फ़ॉकलैंड द्वीप समूह (इस्लास माल्विनास)[i] पर कब्ज़ा करने का सवाल अर्जेंटीना की राजनीति में हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है और यहां तक कि 2023 के चुनाव अभियान के दौरान भी विभिन्न उम्मीदवारों ने इसका जिक्र किया था। वर्तमान राष्ट्रपति जेवियर माइली ने द्वीपों पर अर्जेंटीना की बिना किसी संदेह के संप्रभुता को दोहराया था और उन्हें फिर से हासिल करने के राजनयिक तरीकों का सुझाव दिया था। अपने एक भाषण में, उन्होंने सामान्य वैचारिक स्थिति के कारण पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की आर्थिक नीतियों के प्रति सहमति व्यक्त की। हालाँकि, इससे 1982 के युद्ध[ii] के दिग्गजों के बीच असहमति पैदा हो गई क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री थैचर ने युद्ध में अर्जेंटीना पर जीत हासिल करने हेतु ब्रिटिश सेना का नेतृत्व किया और द्वीपों पर नियंत्रण हासिल करना सुनिश्चित कि थाया। पद संभालने के बाद, उन्होंने एक बार फिर द्वीपों पर स्वामित्व हासिल करने का इरादा व्यक्त किया, और राजनयिक माध्यमों से यूके के साथ जुड़ने की इच्छा व्यक्त की है।
इस बीच, ब्रिटेन ने किसी भी चर्चा की संभावना से इनकार करते हुए द्वीपों पर अपनी निरंतर संप्रभुता की स्थिति बरकरार रखी है। इसे दोहराते हुए, ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड कैमरन ने फ़ॉकलैंड द्वीप समूह के दौरे में द्वीपों को चर्चा से बाहर रखते हुए, द्विपक्षीय स्तर पर अर्जेंटीना के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की। आर्थिक संकट का सामना कर रहे अर्जेंटीना के पास द्वीपों के संबंध में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के साधन सीमित हैं, जो ब्रिटेन द्वारा इस पर बातचीत नहीं करने की वजह से और भी गंभीर हो गया है।
इस शोध-पत्र में अर्जेंटीना और यूके के परिप्रेक्ष्य से द्वीपों पर संप्रभुता के दावों और फ़ॉकलैंड द्वीप समूह पर अर्जेंटीना की स्थिति की चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
फ़ॉकलैंड द्वीप समूह (इस्लास माल्विनास) के संबंध में विवाद
फ़ॉकलैंड द्वीप समूह 12,173 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और 3500 लोगों की आबादी के साथ दो हिस्सों[iii], पूर्व एवं पश्चिम फ़ॉकलैंड में बंटा हुआ है, यह ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्रों में से एक है। द्वीपों पर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं जिसमें जलीय जीवन, पशुधन और कुछ हाइड्रोकार्बन जमा शामिल हैं।[iv] 2009 से एक नए संविधान को अपनाने के बाद से, द्वीपों को यूके की देखरेख में एक आंतरिक स्वशासन द्वारा प्रशासित किया गया है। कथित तौर पर द्वीपों में कोई भी मूल निवासी नहीं था और यूके, स्पेन एवं फ्रांस जैसे यूरोपीय देश अक्सर उन पर दावा करते थे और एक दूसरे से स्वतंत्र अलग-अलग उपनिवेश थे। फ्रांसीसियों ने 1764 में एक बेस स्थापित किया था जिसे बाद में स्पेन को बेच दिया गया और इसका नाम बदलकर प्यूर्टो डे ला सोलेदाद कर दिया गया।
अंग्रेजों ने 1766 में द्वीपों पर एक बस्ती स्थापित की और बस्ती को बनाए रखने में आर्थिक परेशानियों के कारण 1774 में कुछ समय के लिए इससे पीछे हट गए। दूसरी ओर, अर्जेंटीना को स्पेन से द्वीप विरासत में मिले और उसने 1820 में एक बस्ती की स्थापना की, जैसा कि उसका दावा है, 1833 में अंग्रेजों ने उसे निष्कासित कर दिया था, इसलिए उन्हें द्वीपों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने में मदद मिली। जबकि ब्रिटिशों का कहना है कि 1774 में द्वीपों से हटने के बावजूद द्वीपों पर ब्रिटिश संप्रभुता की यथास्थिति बनी रही। अर्जेंटीना का कहना है कि स्पेनिश साम्राज्य के विघटन और उसकी अपनी स्वतंत्रता के बाद से ये द्वीप उसके हैं और 1833 में अर्जेंटीना बस्ती के निष्कासन को अन्यायपूर्ण बताता है।
