आदरणीय अतिथिगण,
देवियों और सज्जनों,
सु– प्रभात!
"भू–राजनैतिक परिवर्तन और अवसर: भारत– दक्षिणपूर्ण एशियाई संबंधों में नए आयाम" विषय पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करना सौभाग्य की बात है। आसियान– भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के हमारे स्मरणोत्सव को जारी रखने हेतु इस दो दिवसीय कार्यक्रम के आयोजन के लिए मैं, भारतीय वैश्विक परिषद (आईसीडब्ल्यूए) और आसियान– भारत संबंधों की सराहना करता हूँ। सम्मेलन के एजेंडे में आसियना और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ हमारे संबंधों के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। विशिष्ट वक्ताओं की श्रृंखला निस्संदेह कुछ व्यावहारिक और उच्च गुणवत्ता वाली नीतिगत सिफारिशों में परिणत होगी जिससे सरकार को लाभ होगा।
2. वर्ष 2022 में आसियान और भारत के बीच संवाद संबंधों की 30वीं वर्षगांठ है जिसे आसियान– भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर दोनों ही पक्षों ने कई कार्यक्रमों का आयोजन करने पर सहमति जताई है। वर्ष के आरंभ में हमने मैत्री वर्ष मनाने के लिए संयुक्त लोगो जारी किया था। पिछले महीने ही भारत ने नई दिल्ली में विशेष आसियान– भारत विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की। इसके साथ ही दिल्ली वार्ता का 12वां संस्करण भी आयोजित किया गया जिसमें आसियान के विदेश मंत्रियों द्वारा 'भारत– प्रशांत में अंतराल को पाटने' विषय पर विचार साझा किए गए। वर्ष में आगे चल कर कई अन्य गतिविधियों को आयोजित करने की भी हमारी योजना है। हमारी सक्रियता हमारे राष्ट्रों के बीच विशेष संबंध को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
3. भारत और दक्षिण–पूर्व एशियाई क्षेत्र में कई सहस्राब्दियों से लोगों, विचारों और भौतिक वस्तुओं का निरंतर प्रवाह होता आया है। इसने हमारी संस्कृति और सभ्यता के सभी पहलुओं पर अपनी छाप छोड़ी है जिसमें धर्म से लेकर कला और वास्तुकला, भाषा और साहित्य से लेकर व्यंजनों, शिल्प एवं वस्त्र से लेकर संगीत, नृत्य और अभिनय तक शामिल हैं।
4. समकालीन युग में, नई वैश्विक वास्तविकताओं के मद्देनज़र 1990 के दशक के आरंभ में शुरू हुई आसियान– भारत साझेदारी अब एक मजबूत और रणनीतिक साझेदारी में बदल गई है। कई सहस्राब्दियों से दक्षिण पूर्ण एशिया और भारत के बीच सभ्यतागत संपर्क, भूमि और समुद्री संपर्क और अंतर– सांस्कृतिक आदान–प्रदान आसियान– भारत सामरिक साझेदारी के लिए मजबूत आधार के रूप में कार्य करता है।
5. आसियान– भारत संबंध भारत की विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों में से एक है। यह हमारे देश में सुधारों के युग से जुड़ा है और हमारी समकालीन सोच पर इसके व्यापक प्रभाव के लिए जाना जाता है। ‘पूर्व की ओर देखो (लुक ईस्ट)’ नीति अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदल चुकी है और इसके बाद इससे हमें व्यापक हिंद– प्रशांत दृष्टिकोण के संचालन में मदद मिली है। तब से यह क्षेत्र और वास्तव में दुनिया के एक लंबा सफ़र तय कर लिया है। दक्षिण–पूर्व एशिया आज दुनिया के सबसे तेज़ी से विकास करते क्षेत्रों में से एक है, जो राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और जनसांख्यिकीय दृष्टि से अद्वितीय गतिशीलता दिखा रहा है। यह वास्तव में 21वीं सदी में विश्व के आर्थिक एवं भू–राजनीतिक केंद्र के रूप में उभरा है।
6. दक्षिण पूर्व एशिया भारत के विस्तारित पड़ोस का हिस्सा है। इस क्षेत्र के प्रति हमारी विदेश नीति की पहुंच बहुआयामी और व्यापक रही है। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच संबंध हमारी क्षमताओं के विस्तार, हमारी अर्थव्यवस्थाओं के विकास और क्षेत्रीय वास्तुकला के विकास के अनुरूप बढ़े हैं। इसने अधिक– से– अधिक आर्थिक जुड़ावों के मूलभूत आयामों के अलावा कनेक्टिविटी, रणनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग और उन्नत शिक्षा एवं सामाजिक संबंधों के सभी महत्वपूर्ण आयामों को समाहित किया है।
