2 मई 2024, जेरेमिया मानेले को सोलोमन द्वीप के नए प्रधानमंत्री (पीएम) के रूप में चुना गया था। राजनयिक पृष्ठभूमि वाले मानेले पूर्व प्रधानमंत्री मानश्शे सोगावारे के कार्यकाल में विदेश मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। नए प्रधानमंत्री ने पिछली सरकार के चीन समर्थक रुख को बनाए रखने का वादा किया है।[1] सोलोमन द्वीप दक्षिण पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में 724,000 की आबादी वाला एक छोटा सा देश है, इसका कुल क्षेत्रफल 27.9 हजार वर्ग किमी है लेकिन इसके पास 16 लाख वर्ग किमी (1.6 मिलियन स्क्वायर किमी) का बहुत बड़ा और संसाधनों से समृद्ध ईईजेड भी है। इस देश ने 2019 में अपने राजनयिक संबंधों को ताइवान की जगह चीन से बदले और 2022 में चीन के साथ सुरक्षा समझौता करने के बाद से खबरों में बना हुआ है। उस समय नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री जेरेमिया मानेले देश के विदेश मंत्री थे। चीन से समझौता करने के बाद अप्रैल 2024 में हुआ चुनाव सोलोमन द्वीप का पहला आम चुनाव था।
अप्रैल 2024 में हुए राष्ट्रीय चुनाव में सोगावारे सरकार स्पष्ट बहुमत हासिल करने की उम्मीद कर रही थी। निवर्तमान प्रधानमंत्री देश के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले केवल दूसरे शासनप्रमुख हैं।[2] हालांकि, चुनावी नतीजों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। सोगावारे की ओनरशिप, यूनिटी एंड रेस्पॉन्सिबिलिटी पार्टी (ओयूआर/OUR) को राष्ट्रीय संसद में 50 में से 15 सीटें मिलीं। ओयूआर के आठ वर्तमान मंत्री अपनी सीटें हार गए फिर भी यह पार्टी चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सरकार बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त सीटें नहीं थीं।[3] 2 मई 2024 को, विधायकों ने गुप्त मतदान के जरिए नए प्रधानमंत्री का चुनाव किया। जेरेमिया मानेले ने 18 के मुकाबले 31 वोटों से मतदान जीता और सोगावारे द्वारा पार्टी के नेतृत्व पद से हटने और मानेले को पदभार संभालने की अनुमति देने के बाद मानेले ने देश के प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। निवर्तमान प्रधानमंत्री सोगावारे ने चुनाव के बाद घोषणा की थी कि वे खुद को देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में आगे नहीं रखेंगें और ओयूआर पार्टी ने जेरेमिया मानेले को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में चुना। नए प्रधानमंत्री के चुनाव के बाद, सोलोमन द्वीप में चीन के दूतावास ने कहा कि वे “चीन– सोलोमन द्वीप संबंधों को विकसित करने और हमारे लोगों को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए” नई सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।[4] चुनाव के अंतिम परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने कहा कि, “ऑस्ट्रेलिया और सोलोमन द्वीप घनिष्ठ मित्र हैं, हमारा भविष्य एक दूसरे से जुड़ा हुआ है" और वे नए प्रधानमंत्री मानेले के साथ काम करने को उत्सुक हैं।[5]
हाल के वर्षों में देश और क्षेत्र में हुए विकास के कारण सोलोमन द्वीप के चुनावों पर ऑस्ट्रेलिया, चीन और अमेरिका की नज़रें थीं। इसलिए, इस क्षेत्र और व्यापक हिन्द– प्रशांत क्षेत्र में लगातार विकसित हो रही रणनीतिक स्थिति के आलोक में चुनाव और नई सरकार का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।
नए प्रधानमंत्री के साथ, विशेषरूप से विदेश नीति के क्षेत्र में अधिक निरंतरता होने की संभावना है। साथ ही, निवर्तमान प्रधानमंत्री सोगावारे देश की राजनीति में अहम चेहरा बने रहेंगे। आने वाले दिनों में जब नए प्रधानमंत्री अपने मंत्रीमंडल को अंतिम रूप देंगे तो उन्हें कौन सा पद दिया जाएगा, यह भी देखने वाली बात होगी।
