1971 में, नेपाल को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा अल्प विकसित देशों (एलडीसी) की सूची में रखा गया था। दिसंबर 2023 तक, नेपाल सहित यूएन द्वारा एलडीसी सूचीबद्ध देशों की संख्या 45 है, जो बाजार पहुंच में वरियता, मददद एवं तकनीकी सहायता सहित लाभों के हकदार हैं।[i] नवंबर 2026 तक ऐसी उम्मीद है कि नेपाल एलडीसी दर्जे से बाहर निकल जाएगा। एलडीसी दर्जे से बाहर निकलना नेपाल के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। इससे नेपाल के अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भरता से आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे बढ़ना चिह्नित होगा। हालाँकि, इससे कुछ चिंताएँ भी पैदा होती हैं क्योंकि ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय अनुदान, रियायती ऋण, कम व्यापार शुल्क और तकनीकी सहायता तक पहुँच जैसे विशेषाधिकार खत्म हो सकते हैं। इस संदर्भ में, यह शोधपत्र आने वाले समय में एलडीसी से बाहर निकलने और इसके संभावित परिणामों को लेकर नेपाल की तैयारी का आकलन करता है।
एलडीसी से निकलने की प्रक्रिया
एलडीसी सूची की समीक्षा संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) को रिपोर्ट करने वाली विकास नीति समिति (सीडीपी) द्वारा हर तीन साल में की जाती है। सीडीपी एलडीसी दर्जें से किसी भी देश को बाहर हटाने के लिए तीन मानदंड : आय मानदंड, मानव संपत्ति सूचकांक (एचएआई), और आर्थिक एवं पर्यावरणीय भेद्यता सूचकांक (ईवीआई) अपनाती है।[ii] इस सूची से बाहर निकलने के लिए आय मानदंड प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) $1,306 या उससे अधिक है।[iii] एचएआई एवं ईवीआई को लेकर विशिष्ट संकेतक और सीमाएँ हैं।[iv] इस सूची से बाहर निकलने के लिए एचएआई 66 या उससे अधिक होना चाहिए, और ईवीआई 32 या उससे कम होना चाहिए।[v] हालाँकि, दो लगातार त्रैमासिक समीक्षाओं में इन तीन मानदंडों में से दो को पूरा करने वाले देश इस सूची से बाहर निकलने के लिए पात्र हो जाते हैं।[vi]
1950 के दशक से, नेपाल अपनी आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिए एक नियोजित विकास रणनीति अपना रहा है। इसकी पहली पंचवर्षीय योजना (1956-1961) आर्थिक और सामाजिक प्रगति, कृषि विकास एवं औद्योगीकरण पर केंद्रित थी।[vii] जबकी इसकी बाद की योजनाओं का उद्देश्य खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना, उद्योगों का विस्तार करना और परिवहन अवसंरचना में सुधार करना था। 12वीं तीन-वर्षीय योजना (2010/11-2012/13) में ही नेपाल ने 2030 तक एलडीसी से निकलकर विकासशील देश बनने का दृष्टिकोण निर्धारित किया था।[viii] हालांकि, 2013 में, नेपाल की 13वीं तीन-वर्षीय योजना (2013/14-2015/16) में नेपाल ने 2022 तक एलडीसी श्रेणी से निकलने की प्रतिबद्धता जताई थी।[ix]
2015 में, पहली बार नेपाल के एचएआई और ईवीआई ने सीडीपी द्वारा त्रिवार्षिक समीक्षा में एलडीसी से निकलने के मानदंडों को पूरा कर लिया। 2018 की बाद की त्रिवार्षिक समीक्षा में, नेपाल इस सूची से बाहर निकलने के योग्य हो गया; हालाँकि, 2015 के भूकंप, कम जीएनआई और अन्य चुनौतियों से उबरने के दौरान सरकार ने 2018 में इस सूची से बाहर निकलने की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया।[x] परिणामस्वरूप, नेपाल के विकास में स्थिरता को लेकर नेपाल की चिंताओं पर विचार करते हुए, सीडीपी ने इस सूची से बाहर निकलने की सिफारिश पर अपना निर्णय स्थगित कर दिया।[xi]
इसके अलावा, 2021 में, सीडीपी को अगली त्रिवार्षिक समीक्षा में एचएआई और ईवीआई दोनों में और सुधार दिखाई दिए, और नेपाल इस सूची से बाहर निकलने के लिए तैयार दिखाई दिया। हालाँकि, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, नेपाल को पाँच साल का और समय दिया गया।[xii] इसलिए, नेपाल 24 नवंबर 2026 को एलडीसी के दर्जे से निकलने के लिए हो जाएगा। यह जीएनआई प्रति व्यक्ति आय मानदंड को पूरा किए बिना इस सूची से बाहर निकलने वाला पहला देश होगा।[xiii]
