राजदूत विजय ठाकुर सिंह, महानिदेशक, भारतीय वैश्विक परिषद्,
श्री हर्षवर्धन श्रृंगला, जी-20 समन्वयक,
राजदूत गुरजीत सिंह,
श्री दम्मू रवि, सचिव (आर्थिक संबंध),
महामहिम सुश्री रोसेट मोसी न्यामले, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजदूत,
विशिष्ट अतिथिगण,
देवियों और सज्जनों,
मुझे अफ्रीका दिवस 2022 के आयोजन में आज की इस भव्य सभा में शामिल होने में प्रसन्नता हो रही है। मैं इस अवसर पर एक पुस्तक विमोचन, पुस्तक चर्चा और एक पैनल चर्चा के आयोजन के लिए भारतीय वैश्विक परिषद् को बधाई देता हूं। मैं राजदूत गुरजीत सिंह की इस पुस्तक - "द हरमबी फैक्टर: इंडिया-अफ्रीका इकोनोमिक एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप" को प्रकाशित करने के लिए प्रशंसा करता हूं। यह अफ्रीका के साथ हमारे जुड़ाव में एक महत्वपूर्ण विषय पर एक गहन शोध अध्ययन है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक शिक्षाविदों और राजनयिकों के लिए एक अच्छी संसाधन सामग्री होगी।
भारतीय वैश्विक परिषद् ने सदैव भारत-अफ्रीका संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने शोध, संवाद और सम्मेलनों के माध्यम से भारत में अफ्रीका के अभिज्ञान संवर्धन के लिए अनेक प्रयास किए हैं। भारतीय वैश्विक परिषद् भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में भारत और अफ्रीका दोनों में प्रमुख सम्मेलनों की मेजबानी करता है। पिछले सप्ताह ही विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर भारत-अफ्रीका संबंधों पर चर्चा करने वाली एक और पुस्तक का विमोचन करने के लिए भारतीय वैश्विक परिषद् में आए थे। ये दो एक-के-बाद-एक घटनाएं उस भूमिका को उजागर करती हैं जो भारतीय वैश्विक परिषद् अफ्रीका के साथ हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने में निभा रही है।
अफ्रीका दिवस अफ्रीकी एकता संगठन की स्थापना समारोह का आयोजन चिह्नित करने के लिए किया जाता है। इसका आयोजन भारत सहित दुनिया भर में किया जाता है। इस वर्ष का विषय "पोषण" है। 2022 के लिए एयू पोषण वर्ष का सामान्य उद्देश्य चल रही पोषण चुनौतियों को संबोधित करने के लिए पोषण में अधिक से अधिक राजनीतिक प्रतिबद्धता और निवेश लाना है। "अफ्रीका में खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा: भारत-अफ्रीका सहयोग के लिए एक एजेंडा" पर पैनल चर्चा सामायिक और प्रासंगिक है।
मित्रों,
भारत-अफ्रीका संबंध गहन निहित हैं और अनेक शताब्दियों पुराने हैं। सभी स्तरों पर नियमित राजनीतिक आदान-प्रदान ने सभी क्षेत्रों में अफ्रीका के साथ हमारे संबंधों को और सुदृढ़ किया है।
विगत 8 वर्षों में भारत और अफ्रीका के बीच गहन राजनीतिक संबंध हुए हैं, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्तर पर भारत से 34 निवर्तमान यात्राएं और राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों और मंत्रिस्तरीय स्तर पर 100 से अधिक आगत यात्राएं हुईं। इससे अफ्रीका के साथ हमारे संबंधों को सशक्तता मिली है। अफ्रीका के साथ राजनयिक संबंधों को बढ़ाने के लिए, भारत के पास अफ्रीका में 43 निवासी मिशन और 7 वाणिज्य दूतावास हैं। हम अपनी राजनयिक परिधि को और बढ़ाने का प्रयास रहे हैं।
20 वीं शताब्दी में, उपनिवेशवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई के दौरान भारत-अफ्रीका साझेदारी अधिक सुदृढ़ हुई। एक-दूसरे के लिए गैर-हस्तक्षेप और पारस्परिक सम्मान की भावना भारत-अफ्रीका संबंधों में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई ताकि "समान के रूप में एक साथ विकसित" करने की भावना को पूरा किया जा सके। इस मजबूत और गतिशील संबंध को मजबूत और जीवंत भारतीय डायस्पोरा, व्यापार समुदाय और व्यवसायियों की उपस्थिति के साथ सशक्त किया गया है।
भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय संबंधों की प्रकृति विविध है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, बुनियादी संरचना और क्षमता निर्माण से संबंधित क्षेत्र शामिल हैं।
कोविड महामारी के दौरान अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों ने अधिक महत्व प्राप्त किया है, क्योंकि हम एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए एक साथ खड़े थे। भारत ने महामारी से निपटने के लिए अफ्रीका के विभिन्न देशों के राष्ट्रीय प्रयासों के पूरक के लिए अफ्रीका के 25 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं के पैकेज भेजे। हमने अनेक अफ्रीकी देशों को मेक इन इंडिया कोविड टीकों की आपूर्ति भी की है।
