेश मन्त्री ने 13 दिसम्बर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एन्तोनियो गुतेरस की उपस्थिति में हाथ मिलाया। यह कार्यक्रम लगभग दो वर्षों के अथक प्रयासों के पश्चात दो धुर विरोधी गुटों के बीच कठोर श्रम से फलस्वरूप शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित था। यह सफलता बातचीत के लिए दो विरोधियों को सहमत करने तथा आठ वर्ष पुराने गृह युद्ध को समाप्त करने के अनेक असफल प्रयासों के पश्चात प्राप्त हुई। मई, 2015 में जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में की गयी पहल, दिसम्बर, 2015 में बिएल में तथा 2016 में कुवैत की पहल सहित विगत में की गयी समझौता योजनाओं में से जिसमें 108 दिन का समय लगा था, कोई भी योजना कारगर नहीं साबित हुई। अन्तिम प्रयास सितम्बर, 2018 में किया गया जिसमें बात शुरू भी नहीं पायी थी क्योंकि हाउती प्रतिनिधिमण्डल ने अपने प्रतिनिधियों हेतु सुरक्षा आश्वासन न मिलने की स्थिति में बातचीत करने से इन्कार कर दिया था।
सऊदी के प्रयासों की असफलता तथा नवीन शान्ति समझौता
यह सत्य है कि परम्परागत रूप से बहुस्तरीय खण्डों के रूप में मान्यताप्राप्त यमन तथा देश की भावी राजनीति के अनेक हितधारकों की संलिप्तता ने देश में शान्ति स्थापित करने के प्रयास को कठिन बना दिया। वास्तव में यमन के पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह ने एक बार कहा था "यमन पर शासन करना साँप के सिर पर नृत्य करने जैसा है।"
ईरानी गुट के हाउतियों के विरुद्ध 2015 में सऊदी के नेतृत्व वाले गुट द्वारा हवाई हमले द्वारा अरब के उपद्रव ने यमन का विनाश करना जारी रखा। यमन में कुल तेईस प्रशासनिक क्षेत्रों में से लगभग 10 क्षेत्रों पर हाउती नियन्त्रण था। सऊदी अरब के लिए यमन केवल इसके रणनीतिक और भौगोलिक परिकल्पना क्षेत्र का अंग ही नहीं है बल्कि वह इसे अपनी आन्तरिक सुरक्षा के लिए निजी रक्षा दीवार मानता है। सऊदी अरब तथा यमन के मध्य समकालीन सम्बन्ध की प्रकृति इसके संस्थापक किंग अब्दुल अजीज की प्रसिद्ध घोषणा से जन्म लेती है जिन्होंने 1953 में कहा था कि "हमारे लिए जो कुछ भी अच्छा या बुरा होगा वह यमन द्वारा होगा और हमारी शक्तियाँ यमन की शक्ति क्षीणता में और हमारी क्षीणता यमन की शक्ति में निहित है!" इसी स्वर में उन्होंने एक अपने पुत्रों को सलाह दी थी कि "यमन को कमजोर करो।"3
हाउतियों द्वारा सना की राजधानी को अपने कब्जे में लेने और सामान्य रूप से देश की सुरक्षा के लिए और विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों हेतु विशाल खतरे के के रूप में उभरने के पश्चात उपर्युक्त की बाध्यता तथा सऊदी अरब की आन्तरिक सुरक्षा के लिए एक स्थायी तथा शान्तिपूर्ण यमन के औचित्य के कारण भी इसने अपने घनिष्ठ सहयोगियों की सहायता से 2015 के प्रारम्भ में सैन्य अभियान छेड़ दिया। चार वर्षों के युद्ध तथा संघर्ष में हाउतियों ने सऊदी अरब के क्षेत्रों को निशाना बनाते हुए अनेक मिसाइल आक्रमण किये। यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले अभियान तथा सऊदी अरब के रक्षा मन्त्रालय के पूर्व प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद हसन मोहम्मद असीरी ने बताया कि सऊदी नेतृत्व वाले अभियान प्रारम्भ होने से लेकर अब तक हाउती विद्रोहियों ने 48 बैलिस्टिक मिसाइलों से सऊदी अरब पर हमला किया और सऊदी क्षेत्र अथवा इसकी सेना पर कुल 138 मिसाइल हमले किये गये। मार्च 2018 में हाउतियों ने खमीज मुशैत कस्बे में मिलिटरी डिपो के अतिरिक्त राजधानी रियाद तथा नजरान और जिजान के सऊदी-यमन सीमावर्ती क्षेत्रों को लक्ष्य करके सात बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।5
सऊदी नेतृत्व वाले गठबन्धन के चार वर्ष पुराने सैन्य अभियान में भारी संख्या में नागरिकों तथा बच्चों सहित लगभग 10,000 यमनी लोगों की मृत्यु हुई जबकि गैर-सरकारी संगठनों का दावा है कि यह संख्या इससे छ: गुनी अधिक हो सकती है।6 उदाहरण के लिए कंफ्लिक्ट लोकेशन एण्ड इवेन्ट डाटा नामक एजेन्सी द्वारा उपलब्ध करायी गति तिथि के अनुसार यदि 2017 में हताहतों की तुलना की जाये तो केवल 2018 में 28,182 मौतों के साथ इसमें 68% की वृद्धि हुई है। इसी एजेन्सी के अनुसार जनवरी 2016 से अब तक 60,233 लोग मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के उप राहत आपात समन्वयक मार्क लोकॉक ने नवम्बर 2018 में चेतावनी दी कि देश एक भयानक त्रासदी की कगार पर बैठा है। यमन के विभिन्न राजनीतिक समूहों तथा जनजातीय सिपहसालारों के मध्य जारी संघर्ष ने बड़े पैमाने पर संक्रामक रोगों को जन्म दिया है और आज लगभग 16 मिलियन लोग भारी खाद्य संकट से जूझ रहे हैं और अनेक आन्तरिक तथा बाह्य विस्थापनों से त्रस्त हैं।
राजधानी नगर सना तथा तैज पर कब्जा करने के पश्चात यमन में हाउतियों के पक्ष में सैन्य समीकरण परिवर्तित होने का वास्तविक कारण लाखों यमनियों की जीवन-रेखा कहे जाने वाले होदीदा के पश्चिमी पत्तन पर नियन्त्रण कर लेना था। लाल सागर पर स्थित होदीदा पत्तन यमन के उत्तरी भाग में आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है जहाँ भारी संख्या में लोग भोजन की कमी से त्रस्त हैं।
हाउतियों द्वारा होदीदी कस्बे पर कब्जे ने न केवल खाद्य आपूर्ति बाधित की बल्कि वहाँ अनेक लोगों को बन्धक भी बना लिया गया और इनका उपयोग सैन्य आक्रमण के विरुद्ध ढाल के रूप में किया गया।9
इस पत्तन नगर में वर्ष 2018 में अष्टमुखी हिंसा हुई। जून 2018 में संयुक्त अरब अमीरात तथा सऊदी अरब ने इस पत्तन पर कब्जा करने के लिए भीषण हवाई हमले किये क्योंकि उनका विश्वास था कि यह नगर उनके प्रतिद्वन्द्वी ईरान द्वारा हाउतियों को हथियारों की आपूर्ति करने का प्रवेश मार्ग है। सऊदी नेतृत्व वाली सेनाओं तथा हाउती विद्रोहियों के मध्य यह चार वर्षीय दीर्घकालिक युद्ध सतही तौर पर यथास्थिति को परिवर्तित करने में असफल रहा क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय मान्यताप्राप्त सरकार के राष्ट्रपति हादी अब भी निष्कासन में है और यमन राज्य के रूप में एक असफल संस्था बन गया।