हाल ही में 2024 की त्रिवार्षिक समीक्षा की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल सतत क्रमिक विकास की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि नेपाल ने कोविड-19 महामारी के प्रभावों को कुछ सीमा तक कम किया है और पांच साल की बढ़ाई गई अवधि के बाद आसानी से इस सूची से बाहर निकलने के लिए तैयार है।[xiv] सीडीपी ने 2026 के बाद नेपाल को और समय न देने पर सहमति व्यक्त की। मार्च 2024 में आयोजित सीडीपी के 26वें पूर्ण सत्र के अनुसार, नेपाल की प्रति व्यक्ति जीएनआई 2024 में मानदंड सीमा के करीब है। 2020 और 2024 के बीच, प्रति व्यक्ति जीएनआई 2020 में $1,031 से बढ़कर 2024 में $1,300 हो गई।[xv] एचएआई ने भी स्थिर वृद्धि दिखाई, 2020 में 72.3 से 2024 में 76.3 तक, जबकि ईवीआई 2020 में 28.2 से 2024 में 29.6 तक लगभग स्थिर रहा है।[xvi] इसलिए, नेपाल पिछले चार बाद की त्रैवार्षिक समीक्षाओं के बाद से तीन मानदंडों में से दो को पूरा करता है।
नेपाल द्वारा इस सूची से बाहर निकलने की तैयारी
नेपाल आने वाले समय में इस सूची से बाहर निकलने की प्रक्रिया और इसके बाद की स्थिरता को बनाए रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर खुद को तैयार कर रहा है। इनमें घरेलू स्तर की नीतियाँ और रणनीतियाँ समेत नेपाल के अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय विकास भागीदारों के साथ जुड़ाव भी शामिल है।
घरेलू स्तर की नीतियाँ और रणनीतियाँ
नेपाल का एलडीसी सूची से बाहर निकलने का प्रस्ताव नेपाल की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसके लिए निरंतर एवं सार्थक परिवर्तन सुनिश्चित करने हेतु एक सुनियोजित संक्रमण रणनीति की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, नेपाल के राष्ट्रीय योजना आयोग ने फरवरी 2024 में नेपाल एलडीसी ग्रेजुएशन स्मूद ट्रांजिशन स्ट्रैटजी (एसटीएस) तैयार की।[xvii] एसटीएस में इस परिवर्तन की रूपरेखा तैयार की गई है और एलडीसी श्रेणी से हटने पर नेपाल के लिए उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।[xviii] एसटीएस का ध्यान छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर रहा, जिसमें व्यापक आर्थिक स्थिरता, व्यापार व निवेश; आर्थिक परिवर्तन; उत्पादक क्षमता; जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम प्रबंधन; और सामाजिक समावेश शामिल हैं।[xix] इसका उद्देश्य राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तर की सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ बहुपक्षीय और द्विपक्षीय विकास सहयोगियों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, सहकारी समितियों और दक्षिण-दक्षिण भागीदारों को एक साथ लाना है, ताकि एलडीसी सूची से बाहर निकलने से आने वाली बड़ी चुनौतियों का समाधान किया जा सके।[xx]
एसटीएस में इसके कुशल कार्यान्वयन हेतु संघीय और प्रांतीय दोनों स्तरों पर चार समितियों की स्थापना की सिफारिश की गई है। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय एलडीसी ग्रेजुएशन संचालन समिति का गठन किया गया है, जो रणनीति के व्यापक कार्यान्वयन की देखरेख करेगी और उसे आगे बढ़ाने का काम करेगी। दूसरी समिति, जिसे एलडीसी ग्रेजुएशन कार्यान्वयन और समन्वय समिति के रूप में जाना जाता है, मुख्य रूप से राजकोषीय, मौद्रिक, विनिमय दर, व्यापार, औद्योगिक, निवेश व विकास सहयोग जुटाने की नीतियों सहित विभिन्न नीतियों के बीच समन्वय को बढ़ावा देने का काम करेगी। इस समन्वय का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और नेपाल के विकासशील देश में परिवर्तन को सुगम बनाना है। तीसरी समिति, एलडीसी ग्रेजुएशन निगरानी और मूल्यांकन समिति, संघीय स्तर पर गठित होने की उम्मीद है। यह समिति रणनीति के कार्यान्वयन की निगरानी और आकलन के लिए संबंधित मंत्रियों और एजेंसियों के साथ सहयोग करेगी। अंत में, सभी प्रांतों में प्रांत-स्तरीय एलडीसी ग्रेजुएशन कार्यान्वयन समिति की स्थापना की जानी है। यह समिति प्रांतों की नीतियों और कार्यक्रमों में रणनीति को एकीकृत करके एसटीएस के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी।[xxi]