भारत-अफ्रीका के बीच गहरे होते संबंधों का प्रतीक, यह तथ्य है कि भारत अब महाद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और अफ्रीका में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है, जिसमें 54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का संचयी निवेश है। जनवरी 2021 में, भारत और अफ्रीकी क्षेत्र के दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों के निर्माण के लिए भारत में भारत-अफ्रीका व्यापार परिषद की स्थापना की गई है। यह एक स्वागत योग्य कदम था।
मित्रों,
एलडीसी के लिए भारत द्वारा घोषित शुल्क मुक्त टैरिफ वरीयता योजना ने 38 अफ्रीकी देशों को लाभान्वित किया है और हमारे व्यापार आंकड़ों में निरंतर वृद्धि में योगदान दिया है। आज तक, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से कुछ अफ्रीकी महाद्वीप है। उनकी वृद्धि और विकास महत्वाकांक्षाएं उच्च विकास वाले क्षेत्रों जैसे बुनियादी संरचना के विकास, विनिर्माण, सेवा उद्योग, कृषि-तकनीक, स्वास्थ्य देखभाल, टिकाऊ ऊर्जा, नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश के लिए कुछ आशाजनक अवसर प्रदान करती हैं।
2018 में युगांडा की संसद में अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा व्यक्त किए गए 10 मार्गदर्शक सिद्धांतों में, भारत ने अफ्रीका के विकास का समर्थन करने के लिए डिजिटल क्रांति के साथ अपने अनुभव को साझा करने है; सार्वजनिक सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार; शिक्षा और स्वास्थ्य का विस्तार; डिजिटल साक्षरता का प्रसार; वित्तीय समावेशन का विस्तार; और हाशिए पर रहने वालों को मुख्यधारा में शामिल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
मित्रों,
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि अफ्रीकी महाद्वीप भारत की विदेशी सहायता का दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। अत्यधिक अनुकूल शर्तों पर 41 देशों को 12 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक की कुल राशि की 189 क्रेडिट लाइनों दी गई हैं। इन एलओसी में विद्युत संयंत्रों, विद्युत पारेषण और वितरण नेटवर्क, रेलवे, सड़कों, बंदरगाहों, कृषि और सिंचाई, औद्योगिक इकाइयों, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कौशल विकास आदि जैसे कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है। भारत टेली मेडिसिन और टेली-एजुकेशन ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती सहित अफ्रीकी देशों के साथ मानव संसाधनों में क्षमता निर्माण के लिए भी काम कर रहा है। अफ्रीकी छात्रों की क्षमता निर्माण के हिस्से के रूप में, हम पूरे दिल से अफ्रीकी छात्रों का भारत में आने और अध्ययन करने के लिए स्वागत करते हैं। मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगा कि विभिन्न डिग्री पाठ्यक्रमों में भारतीय संस्थानों में 24,000 से अधिक अफ्रीकी छात्र नामांकित हैं। हम लगभग सभी अफ्रीकी देशों को हजारों आईटीईसी छात्रवृत्ति भी प्रदान करते हैं।
अफ्रीका के "अफ्रीका के स्वामित्व वाले" और "अफ्रीका के नेतृत्व वाले" विकास के अनुसरण में, हमारा प्रयास समानता, पारस्परिक सम्मान, एकजुटता और पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों पर हमारी साझेदारी को आधार से स्थापित करना है।
मित्रों,
अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी को आगे बढ़ाने के प्रभारी मंत्री के रूप में, मैं नियमित रूप से अफ्रीकी देशों के नेतृत्व के साथ वार्ता करता रहता हूँ। मैंने विगत तीन वर्षों में अफ्रीका के 22 देशों की आधिकारिक यात्राएं कीं और नेतृत्व के साथ-साथ भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की। मैं कई अन्य अफ्रीकी देशों के नेताओं के साथ भी टेलीफोनिक रूप से लगातार संपर्क में रहता हूं, मैं दृढ़ विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कृषि, सिंचाई, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल और अवसंरचना सहित अनेक क्षेत्रों में हमारी साझेदारी का विस्तार करने के लिए पर्याप्त संभावनाएं है। मैंने खुद इस क्षमता का आकलन किया हैा यह एक तथ्य है कि इसका उपयोग कम किया गया है। मैं संबद्धताओं को बढ़ाने के लिए; छात्रों और शोधकर्ताओं को अधिक शोध करने और शामिल करने के लिए; व्यापार परिषदों/चैंबरों को व्यापार और व्यापार प्रवाह को बढ़ाने के लिए अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए; और अफ्रीका को मेक इन इंडिया उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के लिए व्यापार समुदाय का आह्वान करता हूँ।
मित्रों,
अंत में, मैं इस कार्यक्रम के आयोजन में पहल के लिए भारतीय वैश्विक परिषद् को बधाई देता हूं। मैं अफ्रीकी राजनयिक समुदाय को समय निकालने और इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद देता हूं।
धन्यवाद।
*****