होदीदा में बढ़ती हुई हिंसा, मानवीय स्थिति के लिए बनते हुए खतरे तथा इसके साथ संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य मानववादी संगठनों के दबाव ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए राजी कर लिया। 6 दिसम्बर, 2018 को विश्वास निर्माण तथा वर्षों की संवादहीनता को दूर करने के उद्देश्य से एक अप्रत्यक्ष परामर्श के माध्यम से एक सप्ताह की मशक्कत के बाद स्टॉकहोम समझौता प्रारम्भ हुआ। इस बार यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि मार्टि ग्रिफिथ किसी पक्ष द्वारा बहिष्कार किये जाने या अन्तिम क्षण में उपेक्षित किये जाने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थे, अत: उन्होंने स्टॉकहोम पहुँचने के लिए सना में कुवैत के राजदूत के साथ एक ही विमान में यात्रा की जिसका स्वागत हाउती प्रतिनिधिमण्डल ने किया।
बातचीत का प्रमुख मुद्दा होदीदा पत्तन के आसपास विसैन्यीकरण, देश में संघर्ष कम करना, स्थायी रूप से गोलाबारी बन्द करना तथा दोनों पक्षों के कैदियों की अदला-बदली करना था। हादी सरकार के प्रतिनिधि ने होदीदा तथा आसपास के अन्य पत्तनों से हाउतियों की तुरन्त वापसी तथा उन्हें वैध सत्ता को सौंपने की माँग की। होदीदा में गोलाबारी तुरन्त बन्द करने का समझौता किया गया और समझौते के अनुसार सभी युद्धरत पक्ष सीजफायर के इक्कीस दिनों के भीतर पत्तन खाली कर देंगे और इसे स्थानीय प्राधिकरण के सुपुर्द कर देंगे। 12 मिलियन अर्थात यमन की कुल आबादी के आधे लोगों को खाद्य आपूर्ति सुचारु करने के लिए पत्तन पर सामान्य यातायात पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। यमन में सऊदी के राजदूत ने कहा कि यह समझौता एक परिकल्पित अभ्यास के रूप में माना जायेगा जब तक कि हाउति होदीदा पत्तन और तैज शहर नहीं छोड़ देते हैं। यही बात स्टॉकहोम में दीर्घकालिक बातचीत के उपरान्त यमन के विदेश मन्त्री खालेदल-येमेनी द्वारा दुहराई गयी।
अगले तीस दिनों के भीतर महिलाओं, बच्चों तथा अध्यापकों, राष्ट्रपति के कुछ उच्चस्तरीय मन्त्रियों और सम्बन्धियों जिन्हें हाल ही में हाउती विद्रोहियों द्वारा बन्धक बना लिया गया था, सहित दोनों पक्षों के कुल 16000 कैदियों की अदला-बदली करने के लिए एक समझौता किया गया।
वर्तमान में हाउती नियन्त्रण वाले सना हवाई अड्डे को पुन: चालू करने के मुद्दे की कोई रूपरेखा नहीं तैयार की जा सकी। राजधानी नगर सना के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले तैज कस्बे में तनाव कम करने के लिए एक समझौता किया गया। हाउती नियन्त्रण वाले क्षेत्रों में लगभग 1.2 मिलियन सरकारी कर्मचारियों को वेतन देना एक अन्य विवादास्पद मुद्दा था। यह समझौता किया गया कि यमन में सऊदी नेतृत्व वाले अभियान को कम किया जायेगा और हाउती लोग सऊदी अरब के क्षेत्रों पर मिसाइल से आक्रमण नहीं करेंगे। अन्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सहमति से होदीदा पत्तन तथा आसपास के क्षेत्रों के निकट सीजफायर के क्रियान्वयन की प्रगति की निगरानी के लिए 75 सदस्यीय पर्यवेक्षक समूह की नियुक्ति की गयी।