नेपाल ने एलडीसी सूची से बाहर निकलने की तैयारी के लिए कई अन्य प्रयास भी किए हैं, जो इसकी लगातार राष्ट्रीय विकास योजनाओं में परिलक्षित होते हैं। हाल ही में तैयार की गई 16वीं पंचवर्षीय योजना (2024/25–2029/30) सुशासन, सामाजिक न्याय और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यह संसाधनों के प्रबंधन, उद्यम क्षमता में सुधार और निवेश विशेषज्ञता को बढ़ाने पर जोर देती है।[xxii] यह 2043 तक उच्च-मध्यम आय वाले देश बनने के लिए एक अपरिवर्तनीय और टिकाऊ संक्रमण पर भी जोर देता है। एलडीसी सूची से बाहर निकलने के बाद एक उच्च-मध्यम आय वाले देश के रूप में विकसित होने की नेपाल की आकांक्षा आंतरिक संसाधनों के विकास और सतत प्रगति पर निर्भर करती है।
देश को अल्प विकसित देशों (एलडीसी) की सूची से निकलने की प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग की भी आवश्यकता है। इस संबंध में, नेपाल ने 2019 में अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग नीति (आईडीसीपी) तैयार की। आईडीसीपी का उद्देश्य देश को एलडीसी दर्जे से बाहर निकालने, मध्यम आय वाले देश का दर्जा प्राप्त करने और 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय विकास सहायता जुटाना है। इसमें परियोजनाओं या तकनीकी सहायता कार्यक्रमों के सह-वित्तपोषण के साथ संरेखित सहायता निर्भरता और सहयोग को कम करने पर भी जोर दिया गया है।[xxiii]
आगे बढ़ते हुए, नेपाल ने एनटीआईएस 2016 की जगह एक नई नेपाल व्यापार एकीकरण रणनीति (एनटीआईएस) 2023 को अपनाया है।[xxiv] एनटीआईएस 2023 को 2028 तक लागू किए जाने की उम्मीद है। इसका लक्ष्य व्यापार संबंधी अवसंरचना में सुधार, निवेश को बढ़ाने और औद्योगिक व व्यापार क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से नीतियों और रणनीतियों के कार्यान्वयन को आसान बनाना है। इसके अलावा, इसमें प्रांतीय और स्थानीय स्तरों पर विभिन्न हितधारकों के साथ संचार को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया है। एनटीआईएस 2023 ने नेपाल के संभावित निर्यात उत्पादों और सेवाओं की सीमा को 2016 के एनटीआईएस में 12 से बढ़ाकर 32 कर दिया[xxv] है।[xxvi] दाल, जूट, सब्जियाँ, फल, मसाले और कॉफी एनटीआईएस 2023 की कृषि श्रेणी में शामिल नए उत्पाद हैं।[xxvii] इसके अलावा, वन क्षेत्र श्रेणी में हस्तनिर्मित लोक्ता कागज, राल, तारपीन, सुगंधित तेल व लंबे रेशे के वस्त्र शामिल किए गए हैं। एनटीआईएस 2023 में सेवा निर्यात वस्तु के रूप में बिजली भी शामिल है।[xxviii]
द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर
द्विपक्षीय स्तर पर, नेपाल अपने प्रमुख विकास साझेदारों-भारत, चीन, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, डेनमार्क और अन्य यूरोपीय और अरब देशों के साथ मिलकर अधिक विदेशी निवेश ला रहा है। हाल ही में, अप्रैल 2024 में तीसरा 'नेपाल निवेश शिखर सम्मेलन' आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य देश को निवेश के लिए और बेहतर बनाना था।[xxix] इसके अलावा, नेपाल विदेशी व्यापार के लिए अतिरिक्त मार्गों और परिवहन के साधनों की तलाश के लिए अपने पड़ोसियों, भारत और बांग्लादेश के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह अपनी सड़कों में सुधार कर रहा है, जिससे नेपाल के काठमांडू से भारत के कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाहों तक निर्यात होता है। इसके अलावा, नेपाल भारत की सहायता से अपनी रेलवे अवसंरचना का विकास कर रहा है। इसके अलावा, यह भैरहवा और पोखरा में दो नए बने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों का संचालन शुरु करने के लिए काफी प्रयास काम कर रहा है।
