2024 में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) अपनी स्थापना की 75वां वर्षगांठ मना रहे नाटो को लगातार बदल रहे सुरक्षा माहौल में नई और उभरती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने सामने आने वाली चुनौतियों की बदलती प्रकृति को सामने रखते हुए, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने जापान के कीओ यूनिवर्सिटी (फरवरी 2023) में अपने भाषण में कहा, "हम महासागरों से दूर हो सकते हैं। लेकिन हमारी सुरक्षा काफी हद तक इससे जुड़ी हुई है। और हमारे मूल्य, हित और चिंताएं समान हैं।"[i] उन्होंने आगे कहा, "आज की दुनिया में, सुरक्षा कोई क्षेत्रीय विषय नहीं बल्कि वैश्विक विषय है। यूरोप की सुरक्षा पूरे एशिया को प्रभावित करती है, और एशिया की सुरक्षा यूरोप को प्रभावित करती है... (नाटो) हमारी सुरक्षा संबंधी साझा चिंताओं पर इंडो-पैसिफिक में मौजूद हमारे भागीदारों के साथ मिलकर काम करता है।"[ii] नाटो के लिए, इंडो-पैसिफिक को लेकर समान विचारधारा वाले देशों के साथ साझेदारी वैश्विक चुनौतियों और साझा खतरों से निपटने के अपने उद्देश्यों का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, अवसंरचना और आपूर्ति श्रृंखलाओं की रक्षा करना तथा आतंकवाद का मुकाबला करना शामिल है। उभरते संघर्षों की हाइब्रिड प्रकृति, साइबर हमलों का बढ़ता इस्तेमाल और सदस्य देशों के खिलाफ़ बयानबाज़ी व गलत सूचना के इस्तेमाल से गठबंधन के लिए समस्याएँ खड़ी हो रही है। गठबंधन अभी मौजूदा ऐसी वैश्विक चुनौतियों का हल करने में अपनी भूमिका को बढ़ाने का प्रयास करते हुए, जिन्हें अब सुरक्षा का पारंपरिक खतर नहीं माना जाता है, लेकिन जिनसे सदस्य देशों की सुरक्षा को खतरा है, यह अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के साथ अपना सहयोग बढ़ा रहा है। इसकी दिशा में 2022 (मैड्रिड नाटो शिखर सम्मेलन) से चार राष्ट्र नाटो शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। जुलाई 2024 में, उन्होंने वाशिंगटन, डीसी में अपने तीसरे नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जहाँ इंडो-पैसिफिक में सदस्य देशों और भागीदारों के बीच व्यावहारिक सहयोग को और बढ़ाया गया, जिसमें यूक्रेन को समर्थन देने हेतु नई परियोजनाओं की शुरुआत, सैन्य स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, गलत सूचना का मुकाबला करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शामिल हैं।[iii] ऐसा नाटो और उसके साझेदार देशों के बीच सुरक्षा घटनाक्रमों को लेकर आपसी परिस्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के साधनों पर वर्षों से जारी बातचीत पर आधारित है। गठबंधन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। संगठन के लिए पहली बार, 2022 में, नाटो पर्यवेक्षकों ने इंडो-पैसिफिक में क्षेत्रीय सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया। अपनी राष्ट्रीय क्षमताओं में कार्य करते हुए, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम जैसे नाटो के सहयोगी देशों ने एशियाई भागीदारों के साथ कई सैन्य अभ्यासों में हिस्सा लिया है और चीन व उसके पड़ोसियों के बीच बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण चीन सागर सहित हाई-प्रोफ़ाइल जल में नौसेना के जहाजों को भेजा है।[iv] गठबंधन इंडो-पैसिफिक में तनाव में शामिल सदस्य देशों के लिए संभावित स्पिल-ओवर प्रभावों की निगरानी करता है और उन्हें दूर करने का प्रयास करता है और खतरों से निपटने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भागीदार देशों के साथ सहयोग करता है।
यह शोध-पत्र दो घटनाक्रमों पर प्रकाश डालता है जिनके कारण नाटो हाल के दिनों में अपने इंडो-पैसिफिक के साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझेदारों के साथ नाटो की सहभागिता