अब यह शान्ति क्यों:
शान्ति समझौते की स्पष्ट सफलता का श्रेय कब्जा किये गये सना नगर को हाउती नियन्त्रण से मुक्त कराने के लिए सऊदी नेतृत्व वाले अभियान की असफलता तथा यह अनुभव करना कि यमन के राजनीतिक क्षेत्र से हाउतियों को नहीं निकाला जा सकता है, को दिया जा सकता है। सामान्य रूप से सीरिया में और विशेष रूप से अपने क्षीण या समाप्त प्रभाव वाले क्षेत्र में क्षेत्रीय विकास के परिणामस्वरूप सऊदी अरब के रणनीतिक तथा राजनीतिक स्थिति में एक स्पष्ट परिवर्तन हुआ है। अनेक वर्षों में सऊदी अरब ने तुर्की तथा ईरान के लिए पृष्ठभूमि तैयार की है जो क्षेत्रीय राजनीति के विकास की रूपरेखा निर्धारित कर रहे हैं।
चार वर्षों का दीर्घकालीन युद्ध कोई वांछित परिणाम देने में असफल रहा और यह सऊदी अरब तथा इसके घनिष्ठ मित्र यूएई दोनों के लिए राजनीतिक, सैन्य तथा वित्तीय रूप से हानिकारक रहा। सैनिक मोर्चे पर यूएई के अवसाद का बढ़ना समझ में आता है और यह सम्भवत: यमन युद्ध तथा यमन राजनीति के बदलते परिदृश्य के आलेक में यूएई तथा सऊदी अरब के मध्य एक उभरता मनमुटाव था जिसके कारण सऊदी समर्थित सरकार समझौता करने के लिए तत्पर हो गयी।
सऊदी अरब तथा यमन के व्यवहार में परिवर्तन को वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार तथा अमेरिका निवासी और सऊदी शासन के कटु आलोचक जमाल खशोगी की अक्टूबर 2018 में की गयी हत्या से भी जोड़ा जा सकता है। उनकी हत्या में सऊदी शासक के परिवार की संलिप्तता के तीखे अभियोग लगे और इसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर काफी हंगामा हुआ। पश्चिमी शक्तियों ने इस्ताम्बुल स्थित सऊदी दूतावास के परिसर में खशोगी की नृशंस हत्या पर अपना क्रोध व्यक्त किया और निष्कासन पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए यमन में युद्ध के लिए दिये जा रहे अपने समर्थन को वापस ले लिया। अमेरिकी सीनेट ने खशोगी की हत्या के पश्चात यमन में अमेरिकी समर्थन को वापस लिये जाने के पक्ष में मतदान किया।
इसके बाद, सऊदी नेतृत्व वाली सेनाओं के अत्याचार से अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए हाउतियों द्वारा खशोगी की हत्या को प्रचारित किया गया। एक हाउती नेता ने ट्वीट किया कि हाउतियों के विरुद्ध सऊदी शासन की बर्बरता तथा क्रूरता खशोगी के साथ की गयी बर्बरता के समान है। इस प्रकार केवल यमन के युद्ध ने ही नहीं बल्कि खशोगी की हत्या ने भी अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को नाराज किया जिससे सऊदी अरब पर यमन में युद्ध समाप्त करके क्षेत्रीय तथा वैश्विक शक्तियों के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारने के लिए अतिरिक्त दबाव पड़ा। खशोगी की हत्या के कारण बढ़ती कटुता तथा सामान्य रूप से प्रशासन और विशेष रूप से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सुलेमान के विरुद्ध मीडिया युद्ध ने कुछ पश्चिमी देशों द्वारा