इस बीच, नेपाल दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी कनेक्टिविटी को भी मजबूत कर रहा है। यह अभी अपने बहुपक्षीय और उपक्षेत्रीय संपर्कों, जैसे कि बीबीआईएन सड़क और रेल पहलों का विस्तार करने में लगा हुआ है। इसके अलावा, नेपाल बांग्लादेश और भारत के साथ त्रिपक्षीय बिजली व्यापार समझौते पर बातचीत को पूरा करने की ओर है। इसको अंतिम रूप दिए जाने के बाद, इस समझौते से नेपाल को अपने बड़े व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
बहुपक्षीय स्तर पर, नेपाल अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने, उत्पादकता और उत्पादक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए सहायता हेतु संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठनों के साथ परामर्श कर रहा है[xxx] और व्यापार से संबंधित सहायता, रियायतें और बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ परामर्श कर रहा है।[xxxi] इसके अलावा, यह विश्व बैंक (डब्ल्यूबी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से भी संपर्क कर रहा है। नेपाल एडीबी, डब्ल्यूबी और आईएमएफ से नीति सलाह एवं तकनीकी सहायता चाहता है। इसके अलावा, यह हरित वित्तपोषण, जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम शमन और अवसंरचना के विकास में भी समर्थन चाहता है।
एलडीसी दर्जे से हटने के निहितार्थ
नेपाल की अर्थव्यवस्था धन प्रेषण, सहायता, व्यापार व निवेश पर बहुत अधिक निर्भर है। एलडीसी दर्जा से निकलने के बाद नेपाल के द्विपक्षीय सहायता, विकास सहयोग, विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गतिशीलता के कई प्रमुख पहलुओं के विकसित होने की उम्मीद है। एलडीसी के रूप में नेपाल को मिलने वाले लाभों और विशेषाधिकारों को वापस लेने के संबंध में मीडिया और विशेषज्ञों में लगातार चर्चा हो रही है। एलडीसी दर्जे से हटने की संभावना से नेपाल के अपने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ पहले से ही काफी अधिक व्यापार घाटे पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। ऐसी अटकलें हैं कि नेपाल के व्यापार घाटे में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि अधिकांश देश नेपाल को आयातित वस्तुओं पर कम टैरिफ देना बंद कर सकते हैं। इसके अलावा, नेपाल अब विदेशी सहायता, विशेष रूप से विदेशी अनुदान और अत्यधिक रियायती ऋण नहीं पा सकेगा।
व्यापार से जुड़ी चिंताएँ
नेपाल का व्यापार क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 49% है। हालाँकि, देश में व्यापार घाटा बहुत ज़्यादा है। विभिन्न अध्ययनों में चिंता जताई गई है कि एलडीसी से हटने के बाद, नेपाल के निर्यात प्रभावित हो सकते हैं, जिससे व्यापार में गिरावट आ सकती है और व्यापार घाटा और बढ़ सकता है।
मुख्य रूप से, नेपाल एलडीसी-विशिष्ट योजनाओं जैसे कि यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) से लाभ नहीं उठा पाएगा।[xxxii] जीएसपी एलडीसी सूची में शामिल देशों को हथियार (ईबीए) व्यवस्था के तहत हथियार और गोला-बारूद छोड़कर सभी उत्पादों के लिए ईयू बाजार में शुल्क-मुक्त, कोटा-फ्री एक्सेस देता है। इसके अलावा, नेपाल को अपने व्यापार योग्य वस्तुओं के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि टैरिफ के अलग-अलग स्तर पर बढ़ने से विभिन्न क्षेत्रों और उत्पादों, जैसे कि कपड़ा व परिधान, चमड़ा और जूते आदि प्रभावित होंगे। छोटे और मध्यम उद्यम, जो वरीयता देने वाले देशों को नेपाल के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा हैं, पर अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।[xxxiii]
