विश्व मामलों की भारतीय परिषद में आपका हार्दिक स्वागत! ‘बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत-मिस्र संबंधों’ पर आज की पैनल चर्चा 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र अरब गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री अब्देल फत्ताह अल-सिसी की यात्रा से ठीक पहले हो रही है।
मैं मुख्य भाषण देने और आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता करने पर सहमत होने के लिए विदेश मंत्रालय के सचिव डॉ. औसाफ सईद को धन्यवाद देता हूँ । मैं, हमारे निमंत्रण को स्वीकार करने और आज की पैनल चर्चा में विशेष टिप्पणी देने के लिए सहमत होने के लिए भारत में मिस्र के राजदूत महामहिम श्री वाल मोहम्मद अवद हमीद का भी विशेष आभार व्यक्त करता हूँ । मैं पैनल के अन्य सदस्यों - राजदूत नवदीप सूरी, मिस्र में भारत के पूर्व राजदूत, श्री अतुल अनेजा और श्री पी.एस. जयरामन के शामिल होने के लिए समान रूप से आभारी हूँ । मैं दर्शकों के बीच राजनयिक कोर, अकादमिक और रणनीतिक समुदाय के सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का भी स्वागत करता हूँ ।
राष्ट्रपति अल-सिसी उस वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे जब भारत और मिस्र अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं। गणतंत्र दिवस, हमारे राष्ट्रीय कैलेंडर में इतने महत्वपूर्ण दिन, पर मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रण एक ऐसा सम्मान है जो भारत अपने करीबी और मैत्रीपूर्ण भागीदारों को प्रदान करता है ।
भारत और मिस्र दोनों, दो प्राचीन और महान सभ्यताएँ होने के अलावा, वैश्विक दक्षिण के लिए मजबूत आवाजे हैं। राष्ट्रपति अल-सिसी की आगामी यात्रा, राष्ट्रपति बनने के बाद से उनकी तीसरी भारत यात्रा होगी। भारत की उनकी पहली यात्रा अक्टूबर 2015 में हुई थी जब उन्होंने तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग लिया था और बाद में सितंबर, 2016 में उनकी राजकीय यात्रा पर भारत में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। राष्ट्रपति अल-सिसी की वर्तमान यात्रा न केवल द्विपक्षीय परिप्रेक्ष्य से बहुत महत्वपूर्ण है, बल्कि इसलिए भी कि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब विश्व राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। कोविड महामारी ने अभूतपूर्व अव्यवस्था पैदा कर दी है और रूस-यूक्रेन संघर्ष के वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए, गंभीर परिणाम हुए हैं। 2022-2023 में जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने मिस्र को जी-20 बैठकों में अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया है। यह सब भारत-मिस्र संबंधों के व्यापक क्षितिज का प्रतिबिंब है और सामान्य रूप से विस्तृत अरब दुनिया और विशेष रूप से हमारे पारंपरिक राजनीतिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में मिस्र पर भारत के बढ़ते ध्यानाकर्षण का प्रमाण है।
वैश्विक राजनीति के इस तेजी से बदलते परिदृश्य में, भारत और मिस्र जैसे देशों के लिए धारणाओं को साझा करना और हमारे वर्तमान संबंधों का जायजा लेना महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि भविष्य का स्वरुप तैयार किया जा सके। आज का पैनल भारत-मिस्र संबंधों और इसके साझा मूल्यों और हितों पर विचार करेगा ।
इन शब्दों के साथ, मैं यहाँ आने और एक उपयोगी चर्चा की प्रतीक्षा करने के लिए फिर से सभी को धन्यवाद देता हूँ ।
शुक्रिया
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