महामहिम राजदूत व्लादिमीर नोरोव, महासचिव, शंघाई सहयोग संगठन,
राजदूत रीनत संधू, सचिव (पश्चिम), विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली,
विशिष्ट अतिथिगण
मैं आज के आयोजन - "एससीओ एंड इंडिया: द ट्रैजेक्टरी अहेड" में विश्व मामलों की भारतीय परिषद की ओर से आपका हार्दिक स्वागत करता हूं।
उद्घाटन भाषण देने के लिए मैं राजदूत नोरोव का विशेष रूप से आभारी हूं। राजदूत नोरोव भारत और विश्व मामलों की भारतीय परिषद्-आईसीडब्ल्यूए के मित्र हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से और वर्चुअल माध्यम से परिषद के कार्यक्रमों में भाग लिया है।
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सहमत होने और उद्घाटन सत्र में अपनी विशेष टिप्पणियों के साथ हमें अनुग्रहित करने के लिए, विदेश मंत्रालय की सचिव (पश्चिम) राजदूत रीनत संधू का भी गर्मजोशी से स्वागत है।
आज के सम्मेलन का आयोजन 21वें राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की अनुवर्ती कार्रवाई और नवंबर में कजाकिस्तान में होने वाली शासनाध्यक्षों की आगामी बैठक से पहले किया गया है। इसके अलावा, हम संगठन के गठन के 20 साल पूरे होने का भी जश्न मना रहे हैं।
शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ विश्व की एक बड़ी आबादी और विशाल भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। एक प्रभावी क्षेत्रीय आवाज के रूप में एससीओ की पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ रही है। सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सर्वसम्मति के दृष्टिकोण पर आधारित इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया, इसके एजेंडे के विस्तार और इसकी बढ़ती सदस्यता दोनों के लिए उपयोगी रही है। यह संगठन राजनीतिक, राजनयिक, आधिकारिक और शैक्षणिक स्तरों पर सदस्यों, पर्यवेक्षकों और संवाद भागीदारों को शामिल करते हुए पूरे वर्ष सक्रिय रहता है। नए सदस्य के रूप में ईरान और सऊदी अरब, कतर और मिस्र को पर्यवेक्षकों के रूप में शामिल करने से एससीओ परिवार में वृद्धि हुई है। यह विस्तार न केवल संगठन को मजबूत करता है बल्कि एससीओ और इसके घटकों दोनों के लिए आर्थिक और सामरिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोलता है।
एक पर्यवेक्षक के रूप में प्रभावी तरीके से जुड़े रहने के बाद, भारत 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बन गया। भारत की भागीदारी के दृष्टिकोण से वर्ष 2020 महत्वपूर्ण था, क्योंकि पहली बार एक शिखर-स्तरीय एससीओ बैठक की मेजबानी उसके द्वारा कि गई। वुर्चअल माध्यम से आयोजित इसके शासनाध्यक्षों के परिषद् की 19 वीं बैठक की मेजबानी भारत के माननीय उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने की थी जो विश्व मामलों की भारतीय परिषद के अध्यक्ष भी हैं। अपने उद्घाटन भाषण में, उन्होंने एससीओ में सक्रिय, सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की थी।
एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों का 21 वां शिखर सम्मेलन अभी हाल में सितंबर 2021 में दुशांबे में संपन्न हुआ है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया था।
दुशांबे शिखर सम्मेलन कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण था। शिखर सम्मेलन ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक माहौल में सुधार के लिए कई पहलों पर चर्चा की। इसमें कोविड के अलावा सुरक्षा के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया जिसमें आतंकवाद और कट्टरपंथ से उत्पन्न होने वाले खतरे शामिल थे। दुशांबे बैठक में अफगानिस्तान एक प्रमुख मुद्दा था। एससीओ ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के महत्व को रेखांकित किया। ये मुद्दे, स्पष्ट रूप से, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय हैं।
प्रिय मित्रों,
यूरेशिया क्षेत्र दुनिया का ध्यान लगातार अपनी ओर खींच रहा है। इस क्षेत्र की युवा आबादी, तेजी से हो रहे आर्थिक सुधार और विकास, उद्यमशीलता वाला मानव संसाधन तुलनात्मक लाभ के साथ एक बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश है।
आज हमारे विचार-विमर्श से कुछ ऐसा निकल कर आना चाहिए जो भारत-एससीओ संबंधों को बढ़ाने और एससीओ की आगामी बैठकों के लिए एजेंडा तैयार करने में मदद करे सके, विशेष रूप से उस अवधि के लिए जब भारत सितंबर 2022 से एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
आईसीडब्ल्यूए अपनी ओर से एससीओ में योगदान बढ़ाने के लिए भी प्रयास कर रहा है। परिषद एससीओ फोरम की वार्षिक बैठकों और ये सदस्य देशों द्वारा आयोजित अन्य कार्यक्रमों में भाग लेती है। आईसीडब्ल्यूए ने राजदूत स्टोबदान और राजदूत योगेंद्र कुमार सहित कई प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा भारत-एससीओ जुड़ाव पर अध्ययन भी कराया है। ये दोनों सम्मेलन के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करेंगे। मुझे यह बताते हुए विशेष प्रसन्नता हो रही है कि आईसीडब्ल्यूए ने हाल ही में एक समर्पित एससीओ अध्ययन केंद्र की स्थापना की है। इसकी घोषणा जुलाई 2021 में भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा की गई थी। यह संभवत: देश में इस महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह का अध्ययन करने के लिए विशेष रूप से स्थापित केंद्रों में से पहला है।
मुझे ध्यानपूर्वक सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
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