अध्ययनों से पता चलता है कि एलडीसी से हटने के बाद टैरिफ में वृद्धि के कारण नेपाल के व्यापारिक निर्यात में संभावित रूप से 4.3% की गिरावट आ सकती है।[xxxiv] वस्त्र और परिधान क्षेत्र पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है।[xxxv] नुकसान सबसे अधिक चीन, यूरोपीय संघ (मुख्य रूप से जर्मनी और फ्रांस में) और तुर्की को निर्यात में होगा।[xxxvi],[xxxvii] इसके अलावा, यूरोपीय संघ, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे वरीयता देने वाले देशों में सख्त 'रूल्स ऑफ ओरिजिन'[xxxviii] भी परिधान और तैयार वस्त्र उत्पादों जैसे कुछ उत्पादों को प्रभावित करेंगे।[xxxix] यह एलडीसी के लिए पात्र विभिन्न योजनाओं के तहत तरजीही टैरिफ पहुंच के बावजूद निर्यात में संभावित रूप से बाधा उत्पन्न करेगा।
दूसरा, नेपाल को यू.एस.-नेपाल व्यापार वरीयता अधिनियम 2015 के तहत कुछ वस्तुओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार में तरजीही पहुंच का लाभ मिलता है। विशेष रूप से शॉल, स्कार्फ, मफलर, मेंटिला, बुनी हुई या क्रोकेटेड टोपियाँ और अन्य हेडगियर, साथ ही प्लास्टिक या कपड़ों की बाहरी सतह वाले केस और कंटेनर पर इस अधिनियम के तहत टैरिफ-फ्री एक्सेस मिलता है। हालाँकि, इस सूची से हटने के बाद, नेपाल इस टैरिफ-फ्री योजना का लाभ नहीं उठा पाएगा।[xl]
तीसरा, नेपाल के इस सूची से हटने के अन्य व्यापार-संबंधी नीतिगत निहितार्थ भी हैं। सूची से हटने पर, नेपाल को अब डब्ल्यूटीओ के एलडीसी सदस्यों द्वारा प्राप्त विशिष्ट छूट और सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा, जिससे इसकी व्यापार नीति स्वायत्तता और दायित्व प्रभावित होंगे।[xli] कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि नेपाल को मौजूदा निर्यात सब्सिडी को बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जो इस सूची से हटने के बाद डब्ल्यूटीओ के नियमों के अधीन होगी। इस संबंध में, नेपाल अन्य एलडीसी के साथ डब्ल्यूटीओ[xlii] के साथ-साथ एलडीसी को डब्ल्यूटीओ समझौतों में एलडीसी-विशिष्ट विशेष समाधान प्रावधानों और एलडीसी को प्रदान की गई व्यापार वरीयताओं से लाभ उठाने के लिए अधिक समय देने की चर्चा में भी शामिल रहा है। जनरल काउंसिल ने अक्टूबर 2023 में एक निर्णय लिया, जिसमें वरीयता देने वाले सदस्य देशों को इस सूची से हटने के स्तर पर पहुंचने के बाद एलडीसी के लिए शुल्क-मुक्त और कोटा-मुक्त बाजार पहुंच वापस लेने से पहले कुछ समय देने के लिए प्रोत्साहित किया गया।[xliii] फरवरी 2024 में 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि एलडीसी से हटने वाले देशों को अन्य बातों के अलावा, इसके लिए पात्र होने के बाद तीन साल की संक्रमण अवधि के लिए एलडीसी-विशिष्ट तकनीकी सहायता प्राप्त होती रहेगी।[xliv]
यह ध्यान देना जरूरी है कि नेपाल का प्राथमिक निर्यात गंतव्य भारत है, जो नेपाल के कुल निर्यात का 60% से अधिक है। नेपाल का भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता है जिससे भारतीय बाजार में अधिकांश नेपाली उत्पादों को शुल्क-मुक्त और कोटा-मुक्त पहुंच मिलता है। नतीजतन, एलडीसी से हटने से भारत को उसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।
इसके अलावा, नेपाल की तरजीही व्यापार योजनाओं तक पहुंच को सुरक्षित रखने और बनाए रखने की क्षमता महत्वपूर्ण होगी। संभावित प्रभावों को कम करने और भविष्य के लिए एक लचीली व्यापार नीति तैयार करने के लिए रणनीतिक नीति समायोजन और इस सूची से हटने के बाद अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक होगा।
