राजदूत (डॉ.) टी. सी. ए. राघवन, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए, नई दिल्ली की टिप्पणी
1. किर्गिज़ गणराज्य के उप प्रधानमंत्री एच.ई. मादुमारोव अकरम कामबारालिविच; किर्गिज गणराज्य से एसीओ के राष्ट्रीय समन्वयक श्री के. कोचकोनोव, किर्गिज गणराज्य के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ के निदेशक श्री एमिलबेक काप्तागेव और आज की संगोष्ठी के मेज़बान; शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव राजदूत व्लादिमिर नोरोव; एससीओ से जुड़े देशों के केंद्रों एवं विचार मंचों के प्रमुखों, राजनयिकों, शिक्षाविदों एवं गणमान्य सहभागियों, आज मुझे फोरम के पंद्रहवे सत्र का हिस्सा बनते हुए बेहद खुशी हो रही है। परिषद और मेरे भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से, मैं श्री एमिलबेक काप्तागेव का धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने हमारा आमंत्रण स्वीकार किया और फोरम की ऑनलाइन मोड में हो रहे सत्र का हिस्सा बने।
2. आज के सत्र का एजेंडे का सार है– हमारे क्षेत्रों में हमें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और आखिर क्यों हम अपने विचारों का वास्तविक आदान–प्रदान नहीं कर पाते। मैंने बीजिंग में हुए पिछले सत्र में भाग लिया था और मुझे उस मंच की जीवंतता की याद आएगी। मुझे आशा है कि हम महामारी के इस दौर से जल्द ही उबर जाएंगे और सामान्य जीवन में लौट आएगें। फिर भी, हम वैश्विक संकट की जिस स्थिति में हैं, वह हमें अंतरराष्ट्रीयता एवं बहुपक्षीय सहयोग के मान्य सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करता है और समय पर कार्य करने में सक्षम बनाता है। एससीओ एक जीवंत संगठन बन चुका है और यह दुनिया की आबादी एवं इलाके के बहुत बड़े हिस्से को कवर करता है। इस मंच को एससीओ की बैद्धिक शाखा कहना अनुचित नहीं होगा। विचार मंच के रूप में, बतौर विशेषज्ञ और शिक्षाविद, हमारा मुख्य उद्देश्य ऐसे विचारों एवं अवधारणाओं को सबके सामने रखना है जो आगे चल कर अंतर–सरकारी एवं बहुपक्षीय सहयोग को सशक्त बनाने के लिए सरकारी नीति में अपनी जगह बना सके।
3. वर्ष 2019 में, किर्गिज गणराज्य के बिश्केक में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने जब हमारे क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के लिए परिवर्णी शब्द (ऐक्रनिम) का सुझाव दिया था तब वे एक भविष्यद्रष्टा थे। मैं उद्धृत करता हूँ, " HEALTH के अक्षर हमारे सहयोग के लिए बहुत अच्छा टेम्पलेट हो सकता है, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सहयोग के लिए H; आर्थिक सहयोग के लिए E; वैकल्पिक ऊर्जा के लिए A; साहित्य एवं संस्कृति के लिए L; आतंकवाद मुक्त समाज के लिए T; मानवीय सहयोग के लिए H"। वास्तव में यह समय के अनुकूल दिया गया सुझाव था।
4. स्पष्ट है कि वर्तमान महामारी ने हमें आर्थिक सहयोग एवं विकास, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य और ऊर्जा सहयोग जैसे परस्पर संबंधित मुद्दों पर गहराई से विचार करने पर मजबूर कर दिया है। इन विचारों पर चर्चा करने एवं उन पर काम करने के लिए हम एससीओ राष्ट्र प्रमुखों की बैठक की मेजबानी करने को बहुत उत्सुक हैं। हमें आशा है कि हमारे कई सहयोगी संगठन विचारों एवं प्रस्तावों को अंतिम रूप देने में जुटे होंगे ताकि अंतर–सरकारी सहयोग हेतु एक व्यावहारिक योजना तैयार की जा सके।
