22 वर्ष पुराना कैस्पियन सागर का विवाद अगस्त 2018 को उस समय सुलझता हुआ प्रतीत हुआ जब कैस्पियन सागर से लगे पाँच देशों के नेता अर्थात अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहमेदोव ने पश्चिमी कजाकिस्तान के अकताऊ पत्तन नगर में इस सागर की वैधानिक स्थिति के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन देशों के बीच यह विवाद मध्य एशिया के स्टेपीज तथ काकेशस पर्वत में फैले संसाधन समृद्ध जल निकाय की प्रकृति को लेकर था। कैस्पियन सागर तटीय देशों के शीर्ष प्रमुखों का यह पाँचवा सम्मेलन था। इससे पूर्व के सम्मेलन 2002 में अशगाबत, 2007 में तेहरान, 2010 में बाकू तथा 2014 में अस्तरखान में आयोजित हुए थे। संगठित अपराधों के विरुद्ध सहयोग सहित व्यापार तथा अर्थव्यवस्था, परिवहन, कैस्पियन सागर में घटित घटनाओं पर रोक तथा सीमावर्ती एजेन्सियों के सहयोग तथा बातचीत पर प्रोटोकॉल जैसे अन्य दस्तावेजों पर भी अकताऊ में हस्ताक्षर किये गये। पूर्व में केवल ईरान और सोवियत संघ ने 1921 तथा 1940 के सोवियत-पर्सिया/ईरान समझौते के अनुसार कैस्पियन सागर को साझा करते थे। सोवियत संघ के विखण्डित होने के परिणामस्वरूप तीन नये तटवर्ती राष्ट्रों (अजरबैजान, कजाकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान) के उदय से पाँच देशों के मध्य एक नया समझौता किया गया।
तटवर्ती राष्ट्र इस जल निकाय की प्रकृति को परिभाषित करने में मतभेद रखते थे जो कि प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों तथा समुद्री सम्पदा से युक्त है। वे न तो इसे 'सागर' मानने को तैयार थे और न ही इसे अन्तर्राष्ट्रीय 'झील' मानने को तैयार थे। यदि इसे सागर मान लिया जाता तो संयुक्त राष्ट्र सागरीय कानून समझौते (यूएनसीएलओएस) जैसे स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय सागरीय कानूनों का पालन करना पड़ता। यदि इसे झील माना जाता तो प्रत्येक को प्राप्त होने वाला 20 प्रतिशत हिस्सा तटवर्ती सीमा की असमानता के कारण कुछ राष्ट्रों के लिए लाभकारी नहीं होता। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तथा समुद्र आधारित उद्योगों के विकास अचिह्नित क्षेत्रीय जल के कारण बाधित थे। परिणामस्वरूप ऊर्जा उत्पादक देश समुद्र से गुजरने वाली अन्तर्राष्ट्रीय पाइपलाइनों को बिछाकर अपने संसाधनों का निर्यात करने में असमर्थ थे। विगत में अजरबैजान तथा ईरानी नौसेनाएँ ने हाइड्रोकार्बन संसाधनों से समृद्ध एक क्षेत्र में आमने-सामने आ गयी थीं। अत: समस्त सम्बन्धित पक्षों को स्वीकार्य एक विवेकपूर्ण चिन्तन तथा नये फॉर्मूले की आवश्यकता महसूस की गयी।
विशेष वैधानिक संस्था
यह समझौता विश्व के इस सबसे बड़े अन्त:देशीय जल संरचना की न तो समुद्र और न झील के रूप में घोषणा करता है; बल्कि यह कैस्पियन सागर को एक 'विशेष वैधानिक स्थिति' प्रदान करता है। इस समझौते में सभी पाँचों देशों को विशेष अधिकार प्रदान किये गये हैं। इसमें 15 नॉटिकल मील की परिधि में क्षेत्रीय जल की व्यवस्था दी गयी है और मत्स्य क्षेत्र हेतु अतिरिक्त 10 नॉटिकल मील क्षेत्र का अधिकार दिया गया है। 25 नॉटिकल मील के अतिरिक्त क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय उपयोग के लिए प्रावधानित किया गया है। इस समझौते द्वारा तटवर्ती राष्ट्रों के जलयानों के इस क्षेत्र में आवागमन स्वतन्त्रता सुनिश्चित की गयी है। ये पाँचों देश अन्य अन्तर्राष्ट्रीय उपयोग हेतु साझा जल क्षेत्र में पारगमन की स्वतन्त्रता पर भी सहमत हैं। इसमें कैस्पियन सागर की पर्यावरणीय सुरक्षा का भी प्रावधान किया गया है। विशेष रूप से यह समझौता इस क्षेत्र से पश्चिमी तथा दक्षिणी दिशाओं के लिए ऊर्जा परिवहन तथा ट्रांस-कैस्पियन ऊर्जा पाइपलाइन बिछाने में सहयोग के द्वार खोलता है। तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (टीएपीआई) प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के संसाधन का आधार भी कैस्पियन सागर ही है। अत: इस समझौते से तुर्कमेनिस्तान तथा अन्य ऊर्जा उत्पादक देश अपने बाजारों को विविधता प्रदान करने में सक्षम हो सकते हैं।