विदेशी सहायता एवं सहायता संबंधी चिंताएँ
द्विपक्षीय सहायता
1940 के दशक के अंत में दुनिया के लिए अपने दरवाज़े खोलने के बाद, नेपाल को विदेशी विकास सहायता मिलनी शुरू हुई। अपनी शुरुआती विकास योजना में, कुल सरकारी व्यय का लगभग 70 प्रतिशत विदेशी सहायता से मिलने की उम्मीद थी। 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के बाद, विदेशी सहायता पर नेपाल की निर्भरता धीरे-धीरे कम होने लगी। हालाँकि, विदेशी सहायता अभी भी नेपाल की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेपाल को भारत, चीन, जापान और जर्मनी जैसे अपने द्विपक्षीय भागीदारों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र, एडीबी और डब्ल्यूबी जैसे बहुपक्षीय विकास भागीदारों से अनुदान, ऋण एवं तकनीकी सहायता मिलती है।
द्विपक्षीय सहायता और विकास सहयोग के मामले में, नेपाल को दी जाने वाली अधिकांश द्विपक्षीय सहायता का आधार केवल एलडीसी स्थिति के बजाय भू-राजनीतिक कारकों पर निर्भर है। जबकि जापान के अधिकांश रियायती ऋण एलडीसी स्थिति और अल्प आय की स्थिति से संबंधित हैं, नेपाल के एलडीसी स्थिति से हटने से ये रियायती शर्तें कुछ चरणों में समाप्त हो जाएंगी। इसी तरह, कई अध्ययनों से पता चलता है कि दक्षिण कोरिया के ऋण इस दर्जे के हटने के बाद कम रियायती हो जाएंगे। हालांकि, मई 2024 में नेपाल की अपनी यात्रा के दौरान, जापान की विदेश मंत्री कामिकावा योको ने आश्वासन दिया कि एशिया की बदलती भू-राजनीति के बावजूद, एलडीसी से हटने के बाद भी नेपाल के लिए जापानी समर्थन जारी रहेगा।[xlv]
इसके अलावा, जर्मनी ने 2025 में नेपाल के साथ अपने द्विपक्षीय ओडीए को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके मद्देनजर, नेपाल पहले से ही एक महत्वपूर्ण भागीदार, ईयू से अधिक सहायता का लाभ उठाकर इस कमी को संतुलित करना चाहता है।[xlvi] ईयू सतत विकास लक्ष्यों और क्रमिक विकास से जुड़ी चुनौतियों के अनुसार नेपाल के इस परिवर्तन का समर्थन करने और इसकी उत्पादक क्षमता को बढ़ाने हेतु अपनी सहायता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत और चीन से मिलने वाली सहायता एलडीसी मानदंडों पर निर्भर नहीं करती है। हालाँकि, चीन से आने वाले वित्तीय फ्लो को सहायता माने जाने को लेकर वैचारिक अस्पष्टता और पारदर्शिता की कमी से चीन की सहायता प्रणाली को समझना मुश्किल बना दिया है।[xlvii] सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2017 में चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, नेपाल बीआरआई के तहत परियोजनाओं के लिए ऋण स्वीकार करने के बीजिंग के दबाव को लेकर सतर्क रहा है।
बहुपक्षीय सहायता
सबसे पहले, बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान स्तर पर, जैसे कि विश्व बैंक और एडीबी, नेपाल को अपने प्रति व्यक्ति जीएनआई के आधार पर रियायती ऋण मिलता है, जो एक ऐसी स्थिति है जो इसके एलडीसी में होने या न होने से अप्रभावित है। चूंकि एलडीसी से हटना प्रति व्यक्ति आय बढ़ने को दर्शाता है, इसलिए इस सूची से हटना अक्सर विश्व बैंक की आय श्रेणी में निम्न-आय से निम्न मध्यम-आय में बदलाव के साथ होता है, जो नेपाल के मामले में हुआ है।[xlviii] सूची से हटने पर, नेपाल मिश्रित ऋण शर्तों में बदलाव का अनुभव कर सकता है, जो आर्थिक मानदंडों पर आकस्मिक कम रियायती ऋण हैं।[xlix] इससे पुनर्भुगतान अवधि भी कम हो जाएगी। इसके अलावा, नेपाल के लिए विकास सहयोग पर एलडीसी से हटना का एक और प्रभाव एलडीसी के लिए विशेष रूप से आवंटित धन तक पहुंच का नुकसान होगा।[l]