सोगावारे का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। एकदम से राजनयिक परिवर्तन करते हुए चीन के साथ संबंध बनाना, 2021 में बड़े पैमाने पर नागरिक अशांति और 2022 में चीन के साथ विवादास्पद सुरक्षा समझौता, ये सभी घटनाक्रम क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं, जिसमें बड़े देश और क्षेत्रीय कारक भी शामिल हैं। दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तेजी से बदलती भू–राजनीति के दृष्टिकोण से, सोलोमन द्वीप द्वीप क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश रहा है।
सोलोमन द्वीप के अपने मुद्दे हैं, देश में अंतर–द्वीपीय तनाव का इतिहास रहा है, साथ ही गरीबी, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार जैसे कई आंतरिक मुद्दे भी हैं। देश को 2021 में नागरिक अशांति का सामना करना पड़ा था, राजधानी होनियारा में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसका मुख्य कारण सोगावारे सरकार की नीतियां, विशेष रूप से चीन के प्रति उनके मित्रवत रवैये से असंतोष था। सरकार को संसद में अविश्वास का भी सामना करना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी(पीएनजी), फ़िजी और न्यूज़ीलैंड, ने अनुरोध किए जाने पर देश में व्यवस्था बहाल करने के लिए शांति सेनाएं भेजी थीं। बाद में, अप्रैल 2022 में, सोलोमन द्वीप और चीन के बीच फ्रेमवर्क एग्रीमेंट फॉर सिक्योरिटी कोऑपरेशन पर हस्ताक्षर ने क्षेत्रीय देशों को आश्चर्यचकित कर दिया। इस समझौते के परिणामस्वरूप अमेरिका और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों में पारदर्शिता की कमी और क्षेत्र में चीनी सेना की उपस्थिति के डर को लेकर बड़े पैमाने पर आशंका पैदा हो गई थी।
हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में भू–राजनीतिक स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं और क्षेत्रीय खिलाड़ी बड़े पैमाने पर चीन की राजनयिक, आर्थिक और सैन्य प्रगति को लेकर चिंतित हैं। यह क्षेत्र बड़े हिन्द–प्रशांत में भू–राजनीतिक मंथन के संदर्भ में तेज़ी से एक चयन बिन्दु के रूप में उभर रहा है। जनवरी 2024 में नाउरू के चीन के लिए अपने राजनयिक परिवर्तन की घोषणा करने वाले नवीनतम देश होने के साथ, 11 द्वीप देशों के चीन के साथ संबंध हो गए हैं। हाल के वर्षों में इस क्षेत्र के छोटे द्वीपों पर बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में चीन बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। सिर्फ सोलोमन द्वीप में ही, 2019 के बाद से चीन का निवेश काफी बढ़ा है। साल 2023 में, सोलोमन द्वीप में चीन की कंपनियों द्वारा बनाए गए उन्नत मुंडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का उद्घाटन किया गया था।[6] प्रशांत खेलों की मेज़बानी के लिए हाल ही में निर्मित कई खेल सुविधाओं का वित्त पोषण चीन ने किया था।[7] देश में विपक्ष ने सरकार के नज़रिए की आलोचना करते हुए कहा कि स्टेडियमों को बनाने की बजाए अस्पतालों और स्कूलों को बनाने में पैसे खर्च किए जाने चाहिए थे।[8]
सोलोमन द्वीप पर बीजिंग द्वारा कड़ी नज़र रखी जा रही है। क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर स्पष्ट चिंताओं के परिणामस्वरूप अन्य परंपरागत खिलाड़ी भी इस क्षेत्र के प्रति अपना रुख बदलने लगे हैं। हाल ही में अमेरिका इस क्षेत्र के छोटे द्वीपों के साथ फिर से जुड़ने का प्रयास कर रहा है और प्रशांत द्वीप के देशों (पीआईसी/PICs) के साथ नियमित शिखर सम्मेलन स्तर की बैठकों की मेज़बानी कर रहा है। इसने 30 वर्षों के बाद, फरवरी 2023 में, एक बार फिर से सोलोमन द्वीप में अपना दूतावास खोल दिया। अमेरिका ने सोलोमन, टोंगा, किरिबाती और वानुअतु में नए खुले दूतावासों में राजनयिक कर्मियों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करने की भी योजना बनाई है।[9]