निश्चित रूप से इस समझौते पर हस्ताक्षर से कैस्पियन सागर का अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व ऊर्जा उत्पादन तथा उपलब्धता और इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी के सन्दर्भ में बढ़ने वाला है। इस नवीन बहुपक्षीय समझौते से पाँचों राष्ट्र प्रमुखों को क्षेत्रीय तथा क्षेत्र से बाहर के हितधारकों के मध्य सहयोग में वृद्धि होने की आशा है। राष्ट्रपति नजरबायेव ने कहा कि यह समझौता 'कैस्पियन क्षेत्र में शान्तिपूर्ण सहयोग को मजबूत करने के व्यापक आयाम खोलेगा।'3 राष्ट्रपति रुहानी ने कहा कि कैस्पियन के वैधानिक प्रशासन की परिणति तटवर्ती राष्ट्रों के मध्य 'उत्तम तथा सशक्त सम्बन्धों की ओर एक नया कदम है।'4 राष्ट्रपति अलियेव ने कहा कि इस निर्णय से कैस्पियन के तटवर्ती राष्ट्रों के मध्य सहयोग के विकास को बल मिलेगा और कैस्पियन क्षेत्र में सुरक्षा तथा स्थायित्व में मजबूती आयेगी।5 राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव ने कहा कि अकताऊ सम्मेलन के परिणाम कैस्पियन क्षेत्र में 'बहुआयामी सहयोग को उचित रूप से प्रोत्साहित करेंगे।'6 वास्तविकता प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रपित पुतिन ने कहा कि यह सम्मेलन 'यदि ऐतिहासिक नहीं तो असाधारण अवश्य है।'7 उन्होंने कहा कि यह समझौता 'कैस्पियन राष्ट्रों के सम्बन्धों के नवीन द्वार खोलता है' जिससे प्रत्येक की समृद्धि और विकास हो सम्भव है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एन्तोनियो गुतेरस ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह समझौता 'क्षेत्रीय सहयोग के महत्त्व को प्रदर्शित करता है' और 'क्षेत्रीय तनावों को दूर करने का एक सार्थक प्रयास है।'8
अभी क्यों?
इस समझौते पर उस समय हस्ताक्षर किये गये जब अनुबन्धित पक्ष समुद्र पर वैधानिक, राजनीतिक, सुरक्षात्मक तथा आर्थिक मतैक्य पर सहमत हो सकते थे। यद्यपि पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद इस पर हस्ताक्षर किये गये किन्तु इसके समय को लेकर अब भी प्रश्न खड़े हैं। इस समझौते को स्वीकृति तब दी गयी जब दो अग्रणी कैस्पियन अर्थव्यवस्थाओं अर्थात रूस तथा ईरान अमेरिका द्वारा थोपे गये प्रतिबन्धों का सामना कर रहे हैं। ये दोनों देश पश्चिमी देशों के साथ अपने व्यापार को बनाये रखने तथा बढ़ाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। अत: वे कैस्पियन राष्ट्रों तथा यूरेशियन क्षेत्र के साथ अपने व्यापारिक तथा आर्थिक सम्बन्ध बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में, 2017 में इस क्षेत्र में रूस का विदेशी व्यापार 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक अर्थात 20 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ गया जबकि जनवरी तथा फरवरी, 2018 में इसमें 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई।9 ईरान भी संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) अथवा ईरानी नाभिकीय संव्यवहार के कारण अमेरिका के भारी दबाव में है। अमेरिका ईरान में अनेक यूरोपीय निवेश योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले लेन-देन से अलग हो गया। अमेरिकी कार्यवाही ने मास्को तथा तेहरान को अपने द्विपक्षीय सम्बन्धों में सहयोग तथा मजबूती का अवसर दिया जैसा कि सीरिया में उनका समन्वय स्पष्ट दिखाई देता है। इनका उत्साहजनक द्विपक्षीय सम्बन्ध कैस्पियन सागर सम्बन्धी मतभेदों को दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ है जिससे इस समझौते को अन्तिम स्वरूप दिया जाना सम्भव हो सका।
स्रोत : https://www.eia.gov/beta/international/regions-topics.php?RegionTopicID=CSR
कैस्पियन क्षेत्र में सुरक्षा पर इस समझौते का प्रभाव