एडीबी विकासशील सदस्य देशों की रियायती सहायता प्रदान करने की पात्रता का आकलन देशों की साख और प्रति व्यक्ति आय का आकलन करके करता है। वर्तमान में, नेपाल एडीबी के समूह ए (केवल रियायती सहायता) श्रेणी के अंतर्गत आता है और एशियाई विकास निधि अनुदान के लिए पात्र है।[li] इस सूची से हटने के बाद, नेपाल का वर्गीकरण कम रियायती शर्तों (समूह बी) में बदल सकता है, जो संभावित रूप से ऋण परिपक्वता, अनुग्रह अवधि और ब्याज दरों को प्रभावित कर सकता है।
दूसरे, संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय विकास संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) जैसी विशेष एजेंसियों में, एलडीसी देशों को समर्पित मुख्य संसाधन आमतौर पर एक समूह के रूप में आवंटित किए जाते हैं, जिसका इस सूची से हटने के बाद वित्तपोषण पर प्रभाव पड़ सकता है।[lii] हालाँकि, यूएनडीपी को इस सूची से हटने वाले देशों को उनके इस संक्रमण में सहायता करने का अधिकार है, जिससे फंडिंग में कटौती के तत्काल प्रभाव को कम किया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में इस सूची से हटने के बाद, एलडीसी फंड से सहायता बंद हो जाएगी, हालाँकि चल रही परियोजनाएँ पूरी होने तक जारी रहेंगी। यूएन कैपिटल डेवलपमेंट फंड (यूएनसीडीएफ) इस सूची से हटने की पूर्व शर्तों के आधार पर ऐसा होने के बाद तीन साल तक के कार्यक्रमों के लिए धन मुहैया करा सकता है। इसके अलावा, यदि विकास अपेक्षित रूप से होता है, तो अगले दो वर्षों के लिए वित्तीय सहायता सरकार या किसी तीसरे पक्ष के साथ 50/50 की लागत-साझाकरण व्यवस्था के माध्यम से प्रदान की जा सकती है। फिर भी, नेपाल अन्य जलवायु वित्त तंत्रों, जैसे कि वैश्विक पर्यावरण सुविधा ट्रस्ट फंड और अनुकूलन कोष के लिए पात्र बना रहेगा।[liii]
आकलन
विशेषज्ञों और विद्वानों का मानना है कि इस सूची से हटने के बाद नेपाल के लिए रियायती क्षेत्र में अपनी क्रेडिट रेटिंग और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के साथ-साथ अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के अवसर मौजूद हैं। इसके लिए विकास रणनीतियों में संरचनात्मक और ठोस बदलाव की आवश्यकता है, जिसका उद्देश्य आबादी के एक बड़े हिस्से की क्रय शक्ति को बढ़ाना है। इस सूची से हटने के बाद सतत विकास सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास भागीदारों के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ना और विकास कूटनीति का उपयोग करना जरुरी है।
नेपाल ने अपने कुछ सबसे बड़े द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदारों, खास तौर पर भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते किए हैं और उसे संक्रमण अवधि तथा विशिष्ट छूट मिली है, जिसमें यूरोपीय संघ से अस्थायी छूट भी शामिल है। हालांकि, एलडीसी के खत्म होने के बाद, कई प्रमुख निर्यात बाजारों में व्यापार बाधाएं बढ़ने का संकेत मिलता है। नतीजतन, नेपाल को अपने संभावित निर्यात बाजारों के साथ आगे द्विपक्षीय व्यापार समझौते शुरू करने की जरूरत है। इसके अलावा, व्यापार नीतियों में रणनीतिक संशोधनों, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास और कृषि व विनिर्माण जैसे प्रभावित क्षेत्रों के लिए समर्थन की जरूरत है। इसी तरह, नेपाल को पर्यटन, जलविद्युत और कृषि सहित अपने आशाजनक क्षेत्रों में पर्याप्त विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सही माहौल बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, नेपाल का एलडीसी से हटना एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसका उसके व्यापार, विदेशी सहायता और विकास सहयोग पर दूरगामी असर होगा। संभावित प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरते अवसरों का लाभ उठाने हेतु रणनीतिक बदलाव करना और अंतर्राष्ट्रीय विकास भागीदारों के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण होगा।
