विदेश मामलों पर ताजिकिस्तान गणराज्य के राष्ट्रपति के सहायक श्री अज़ोमशो शरीफी; ताजिकिस्तान गणराज्य के राष्ट्रपति के अंतर्गत आने वाले सामरिक अनुसंधान केंद्र के निदेशक एवं एससीओ फोरम के अध्यक्ष श्री उस्मोनजोदा खैरिद्दीन; शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव श्री झांग मिंग और अन्य सभी विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल।
2. दुशांबे के इस खूबसूरत शहर में एससीओ फोरम की 18वीं बैठक में भाग लेना मेरे लिए बेहद खुशी की बात है। 18वें एससीओ फोरम का महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इसका आयोजन महामारी के दौरान पिछली तीन एससीओ फोरम की बैठकों के बाद वर्चुअली नहीं बल्कि सभी लोगों की प्रत्यक्ष उपस्थिति में किया जा रहा है।
3. भारत 2017 में सदस्य राष्ट्र के तौरपर संगठन में शामिल होने के पश्चात पहली बार एससीओ परिषद के राष्ट्र प्रमुखों का अध्यक्ष बना है। भारत की अध्यक्षता का मुख्य विषय 'SECURE SCO की ओर' है। SECURE 2018 में एससीओ के क़िंगदाओ शिखर सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त किया गया शब्द है। इसका विस्तृत रुप सिक्योरिटी, इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन, कनेक्टिविटी, यूनिटी, रिस्पेक्ट फॉर सावरेंटी और एनवायरनमेंट है।
4. भारत ने एससीओ में मध्य एशियाई देशों की केंद्रीय भूमिका को मान्यता दी है। इसी भावना से, अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने 2022 में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति मिर्ज़ियोयेव द्वारा उल्लिखित "समरकंद की भावना" के विचार यानी दुनिया को विभाजित नहीं, एक माना जाना है, को आगे बढ़ाने का भी प्रयास किया है। यह वसुधैव कुटुम्बकम - एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य - के भारत के सदियों पुराने आदर्श वाक्य का भी पूरक है। एससीओ एक ऐसा प्लेटफार्म होना चाहिए जो सर्वसम्मति से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग हेतु सभी देशों को एकजुट कर सके।
5. भारत ने एससीओ के पर्यवेक्षकों तथा संवाद भागीदारों के साथ जुड़ने हेतु सार्थक तथा ठोस प्रयास किए हैं। पहले की तुलना में, भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ के संवाद भागीदारों और पर्यवेक्षकों को 15 से अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों और तकनीकी सेमिनारों में हिस्सा लेने हेतु आमंत्रित किया गया था।
6. एससीओ ऐसा संगठन है, जिसमें सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ईरान और बेलारूस एससीओ में हाल ही में शामिल किए गए सदस्य होंगे। कई देश एससीओ के साथ सदस्य, पर्यवेक्षक या संवाद भागीदार के रूप में जुड़ना चाहते हैं। इससे न केवल संगठन द्वारा अपनाई गई नीति उन्मुखीकरण को मान्य मिलती है बल्कि यह भी दर्शाता है कि यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय बहुपक्षीय तंत्र के रूप में देखा जाता है।
7. चूंकि एससीओ परिवार बढ़ रहा है, ऐसे में हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं, विशेषतः कनेक्टिविटी, आर्थिक एवं सुरक्षा क्षेत्रों में और संगठन को अधिक प्रभावी बनाने में। ईरान के सदस्य राष्ट्र के रूप में एससीओ में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी बहुविध पहलों के साथ चाबहार मध्य एशियाई देशों को समुद्र तक एक सुरक्षित, व्यवहार्य और अबाध पहुंच दे सकता है। इस तरह से कनेक्टिविटी बढ़ने से क्षेत्र तथा एससीओ का विकास पुनः जीवंत होगा।
8. एससीओ में आतंकवाद, उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध जैसी सुरक्षा चुनौतियाँ हैं, जिनमें साइबर स्पेस भी शामिल है। हमारे क्षेत्र में आतंकवाद का खतरा हमारे सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक रहा है और आगे भी रहेगा। हमें आतंकवाद के अभिशाप से निपटने हेतु अच्छी राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प की जरुरत है। एससीओ आरएटीएस तंत्र अभी सक्रिय है और इसमें आतंकवाद तथा अन्य सुरक्षा खतरों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने की पूरी क्षमता है। आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करना एससीओ के मुख्य उद्देश्य में से हैं। अफगानिस्तान की स्थिति सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
9. भारत ने हमेशा से बहुपक्षीय दृष्टिकोण और प्रभावी बहुपक्षीय संस्थानों की तरफदारी की है, और एससीओ को सशक्त बनाने हेतु प्रतिबद्ध है। उभरती हुई दुनिया में संगठन का रणनीतिक अभिमुखता 'पारस्परिक रूप से लाभकारी शांतिपूर्ण विकास एवं समृद्धि' के विचार पर आधारित होनी चाहिए, जो समकालीन दुनिया के आज के जटिल भू-राजनीतिक परिवेश में बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें सभी की भलाई है, विशेषतः ग्लोबल साउथ का।
10. सदस्यों की बढ़ती संख्या तथा एससीओ की शुरुआत हुए तीन दशक बीतने के साथ, यह तेजी से बदलती दुनिया में संगठन को प्रासंगिक बनाए रखने हेतु इसमें सुधार और आधुनिकीकरण का उपयुक्त समय है। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी को एससीओ की आधिकारिक भाषा बनाकर, संगठन लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ा सकता है। इससे लोगों-से-लोगों के जुड़ाव को भी मजबूती मिलेगी, जिसे हमें पर्यटन, सभ्यतागत तथा आध्यात्मिक जुड़ाव जैसे विभिन्न तरीकों से बढ़ाना चाहिए। इसमें युवाओं का जुड़ाव सबसे अहम है क्योंकि वे एससीओ का भविष्य हैं।
11. भारत द्वारा एससीओ की अध्यक्षता का जश्न मनाने हेतु भारतीय वैश्विक परिषद ने दो प्रमुख कार्यक्रमों का आयोजन किया। मार्च 2023 में हमने 'एससीओ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: रीकनेक्ट ~ रिजूवनेट' का आयोजन किया। इसमें 20 से अधिक एससीओ देशों ने हिस्सा लिया। दूसरा कार्यक्रम एससीओ रेजिडेंट रिसर्चर्स प्रोग्राम था। यह कार्यक्रम के ज़रिए एससीओ देश के एक युवा विद्वान को देश के प्रमुख थिंक-टैंक और विचारकों से जुड़ते हुए भारत में एक महीने बिताने का अवसर मिलता है।
12. अंत में मैं कहना चाहूंगा कि एससीओ फोरम थिंक टैंक, शिक्षाविदों तथा विद्वानों को अपने विचारों का आदान-प्रदान करने, विविध दृष्टिकोणों को समझने और सहयोग हेतु अपने विचार सामने रखने का अवसर देता है। हमारे फोरम में हुई चर्चाओं से उभरने वाले रचनात्मक विचार दिल्ली में आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन हेतु भी उपयोगी होंगे।
धन्यवाद।
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