मैं तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्रालय, तुर्कमेनिस्तान के शिक्षा मंत्रालय तथा तुर्कमेनिस्तान की विज्ञान अकादमी को इस अंतर्राष्ट्रीय मंच के आयोजन के लिए बधाई देना चाहूंगा जिसका शीर्षक है "मुहम्मत बेराम खान-तुर्कों तथा तुर्कों के साहस की परंपराओं"। मैं उन सभी प्रतिभागियों को दिल्ली तथा भारत से शुभकामनाएं देता हूं, जहां मुहम्मत बेराम खान लंबे वर्षों तक रहे तथा अपनी महान उपलब्धियां हासिल कीं।
हमें इस सम्मेलन से जोड़ने के लिए भारत में तुर्कमेनिस्तान के राजदूत का भी मैं आभारी हूं।
मुहम्मत बेराम खान की ऐतिहासिक भूमिका सर्वविदित है। वह भारत के इतिहास में तीन महान गुणों के लिए जाने जाते है: (i) एक राजनेता तथा एक जनरल के रूप में; (ii) एक राजनयिक के रूप में, तथा (iii) साहित्यिक व्यक्ति के रूप में। इसके अलावा, उनमें विश्वसनीयता तथा साहस के बहुत सराहनीय व्यक्तिगत गुण थे। इन सभी कारणों से ही आज हम उनके जीवन और उनके विरासत का सराहना करते हैं।
मुहम्मत बेराम खान तुर्क अपने बेटे अब्दुर रहीम की बड़ी उपलब्धियों के वजह से भी भारत मेंअच्छी तरह से जाने जाते हैं। दोनों, पिता-पुत्र को खान-ए-खानन के खिताब से नवाजा गया था। अब्दुर रहीम खान-ए-खाना ने अपने पीछे भारत में एक समृद्ध विरासत छोड़ी है तथा उन्हें जन कवि के रूप में तथा बुद्धिजीवियों तथा लेखकों के संरक्षक के रूप में याद किया जाता है। हिंदी तथा संस्कृत में उनकी कविता संस्कृतियों तथा धर्मों के बीच संवाद के महत्व का सजीव अवतार है। इसलिए, पिता और पुत्र दोनों ही सांप्रदायिक चिंताओं से ऊपर उठकर और खुली उदारता के मानवतावाद के मौलिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के महत्व की याद दिलाते हैं।
बेराम खान तथा अब्दुर रहीम खान-ए-खानन भारत तथा तुर्कमेनिस्तान के ऐतिहासिक संबंधों को सजीव करते हैं तथा ये दोनों महत्वपूर्ण ऐतिहासिक हस्तियां हमें उस साझा सांस्कृतिक और सभ्यतागत भूगोल की याद दिलाती हैं, जिनसे हम आते हैं।
मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि नई दिल्ली में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा हाल ही में पूरी तरह से बहाल हुआ है तथा अब यह भारत की जीवित विरासत के महान आकर्षणों में से एक है। अब मैं जो पृष्ठभूमि साझा करता हूं वह इस शानदार संरचना की है। मुझे आशा है कि तुर्कमेनिस्तान के आगंतुक इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक का दौरा करेंगे तथा इसे भारत तथा तुर्कमेनिस्तान के लोगों के बीच सभ्यतागत जुड़ाव के एक जीवंत उदाहरण के रूप में देखेंगे।
मैं इस सम्मेलन की सफलता तथा सार्थक चर्चाओं की कामना करता हूं ।
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