प्रस्तावना
17 फरवरी 2024 को डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) के पूर्वी हिस्से में स्थित गोमा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 'मार्च 23' (एम23) विद्रोही समूह द्वारा हमला किया गया था। इस संदिग्ध ड्रोन हमले से नागरिक हवाई जहाजों एवं संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ। डीआरसी सरकार ने एम23 समूह पर रवांडा के समर्थन से गोमा पर कब्जा करने का आरोप लगाया। हालाँकि, एम23 ने डीआरसी के बयान का खंडन किया और आरोप लगाया कि सरकार डीआरसी सरकार और एम23 समूह के बीच हस्ताक्षरित 2009 के शांति समझौते को लागू करने में विफल रही है। रवांडा ने गोमा हवाईअड्डे पर हमले में एम23 विद्रोहियों का समर्थन करने के डीआरसी के आरोप का भी खंडन किया है।
डीआरसी में एम23 विद्रोहियों के लगातार हमलों की वजह से लोगों का विस्थापन, गरीबी और मानवीय एवं मानवाधिकार संबंधी मुद्दे पैदा हो गए हैं। इसका क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति पर बुरा असर पड़ा है। राष्ट्रपति फेलिक्स त्शिस्केदी की डीआरसी सरकार ने एम23 विद्रोहियों के हमलों को रोकने और स्थिरता लाने हेतु पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (ईएसी), दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सहित कई क्षेत्रीय संगठनों के साथ मिलकर कई उपाय और पहल शुरु किए हैं। यह शोधपत्र डीआरसी में मौजूदा संघर्ष; क्षेत्रीय स्थिरता पर इसका प्रभाव एवं स्थिति को स्थिर करने के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय प्रयासों की प्रभावशीलता का संक्षिप्त विश्लेषण करता है।
23 मार्च विद्रोही और उनका उद्देश्य?
जातीय तुत्सी से बना एम23 डीआरसी के उत्तरी किवु प्रांत के पूर्वी क्षेत्र में सक्रिय 100 से अधिक सशस्त्र समूहों में से एक है। यह समूह मार्च 2009 के शांति समझौते के बाद, जिसमें कहा गया था कि सीएनडीपी सेनानियों को कांगो की राष्ट्रीय सेना में नियुक्त किया जाएगा, और सीएनडीपी एक पंजीकृत राजनीतिक दल बन जाएगा। 2012 में, सीएनडीपी के एक गुट ने यह दावा करते हुए कि कांगो सरकार ने समझौते की शर्तों को पूरा नहीं किया है, एक नया विद्रोही समूह बनाया जिसे एम23 के नाम से जाना जाता है।
एम23 2009 के शांति समझौते को लागू करने तथा कांगो के तुत्सी लोगों, जिनका उसका आरोप है कि उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें रवांडा वंश का माना जाता है, के हितों की रक्षा करने का दावा करता है। एम23 ने 2012 में गोमा शहर पर कब्ज़ा कर लिया था। हालाँकि, एसएडीसी की सहायता से डीआरसी सरकार के साथ बातचीत के बाद, समूह ने 2013 में अपना संचालन बंद कर दिया। एम23 द्वारा की जाने वाली हिंसा उसके लड़ाकों और नेताओं के आत्मसमर्पण की वजह से कम हो गई, लेकिन समूह 2021 में फिर से उभरा और डीआरसी के विभिन्न प्रांतों पर हमला करना शुरू कर दिया, जिससे रवांडा और युगांडा की सीमा से लगे देश के पूर्व में उसे क्षेत्रीय लाभ हुआ। दिसंबर 2022 तक, संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि एम23 ने मार्च 2022 में अपने कब्जे वाले क्षेत्र के लगभग तीन गुना आकार पर कब्जा कर लिया।[i] इस लड़ाई की वजह से मानवीय संकट की स्थिति और बिगड़ गई है, क्योंकि आसपास के इलाकों से हिंसा से भागकर लगभग दो मिलियन लोग गोमा शहर में रह रहे हैं, जहां कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या केवल छह लाख थी।[ii] यह संकट डीआरसी और रवांडा के बीच लंबे समय से चले आ रहे भू-राजनीतिक तनाव के कारण बढ़ा है।
रवांडा कारक
