13 अप्रैल 2024 को, ईरान ने ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए इज़रायल पर हमले किए। अपने तीन– आयामी रक्षा प्रणाली– आयरन डोम, डेविडस स्लिंग और एरो सिस्टम के जरिए इज़रायल इनमें से ज्यादातर ड्रोन और मिसाइलों को रोकने एवं नष्ट करने में सफल रहा।[i] दोनों देश पश्चिम एशिया क्षेत्र में परोक्षी (प्रॉक्सी), हत्याओं और साइबर युद्ध के माध्यम से छाया युद्ध करते रहे हैं। 7 अक्टूबर 2023 को, इज़रायल पर हमास के हमले और उसके बाद गाज़ा युद्ध ने तेहरान और तेल अवीव के बीच संभावित सीधे टकराव के खतरे को बढ़ा दिया। 1 अप्रैल 2024 को दमिश्क (सीरिया) में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इज़रायल की बमबारी के बाद, जिसमें दो ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और उनके डिप्टी, ब्रिगेडियर– जनरल मोहम्मद हाज़ी– रहीमी समेत आईआरजीसी के 16 अधिकारियों की मौत हो गई, ईरान द्वारा जवाबी कार्रवाई अपेक्षित थी। ईरान के सीधे हमले से संभावित इज़रायल हमले की आशंका के साथ क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
इज़रायल की सीमा पर ईरान के हमले से पता चला है कि इस क्षेत्र में बहुत मतभेद है। हालांकि मिस्र ने तटस्थ रुख अपनाने का फैसला किया है, जॉर्डन ने ईरान के ड्रोन को मार गिराने के साथ अपना रुख तटस्थता से बदलकर इज़रायल के पक्ष में कर लिया है। तुर्की मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है। लेबनान और इराक में शिया मिलिशिया ने इज़रायल पर हमला करने के लिए ईरानी मिसाइलों और ड्रोन के प्रक्षेपण के साथ मिसाइलें और प्रोजेक्टाइल लॉन्च किए। इसके अलावा, सीरिया की सरकार और ईरान समर्थक मिलिशिया ने ईरान को अपना पूरा समर्थन दिया। शोध पत्र का उद्देश्य हाल के इज़रायल– ईरान संघर्ष के प्रति क्षेत्रीय कारकों की प्रतिक्रियाओं को समझना है।
प्रमुख पड़ोसी देशों की प्रतिक्रिया
मिस्र की सतत तटस्थता
इज़रायल पर ईरान द्वारा किए गए हमले के बाद से ही मिस्र की वायु रक्षा प्रणाली को हाई अलर्ट पर रखा गया था। मिस्र के एक अधिकारी ने कहा, “ हम अपने हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले किसी भी ईरानी ड्रोन या मिसाइल को रोकने और मार गिराने के लिए तैयार हैं।”[ii] हमले के बाद, मिस्र की सरकार ने इज़रायल पर हमले के लिए ईरान की निंदा किए बिना संयम बरतने का आह्वान किया। हालाँकि, प्रमुख समाचार चैनलों ने ईरान द्वारा किए गए हालिया हमलों के लिए इज़रायल को ही दोषी ठहराया है। मिस्र के समाचार पोर्टल– द डेली न्यूज़ ने कहा कि हमलों में वर्तमान बढ़ोतरी उन जोखिमों का परिणाम है जिनके बारे में मिस्र ने लगातार चेतावनी दी थी, विशेष रूप से गाजा पट्टी में इज़रायल के हालिया सैन्य अभियानों और क्षेत्र में उत्तेजक कार्रवाइयों के बाद।[iii] अल–अहराम ने 14 अप्रैल 2024 को विदेश मामलों के पूर्व सहायक मंत्री मोहम्मद हेगज़ी का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने कहा कि “दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले सहित सीरिया और लेबनान में इज़रायल आक्रामकता, इज़रायली सरकार द्वारा क्षेत्र में हिंसा बढ़ाने का एक प्रयास था।”[iv] इज़रायल पर ईरान के हमले पर मिस्र सरकार ने तटस्थ रुख अपनाया है। हालाँकि, इसके मीडिया घरानों ने संघर्ष के क्षेत्रीयकरण के लिए इज़रायल पर निशाना साधने से परहेज नहीं किया है।
इज़रायल के लिए जॉर्डन का शत्रु से मित्र बनना
जॉर्डन ने इज़रायल के लिए अपने नज़रिए में बदलाव किया है। ऐतिहासिक रूप से, फ़िलिस्तीनियों के प्रति इज़रायल की नीति के बढ़ते प्रभावों के कारण जॉर्डन और इज़रायल के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। जॉर्डन गाज़ा में इज़रायल के सैन्य अभियान का आलोचक रहा है। हालाँकि, जॉर्डन ने मौजूदा ईरान– इज़रायल विवाद में इज़रायल समर्थक रुख अपनाया हुआ है। जॉर्डन के लड़ाकू विमानों ने इज़रायल पर हमलावर ईरानी ड्रोन को मार गिराया क्योंकि उन्होंने जॉर्डन के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था, इस कार्रवाई के बाद से ही इज़रायल के लिए उसकी दुश्मनी दोस्ती में बदल गई।