अर्जेंटीना के दावे 10 जून, 1829[v] के आदेश पर आधारित हैं, जिसमें इसे पूर्व स्पेनिश साम्राज्य की क्षेत्रीय संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी माना गया है जिसमें फ़ॉकलैंड द्वीप समूह शामिल हैं। उपर्युक्त आदेश ये यह स्थापित हुआ कि स्पेनिश साम्राज्य ने सबसे पहले कब्जे के अधिकार के आधार पर द्वीपों पर नियंत्रण स्थापित किया और 1820[vi] से अर्जेंटीना वैध उत्तराधिकारी के रूप में द्वीपों पर संप्रभुता का इस्तेमाल करने लगा। इसलिए, अर्जेंटीना के दावे पूर्व औपनिवेशिक कब्जे की विरासत पर आधारित हैं। इससे 1965[vii] के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 2065 (एक्सएक्स) पर भी तर्क दिया जाता है जिससे द्वीपों पर विवाद को मान्यता दिया गया है, और विवाद का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए विउपनिवेशीकरण पर विशेष समिति के दायरे में बातचीत का आह्वान करता है।
द्वीपों पर ब्रिटेन का दावा 1766 से[viii] इसके स्वामित्व और स्वनिर्णय पर आधारित है जिसके द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि द्वीपों के निवासियों को अपना भविष्य एवं स्थिति चुनने का अधिकार है। इस दावे को 2013[ix] के जनमत संग्रह से और भी बल मिला है, जिसमें द्वीपवासियों ने भारी बहुमत (99.8 प्रतिशत) से यूके के पक्ष में मतदान किया था। यह 1833 में अर्जेंटीनी समझौते से हटने को भी मनगढ़ंत बात कहकर खारिज करता है।
दो विरोधाभासी दावों को समझने पर, यह स्पष्ट है कि अर्जेंटीना का दावा 1820 से विरासत पर आधारित है और 1833 में अपने निवासियों के निष्कासन को मान्यता देने से इनकार करता है, जबकि यूके द्वारा किया गया दावा स्वनिर्णय और स्वामित्व के सिद्धांत पर आधारित है। 1766. 1982 का युद्ध जिसके कारण अर्जेंटीना सेना की हार हुई, से भी यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ और विवाद जारी रहा।
अपने दावों को अमल में लाने में अर्जेंटीना के सामने आगे की चुनौतियाँ
किसी भी पक्ष के ऐतिहासिक दावों के बावजूद, यह एक अकाट्य तथ्य है कि फ़ॉकलैंड द्वीप समूह पर अभी अपने स्वयं के संविधान और सरकार के साथ ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र के रूप में प्रशासित किया जाता है। यहां के निवासी ब्रिटिश नागरिक हैं और यहां तक कि 2013 के जनमत संग्रह के नतीजे भी निवासियों की यथास्थिति बनाए रखने की इच्छा को स्पष्ट करते हैं। द्वीप पर किसी भी मूल अर्जेंटीना निवासी के न होने से कानूनी आधार पर अर्जेंटीना के दावे कमजोर होते हैं। जबकि 1994[x] में अर्जेंटीना के संविधान में एक संशोधन में कहा गया था कि द्वीपों को फिर से हासिल करने हेतु प्रतिबद्ध विचारधाराओं के बावजूद बाद की सरकारों की राजनीतिक जिम्मेदारी थी, लेकिन अर्जेंटीना में जनता की धारणा कई आधारों पर भिन्न है। एक तरफ बहुत से लोग मानते हैं कि द्वीपों पर संप्रभुता महत्वपूर्ण है[xi], वे उन आर्थिक संकटों से अधिक चिंतित हैं जिनसे देश लंबे समय से जूझ रहा है। इसलिए, आर्थिक मुद्दों, सार्वजनिक सुरक्षा, नार्को-तस्करी, रोजगार और जलवायु परिवर्तन से लेकर कई घरेलू चिंताएँ द्वीपों पर संप्रभुता के मुद्दे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
1982 के युद्ध के बाद, अर्जेंटीना में बाद की सरकारों ने चीन जैसे क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों से मदद लेकर राजनयिक तरीकों[xii] का सहारा लिया। सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों का समुदाय) और मर्कोसुर जैसे समूहों ने अर्जेंटीना के प्रति समर्थन व्यक्त किया है, जबकि जी-77 और ओएएस (ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स) जैसे अन्य समूहों ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर से शुरू करने का सुझाव दिया है।
