विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त हो जाने के बाद श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में दिवालियापन घोषित कर दिया। तब से, इसने बहुपक्षीय, द्विपक्षीय और निजी ऋणदाताओं से ऋण का पुनर्गठन करने और आर्थिक संकट से उबरने के लिए वित्त उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। द्विपक्षीय ऋणदाताओं में भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाला देश था, जिसने 4 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की। अन्य द्विपक्षीय दाताओं, जैसे चीन, जापान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अन्यों ने भी देश की मदद के लिए हाथ बढ़ाए । श्रीलंका के ऋणदाता देशों के बीच श्रीलंका के ऋण बोझ को दूर करने के लिए एक आम समझ पर पहुँचने के लिए मई 2022 में 17 सदस्य देशों वाली आधिकारिक ऋणदाता समिति (ओसीसी) का गठन किया गया था। ओसीसी के सदस्य देशों में भारत, जापान, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, स्वीडन, हंगरी, कोरिया, जर्मनी, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, रूस और नीदरलैंड शामिल हैं। विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक भी श्रीलंका की मदद के लिए आगे आए हैं और रियायती ऋण उपलब्ध कराए हैं। इस बीच, ओसीसी सदस्यों द्वारा दिए गए प्रारंभिक आश्वासन को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मार्च 2023 में विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) कार्यक्रम के तहत लगभग 3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी। इस निधि को प्राप्त करने के लिए श्रीलंका को आईएमएफ कार्यक्रम की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए कहा गया। आईएमएफ ने श्रीलंका सरकार से बाह्य ऋण पुनर्गठन पर द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समझौता करने को भी कहा ।
इस पृष्ठभूमि में, श्रीलंका ने ओसीसी के साथ 5.8 बिलियन डॉलर के अंतिम ऋण समाधान समझौते किए, और 26 जून 2024 को 4.2 बिलियन डॉलर के ऋण समाधान के लिए चीन के एक्ज़िम बैंक के साथ एक अलग समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इन दोनों समझौतों से कुल मिलाकर लगभग 10 बिलियन डॉलर का ऋण समाधान होता है।[1] श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अनुसार, लंबे समय से प्रतीक्षित ऋण समाधान समझौते से ‘सभी द्विपक्षीय ऋण किस्तों के भुगतान को 2028 तक स्थगित करने और सभी ऋणों को रियायती शर्तों पर 2043 तक की बढ़ा दी गई अवधि के साथ चुकाने में मदद मिलेगी।’ [2] इसका मतलब है कि श्रीलंका का कर्ज 2043 तक पूरी तरह से चुकता हो जाना चाहिए । श्रीलंका का 'विदेशी ऋण 37 बिलियन डॉलर है, जिसमें 10.6 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय ऋण, 11.7 बिलियन डॉलर का बहुपक्षीय ऋण और 14.7 बिलियन डॉलर का वाणिज्यिक ऋण शामिल है, जिसमें 12.5 बिलियन डॉलर का सॉवरेन बॉन्ड शामिल है।'[3]
इस संदर्भ में, जून 2024 में हस्ताक्षरित ऋण समाधान समझौतों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि ये समझौते आने वाले महीनों में श्रीलंका को 3 बिलियन डॉलर के आईएमएफ पैकेज के पूर्ण वितरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे। अब तक, श्रीलंका सरकार को ‘आईएमएफ बेलआउट पैकेज की पहली किस्त मार्च 2023 में, दूसरी दिसंबर 2023 में और तीसरी किस्त जून 2024 में’ प्राप्त हुई है।[4] इससे श्रीलंका और उसके द्विपक्षीय ऋणदाताओं के बीच द्विपक्षीय ऋण की बहाली, बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए विदेशी पूँजी का प्रवाह, राजकोषीय राहत और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के लिए वित्त पोषण आदि भी संभव हो सकेगा। [5] सरकार देश की क्रेडिट रेटिंग में सुधार की भी उम्मीद कर रही है ताकि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक उसकी आसानी से पहुँच सुनिश्चित हो सके।
समझौते हो जाने के बाद, श्रीलंका के राष्ट्रपति ने समझौते के समापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए ओसीसी के सह-अध्यक्षों, जापान, भारत और फ्रांस के प्रयासों की विशेष रूप सेसराहना की।[6] इसने आधिकारिक द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ वार्ताओं को प्रोत्साहित करने में पेरिस क्लब सचिवालय के प्रयासों की भी सराहना की। अब श्रीलंका अन्य छोटे द्विपक्षीय ऋणदाताओं, जैसे ‘सऊदी अरब, पाकिस्तान, कुवैत और ईरान, जिनके लगभग 274 मिलियन डॉलर के बकाया दावे हैं’ के साथ इसी तरह के समझौतों को औपचारिक रूप देने की उम्मीद करेगा।[7] हालाँकि, अब सरकार के लिए मुख्य चुनौती ऋण पुनर्गठन के लिए वाणिज्यिक बांडधारकों के साथ वार्ताओं को अंतिम रूप देना है, जो कि ओसीसी सदस्यों और चीन के एक्जिम बैंक के साथ सहमत ऋण पुनर्गठन के अनुरूप होना चाहिए।[8]
घरेलू प्रतिक्रिया