डीआरसी में रवांडा की भागीदारी 1996 से चली आ रही है, जब इसने तत्कालीन शासक मोबुतु सेसे सेको को उखाड़ फेंकने वाले विद्रोह का समर्थन किया था। यह बताया गया है कि रवांडा अपने राजनीतिक तथा आर्थिक हितों के लिए एम23 विद्रोहियों का समर्थन करता है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि एम23 समूह रवांडा से जुड़े लंबे समय से जारी विद्रोही आंदोलनों में सबसे नया है जो रवांडा की आर्थिक और सुरक्षा महत्वाकांक्षाओं का छद्म प्रतिनिधित्व करता है। रवांडा और युगांडा की सीमा से लगा एम23 के कब्जे वाला क्षेत्र प्राकृतिक और खनिज संसाधनों, विशेष रूप से कोबाल्ट से समृद्ध है, जिसका उपयोग स्मार्ट फोन एवं उभरती हरित प्रौद्योगिकी में किया जाता है।[iii] रवांडा कथित तौर पर धन, सैनिकों और हथियारों के द्वारा एम23 का समर्थन करता है। जारी संघर्ष से डीआरसी और रवांडा के बीच तनाव बढ़ा है। डीआरसी के अध्यक्ष फेलिक्स त्सेसीकेदी ने रवांडा पर एम23 समूह का समर्थन करने का आरोप लगाया है, लेकिन रवांडा ने इन आरोपों से इनकार किया है। डीआरसी और रवांडा के बीच बढ़ते तनाव ने न केवल चौतरफा संघर्ष का खतरा बढ़ा दिया है, बल्कि लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है।[iv] अफ्रीकी संघ (एयू), यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय देश डीआरसी का समर्थन कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी संकेत दिया है कि रवांडा डीआरसी में एम23 विद्रोहियों की गतिविधियों के प्रति जिम्मेदार है। नवंबर 2023 में अमेरिका के मध्यस्थता के पश्चात रवांडा और डीआरसी अपनी साझा सीमा पर सैन्य उपस्थिति को कम करने पर सहमत हुए।
क्षेत्रीय और संयुक्त राष्ट्र का प्रयास
एम23 विद्रोही समूह के फिर से ऊभरने की वजह से डीआरसी और लेक्स क्षेत्र की स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। ईएसी, एसएडीसी जैसे क्षेत्रीय संगठन स्थिति को गंभीर बनने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्वी अफ्रीकी समुदाय के नेतृत्व वाली 'नैरोबी शांति प्रक्रिया' और 'लुआंडा रोडमैप' क्षेत्र में शांति और स्थिरता बढ़ाने की दो हालिया पहल हैं। अप्रैल 2022 में शुरू की गई नैरोबी शांति प्रक्रिया समावेशिता, संवाद, स्वामित्व, क्षेत्रीय नेतृत्व एवं अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के सिद्धांतों पर आधारित है।[v] यह बातचीत के माध्यम से संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान तलाशने में डीआरसी सरकार, सशस्त्र समूहों, नागरिक समाज संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सहित सभी हितधारकों को शामिल करना चाहता है। लुआंडा रोडमैप का उद्देश्य प्राथमिकता कार्यों के कार्यान्वयन, शत्रुता की समाप्ति और कब्जे वाले कांगो क्षेत्रों से एम23 की तत्काल वापसी के लिए कोई एक समय तय करना है।[vi]
नवंबर 2022 में, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (ईएसी) ने शांति और स्थिरता बहाल करने हेतु डीआरसी में एक क्षेत्रीय बल तैनात किया। क्षेत्रीय बल को तैनात करने के उद्देश्य निम्नलिखित हैं;
दक्षिणी अफ़्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) ने भी क्षेत्र में जारी संघर्ष को रोकने के कई प्रयास किए हैं। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (एसएएमआईडीआरसी) में दक्षिणी अफ्रीकी विकास मिशन की तैनाती एसएडीसी म्युचुअल डिफेंस पैक्ट (2003) में उल्लिखित सामूहिक स्वरक्षा एवं सामूहिक कार्रवाई के सिद्धांत के अनुसार है। यह संधि इस बात पर जोर देती है; 'स्टेट पार्टियों में से किसी के भी खिलाफ किए गए किसी भी सशस्त्र हमले को क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा और तत्काल सामूहिक कार्रवाई की जाएगी।'