5. एससीओ बिजनेस काउंसिल नवंबर में एससीओ बिजनेस फोरम की मेजबानी करेगा जिसमें एमएसएमई, कृषि– प्रसंस्करण, डिजिटल अर्थव्यवस्था, फार्मास्युटिकल और हरित प्रौद्योगिकियों आदि में व्यापार और निवेश को बढ़ाने के उपायों को तलाशने का प्रयास किया जाएगा। इसी प्रकार, इन्वेस्टइंडिया (INVESTINDIA) अक्टूबर में एससीओ स्टार्टअप फोरम की पहली बैठक की मेजबानी करेगा जिसमें सर्वोत्तम प्रथाओं वाली कार्यशालाओं, कॉरपोरेट एवं निवेशक वचनबद्धता, सामाजिक स्तर पर किए गए नए आविष्कारों की खरीद और जानकारी को साझा करने संबंधी सत्रों जैसे विषय पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस प्रकार के दृष्टिकोण का आशाजनक पहलू यह है कि इन्वेस्टइंडिया द्वारा 11 अगस्त को आयोजित की गई प्रारंभिक संगोष्ठी में सदस्य देशों द्वारा अपने रूचि के क्षेत्रों की पहचान की गई थी। इस संगोष्ठी में 80 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
6. भारत, लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देकर एक–दूसरे की सांस्कृतिक विरासत को समझना चाहेगा। दुर्भाग्यवश, महामारी के कारण, इस वर्ष हम प्रत्यक्ष बैठकों की मेजबानी नहीं कर सकते। फिर भी, हमने, दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में एससीओ सदस्य राष्ट्रों में साझा बौद्ध विरासत पर डिजिटल प्रदर्शनी का आयोजन किया और भारतीय क्षेत्रीय साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं का रुसी एवं चीनी भाषा में अनुवाद किया और आगे बढ़े। एक और क्षेत्र है जिस पर हमने ध्यान देना शुरु किया है, वह है, एससीओ में युवाओं की भागीदारी। इस दिशा में हमारी तरफ से उठाया गया पहला कदम है, भारत से नेतृत्व करने हेतु राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के साथ इस वर्ष एससीओ युवा परिषद में शामिल होना। हमें आशा है कि इन प्रयासों के साथ हम एक दूसरे की सांस्कृतिक एवं सभ्यता संबंधी विरासत और संबंधों से जुड़ी धारणा में बदलाव ला सकेंगे।
7. हमारे क्षेत्र की चुनौती सिर्फ कोविड–19 और उसके परिणामों से ही निपटना नहीं है। दुर्भाग्यवश, हम आज भी आतंकवाद और गैर–परंपरागत सुरक्षा संकटों से जूझ रहे हैं। अपने क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे के माध्यम से एससीओ इस सार्वजनिक शत्रु से निपटने के गंभीर प्रयास कर रहा है। हमारे विचार में, एससीओ, इस उद्देश्य के लिए बनाए गए कॉन्टैक्ट ग्रुप (संपर्क समूह) के माध्यम से अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
8. एससीओ क्षेत्र में अंतर–क्षेत्रीय व्यापार का कम होना भी चिंता का एक विषय है और इसमें तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। हमारे अखिल–क्षेत्रीय आर्थिक एवं संपर्क सहयोग को भी मजबूत बनाया जाना बाकी है। बेहतर आर्थिक सहयोग एससीओ क्षेत्र के आम नागरिकों के लिए लाभ के अवसर पैदा करेगा।
9. प्रिय प्रतिभागियों, इस संगोष्ठी का आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहले के मुकाबले कहीं अधिक व्यापक क्षेत्रीय कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई और अन्य माध्यम के रूप में उसे कार्यान्वित भी किया गया। बढ़ते संरक्षणवाद, अज्ञात भय की प्रवृत्ति और महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक आम सहमति एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों की अनदेखी, कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिन पर हमें मिल कर काम करना चाहिए। उचित वैक्सीन तैयार करने की अनिवार्यता के लिए क्षेत्रीय और गैर–क्षेत्रीय स्तर, दोनों पर ही व्यापक सहयोग की आवश्यकता है।
10. ऐसी स्थिति में, एससीओ में सहयोग का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। हमें लगता है कि हममें इन चुनौतियों के साथ–साथ अन्य चुनौतियों का सामना करने की पर्याप्त क्षमता है। इसलिए हमारा, संगठन के आम सहमति और आपसी समक्ष की भावना के दृढ़ विश्वास के प्रति प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है।
11. प्रिय प्रतिभागियों, आप सभी का बहुत– बहुत धन्यवाद। मैं कार्यक्रम के आयोजकों एवं दुभाषियों, जिनकी मदद से गणमान्य अतिथियों ने हमें सुना, को धन्यवाद देने के साथ अपनी बात यहीं समाप्त करना चाहता हूं।
12. मैं संगोष्ठि के सफल होने की कामना करता हूँ। धन्यवाद।