[v] जॉर्डन ने ईरान के ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने के लिए अपना हवाई क्षेत्र इज़रायल के विमानों के लिए खोल दिया है। हालाँकि, ईरान की अर्ध–सरकारी एजेंसी मेहर न्यूज़ ने बताया कि ईरान के रक्षा मंत्री मोहम्मद रज़ा एष्टियानी ने कड़ी चेतावनी जारी की जिसमें कहा गया कि “ तेहरान ऐसे किसी भी देश के खिलाफ कड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा जो इज़रायल को ईरान पर हमले के लिए अपने हवाई क्षेत्र या जमीनी सीमा के प्रयोग करने की अनुमति देगा।”[vi] जॉर्डन की सरकार ने अपने एक बयान में कहा कि “कल रात हमारे हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाली कुछ वस्तुओं को नष्ट कर दिया गया क्योंकि उनसे हमारी जनता और घनी आबादी वाले क्षेत्रों को खतरा था।”[vii] जॉर्डन का यह रवैया उपनी रणनीति का हिस्सा है, जो साबित करता है कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़रायल का अच्चा भागीदार है।
तुर्की की खामोशी को समझना
इज़रायल पर ईरान के हमले के बाद तुर्की ने ईरान पर संभावित हमलों के लिए अपने हवाई क्षेत्र का प्रयोग करने देने के संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। रॉयटर्स ने यह भी बताया कि तुर्की को ईरान द्वारा किए जाने वाले इस हमले की जानकारी थी। तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने एक सप्ताह पहले ही ईरान की योजनाबद्ध कार्रवाई के बारे में अमेरिका और ईरान से चर्चा की थी। चर्चा के दौरान, अंकारा के माध्यम से वाशिंगटन ने तेहरान को बताया कि किसी भी कार्रवाई को “निश्चित सीमा के भीतर” ही किया जाना चाहिए।[viii] 7 अक्टूबर के गाज़ा युद्ध के बाद से ही तुर्की ने इज़रायल के जवाबी हमले की निंदा की थी। हालाँकि, तुर्की ने विवाद को बढ़ने से रोकने और तेहरान एवं वाशिंगटन की अपेक्षाओं को एक– दूसरे के प्रति निर्देशित करने हेतु मध्यस्थ की भूमिका निभाने की इच्छा व्यक्त की।
सीरिया, इराक और लेबनान की प्रतिक्रिया
सीरिया, इराक और लेबनान को ईरान का प्रतिनिधि माना जाता है, जो इज़रायल के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं। ईरान ने हिजबुल्लाह (लेबनान), हमास और अल–हशद अल–शाबी[ix](इराक) की मदद से इज़रायल के इलाकों पर हमला किया। विशेष रूप से, अल– हशद अल– शाबी इराक और सीरिया में अमेरिकी ठिकानों को भी निशाना बना रहा है। इस क्षेत्र में, संयुक्त राज्य अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने ईरान से आने वाले ड्रोनों को मार गिराया, क्योंकि उन्होंने सीरिया और इराक में देखा गया था।[x] इसके अलावा, यूके की रॉयल एयर फोर्स ने इराक में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अपने ऑपरेशन शेडर मिशन के तहत ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया।[xi]
इज़रायल पर हमले के बाद, लेबनान के हिजबुल्लाह, जो ईरान का सबसे शक्तिशाली छद्म (प्रॉक्सी) सहयोगी है, ने एक बयान दिया था जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों द्वारा विफल करने के बावजूद अपने सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ईरान को बधाई दी गई थी।[xii] हिज़बुल्लाह ने ईरान के बमबारी के लगभग उसी समय कब्जे वाले गोलान हाइट्स में इज़रायली ठिकानों पर रॉकेट दागे।
इज़रायल के इलाकों पर इस सहयोगी हमले में इराक के मिलिशिया ने भी हिस्सा लिया। आरोप है कि कैताब हिज़बुल्लाह, जिसने इज़रायल के खिलाफ हमले में भाग लिया था, को, इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल– सुदानी द्वारा आदेश दिया गया था और पैसे भी दिए गए थे। यह अल– हशद अल– शाबी का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व चीफ ऑफ स्टाफ अब्दुल अज़ीज अल– मुहम्मदावी (उर्फ अबू फदक) करते हैं, जो ईरान के सबसे बड़े नेता अली खामेनेई को अपना कमांडर बताता है।[xiii] इसके अलावा, अन्य प्रमुख मिलिशिया भी है, जैसे नुज़ाबा समूह, बदर संगठन और असैब अहल अल– हक, जिन्होंने इज़रायल पर हमले के दौरान ईरान का भी समर्थन किया था। उन्होंने इसे इज़रायल के खिलाफ युद्ध में एक नए चरण के रूप में देखा है।