कैस्पियन सागर क्षेत्र के सम्मुख आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, पारदेशीय अवैध गतिविधियों तथा पर्यावरणीय ह्रास आदि से उत्पन्न कुछ सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियाँ हैं। ये चुनौतियाँ तटवर्ती राष्ट्रों के लिए लगातार चिन्ता का विषय रही हैं। इस क्षेत्र में हुए अपराध प्राय: अन्य राष्ट्रों की भूमि से सम्पन्न होते हैं; अत: क्षेत्रीय देशों के मध्य समन्वयन की आवश्यकता है। इस समझौते के अनुच्छेद 17 के अनुसार सदस्य राष्ट्र सागर के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, उसके वित्तपोषण, शस्त्र तथा नशीले पदार्थों की तस्करी और प्रवासियों की घुसपैठ रोकने में परस्पर सहयोग करेंगे।
मास्को पड़ोसी कैस्पियन सागर से लगे अपने दक्षिणी भाग में अलगाववाद तथा वहाबीवाद के प्रसार के विषय में चिन्तित रहा है। यद्यपि अब चेचेन्या में अपेक्षाकृत शान्ति है किन्तु क्रेमलिन और चेचेन नेता रमजान कादीरोव के मध्य तनाव अब भी बरकरार है। कभी-कभी यह स्पष्ट दिखाई देता है, उदाहरण के लिए, म्यांमार में रोहिंग्या संकट के दौरान चेचेन नेता द्वारा एक भारी विरोध प्रदर्शन किया गया जो क्रेमलिन की नीति के लिए संकटपूर्ण था।10
2015 में उत्तरी काकेशस में 'फ्रेंचाइज' स्थापित करने का दावा करने वाले आइसिस की इस क्षेत्र में उपस्थिति रूस तथा अन्य पड़ोसी देशों के लिए चिन्ता का विषय है। मध्य एशिया के सैकड़ों लड़ाके आइसिस में शामिल होने के लिए सीरिया तथा इराक गये थे। इस क्षेत्र में उनकी वापसी क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्थायित्व के लिए एक अन्य समस्या है। इस मुद्दे का समाधान एक क्षेत्रीय ढाँचे में प्रभावी सुरक्षा तथा सहयोग के माध्यम से किया जा सकता है। यह समझौता कैस्पियन क्षेत्र में न केवल आतंकवाद को रोकने बल्कि अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक क्षेत्रीय ढाँचा निर्मित करने में सहायता कर सकता है।
गैर-तटवर्ती राष्ट्रों की सशस्त्र सेनाओं की संलिप्तता के सम्बन्ध में ऐसी किसी भी सम्भावना को खारिज करना इस समझौते का स्पष्ट सिद्धान्त है। यह समझौता केवल तटवर्ती राष्ट्रों की नौसेनाओं को ही कैस्पियन सागर में प्रचालनों की अनुमति देता न कि किसी अन्य विदेशी सैन्य शक्ति की उपस्थिति को। इस समझौते के अनुच्छेद 3(6) में स्पष्ट उल्लेख है कि 'सम्बद्ध पक्षों से सम्बन्ध न रखने वाले सशस्त्र बलों की कैस्पियन सागर में मौजूदगी नहीं होगी।' वास्तव में कैस्पियन सागर में अन्य देशों के सशस्त्र बलों का बहिष्कार क्षेत्रीय भूराजनीतिक परिवेश में रूसी तथा ईरानी हितों के लिए उपयुक्त है।11 नाटो के विस्तार, सीरियाई युद्ध, रूस द्वारा क्रीमिया का अधिग्रहण तथा प्रतिबन्ध इन दोनों देशों पर बाहरी दबाव डाल रहे हैं। इस समझौते के माध्यम से रूस तथा ईरान अन्य तटवर्ती राष्ट्रों के साथ सन्धि के द्वारा कैस्पियन सागर में विदेशी बलों की उपस्थिति की किसी सम्भावना को समाप्त करने में सफल हुए हैं।
कैस्पियन सागर समुद्री पारिस्थितिकी तथा लोगों की आजीविका सहित मानवीय सुरक्षा पहलुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस सागर में समस्त पाँचों राष्ट्रों के तटवर्ती निवासियों के लिए भारी मात्रा में समुद्री उत्पाद, आजीविका तथा आर्थिक क्रियाकलाप उपलब्ध हैं। इस सागर में अनेक प्रकार की स्टर्जन मछलियाँ पाई जाती हैं जो कैवियर (अण्डे) उत्पादित करती हैं जिनकी भारी माँग है और अत्यन्त महँगी खाद्य सामग्री है। विश्व का लगभग 80-90 प्रतिशत कैवियर केवल कैस्पियन सागर से प्राप्त होता है।12 किन्तु, इसमें गिरने वाली नदियों पर बाँध बनाये जाने के कारण इस सागर की दशा में विकार होने और प्रजनन परिवेश समाप्त होने से मछलियों की प्रजातियों के अस्तित्व के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यह अनेक अन्य प्रकार की मछलियों तथा जलीय उत्पादों का आश्रय स्थल भी है। इस समझौते के सम्पन्न होने से सागर की गुणवत्ता उन्नत होने तथा इसके जलीय जन्तुओं और वनस्पतियों के संरक्षण में सुधार होने की सम्भावना है। इन देशों द्वारा मछली पकड़ने की एक सीमा होगी। यह समझौता कैस्पियन सागर के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्येक सदस्य राष्ट्र के उत्तरदायित्व निर्धारित करता है।
कैस्पियन सागरीय ऊर्जा