इस क्षेत्र में स्थित ऑस्ट्रेलिया परंपरागत रूप से दक्षिण प्रशांत क्षेत्र का प्रमुख देश रहा है। ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में हाल ही में चीनी दबाव की आलोचना करता रहा है और अपने प्रशांत 'स्टेप अप' नज़रिए के साथ सक्रिए नीति भी अपना रहा है। हाल ही में जारी ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय रक्षा रणनीति 2024 में उल्लेख किया गया है कि, ऑस्ट्रेलिया को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे चुनौतीपूर्ण रणनीतिक माहौल का सामना करना पड़ रहा है, जो अमेरिका– चीन की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व सैन्य वृद्धि से स्पष्ट है। रणनीति इस बात पर प्रकाश डालती है कि, प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव और पहुंच के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसी परिस्थितियों में, “ऑस्ट्रेलिया का उद्देश्य सुरक्षा सहयोग समेत प्रशांत परिवार के लिए पसंदीदा भागीदार बने रहना है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार सभी देशों को अपने रणनीतिक इरादों के बारे में पारदर्शी होने के लिए प्रोत्साहित करती है”।[10] इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि, ऑस्ट्रेलिया प्रशांत क्षेत्र में सुर६ और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए न्यूज़ीलैंड और फ्रांस के साथ अंतरसंचालनीयता बढ़ाने का प्रयास करेगा।[11]
दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में स्थिति लगातार बदल रही है। इलाके के छोटे द्वीप वाले देश इस बात से चिंतित हैं कि अमेरिका– चीन के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा इस क्षेत्र में सैन्य संघर्ष में न बदल जाए। इस क्षेत्र में कुछ अन्य हालिया घटनाक्रम भी हैं जिनका भू–राजनीतिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जैसे हाल ही में फ़िजी ने चीन के साथ एक पुलिस सहयोग समझौता जारी रखने का फैसला किया है जिसे 'ठंडे बस्ते में डाल दिया गया' था और प्रधानमंत्री सीतवेनी राबुका के नेतृत्व में सत्ता में आई नई सरकार के बाद से बीते 12 महीनों से यह समीक्षाधीन था। राबुका प्रशासन दोनों देशों की ‘पुलिस व्यवस्था, जांच और कानूनी प्रणालियों में अंतर के मद्देनज़र’ चीन के साथ एक दशक पुराने पुलिस सहयोग समझौते को समाप्त करने पर विचार कर रहा था। हालाँकि फ़िजी के गृह मंत्री पियो तिकोडुआदुआ ने 16 मार्च 2024 को घोषणा की कि फिज़ी इस समझौते को बनाए रखेगा लेकिन, ‘समझौते के तहत चीन में केवल फिज़ी के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिज़ी के पुलिस बल में चीन के अधिकारियों की भर्ती नहीं होगी”[12]। वर्तमान प्रधानमंत्री के नेतृत्व में फ़िजी चीन के साथ सतर्कता का रुख अपना रहा है। इसके अलावा, देशों में आंतरिक मुद्दे भी हैं, हाल ही में पीएनजी में बड़े पैमाने पर हिंसक आदिवासी झड़पें देखी गईं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए। ऑस्ट्रेलिया ने 2023 में पीएनजी के साथ हस्ताक्षरित सुरक्षा समझौते के तहत स्थिति को संभालने के लिए पीएनजी को समर्थन देने पर सहमति व्यक्त की थी।[13] क्षेत्र में गतिशील भू–राजनीतिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में इन सभी घटनाक्रमों को ध्यान से देखने की जरूरत है।
