आईसीडब्ल्यूए ने 29 अक्टूबर 2021 को एक ऑनलाइन सम्मेलन 'एससीओ एंड इंडिया: भावी प्रक्षेप पथ का आयोजन किया। सम्मेलन में उद्घाटन सत्र और दो तकनीकी सत्र शामिल थे-पहला, एससीओ इन रीजनल एंड ग्लोबल फ्लक्स और दूसरा, एससीओ में भारत। उद्घाटन सत्र को राजदूत व्लादिमीर नोरोव, महासचिव, शंघाई सहयोग संगठन, बीजिंग राजदूत रीणत संधू, सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार; और राजदूत विजय ठाकुर सिंह, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए ने संबोधित किया इस कार्यक्रम में क्षेत्र के विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, राजनयिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
आईसीडब्ल्यूए की महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह ने कहा कि प्रभावी क्षेत्रीय आवाज के रूप में एससीओ का महत्व बढ़ रहा है। आम सहमति के आधार पर इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया एजेंडे के साथ-साथ सदस्यता के विस्तार में उपयोगी रही है। 2020 भारत-एससीओ संबद्धता के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार 19वीं काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट समिट (ऑनलाइन) की मेजबानी माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने की थी।
विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) राजदूत रीनात संधू ने अपने विशेष भाषण में कहा कि भारत ने एक सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाई जिसने एससीओ क्षेत्र के विकास और समृद्धि में योगदान दिया। भारत के लिए ध्यान केंद्रित करने का एक प्रमुख क्षेत्र, क्षेत्र में शांति और सुरक्षा है जो एससीओ चार्टर का अधिदेश भी है। भारत आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद, आतंक वित्तपोषण, ड्रग्स, हथियारों और गोला-बारूद की अवैध तस्करी का मुकाबला करने में क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे में चल रहे सहयोग को महत्व देता है। एससीओ आरएटीएस (2021-22) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत ने अपने काम और गतिविधियों को एक नई दिशा और गति देने की आशा व्यक्त की।
एससीओ के महासचिव राजदूत व्लादिमीर नोरोव ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि आईसीडब्ल्यूए एससीओ के कामकाज में सुधार और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में साझा हितों को बढ़ावा देने के लिए उत्पादक विचार पैदा करने में सक्षम एक प्रभावी बौद्धिक केंद्र था। उन्होंने उल्लेख किया कि अफगान मुद्दा एससीओ के एजेंडे में सबसे ऊपर है। एससीओ एक स्वतंत्र, तटस्थ, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की स्थापना की वकालत करता है- अफगान समाज के सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार। राजदूत नोरोव ने 2017 में पूर्ण सदस्य बनने के बाद से एससीओ की गतिविधियों में भारत के सक्रिय रूप से शामिल होने की सराहना की। भारत की सदस्यता ने एससीओ की भौगोलिक पहुंच को काफी व्यापक किया था और इस क्षेत्र और दुनिया में अपना प्रोफाइल और प्रभाव बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार और अर्थशास्त्र, एसएंडटी सहयोग, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत, आईटी, टेली मेडिसिन, फार्मा, आतिथ्य और पर्यटन के मामले में अपार संभावनाएं हैं।
इस पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता दिल्ली पॉलिसी ग्रुप नई दिल्ली के वरिष्ठ फेलो राजदूत पी स्टोबदान ने की। इसमें वक्ता थें: प्रो राम उपेंद्र दास, प्रमुख, क्षेत्रीय व्यापार केंद्र, नई दिल्ली; डॉ पूनम मान, एसोसिएट फेलो, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज, नई दिल्ली; और प्रो सूबा चंद्रन, डीन, स्कूल ऑफ कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज, एनआईएस, बैंगलोर। दूसरे सत्र की अध्यक्षता ताजिकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत योगेंद्र कुमार ने की और वक्ता थे-प्रो अजय पटनायक, पूर्व डीन और प्रोफेसर, एसआईएस, जेएनयू, नई दिल्ली; श्री पंकज टंडन, मुख्य परिचालन अधिकारी (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार) और मुख्य व्यवसाय अधिकारी, मेसर्स ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड, इंडिया ने फिक्की, नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया; और डॉ अतहर जफर, सीनियर अध्येता, आईसीडब्ल्यूए। तकनीकी सत्रों में प्रतिभागियों ने एससीओ पर क्षेत्रीय और वैश्विक प्रवाह और भारत-एससीओ संबद्धता पर विचारों का आदान-प्रदान किया। यह देखा गया कि ईरान के साथ एक नए सदस्य के रूप में और सऊदी अरब, कतर और मिस्र तीन पर्यवेक्षकों के रूप में, विस्तार ने एससीओ को मजबूत किया है और आर्थिक और रणनीतिक गतिशीलता बढ़ाने के लिए नई संभावनाएं खोली हैं। भारत ने सुरक्षा, व्यापार, संपर्क और संस्कृति के क्षेत्रों में एससीओ क्षेत्र में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग की अपार संभावनाएं देखीं।
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