कैस्पियन सागर का प्राथमिक महत्त्व अपटतीय अवसादों तथा तटीय क्षेत्रों के प्रचुर ऊर्जा संसाधनों के कारण है। यह क्षेत्र विश्व के प्राचीनतम तेल उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। हाल के वर्षों में यह सागर अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों और विशेष रूप से तेल तथा गैस के बाजारों के लिए हाइड्रोकार्बनों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। अनुमान है कि कैस्पियन सागर के आरक्षियों में लगभग 50 बिलियन बैरल तेल तथा लगभग 9 ट्रिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस विद्यमान है।13 अनुमान है कि कैस्पियन सागर में विश्व के सकल भण्डार का लगभग 15 प्रतिशत भण्डार है।
रूस तथा हाल के वर्षों में चीन इन संसाधनों के प्रमुख क्रेता हैं। रूस यूरेशिया में ऊर्जा परिवहन के क्षेत्र में आधिपत्य जमाये रहा है और चाहता है कि वह कैस्पियन हाइड्रोकार्बनों का परिवहन पश्चिमी देशों को करे। किन्तु रूस को मध्य एशियाई देशों तथा कैस्पियन सागरीय सदस्य राष्ट्रों कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा अजरबैजान जैसे अन्य राष्ट्रों के उद्भव के कारण स्वतन्त्र ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में अपना आधिपत्य बनाये रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।15 यदि वे पर्यावरणीय मानकों तथा अपेक्षाओं का अनुपालन करते हैं तो इस समझौते पर हस्ताक्षर से सागर में पाइपलाइन तथा केबल बिछाने की सम्भावना बन सकती है।16
इस समझौते से न केवल ऊर्जा की पाइपलाइन के निर्माण की सम्भावना बढ़ी है बल्कि कैस्पियन के समुद्र तलीय संसाधनों के दोहन की सम्भावना भी बढ़ी है। इस समझौते के अनुच्छेद 14 में सभी पक्षों को समुद्र के भीतर जलीय केबलों तथा पाइपलाइनों को बिछाने की अनुमति का प्रावधान है। किन्तु पर्यावरणी मानकों के अनुपालन के आधार पर कैस्पियन सागर में जलीय पाइपलाइन बिछाने के लिए कुछ शर्तें हैं। इन पाइपलाइनों के मार्ग का निर्धारण उस पक्ष की सहमति से किया जायेगा जिस राष्ट्र की सीमा से होकर यह गुजरेगी।
पश्चिमी यूरोप अजरबैजान तथा तुर्कमेनिस्तान के ऊर्जा संसाधनों में रुचि रखता है तथा इसे रणनीतिक दक्षिणी गैस कॉरीडोर17 के माध्यम से परिवहित करना चाहता है। रूस तथा ईरान अब तक अन्तरणीय कैस्पियन सागर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के लिए तैयार नहीं हैं। किन्तु समझौते के कारण अन्तरणीय कैस्पियन पाइपलाइन का निर्माण लगभग साकार रूप लेने जा रहा है। अजरबैजान, कजाकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान अपने निर्यात केन्द्रों को विविधीकृत करना चाहते हैं। वर्तमान में तुर्कमेनिस्तान से गैस खरीदने वाला केवल चीन ही है। रूस तथा ईरान दोनों ने तुर्कमेनिस्तान से खरीद बन्द कर रखी है। यद्यपि ऐसी खबरें हैं कि रूस गैस की खरीद पुन: प्रारम्भ कर सकता है।
समझौते पर हस्ताक्षर के पश्चात सम्भावना है कि तुर्कमेनिस्तान यूरोपीय बाजारों तक गैस पाइपलाइन (टीसीपी) हेतु प्रयास करे। इससे यूरोपीय बाजार में रूस के अतिरिक्त एक अन्य ऊर्जा आपूर्तिकर्ता आ जायेगा जिसे मास्को रोकने का प्रयास करेगा। मास्को ऐसे लाभप्रद बाजार में किसी प्रतिस्पर्द्धी की उपस्थिति नहीं चाहेगा जहाँ से इसकी एक-चौथाई आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। यह 2016 तथा 2017 में यूरोपीय संघ को प्राकृतिक गैस आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश था जिसकी हिस्सेदारी क्रमश: 39 प्रतिशत तथा 37 प्रतिशत थी।18 परिणामस्वरूप हम देख सकते हैं कि रूस तापी पाइपलाइन को यथाशीघ्र पूरा करने के पक्ष में है जिससे वह दक्षिणी एशिया में तुर्कमेनी गैस भेज सकेगा और यूरोपीय बाजार में रूसी आपूर्ति को बनाये रखने में सहायक होगा।