दूसरी ओर, ब्रिटेन ने कई मौकों पर द्वीपों पर संप्रभुता के सवाल पर किसी भी चर्चा से इनकार किया है, और दोहराया है कि 2013 के जनमत संग्रह को द्वीपों की स्थिति का आधार मानते हुए अपनाया जाना चाहिए। इसने अर्जेंटीना के दावों का समर्थन करने वाले किसी भी क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय समूह[xiii] और देशों की स्थिति को भी खारिज कर दिया है। इसके अलावा, 1984 से ब्रिटिश सरकार की मंजूरी के साथ फ़ॉकलैंड द्वीप समूह की सरकार द्वारा हाइड्रोकार्बन संसाधनों की खोज[xiv] और उत्पादन के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया है, इससे संप्रभुता के मामले में यूके की स्थिति मजबूत हुई है। अर्जेंटीना के विरोध के बावजूद, इससे ब्रिटेन को क्षेत्र में संसाधन अन्वेषण पर लाभ मिलना जारी है।
संसाधनों के दोहन के मामले में महत्वपूर्ण स्थान होने के बजाय द्वीपों पर संप्रभुता एक भावनात्मक मुद्दा है। वास्तव में, द्वीपों पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों से एकत्र राजस्व फ़ॉकलैंड सरकार द्वारा लिया जाता है जबकि ब्रिटेन इसका इस्तेमाल अपने रक्षा क्षेत्र पर करता है। जबकि अर्जेंटीना का तर्क है कि अभी भी ब्रिटिश नियंत्रण बने रहना अन्यायपूर्ण है और यह औपनिवेशिक का नया स्वरूप है, ब्रिटेन के लिए, द्वीपों पर उसकी संप्रभुता को विशेष रूप से 1982 के युद्ध के बाद के निवासियों के प्रति प्रतिबद्धता माना जाता है। इसलिए, जैसा कि पहले कहा गया है, माइली के बाद भी राष्ट्रपति पद संभालने वालों ने ब्रिटेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का सुझाव दिया गया, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने ऐसी किसी भी चर्चा में शामिल होने से इनकार कर दिया[xv], जिससे दोनों के बीच राजनयिक गतिरोध पैदा हो गया।
निष्कर्ष
हालांकि, दोनों प्रतिस्पर्धी देशों ने पुरानी जानकारियों के आधार पर द्वीपों पर संप्रभुता का दावा किया है, लेकिन यह अभी एक स्वशासित ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र है। हालाँकि अर्जेंटीना ने क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की है, लेकिन उसके पास ब्रिटेन को इस मुद्दे पर बातचीत करने हेतु मजबूर करने के साधनों का अभाव है। द्विपक्षीय संबंधों एवं अन्य क्षेत्रों में जुड़ाव बढ़ाने की इच्छा व्यक्त करने के अलावा, यूके ने द्वीपों की संप्रभुता के संबंध में चर्चा करने से इनकार कर दिया है। अर्जेंटीना के आर्थिक मुद्दे और अन्य घरेलू चिंताएँ राष्ट्रपति माइली के तहत वर्तमान सरकार की प्राथमिकता हैं और उसके पास द्वीपों पर दोबारा कब्ज़ा करने के साधनों का अभाव है। इसलिए, ऐसा लगता है कि फ़ॉकलैंड द्वीप समूह पर संप्रभुता का मुद्दा साधनों के बिना एक राष्ट्रीय मुद्दा बना रहेगा।
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*डॉ. अर्नब चक्रवर्ती, शोधकर्ता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] While the UK uses the name Falklands, Argentina prefers to use the Spanish name Las Islas Malvinas.
[ii] While the UK uses the name Falklands, Argentina prefers to use the Spanish name Las Islas Malvinas.
[iii] Falklands Islands Government. (2024). Our history. Accessed 13th March 2024. https://www.falklands.gov.fk/our-history#:~:text=The%20Falkland%20Islands%20have%20never,a%20garrison%20at%20Port%20Egmont..
[iv] Although the adjoining areas of the islands have proven hydrocarbon deposits amounting to anywhere between 1.7 to 5 billion barrels of recoverable deposits and around 9 trillion cubic feet of natural gas, issues such as territorial dispute, effect on the environment and the cost of resource extraction are significant impediments. There are three main hydrocarbon basins, the North Falkland Basin, the South Falkland Basin, and the East Falkland Basin out of which the Sea Lion Oil field is the largest. Since 1996 licences for exploration and production have been awarded to several companies, notably Shell, Lasmo, and Hess. Currently, the Sea Lion Project is being operated jointly by Navitas Petroleum and Rockhopper Exploration targeting production of up to 200,000 barrels of oil per day.