प्रशांत महासागर में द्वीपीय देश भले ही छोटे हों, लेकिन उनका सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्व काफी है। क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों की बढ़ती भागीदारी, जो कुछ हद तक क्षेत्र में चीन के आक्रामक रूख के साथ– साथ देशों के सामने आने वाले आंतरिक मुद्दों से प्रेरित है, एक ऐसी स्थिति पैदा कर रही है जहां सुरक्षा संतुलन अनिश्चित दिख रहा है। ऑस्ट्रेलिया के उत्तर–पूर्व में अपनी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, सोलोमन द्वीप एक महत्वपूर्ण देश है और हाल के वर्षों में दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में महान शक्ति प्रतिस्पर्धा के निर्माण के परिप्रेक्ष्य से बहुत सारी गतिविधियां देखी जा रही हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रधानमंत्री मानेले और अन्य पीआईसी अपनी एजेंसी से समझौता किए बिना किस प्रकार प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करते हुए, क्षेत्र में जटिल भू–राजनीतिक माहौल से निपटते हैं।
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*डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियाँ
[1] Solomon Islands chooses China-friendly ex-diplomat Jeremiah Manele as new prime minister, Thursday 2 May 2024, https://www.theguardian.com/world/2024/may/02/solomon-islands-new-pm-prime-minister-jeremiah-manele
[2]Solomon Islands: Unexpected defeat for Sogavare, 26 April 2024, https://www.lowyinstitute.org/the-interpreter/solomon-islands-unexpected-defeat-sogavare
[3]Solomon Islands: Unexpected
defeat for Sogavare, 26 April 2024, https://www.lowyinstitute.org/the-interpreter/solomon-islands-unexpected-defeat-sogavare
[4] Solomon Islands Picks China-Friendly Manele as New Prime Minister, May 5, 2024, https://ddnews.gov.in/en/solomon-islands-picks-china-friendly-manele-as-new-prime-minister/
[5] I.bid no. 5
[6] Chinese Embassy in Solomon Islands, 12 October 2023, https://www.facebook.com/story.php/?story_fbid=631887159118355&id=100068912282801&paipv=0&eav=AfZbgkwjK13STMS7PC-e81cTmipB5lPRDpxmB4WuOgYpQz3Cr2mPR0_GTjY86rJgPWE&_rdr
[7]Let the games begin: Solomon Islands hosts Pacific Games sports event mostly paid for by China, 21 November 2023, https://www.scmp.com/week-asia/politics/article/3242249/let-games-begin-solomon-islands-hosts-pacific-games-sports-event-mostly-paid-china
[8] Solomon Islands PM Sogavare says won’t put himself forward for new term, 30 April 2024, https://www.aljazeera.com/news/2024/4/30/solomon-islands-pm-sogavare-says-wont-put-himself-forward-for-new-term
[9] US aims to counter China by opening Solomon Islands embassy, 12 February 2022, US aims to counter China by opening Solomon Islands embassy | AP News
[10] Australia National Defense Strategy, 2024, pp. 6 and 17, https://www.defence.gov.au/about/strategic-planning/2024-national-defence-strategy-2024-integrated-investment-program
[11] I.bid, p. 47
[12]Fiji upholds China policing agreement, Guardian Australia reports, March16, 2024, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/fiji-upholds-china-policing-agreement-guardian-australia-reports-2024-03-16/
[13] At least 49 killed in massacre in PNG highlands, 19 February 2024, https://www.abc.net.au/news/2024-02-19/at-least-49-killed-in-massacre-in-png-highlands/103482982