यूरोपीय देश मध्य एशिया के साथ-साथ कैस्पियन सागरीय राष्ट्रों से ऊर्जा संसाधनों के आयात द्वारा रूस पर अपनी निर्भरता को कम भी करना चाहते हैं। दूसरी ओर, अमेरिका यूरोप में नये बाजारों प्रतिस्पर्द्धा में शामिल रहा है। यदि अमेरिका, यूरोप तथा कैस्पियन सागरीय राष्ट्रों के मध्य रूस को किनारे करते हुए कैस्पियन सागरीय क्षेत्र से यूरोप को सीधे गैस भेजने की सहमति बन जाती है तो इससे यूरेशियाई क्षेत्र में ऊर्जा विन्यास परिवर्तित हो सकता है। ऐसा विकास रूस तथा ईरान के ऊर्जा हितों को प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करेगा। इस समझौते पर हस्ताक्षर से रूस तथा ईरान को भविष्य में पारस्परिक लाभकारी व्यवस्था में समझौता तथा कार्य करना पड़ेगा।
कैस्पियन सागर से होती हुई कनेक्टिविटी (सम्पर्क)
इस समझौते पर हस्ताक्षर ऊर्जा के परिदृश्य में न केवल पाँच कैस्पियन सागर तटीय राष्ट्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है बल्कि अन्य क्षेत्रीय एवं वैश्विक और विशेष रूप से परिवहन तथा सम्पर्क के क्षेत्र में विकासों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इस सागर की रणनीतिक स्थिति पूर्व-पश्चिम परिवहन तथा पारगमन के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह सागर चौराहे जैसी स्थिति पर अवस्थित है जो यूरोप, पश्चिमी एशिया, काकेशस तथा मध्य एशिया को परस्पर जोड़ता है और भारत तथा चीन सहित तटीय राष्ट्रों एवं अन्य आर्थिक शक्तियों के लिए जो यूरेशियाई भूमार्गों से होकर यूरोपीय बाजारों से जुड़ने के इच्छुक हैं, के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
यह सागर आसपास के एशिया के भूसम्पर्कहीन भागों और विशेष रूप से मध्य एशिया के लिए एक महत्त्वपूर्ण सम्पर्क मार्ग है। कैस्पियन सागर वोल्गा-डॉन नहर के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय जल निकाय से जुड़ा है जो दक्षिणी-पश्चिमी रूस से होकर गुजरती है और एजोव सागर तथा काला सागर के माध्यम से इस सागर को भूमध्यसागर से जोड़ती है। यह नहर विश्व के अन्य भागों से देशीय और विदेशीय कैस्पियन सागरीय यातायात के प्रवाह को नियन्त्रित करने में रूस को महत्त्वपूर्ण सुविधा प्रदान करती है।
तथापि, यह समझौता परिवहन की स्वतन्त्रता की गारंटी देता है। इसके अनुच्छेत 10(40) के अनुसार : "सभी पक्षों को कैस्पियन सागर से अन्य सागरों और महासागरों तक मुक्त आवागमन का अधिकार होगा।" इस समझौते से कैस्पियन सागर में परिवहन तथा पारगमन की क्षमताओं में अपार वृद्धि होने की सम्भावना है। यह यूरेशियाई व्यापार तथा पारगमन मार्गों के निर्माण में सड़क पर कोई अवरोध नहीं उत्पन्न करेगा। समझौते के अनुच्छेद 16 के अनुसार, "कैस्पियन सागर में पक्षकारों तथा उन राष्ट्रों के स्वभाविक तथा वैध लोग जो इस समझौते में पक्षकार नहीं हैं और साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग इस समझौते के प्रावधानों का अनुपालन करेंगे।" अत: यह क्षेत्रीय तथा पार-क्षेत्रीय व्यापार हेतु परिवहन सम्पर्क मार्ग तथा पारगमन सुविधाओं के लिए सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है।
परिवहन समन्वयन के लिए ट्रांस-कैस्पियन अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग (टीआईटीआर)19 समन्वयन समिति की स्थापना 2013 में की गयी थी। इस परियोजना का क्रियान्वयन कजाकिस्तान रेलवे, अजरबैजान रेलवे, अजरबैजान कैस्पियन सी शिपिंग कम्पनी तथा बाकू इंटरनेशनल सी ट्रेड ट्रांसपोर्ट द्वारा किया जा रहा है।20 इस मार्ग के प्रचालन से सदस्य राष्ट्रों के पारगमन तथा निर्यात सम्भावनाओं में वृद्धि होती है और टीआईटीआर की प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती है। इसके अतिरिक्त, जनवरी 2016 में यूक्रे ने जार्जिया, अजरबैजान तथा कजाकिस्तान से गुजरती हुई टीआईटीआर के माध्यम से इलिचिवस्क पोर्ट से चीन तक एक मालवाहक ट्रेन प्रारम्भ की। इस मार्ग का पुन: उन्नतीकरण तब हुआ जब अक्टूबर 2017 में बाकू-तिबलिसी-कार्स (बीटीके) रेलवे का शुभारम्भ हुआ। यह माल तथा यात्री वाहक रेलवे लाइन अजरबैजान के बाकू पोर्ट को जार्जिया होते हुए तुर्की के कार्स से जोड़ती है। जनवरी 2018 में चीन के उरुम्की से कजाकिस्तान होते हुए अजरबैजान के बाकू पोर्ट तक एक चीन-यूरोप मालवाहक नया व्यापारिक मार्ग चालू किया गया।22 कजाकिस्तान में अकताऊ पोर्ट से बाकू पोर्ट के लिए भेजे जाने वाले कन्टेनर जहाजों तक ले जाये गये।
इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन सम्पर्क परियोजनाओं में ईरान की भागीदारी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है क्योंकि ईरान को कैस्पियन सागर तथा हिन्द महासागर के उपयोग की अनुमति है। जून 2018 में एक ईरानी पोत अंजली फ्री ट्रेड जोन में कैस्पियन पोर्ट पहुँचा जिससे चीन-कजाकिस्तान-ईरान मल्टीमोडल कॉरीडोर की शुरुआत हुई।23 जिनजियांग के उरुम्की से यह कॉरीडोर कैस्पियन सागर के अकताऊ पोर्ट पर कन्टेनरों के जलयान पर लदान से पूर्व कजाकिस्तान से होकर गुजरता है। यह दूसरे रेल-जलयान मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर है जो चीन-अजरबैजान मार्ग प्रारम्भ होने के पश्चात 2018 में कजाकिस्तान से होते हुए चीन तथा कैस्पियन सागर के तटवर्ती भागों को जोड़ता है।
भारत तथा कैस्पियन सागर समझौता
भारत ने कैस्पियन ऊर्जा संसाधनों में पर्याप्त निवेश किया है और भारतीय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) कजाकिस्तान तथा अजरबैजान के कैस्पियन सागरीय क्षेत्र में उपस्थित है। भारत तथा अन्य दक्षिण एशियाई देशों (पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान) को तापी (TAPI) प्राकृतिक गैस पाइप लाइन की लम्बे समय से प्रतीक्षा है। अनुमानित 10 बिलियन डॉलर की तापी पाइपलाइन को भारत तथा तुर्कमेनिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग के 'महत्त्वपूर्ण स्तम्भ' के रूप में माना गया है। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गैस क्षेत्र गालकिनिश कैस्पियन बेसिन के निकट स्थित है। यह क्षेत्र तापी को गैस की आपूर्ति करेगा। यदि तुर्कमेनिस्तान टीसीपी बिछाता है और तापी के लिए चिह्नित क्षेत्रों से उस पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति प्रारम्भ करता है तो यह समझौता तापी को प्रभावित कर सकता है। किन्तु यह भी सम्भव है कि तुर्कमेनिस्तान यूरोप तथा दक्षिणी एशिया को जाने वाली दोनों पाइपलाइनों से गैस की आपूर्ति करने में समर्थ होगा क्योंकि इस देश के पास विश्व का चौथा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भण्डार है।
भारत के काकेशस तथा पूर्वी यूरोप से सम्पर्क मार्ग की दृष्टि से कैस्पियन सागर एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। अन्तर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरीडोर (आईएनएसटीसी) कैस्पियन सागर से होकर गुजरता है24 जिसमें एशिया तथा यूरोप को जोड़ने वाले एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक कॉरीडोर के रूप में उभरने की सम्भावना है। आईएनएसटीसी लगभग 7,200 किमी लम्बा जलमार्ग, रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग का बहुमाध्यमी संजाल है जो कैस्पियन तथा काकेशस क्षेत्र के माध्यम से भारत को पूर्वी यूरोप से अल्प समय में जोड़ता है। ईरान पर प्रतिबन्ध लगने के कारण इस मार्ग पर निवेश तथा अवसंरचनात्मक विकास प्रभावित हुआ है। पाँच कैस्पियन सागरीय राष्ट्रों द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर के उपरान्त इस क्षेत्र की अवसंरचना में निवेश तथा ऊर्जा संसाधनों के दोहन की सम्भावना में वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
कैस्पियन सागर तटीय राष्ट्रों के सुरक्षा, भू-रणनीतिक, भू-राजनीतिक तथा आर्थिक हितों के चौराहे पर स्थित है। ये कारक अन्य देशों तथा इस क्षेत्र के हितधारक राष्ट्रों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। यद्यपि समुद्र तल के परिसीमन सहित भावी विचार-विमर्श के लिए कुछ मुद्दों पर परिचर्चा की जानी शेष है किन्तु इस समझौते में कैस्पियन सागर से सम्बद्ध अनेक मुद्दों को हल कर लिया गया है। यदि इसकी मूल भावना के अनुसार क्रियान्वयन किया गया तो यह समझौता क्षेत्रीय सहयोग में मील का एक पत्थर साबित होगा। कैस्पियन सागर की परिभाषा की स्पष्टता भारत सहित अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा हितधारकों द्वारा दीर्घकालीन निवेश के क्षेत्र में वृद्धि करेगी।
हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में सहयोग की तीव्र लालसा उदित हुई है क्योंकि वैश्वीकरण को विभिन्न राष्ट्रों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह समझौता रूस द्वारा यूरेशियाई आर्थिक संघ (ईईयू) के अपने आर्थिक कार्यक्रम तथा मध्य एशियाई क्षेत्र में उजबेकिस्तान की अगुवाई के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग की जारी अभिवृत्ति को मजबूती प्रदान करेगा। इस समझौते की स्वीकृति न केवल इस क्षेत्र में बल्कि इस क्षेत्र के बाहर भी व्यापार प्रवाह तथा ऊर्जा आपूर्ति की संरचना को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। यह क्षेत्रीय ऊर्जा तथा आर्थिक समीकरणों पर प्रभाव डाल सकती है। सुरक्षा पहलू सहित शामिल हितधारकों के कारण यह समझौता सुरक्षा, स्थायित्व तथा विकास में सहयोग के लिए कैस्पियन सागरीय सदस्य राष्ट्रों हेतु एक क्षेत्रीय मंच सृजित करता है।
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* लेखक और लेखिका, शोधार्थी, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त दृष्टिकोण शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी
1राशिद शिरिनोव, "कैस्पियन सम्मेलन की तिथि तथा स्थान निर्धारित", अजरन्यूज, 17 जुलाई 2018, https://www.azernews.az/nation/134906.html (21 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया).
2ट्रेंड "कार्गो यातायात विकास हेतु सम्भावनाओं की वृद्धि के लिए कैस्पियन सागर समझौता", 14 अगस्त, 2018, https://www.azernews.az/nation/136177.html (21 सितम्बर, 2018 को एक्सेस किया गया).
3कजाकिस्तान के राष्ट्रपति, “पाँचवें कैस्पियन सम्मेलन के पूर्ण सत्र में भागीदारी,” 12 अगस्त 2018, http://www.akorda.kz/en/events/astana_kazakhstan/participation_in_events/participation-in-the-plenary-session-of-the-fifth- caspian-summit (25 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया).
4इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेन्सी, "रुहानी : कैस्पियन सागर में कोई विदेशी ताकत नहीं दखल दे सकती", 12 अगस्त, 2018, http://www.irna.ir/en/News/82999001 (17 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
5अजरबैजान के राष्ट्रपति, "इल्हाम आलियेव ने कैस्पियन तटवर्ती राष्ट्रों के राष्ट्र प्रमुखों के 5वें सम्मेलन में भाग लिया", 12 अगस्त, 2018, https://en.president.az/articles/29673 (17 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
6तुर्कमेनिस्तान दूतावास, आर्मेनिया गणराज्य-येरेवन, "तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने कैस्पियन तटवर्ती राष्ट्रों के राष्ट्र प्रमुखों के 5वें सम्मेलन में भाग लिया," 13 अगस्त, 2018, https://armenia.tmembassy.gov.tm/en/news/15900 (22 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया).
7“पाँचवाँ कैस्पियन सम्मेलन”, क्रेमलिन के राष्ट्रपति, 12 अगस्त, 2018, http://en.kremlin.ru/events/president/news/58296 (13 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
8संयुक्त राष्ट्र, "महासचिव ने कैस्पियन सागर की वैधानिक स्थिति के ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर को क्षेत्रीय तनाव दूर करने की दिशा में एक सार्थक कदम बताया,", 13 अगस्त, 2018, https://www.un.org/press/en/2018/sgsm19163.doc.htm (22 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया)
9“पाँचवाँ कैस्पियन सम्मेलन”, क्रेमलिन के राष्ट्रपति, cit.
10कैथरीन हिल, “चेचेन शासक ने म्यांमार नीति पर रूस की आलोचना की”, फाइनेंशियल टाइम्स, 4 सितम्बर, 2017, https://www.ft.com/content/f25212fa-918d-11e7-bdfa-eda243196c2c (20 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
11“क्षेत्रीय सुरक्षा, घनिष्ठ सम्बन्ध हेतु कैस्पियन सागर समझौता वैध पृष्ठभूमि प्रदान करता है”, जिनहुआनेट, 13 अगस्त, 2018, http://www.xinhuanet.com/english/2018-08/13/c_137387454.htm (25 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया).