एसएडीसी के अलावा, संयुक्त राष्ट्र ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (मोनुस्को) में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन नामक एक शांति स्थापना मिशन भी तैनात किया है। मोनुस्को का लक्ष्य ऐसे नेटवर्क और समितियाँ बनाना है जो नागरिकों को संघर्षों से बचाने के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन, सुरक्षा एजेंसियों और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करें।
डीआरसी की स्थिरता में भारत की भूमिका
यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारत क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम करते हुए डीआरसी में शांति को स्थिर तथा संरक्षित करने में एक प्रमुख देश रहा है। भारत सहित कई देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (मोनुस्को) में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन में योगदान दे रहे हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक सैनिक एवं पुलिस कर्मियों को भेजा है। पुलिस और सेना सहित लगभग 1970 भारतीय कर्मी वर्तमान में डीआरसी सरकार को शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में मदद करने के लिए तैनात हैं। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की है कि डीआरसी में मिशन 2024 तक समाप्त हो जाएगा, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि कांगो सरकार अब खुद से स्थिति से निपटने में सक्षम है।
निष्कर्ष
देश में एम23 तथा अन्य सशस्त्र समूहों के हमलों को रोकने हेतु डीआरसी सरकार के सहयोग से क्षेत्रीय संगठनों द्वारा की गई इन सभी पहलों और प्रयासों के बावजूद, संघर्ष जारी है। फरवरी 2024 में हाल ही में गोमा हवाई अड्डे पर हुए हमले क्षेत्र में एम23 की क्षमता एवं जमीनी समर्थन को दर्शाते हैं। एम23 को लेकर डीआरसी और रवांडा के बीच बढ़ते तनाव ने क्षेत्र की स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। क्षेत्रीय संगठन और डीआरसी सरकार, हालांकि कई परिचालन एवं संस्थागत चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, फिर भी जरुरत होने पर सभी पक्षों से आवश्यक समर्थन द्वारा घरेलू और क्षेत्रीय तनाव को कम करने की स्थिति में हैं।
*****
*स्यामकुमार वी., रिसर्च एसोसिएट, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियाँ
[i] ACLED , Actor Profile : The March 23 Movement , 23 March 2023, https://acleddata.com/2023/03/23/actor-profile-m23-drc/.
[ii] ACLED , Actor Profile : The March 23 Movement , 23 March 2023, https://acleddata.com/2023/03/23/actor-profile-m23-drc/.
[iii] Peace News- A legacy of failed peace processes threatens millions in the DRC by Leo Weakland
[iv] Peace News- A legacy of failed peace processes threatens millions in the DRC by Leo Weakland
[v] International Conference on the Great Lakes Region, Mini –Summit on Peace and Security in the Eastern Region of the Democratic Republic of the Congo, https://icglr.org/wp-content/uploads/2022/11/EN-Final-communique.pdf.
[vi] International Conference on the Great Lakes Region, Mini –Summit on Peace and Security in the Eastern Region of the Democratic Republic of the Congo, https://icglr.org/wp-content/uploads/2022/11/EN-Final-communique.pdf.