यह बताना ज़रूरी है कि नाटो यूरोप और अमेरिका के बीच एक गठबंधन साझेदारी है और ऐसा आगे भी रहेगा। हालाँकि, इसने यह भी अनुभव किया है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, सैन्य व तकनीकी का केंद्र अब पूर्व होता जा रहा है और यह काफी हद तक इंडो-पैसिफिक में स्थित है। इस अनुभव के साथ, गठबंधन इंडो-पैसिफिक देशों की ज़रूरतों को समझने और स्थिरता व सुरक्षा के माहौल में बदलाव से ट्रांस-अटलांटिक संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने का प्रयास कर रहा है। इंडो-पैसिफिक के भीतर, इसका मुख्य ध्यान अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों - ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड के साथ सहयोग को मज़बूत करने पर है। ये चारों देश नाटो के सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका के गठबंधन भागीदार भी हैं। क्षेत्र के अन्य देशों के साथ, नाटो सदस्य द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और/या लघुपक्षीय मंचों के माध्यम से सहयोग को बढ़ा रहे हैं।
इस क्षेत्र में गठबंधन के बढ़ते ध्यान का एक बड़ा कारण यूक्रेन युद्ध है। गठबंधन यूक्रेन की मदद को लेकर स्पष्ट है, और अब यह चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों द्वारा जारी संघर्ष में रूस को दिए जा रहे समर्थन पर नज़र रख रहा है। गठबंधन ने कहा है कि यह समर्थन रूस के निरंतर आक्रामक और शांति प्रयासों में बाधा डालने को लेकर महत्वपूर्ण है। वाशिंगटन, डी.सी. में हाल ही में हुए नाटो शिखर सम्मेलन ने इस बात पर प्रकाश डाला, "पीआरसी द्वारा यूरो-अटलांटिक सुरक्षा के लिए प्रणालीगत चुनौतियाँ पेश करना जारी है ... (और) रूस और पीआरसी के बीच गहरी होती रणनीतिक साझेदारी और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कमज़ोर करने और उसे नया रूप देने के उनके पारस्परिक रूप से मजबूत प्रयास गहन चिंता का कारण हैं।"[v] गठबंधन के सदस्य चीन से रूस को अपना समर्थन बंद करने का आह्वान करते रहे हैं, जबकि चीन ने दावा किया है कि नाटो को उसकी आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, और रूस के साथ उसके आर्थिक संबंध सही हैं और डब्ल्यूटीओ नियमों पर आधारित हैं।
दूसरा पहलू जो नाटो को अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने हेतु प्रेरित कर रहा है, वह है सुरक्षा संबंधी चुनौतियों की वैश्विक प्रकृति। नाटो सहयोगियों को स्टेट और नॉन-स्टेट दोनों तरह के घटकों से खतरों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो राजनीतिक संस्थानों को लक्षित करने, जनमत को प्रभावित करने तथा नाटो नागरिकों की सुरक्षा को कमजोर करने के लिए हाइब्रिड गतिविधियों का उपयोग करते हैं। युद्ध के हाइब्रिड तरीके - जैसे प्रचार, धोखे, तोड़फोड़ तथा अन्य गैर-सैन्य रणनीति - का इस्तेमाल लंबे समय से विरोधियों को अस्थिर करने हेतु किया जाता रहा है।[vi] गठबंधन क्षेत्र में सुरक्षा जटिलताओं को समझने और गठबंधन की सुरक्षा एवं स्थिरता के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों के बारे में विशेषज्ञता और जानकारी साझा करने के लिए अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों की मदद ले रहा है। नाटो अप्रसार, साइबर रक्षा, विज्ञान व तकनीकी, आतंकवाद निरोध, अंतर-संचालन और रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) एजेंटों के खिलाफ रक्षा सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में राजनीतिक संवाद और व्यावहारिक सहयोग का निर्माण कर रहा है।[vii] इसका ध्यान स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक सहित अन्य क्षेत्रों से उभरने वाले अपने सदस्य देशों के लिए हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने की नाटो की क्षमता पर है।[viii]
