राजदूत अशोक कंठ,
लेफ्टिनेंट जनरल एस.एल. नरसिम्हन,
प्रो श्रीकांत कोंडापल्ली,
प्रो श्रीराम चौलिया,
और सभी उपस्थितजन,
विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चीन के बीआरआई: सहयोग, विरोधाभास और चिंताएं पर पुस्तक चर्चा के लिए आज हमारे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद। यह पुस्तक विभिन्न आयामों से बीआरआई का एक इन-हाउस आईसीडब्ल्यूए अध्ययन है। हमारे पूरे शोध संकाय ने इस अध्ययन में शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं।
2. बीआरआई परियोजनाएं चीन के व्यवहार, इसके विस्तारित वैश्विक पदचिह्न और चीनी राज्य के कामकाज की पद्धति को समझने के संदर्भ में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। परिषद ने इन उद्देश्यों के साथ और बीआरआई के 10वें वर्ष में इसकी प्रगति का आकलन करने के लिए इस पुस्तक को प्रकाशित किया है।
3. यह पुस्तक बीआरआई पहल का मूल्यांकन इसकी अवधारणा, इसके कार्यान्वयन के साथ-साथ दुनिया भर के अलग-अलग देशों और क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य से इसके निहितार्थ के संदर्भ में करती है। इससे पता चलता है कि (क) बीआरआई चीन द्वारा अपने रणनीतिक हित के लिए शुरू की गई एक परियोजना है और कई साझेदार देश इसे भली-भांति समझ रहे हैं। कुल मिलाकर, भागीदार देश अब बीआरआई से संबंधित परियोजनाओं के प्रति अधिक 'सतर्क' दृष्टिकोण अपना रहे हैं। (ख) इसके द्वितीय दशक में आने पर, चीन स्वयं बीआरआई का पुन मूल्यांकन कर रहा है और कुछ क्षेत्रों/महाद्वीपों विशेषकर दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में प्राप्तकर्ता देशों द्वारा परियोजनाओं पर पुनः चर्चा, आकार घटाने और यहां तक कि रद्द करने पर विचार कर रहा है। (ग) बीआरआई नेटवर्क से अनेक देशों में ऋण जाल अथवा ऋण भय का मुद्दा एक प्रमुख चिंता का विषय बनकर उभरा है; (घ) प्रत्येक बीआरआई परियोजना पर अब चीन और भागीदार देशों के बीच पहले की तुलना में अधिक कड़ाई से चर्चा की जा रही है। हालांकि, यह मानना होगा कि विभिन्न क्षेत्रों की शक्ति गतिशीलता ने बीआरआई की संभावनाओं को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है;
4. सितंबर 2021 में, चीन ने अपनी वैश्विक विकास पहल और अप्रैल 2022 में अपनी वैश्विक सुरक्षा पहल की घोषणा की। विशेष रूप से वैश्विक विकास पहल को "बीआरआई के विस्तार" या "बीआरआई के लिए बूस्टर खुराक" के रूप में देखा गया है। इसलिए, बीआरआई के संदर्भ में दो नई "वैश्विक" पहलों पर चर्चा करना सार्थक होगा।
5. भारत के दृष्टिकोण से, बीआरआई को समझना महत्वपूर्ण है जो आर्थिक और भू-राजनीतिक क्षेत्रों में, अवसरों और चुनौतियों के संदर्भ में, हमारे सबसे बड़े पड़ोसी की एक प्रमुख पहल है। चीन के बीआरआई पर भारत का रुख स्पष्ट और सुसंगत रहा है। संयोजकता पहल सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए और राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और खुलेपन, पारदर्शिता और वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। बीआरआई परियोजनाओं में इन पहलुओं में काफी कमी है।
6. हमें प्रतीत होता है कि हमारा शोध न केवल चीन शोध विद्वानों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि इन क्षेत्रों में चीन की गतिविधियों में रुचि रखने वाले अन्य भौगोलिक क्षेत्रों के विद्वानों के साथ-साथ वृत्तिकों के लिए भी उपयोगी होगा।
7. हम 16 अक्तूबर 2022 से शुरू होने वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की 20 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस- एक बैठक जिस पर बहुत बारीकी से नजर रखी जाएगी, से ठीक पहले यह चर्चा कर रहे हैं।
8. मैं चर्चा आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हूं। धन्यवाद।
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