कठोर सजा देने के खतरे को रोकने के लिए सऊदी अरब को शान्ति प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए बाध्य किया। शायद क्राउन प्रिंस को आभास हो गया कि यमन का दीर्घगामी युद्ध राज्य पर शासन करने की उसकी क्षमता को क्षति पहुँचायेगा जबकि उनके ऊपर पहले से ही अत्यधिक दबाव है और उन्हें देश में अपने व्यापक तथा हठधर्मी नीतियों की अनेक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
भारत तथा यमन संकट :
भारत ऊर्जा आवश्यकताओं, उभरती साम्प्रदायिक राजनीति तथा क्षेत्र में बढ़ते आतकंवाद के भय के कारण यमन संकट से चिन्तित है। भारत तेल आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा पसन्द नहीं करेगा क्योंकि इस क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा की इसकी व्यापक चिन्ताएँ हैं। इस क्षेत्र में दीर्घकालीन संघर्ष और विशेष रूप से खाड़ी देशों में तेल परिवहन को बाधित करने वाली क्षेत्रीय शक्तियों की लगातार धमकी के कारण तेल का आयात बाधित होने की सम्भावना है। पुन: यमन संघर्ष (शिया-सुन्नी संघर्ष) की साम्प्रदायिक प्रकृति भारत में जटिलता उत्पन्न कर सकती है क्योंकि भारत में भारी संख्या में मुस्लिम नागरिक हैं।
भारत ने अति-क्षेत्रीय संघर्षों से स्वयं को दूर रखा है। तथापि भारत यमन संघर्ष से हमेशा दूरी नहीं बनाये रख सकता है क्योंकि सऊदी अरब में भारी संख्या में भारतीय कार्यरत हैं। भारत ने अपने राहत अभियान के तहत 2015 में यमन में फँसे हुए 5000 भारतीय नागरिकों तथा विदेशियों को सकुशल निकाला था। यमन अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण महत्त्वपूर्ण है और यमन में स्थिर सरकार भारत, क्षेत्रीय स्थिरता तथा लाल सागर में समुद्री डकैती के विरुद्ध अपने संघर्ष के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
निष्कर्ष :
यमन में संकट की जटिलता तथा विभिन्न दावेदारों की संलिप्तता के कारण इस समझौते के परिणाम की भविष्यवाणी करना कठिन है किन्तु हाउतियों तथा राष्ट्रपति हादी की सरकार द्वारा एक-दूसरे को वैधानिक मान्यता देना इसकी एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि रही है और इसी प्रकार चिन्ता के ऐसे प्रमुख क्षेत्रों को चिन्हित किये जाने की आवश्यकता है जिस पर दोनों पक्ष ध्यान केन्द्रित कर सकें। पूर्ण शान्ति हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है क्योंकि अब भी सीजफायर उल्लंघन की अनेक सूचनाएँ मिल रही हैं। समझौते में स्वयं ऐसे अन्य मुद्दे हैं जिन्हें क्रियान्वित करना कठिन हो सकता है जैसे सीजफायर की निगरानी के लिए होदीदा में अन्तर्राष्ट्रीय सैन्य शक्ति की नियुक्ति जिसका विरोध हादी सरकार द्वारा पहले ही किया जा चुका है। जनवरी 2019 में अपने रक्षक दल पर हमले के पश्चात संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षण समूह के प्रमुख पैट्रिक कैमर्ट का इस्तीफा भी परिणामी कठिनाइयों का संकेत है। यमन का दौरा करने के पश्चात संयुक्त राष्ट्र रक्षक दल ने जमीनी कठिनाइयों के कारण होदीदा सीजफायर तथा कैदियों की अदला-बदली के क्रियान्वयन हेतु समय बढ़ाये जाने की ओर संकेत किया है। अगले चरण की बातचीत के लिए तिथि निर्धारित की जानी है यद्यपि यह तिथि पहले जनवरी, 2019 में निर्धारित थी।