हालांकि, यह भी ध्यान देना जरुरी है कि नेपाल विगत तीन दशकों में महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरा है, जिसमें पंचायत प्रणाली से बहुदलीय लोकतंत्र, गृहयुद्ध से गणतंत्र, शांति प्रक्रिया एवं संविधान निर्माण शामिल है, जो अंततः एक संघवादी प्रणाली में परिणत हुआ है। इस दौरान, राजनीतिक अस्थिरता की वजह से नेपाल में नीतिगत अस्थिरता बढ़ी है, जिससे देश का विकास भी प्रभावित हुआ है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेपाल इस सूची से निकलने के बाद आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करेगा और यह अपने प्रमुख विकास भागीदारों के साथ अपनी विकास कूटनीति को कितने प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएगा और समर्थन जुटाएगा। यह महत्वपूर्ण संक्रमण चरण नेपाल के आत्मनिर्भरता हासिल करने और इस सूची से हटने के बाद एक विकासशील देश के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के प्रयासों को अधिक प्रभावित करेगा।
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*सुबोध चंद भारती, रिसर्च एसोसिएट, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
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[iii] United Nations. “LDC Identification Criteria & Indicators.” (n.d.), https://www.un.org/development/desa/dpad/least-developed-country-category/ldc-criteria.html, (Accessed June 24, 2024).
[iv] the HAI includes the Health index (Under-five mortality rate, Maternal mortality ratio and Prevalence of stunting) and the Education Index (Lower secondary education completion rate, Adult literacy rate and Gender parity index of lower secondary education completion). Whereas, EVI includes the Economic vulnerability index (Share of agriculture, forestry and fishing in GDP, Remoteness and landlockedness, Merchandise export and Instability of exports of goods and services concentration) and the Environmental vulnerability index (Share of population in low elevated coastal zones, Share of population living in drylands, Instability of agricultural production and Victims of disasters).
[v] ibid.
[vi] ibid.
[vii] Bharti, Subodh C.. “Economic Liberalisation and Shifts in Foreign Policy of Nepal.” PhD thesis, Jawaharlal Nehru University, 2023.
[viii] National Planning Commission. “Trivarshiya Yojna (Arthik Varsh 2067/78-2069/70)." Government of Nepal (Ashadh V.S. 2068).” https://npc.gov.np/images/category/TYP_2012.pdf (Accessed June 22, 2024).
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[xii] Ibid.
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[xv] United Nations. “Committee for Development Policy Report on the twenty-sixth session (4–8 March 2024).” Economic and Social Council, Official Records, 2024 Supplement No. 13 E/2024/33, https://documents.un.org/doc/undoc/gen/n24/096/02/pdf/n2409602.pdf?token=CGYtMmLSQYMHXbA7rF&fe=true (Accessed June 24, 2024).
[xvi] Ibid
[xvii] National Planning Commission. (2024).
[xviii] Ibid.
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[xxxviii] “Rules of origin” determine the product's source by defining where it was made. These criteria are essential for establishing the national origin of a product and are important because duties and restrictions often rely on import sources.
[xxxix] Pandey, Posh Raj, et al.. 2022.
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