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नाटो के लिए चुनौतियां
हालांकि, गठबंधन अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों से लगातार मदद की उम्मीद कर रहा है, लेकिन सहयोग अभी तक सीमित है, और गठबंधन इंडो-पैसिफिक में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने की स्थिति में नहीं है। सबसे पहला, गठबंधन संधि के प्रावधान स्पष्ट रूप से उन क्षेत्रों को परिभाषित करते हैं जिनमें यह सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जो उत्तरी अमेरिका और यूरोप तक सीमित है, जिससे गठबंधन के लिए इस क्षेत्र में सैन्य जनादेश लेने हेतु तैयार और सक्षम होना मुश्किल हो जाता है। दूसरा, नाटो के इंडो-पैसिफिक भागीदारों के अलावा क्षेत्र के देश क्षेत्रीय भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए नाटो के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाने में सतर्क रहने की संभावना है। वर्तमान में, चार इंडो-पैसिफिक भागीदारों में से प्रत्येक ने संभावित सहयोग के लिए आपसी द्विपक्षीय हित के क्षेत्रों की पहचान करने हेतु नाटो के साथ व्यक्तिगत रूप से अनुरूप साझेदारी कार्यक्रम (आईटीपीपी) पर हस्ताक्षर किए हैं।
निष्कर्ष
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों में नाटो की पहुंच और भागीदारी सुरक्षा के समान सिद्धांत तथा सामान्यतः वैश्विक सुरक्षा और विशेषतः यूरोपीय एवं इंडो-पैसिफिक सुरक्षा की अंतर-संबद्धता की मान्यता पर आधारित है। यूक्रेन युद्ध का असर इंडो-पैसिफिक शांति और सुरक्षा पर पड़ता हुआ दिख रहा है और इस क्षेत्र में नाटो की भागीदारी से यह स्पष्ट भी है। इंडो-पैसिफिक को लेकर नाटो का दृष्टिकोण इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाना और मौजूदा भागीदारी को और मजबूत करना है।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी, वरिष्ठ शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] North Atlantic Treaty Organisation, “Speech by NATO Secretary General Jens Stoltenberg at Keio University,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/opinions_211398.htm?selectedLocale=en, Accessed on June 26, 2024.
[ii] North Atlantic Treaty Organisation, “Speech by NATO Secretary General Jens Stoltenberg at Keio University,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/opinions_211398.htm?selectedLocale=en, Accessed on June 26, 2024.
[iii] North Atlantic Treaty Organisation, “Speech by NATO Secretary General Jens Stoltenberg at Keio University,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/opinions_211398.htm?selectedLocale=en, Accessed on June 26, 2024.
[iv] North Atlantic Treaty Organisation, “Speech by NATO Secretary General Jens Stoltenberg at Keio University,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/opinions_211398.htm?selectedLocale=en, Accessed on June 26, 2024.
[v] North Atlantic Treaty Organisation, “Washington Summit Declaration July 2024,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/official_texts_227678.htm, Accessed on July 26, 2024.
[vi] North Atlantic Treaty Organisation, Countering hybrid threats,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/topics_156338.htm, Accessed on 31 July 2024
[vii] North Atlantic Treaty Organisation, Countering hybrid threats,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/topics_156338.htm, Accessed on 31 July 2024
[viii] North Atlantic Treaty Organisation, Countering hybrid threats,” https://www.nato.int/cps/en/natohq/topics_156338.htm, Accessed on 31 July 2024