[v] Gobierno de Argentina. (2024). Dia de la Afirmación de los Derechos Argentinos sobre las Islas Malvinas, Georgias del Sur y Sándwich del Sur y los Espacios marítimos e insulares correspondientes. Accessed 16th March 2024. https://www.argentina.gob.ar/noticias/dia-de-la-afirmacion-de-los-derechos-argentinos-sobre-las-islas-malvinas-georgias-del-sur-0#:~:text=Las%20Malvinas%20son%20argentinas%20por,y%20amistad%20con%20nuestro%20pa%C3%ADs%E2%80%93..
[vi] Gobierno de Argentina. (2024). Dia de la Afirmación de los Derechos Argentinos sobre las Islas Malvinas, Georgias del Sur y Sándwich del Sur y los Espacios marítimos e insulares correspondientes. Accessed 16th March 2024. https://www.argentina.gob.ar/noticias/dia-de-la-afirmacion-de-los-derechos-argentinos-sobre-las-islas-malvinas-georgias-del-sur-0#:~:text=Las%20Malvinas%20son%20argentinas%20por,y%20amistad%20con%20nuestro%20pa%C3%ADs%E2%80%93..
[vii] Gobierno de Argentina. (2024). Dia de la Afirmación de los Derechos Argentinos sobre las Islas Malvinas, Georgias del Sur y Sándwich del Sur y los Espacios marítimos e insulares correspondientes. Accessed 16th March 2024. https://www.argentina.gob.ar/noticias/dia-de-la-afirmacion-de-los-derechos-argentinos-sobre-las-islas-malvinas-georgias-del-sur-0#:~:text=Las%20Malvinas%20son%20argentinas%20por,y%20amistad%20con%20nuestro%20pa%C3%ADs%E2%80%93..
[viii] UK Parliament, House of Lords Library. (2024). Sovereignty since the ceasefire: The Falklands 40 years on. Accessed 14th March 2024. https://lordslibrary.parliament.uk/sovereignty-since-the-ceasefire-the-falklands-40-years-on/#heading-2.
[ix] The question posed at the 2013 referendum was, “Do you wish the Falkland Islands to retain their current political status as an Overseas Territory of the United Kingdom?” to which 99.8 percent of the voters responded in affirmative. The total votes polled were 1518, out of which 1513 responded in affirmative while only 3 votes were in negative. The total turnout was 92 percent. Argentina did not recognise the results of the referendum.
[x] NACLA. (2023). The Falklands/ Malvinas and Argentina’s Thatcherite Turn. Accessed 16th March 2024. https://nacla.org/argentina-thatcherite-turn-milei-falklands-malvinas.
[xi] NACLA. (2023). The Falklands/ Malvinas and Argentina’s Thatcherite Turn. Accessed 16th March 2024. https://nacla.org/argentina-thatcherite-turn-milei-falklands-malvinas.
[xii] In 2016 an agreement known as the Foradori-Duncan Pact, was reached between the UK and Argentina which would freeze the issue of sovereignty over the Falkland Islands and instead focus on bilateral cooperation on various fields. In March 2023 Argentina withdrew from the agreement causing distrust between both the countries. The 2016 Agreement was an upgrade of the 1995 UK-Argentine Hydrocarbons Agreement that allowed joint exploration and prospecting of hydrocarbon resources, it was formally rescinded in 2007.
[xiii] In July 2023 the UK criticised the use of the words Islas Malvinas (the Argentine name of the Falkland Islands) in an agreement between the EU and the CELAC.
[xiv] Grace Livingstone. (2022). Oil and the Falklands/ Malvinas: oil companies, governments and Islanders. The Round Table, The Commonwealth Journal of International Affairs. 111(1), 91-103. Accessed 16th March 2024. https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/00358533.2022.2037235.
[xv] MercoPress. (2024). Cameron after better relations with Argentina but not at the expense of the Falklands. Accessed 15th March 2024. https://en.mercopress.com/2024/02/20/cameron-after-better-relations-with-argentina-but-not-at-the-expense-of-the-falklands?utm_source=feed&utm_medium=rss&utm_content=main&utm_campaign=rss&ct=t(RSS_EMAIL_CAMPAIGN).