7. वैश्विक व्यवस्था, जो पहले से ही चरमरा रही थी, को कोविड महामारी के आर्थिक पतन से भी झटका लगा। इसने वैश्विक दृष्टिकोण को और भी अनिश्चित और जटिल बना दिया। हमारे अपने क्षेत्र और विश्व के अन्य हिस्सों में हाल के घटनाक्रमों से यह और भी बढ़ गया है जिसका वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इन भू–राजनैतिक बदलावों और घटनाक्रमों ने क्षेत्र की सुरक्षा एवं विकास को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत बनाने के महत्व को रेखांकित किया है। संवाद एवं कूटनीति की शक्ति को रेखांकित करते हुए, इन वैश्विक बदलावों और चुनौतियों ने हमारे सहयोग को नए क्षितिज तक विस्तारित करने के मार्ग को भी प्रशस्त किया है।
8. क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए अपने आसियान साझीदारों को दीर्घकालिक एवं स्थायी समर्थन प्रदान करने को हम प्रतिबद्ध हैं। क्षेत्र में विकसित हो रहे स्थापत्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ आसियान की एकता और केंद्रीयता है। हमारे साझा क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि हेतु अभिसरण, दृष्टिकोण और हमारे साझा हित भी हमारे घनिष्ठ एवं बढ़ते लगाव के लिए मज़बूत आधार प्रदान करते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता, बहुपक्षवाद में सुधार की हमारी साझा इच्छा और समावेशी क्षेत्र निर्माण के प्रति हमारा दृष्टिकोण भारत– आसियान सहयोग को इस क्षेत्र में स्थिरता का कारक बनाता है। एओआईपी और आईपीओआई का समाभिरूपता स्वयं ही इस क्षेत्र के लिए हमारे साझा विचारों के बारे में बताता है।
9. कनेक्टिविटी से लेकर जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष से लेकर शिक्षा, पारिस्थितिकी, तकनीक और व्यापार की सुरक्षा को शामिल करते हुए बहुआयामी आसियान– भारत संबंध उज्जवल भविष्य के लिए हमारे सहयोग की इच्छा को बताता है। यदि हम वर्तमान वैश्विक परिदृष्य पर नज़र डालें तो भारत और आसियान को अपने सहयोग, जिसमें केंद्रित व्यावहारिक सहयोग के साथ वैश्विक चर्चा का वर्तमान एजेंडा शामिल है, को नए आयामों तक ले जाने की आवश्यकता है।
10. आसियान– भारत साझेदारी के चौथे दशक में प्रवेश करने के साथ ही हमारे आर्थिक और व्यापार सहयोग को बढ़ाना फोकस क्षेत्र बना हुआ है। वर्ष 1992 में, आसियान के साथ भारत का कुल व्यापार 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम था। अब 30 वर्षों में, आसियान भारत का चौथा (4) सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार बन गया है। आसियान– भारत व्यापार इस वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। अभी भी भारत और आसियान आर्थिक साझीदारी की अपार संभावनाएं हैं जिनका उपयोग नहीं किया गया है। हम आसियान– भारत माल व्यापार समझौता (एआईटीजीए/ AITGA) की शीघ्र समीक्षा करना चाहते हैं ताकि इसे समकालीन और सुव्यवस्थित सीमा शुल्क और नियामक प्रक्रियाओं के साथ व्यापार– सुविधा, उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जा सके।
11. आसियान की कनेक्टिविटी पहल में भारत की आंतरिक रुचि है। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी अपने व्यापक अर्थों में कनेक्टिविटी को क्षेत्र के विकास और समृद्धि की कुंजी के रूप में देखती है। हमारी कनेक्टिविटी पहल में भौतिक, आर्थिक और लोगों की आपस में कनेक्टिविटी शामिल है।
12. इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी के अलावा, भारत और आसियान भारत– आसियान डिजिटल वर्क प्लान 2022 के माध्यम से डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी एक साथ काम कर रहे हैं और फरवरी 2021 में आयोजित आसियान–इंडिया हैकथॉन, आसियान सिंगापुर साइबर सिक्योरिटी सेंटर के साथ सहयोग और ट्रैक 1.5 आसियान– भारत साइबर सुरक्षा वार्ता में सहयोह जैसी अन्य कार्य कर रहे हैं। ये डिजिटल चैनल और जुड़ाव हमें इस क्षेत्र के प्राचीन कोष को बढ़ाने और उसमें सहयोग देने में भी मदद करते हैं जिसमें पारंपरिक चिकित्सा और योग भी शामिल है।