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* लेखक, रिसर्च फैलो, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त किये गये दृष्टिकोण अनुसन्धानकर्ता के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी
1 विक्टोरिया क्लार्क। "डांसिंग ऑन द हेड ऑफ द स्नेक" (न्यू हैवन : येल यूनिवर्सिटी प्रेस, 2010) पृ.सं. 18
2 सिन्थिया स्कॉच। यमन एण्ड द वर्ड : बियॉन्ड इनसिक्योरिटी (लंदन : हर्स्ट एण्ड कम्पनी, 2018) पृ. 53
3 स्टिंग स्टेंस्ली। " नॉट टू स्ट्रांग, नॉट टू वीक : सऊदी अरेबियाज पॉलिसी टुवर्ड्स यमन"। नार्वेयन पीस बिल्डिंग रिसोर्स सेंटर। https://www.files.ethz.ch/isnh.62439/87736bc4da8boe482f9492e6e8baacaf.pdf (जनवरी, 11, 2019)
4 रस रीड, सऊदी अरेबिया वार्न्स ईरान इज ट्राइंग टु टर्न यमन इनटू अ मिसाइल बेस, डेली कालर, (अप्रैल 17, 2017). http://dailycaller.com/2m/o4/17/saudi-arabia-warns-iran-is-trying-to-turn-yemen-intoa-missile-base/ से साभार (अगस्त 25, 2019)
5 रेल-यून, एन अरेबिक डेली, https://www.raialyoum.com/index.php/%D9%85%D8V0A7- %D9%87%D9%8A-%D8%A7%D9%84%D8%Bi.%D8%B3%D8cY0A7%D9%84%D8cY0A9-
%D8cY0A7%D9%84%D8cY0AC%D8cY0AF%D9%8A%D8%AF%D8cY0A9-%D8cY0A7%D9%84%D8cY0AA%D9%8A%D8cY0A3%D8%Bi.%D8cY0A7%D8cY0AF-%D8cY0A7%D9%84%D8cY0AD%D9%88%D8cY0AB/ (सितम्बर 26, 2018)
6 रेल यून, अरबी दैनिक https://www.raialyoum.com/index.php/%D8%A7V0D9%84%D9%8A%D9%85%D9%86-
%D8%13A%D8%131%D9%8A%D9%81Y0D9%8A%D8V0A13-%D9%8A%D8%135%D9%84- %D8%135%D9%86%D8%139%D8cY0A7%D8cY0A1.-%D8%A8%D8%139%D8%AF%D8cY0A3%D9%8A%D8cY0A7%D9%85-%D9%85%D9%86-%D8%132%D9%8A%D8%A7/ (जनवरी 15, 2019)
7 अलजजीरा, अंग्रेजी दैनिक https://www.aljazeera.cominews/2018/12/november-yemen-deadliest-monthyears-acled-report-1812m04015986.html (फरवरी 1, 2019)
8 हैथन नूरी, यमन : स्टैबिलिटी इम्पॉसिबल, अल-अहराम, अंग्रेजी साप्ताहिक, http://weekly.ahram.org.eg/News/26123.aspx (दिसम्बर 20, 2018)
9 हाउतीज आर यूजिंग सिविलियन्स एज ह्यूमन शील्ड, यमन के विदेश मन्त्री का वक्तव्य, अरब न्यूज, नवम्बर, 28 2018 http://www.arabnews.com/node/412416/middle-east (नवम्बर 30, 2018)
10 अल-अय्याम, अरबी दैनिक https://www.alayyam.info/news/7MW4313C-GoW3T9 (दिसम्बर 18, 2018)
11 यमन पीस टाक, इंडिपेंडेंट https://www.independent.co.uk/news/world/middle-east/yemen-peacetalks-ceasefire-hodeidah-sweden-antonio-guterres-civil-war-famine-a8681541.html (दिसम्बर 13, 2018)
12 अल-अय्याम, अरबी दैनिक, फोर वेज हाउतीज एक्सप्लॉयटेड खशोगीज किलिंग https://www.alayyam.info/news/7MXMMOHi-H8DXKB (जनवरी 11, 2019)