द्विपक्षीय ऋण समाधान समझौतों पर हस्ताक्षर को श्रीलंका के भीतर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने इस घटनाक्रम को ‘देश के हालिया इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ बताया।’[9] जुलाई 2022 में श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, रानिल विक्रमसिंघे ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए चार-चरणीय योजना पेश की[10]। इस योजना में आईएमएफ के परामर्श से विस्तारित ऋण सुविधाएँ हासिल करना, लेनदारों के साथ समझौतों पर बातचीत करने के लिए लाज़ार्ड और क्लिफोर्ड चांस जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और कानूनी विशेषज्ञों के साथ सहयोग करना, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों, विनियमों और पहलों को लागू करना और देश को 2048 तक ऋण मुक्त उन्नत अर्थव्यवस्था वाले विकसित राष्ट्र में बदलना शामिल है। इसलिए, समझौतों पर हस्ताक्षर करना उनके राष्ट्रपतित्व में एक उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है। उन्होंने 2 जुलाई 2024 को संसद को संबोधित करते हुए ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत की ।
मुख्य विपक्षी दल, समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने समझौतों का स्वागत किया, लेकिन कहा कि ‘द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समझौता अपने आप में अलग से कोई उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ श्रीलंका के दीर्घकालिक संबंधों का परिणाम है’।[11] पार्टी ने सरकार को निजी वाणिज्यिक ऋणदाताओं के साथ संभावित गैर-लाभकारी समझौते करने के प्रति भी आगाह किया। पार्टी ने सरकार से अंतरराष्ट्रीय संप्रभु बांडधारकों (आईएसबी) के साथ कटौती की सीमा 20 प्रतिशत तक सीमित रखने को कहा, क्योंकि आईएसबी पूर्व में इस संख्या पर सहमत हो चुके थे।[12] एसजेबी सरकार द्वारा लागू किए गए घरेलू ऋण पुनर्गठन (डीडीआर) की भी आलोचना करता है, क्योंकि इससे परिधान और एस्टेट श्रमिकों सहित मध्यम वर्ग के श्रीलंकाई[13] लोगों के पेंशन फंड को नुकसान पहुँचा है, ‘जबकि बैंकों, वित्त कंपनियों और संपन्न व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा रखे गए ट्रेजरी बांड को छुआ नहीं गया’।[14] एसजेबी के नेता साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि सरकार ‘समग्र बाह्य ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में अधिक अनुकूल समझौता पाने में विफल रही, क्योंकि इसने केवल ऋण भुगतान अवधि को बढ़वाया’ ।[15] दूसरी ओर, विपक्षी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने समझौतों पर हस्ताक्षर को कमतर आंकते हुए कहा कि यह श्रीलंका की विदेशी ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया का सिर्फ एक हिस्सा है। [16] विपक्षी दलों ने द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ हस्ताक्षरित समझौतों को राष्ट्रपति के वादे के अनुसार संसद के समक्ष प्रस्तुत न करने पर सरकार के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की है।
राष्ट्रपति ने अपने जवाब में इस बात पर जोर दिया कि ‘मध्यम-आय वाला देश होने के नाते श्रीलंका को मध्यम आय वाले देशों के लिए तैयार किए गए आईएमएफ के नए ऋण स्थिरता विश्लेषण ढांचे का पालन करना होगा, जिसमें 2032 तक सार्वजनिक ऋण को सकल घरेलू उत्पाद के 95% से नीचे लाया जाना चाहिए।’ [17] उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘द्विपक्षीय ऋणदाता कभी भी मूल राशि को कम नहीं कर सकते हैं, लेकिन श्रीलंका को विस्तारित ऋण चुकौती अवधि, रियायती अवधि और ब्याज दरों में कमी जैसी रियायतें मिल सकती हैं।’[18]
इस बीच, श्रीलंका में विभिन्न वर्गों ने आईएमएफ के मार्गदर्शन में सरकार द्वारा लागू किए जा रहे आर्थिक सुधारों/मितव्ययिता उपायों के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। अपने बाह्य ऋण में उल्लेखनीय कटौती तथा आवश्यक वस्तुओं के घरेलू उत्पादन में वृद्धि के बिना, विशेषज्ञों को डर है कि निकट भविष्य में श्रीलंका एक बार फिर आईएमएफ का दरवाजा खटखटा सकता है।[19] देश में हाल के महीनों में रेलवे, बागान आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों द्वारा विरोध प्रदर्शन/हड़तालें देखी जा रही हैं। 9 जुलाई 2024 को लगभग 200 ट्रेड यूनियनों/सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की माँग को लेकर हड़ताल की। पिछले दो वर्षों में लोगों की वास्तविक आय में उल्लेखनीय गिरावट, तथा सरकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए कर का बोझ, वर्तमान सरकार द्वारा आईएमएफ के नेतृत्व में किए जा रहे आर्थिक सुधारों के प्रति संदेह पैदा कर रहा है।
आईएमएफ श्रीलंका द्वारा द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ हस्ताक्षरित समझौतों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये समझौते आईएमएफ के दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं। समग्र ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया के प्रति श्रीलंका में मिश्रित प्रतिक्रिया/संदेह को देखते हुए, आईएमएफ कार्यक्रम के पूर्ण कार्यान्वयन के बारे में, विशेष रूप से आगामी चुनावों और उसके साथ किए गए चुनावी वादों को देखते हुए, प्रश्न बने हुए हैं ।
*****
*डॉ. समथा मल्लेम्पति, शोधकर्ता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंतिम टिप्पणियाँ
[1] Ministry of Finance, Economic Stabilisation and National Polices, Government of Sri Lanka, “Press Release: Sri Lanka Reaches Final Debt Treatment Agreements with the Official Creditor Committee and Exim Bank of China”, 28 June 2024, https://www.treasury.gov.lk/api/file/191d21b7-003e-4c94-90e9-8fe1f33d0260. Accessed on July 4, 2024.