सीरिया की सरकार ने भी संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के अनुसार ईरान की प्रतिक्रिया को “आत्म– रक्षा” बताते हुए सही ठहराया है। सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद ने दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर बमबारी के बाद मीडिया से कहा कि "ईरान की प्रतिक्रिया आत्मरक्षा का एक वैध अधिकार है।”[xiv] ईरान को सीरिया की सरकार के समर्थन के अलावा, सीरिया में कई ईरान समर्थक मिलिशिया हैं जैसे 313 बटालियन फोर्स, लिवा अल– बाकिर और कुवैत अल– रिदा जिन्होंने इज़रायल पर ईरान के हमले को सही कहा था।
संक्षेप में, इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष का इस क्षेत्र और विश्व की सुरक्षा, स्थिरता एवं आर्थिक समृद्धि पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए एकीकृत नज़रिया अपनाने के मामले में पश्चिम एशिया क्षेत्र –पहले की तुलना में अधिक बंटा हुआ नज़र आता है। इज़रायल ने साफ– साफ कहा है कि वह ईरान के हमले का बदला लेने के लिए सही समय का इंतज़ार करेगा, वहीं ईरान ने भी ऐलान किया है कि अगर इज़रायल ने ईरान पर हमला जारी रखा तो वह और दूसरे उपाय भी करेगा। डर इस बात का है कि, जैसा कि कई मीडिया घरानों ने रिपोर्ट किया है, ईरान की नतानज़ परमाणु सुविधा इज़रायल के जवाबी हमले के निशाने पर है, ऐसा हुआ तो यह क्षेत्र बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा।
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*डॉ. अरशद, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद (आईसीडब्ल्यूए)
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i]The Iron Dome intercepts short-range rockets, David’s Sling intercepts medium-range rockets and the Arrow System intercepts long-range rockets.
[ii] “Egypt puts air defense on high alert,” Wall Street Journal, April 15, 2024, accessed https://tinyurl.com/4btmw9ub, April 15, 2024.
[iii] “Egypt voices concerns over Iran-Israel escalation, urges restraint,” Daily News, April 13, 2024, accessed https://tinyurl.com/26zeh6xt, April 15, 2024.
[iv] “Israeli aggressions are attempts to drag region into violence: Former Egyptian diplomat,” Ahram Online, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/xz6n77az, April 16, 2024.
[v] “From foe to ally: Jordanian air force downs Iranian drones en route to Israel,” The Jerusalem Post, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/5946e9xn, April 16, 2024.
[vi] “US attacks Iranian drones launched towards Israel, guns down a few over Iraq,” Business Today, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/bdhsp7d8, April 16, 2024.
[vii] “Why did some Arab countries appear to help Israel?” DW.Com, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/3u9sk73v, April 17, 2024.
[viii] “Iran informs Turkey in advance about planned operation against Israel: Report,” Times of India, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/ea25vp5c, April 17, 2024.
[ix]It is also called Popular Mobilization Forces and has been active since 2014. It is loosely organised into 67 different armed factions and has been funded and supported by the IRGC.
[x] “Iran not looking for tension:spokesman,” Tasnim News Agency, April 15, 2024, accessed https://tinyurl.com/3y342tfx, April 17, 2024.
[xi] “RAF shot down Iranian drones heading for Israel, Sunak confirms,” The Guardian, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/y465py64, April 17, 2024.
[xii] “Middle East crisis: Visual guide to Iran’s attack on Israel,” The Guardian, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/yu6mutk3, April 17, 2024.
[xiii] “Kataib Hezbollah is part of Iraq’s PMF,” Washington Institute, April 15, 2024, accessed https://tinyurl.com/d3j83c45, April 17, 2024.
[xiv] “Syria says Iran exercised ‘right to self-defence’ in attack on Israel,” Times of India, April 14, 2024, accessed https://tinyurl.com/33v8dey7, April 17, 2024.