13. भारत की स्टार्ट–अप सफलता की कहानी जीवन को आसान बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रेरित है। इस क्षेत्र में हमारे संयुक्त सहयोग के क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है। आसियान– भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोष प्रौद्योगिकी आधारित विकास में सहयोग की संभावना तलाशने हेतु सक्षम माहौल प्रदान करता है। इसी प्रकार, आसियान– इंडिया ग्रीन फंड (आसियान– भारत हरित कोष) के तहत हम जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण शिक्षा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों एवं परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं क्योंकि भारत और आसियान दोनों स्वच्छ ऊर्जा एवं सतत विकास की ओर अग्रसर हैं।
14. विकास के क्षेत्र में सहयोग आसियान– भारत संबंधों का मुख्य आधार रहा है। मेकांग गंगा सहयोग (एमजीसी/ MGC) के रूप में हमारा उप–क्षेत्रीय सहयोग भी समुदाय उन्मुख, लघु अवधि त्वरित प्रभाव परियोजनाओं जैसी पहलों के माध्यम से आसियान एकीकरण (आईएआई) के लिए पहल में योगदान देकर इस पहलू को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। हम अपने युवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इसमें नालंदा विश्वविद्यालय, आईसीसीआर और आईटीईसी के माध्यम से आसियान के छात्रों को छात्रवृत्ति देना शामिल है। भारत ने 2019 आईआईटी में आसियान के छात्रों के लिए 1000 डॉक्टोरल फेलोशिप की भी शुरुआत की।
15. जैसे– जैसे कोविड महामारी का प्रकोप कम होता जा रहा है, हम एक व्यापक पोस्ट–कोविड रिकवरी के लिए काम जारी रखने हेतु उत्सुक हैं। हमें सुरक्षित, जिम्मेदार और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देने, लोगों के बीच भागीदारी बढ़ाने, डिजिटल परिवर्तन में सहयोग, नई और नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता है।
16. जैसे– जैसे विश्व पुनर्संतुलन और बहु– ध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है, भारत और आसियान को हमारी भविष्य की साझेदारी का रास्ता तय करते समय इन बदले हुए समीकरणों पर विचार करना होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त करने के लिए हम विश्वसनीयता और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने में सहयोगी हो सकते हैं। सुरक्षित डिजिटल अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए, हम विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सहयोग कर सकते हैं। हम ग्लोबल कॉमन्स के कल्याण में योगदान करने के लिए, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के माध्यम से साथ काम कर सकते हैं। ये नए कार्यक्षेत्र हैं जहां हमें वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों को केंद्रित और समेकित करना चाहिए। आज हमारा कार्य नए अवसरों को तलाशता हुआ समकालीन चुनौतियों का समाधान करने हेतु हमारी वर्तमान साझेदारी की नींव पर आगे बढ़ना चाहता है।
17. मैं इस बात पर ज़ोर देते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ कि भारत– आसियान संबंध इस क्षेत्र और विश्व के विकास, समृद्धि, स्थिरता और विकास के वादे को दर्शाते हैं। हमारे सहयोग का विस्तार करने, और अधिक क्षेत्रों को शामिल करने और इसे और अधिक तीव्र बनाने की हमारी क्षमता, दूर तक प्रतिध्वनित होती है।
18. मुझे उम्मीद है कि आज की चर्चा से महामारी के बाद के विश्व में आसियान– भारत रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए नए विचार सामने आएंगे। मैं संवाद की सफलता की कामना करता हूँ और मेरी बातों को ध्यान से सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।
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