[2] Daily Mirror, “President speaking on debt restructuring says “International confidence in our country is reaffirmed””, 27 June 2024, https://www.dailymirror.lk/news-features/President-speaking-on-debt-restructuring-says-International-confidence-in-our-country-is-reaffirmed/131-285831. Accessed on July 3, 2024.
[3] Economy Next, “Sri Lanka President’s speech after bilateral debt restructuring – full text”, 26 June 2024, https://economynext.com/sri-lanka-presidents-speech-after-bilateral-debt-restructuring-full-text-169741/. Accessed on July 8, 2024.
[4] News.lk, “Misinformation Spread About Debt Restructuring and Related Matters”, 2 July 2024, https://www.news.lk/news/political-current-affairs/item/36540-misinformation-spread-about-debt-restructuring-and-related-matters. Accessed on July 5, 2024. Accessed on July 5, 2024.
[5] Ministry of Finance, Economic Stabilisation and National Polices, Government of Sri Lanka, “Press Release: Sri Lanka Reaches Final Debt Treatment Agreements with the Official Creditor Committee and Exim Bank of China”, 28 June 2024, https://www.treasury.gov.lk/api/file/191d21b7-003e-4c94-90e9-8fe1f33d0260. Accessed on July 7, 2024.
[6] Economy Next, Op.ct.3.
[7] Ministry of Finance, Economic Stabilisation and National Polices, Government of Sri Lanka, “Sri Lanka Reaches Agreement With Official Creditor Committee on Debt Treatment”, 29 November 2023, https://www.treasury.gov.lk/news/article/232. Accessed on July 5, 2024.
[8] Ministry of Finance, Economic Stabilisation and National Polices, Government of Sri Lanka, “Press Release: Sri Lanka Reaches Final Debt Treatment Agreements with the Official Creditor Committee and Exim Bank of China”, 28 June 2024, https://www.treasury.gov.lk/api/file/191d21b7-003e-4c94-90e9-8fe1f33d0260. Accessed on July 9, 2024.
[9] Economy Next, “Sri Lanka President’s speech after bilateral debt restructuring – full text”, 26 June 2024, https://economynext.com/sri-lanka-presidents-speech-after-bilateral-debt-restructuring-full-text-169741/. Accessed on July 5, 2024.
[10] Ibid
[11]Darshana Abayasingha, “SJB says good job with bilateral debt deal but warns that’s not all”, 28 June 2024, https://www.ft.lk/top-story/SJB-says-good-job-with-bilateral-debt-deal-but-warns-that-s-not-all/26-763558. Accessed on July 8, 2024.
[12]Ibid.
[13] Darshana Abayasingha, Op.Cit. No 11.
[14]Ahilan Kadirgamar, “IMF and the Great Bond Restructuring Sell Out”, 15 July 2024, https://www.dailymirror.lk/opinion/IMF-and-the-Great-Bond-Restructuring-Sell-Out/231-287216. Accessed on July 16, 2024.
[15] “Sajith claims Govt. hadn’t secured better deal; exposes RW’s failure to talk directly to creditors”, 3 July 2024, https://www.ft.lk/front-page/Sajith-claims-Govt-hadn-t-secured-better-deal-exposes-RW-s-failure-to-talk-directly-to-creditors/44-763769. Accessed on July 5, 2024.
[16] Economy Next, “Sri Lanka opposition leaders downplay bilateral debt deal announcement”, 27 June 2024, https://economynext.com/sri-lanka-opposition-leaders-downplay-bilateral-debt-deal-announcement-169870/. Accessed on July 11, 2024.
[17] News.lk, “Misinformation Spread about Debt Restructuring and Related Matters”, 2 July 2024, https://www.news.lk/news/political-current-affairs/item/36540-misinformation-spread-about-debt-restructuring-and-related-matters. Accessed on July 7, 2024
[18] Ibid
[19]Ahilan Kadirgamar, Devaka Gunawardena and Sinthuja Sritharan, “Sri Lanka’s IMF Agreement Will Not Alter the Trajectory of a Collapsing Economy”, 22 March 2023, https://thewire.in/south-asia/sri-lankas-imf-agreement-debt-financing-. Accessed on July 5, 2024.