12बीबीबीसी, “कैस्पियन सागर : विवाद समाप्त करने हेतु पाँच राष्ट्रों ने समझौते पर हस्ताक्षर किये,” 12 अगस्त 2018, https://www.bbc.com/news/world- 45162282 (14 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया).
13रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी, "कैस्पियन सागर की वैधानिक स्थिति के समझौते पर 12 अगस्त को हस्ताक्षर किये जायेंगे, क्रेमलिन ने कहा," 10 अगस्त 2018, https://www.rferl.org/a/convention--caspian-sea-signed-on-august-12-russia-azerbaijan-kazakhstan-turkmenistan- iran/29425991.html (21 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया)
14जमीनी हकीकत, "कैस्पियन मामला", 28 जून 2015, https://www.downtoearth.org.in/coverage/the-caspian-affair-15339 (14 सितम्बर 2018 को एक्सेस किया गया)
15रूस की प्रतिक्रिया - बाकू-तिबलिसी-सेहान (बीटीसी) पाइपलाइन सकारात्मक नहीं रही। यहाँ तक कि दक्षिणी गैस कॉरीडोर (एसजीसी) अथवा 'पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर' को भी रूस से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।
16“पाँचवाँ कैस्पियन सम्मेलन”, क्रेमलिन के राष्ट्रपति, cit.
17दक्षिणी गैस कॉरीडोर (एसजीसी) की योजना दक्षिणी काकेशस पाइपलाइन (एससीपी), ट्रांस एन्तोलियन पाइपलाइन (टीएएनएपी) तथा ट्रांस-एड्रियाटिक पाइपलाइन (टीएपी) के उपयोग तथा उन्नयन द्वारा कैस्पियन क्षेत्र से यूरोप तक प्राकृतिक गैस के परिवहन से ईयू की ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा तथा विविधता को उन्नत करने की दृष्टि से नियोजित है। प्रमुख आपूर्ति स्रोत अजरबैजान के कैस्पियन क्षेत्र में स्थित शाह डेनिज गैस क्षेत्र होगा।
18यूरोस्टैट, “ऊर्जा उत्पादों का ईयू द्वारा आयात-हालिया विकास,” अप्रैल 2018, https://ec.europa.eu/eurostat/statistics- explained/index.php/EU_imports_of_energy_products_-_recent_developments#Trend_in_extra- EU_imports_of_energy_products (9 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया).
19नेशनल कम्पनी कजाकिस्तान तेमिर झोली, अजरबैजान रेलवे तथा जार्जियन रेलवे के प्रमुखों ने 6-7 नवम्बर, 2013 को द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन तथा लाजिस्टिक्स व्यापार फोरम "नया रेशम मार्ग" के अंग के रूप में पार-कैस्पियन अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग के विकास हेतु समन्वय समिति की स्थापना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।
20वर्तमान में टीआईटीआर के नियमित सदस्यों में अजरबैजान कैस्पियन शिपिंग, अजरबैजान रेलवे, अकताऊ इंटरनेशनल सी कॉमर्शियल पोर्ट, बाकू इंटरनेशनल सी ट्रेड पोर्ट, बातूमी सी पोर्ट, जार्जियन रेलवे, कजाकिस्तान रेलवे, टीसीडीडी ट्रांसपोर्टेशन ऑफ टर्की और यूक्रेन का उक्रेजलिजिनित्सिया शामिल हैं।
21“फीचर : यूक्रेन-चीन कार्गो ट्रेन व्यापार वृद्धि की सम्भावनाओं के द्वार खोलेगी”, जिनहुआनेट, 1 फरवरी, 2016, http://www.xinhuanet.com/english/2016-02/01/c_135062009.htm (17 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
22“नयी चीन-यूरोप मालवाहक रेल मार्ग चालू”, जिनहुआ, 20 जनवरी 2018, http://www.xinhuanet.com/english/2018- 01/20/c_136911059.htm (23 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
23“नया परिवहन कॉरीडोर ईरान के कैस्पियन पोर्ट को चीन, कजाकिस्तान से जोड़ेगा”, फाइनेंशियल ट्रिब्यून, 26 जून 2018, https://fmancialtribune.com/articles/economy-business-and-markets/88744/new-transport-corridor-links-irans-caspian-port-to- china (23 अगस्त 2018 को एक्सेस किया गया).
24आईएनएसटीसी सचिवालय तेहरान तथा भारत में स्थित है, ईरान तथा रूस इसके संस्थापक सदस्य हैं। बेलारूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, ओमान, आर्मेनिया, अजरबैजान, सीरिया, यूक्रेन, टर्की तथा किर्गिस्तान अन्य सदस्य हैं। बल्गेरिया पर्यवेक्षक है।